गिरिडीह. विख्यात नाटककार शेक्सपियर ने भले ही कहा हो कि 'नाम में क्या रखा है' लेकिन झारखण्ड के गिरिडीह जिले में तो नाम में ही सब कुछ रखा है क्योंकि एक शब्द 'बेवकूफ' ने न केवल यहां के कई लोगों की किस्मत चमकाई है बल्कि अब यह शब्द यहां सफलता की गारंटी बनता जा रहा है।
गिरिडीह में कोर्ट रोड पर 20 मीटर के दायरे में छह होटलों के नाम 'बेवकूफ होटल' हैं।कोई बेवकूफ बादशाह है कोई श्री बेवकूफ। या फिर महा बेवकूफ या बेवकूफ नम्बर वन।
शहर में कोई अन्य होटल बेवकूफ नाम की होटलों से ज्यादा कारोबार नहीं कर रहा है। हालात ये हैं कि जिस भी होटल का नाम बेबकूफ रखा जाता है वही चल निकलता है।
इन होटलों के यह नाम आमिर खान की फिल्म 3 इडियट बनने से कहीं पहले से हैं। 'थ्री इडियट' ने बेशुमार सफलता प्राप्त की और इडियट शब्द को ही पसंद किया जाने लगा।
बेवकूफ शब्द ने कैसे यहां कई लोगों की किस्मत बदली। इस बारे में बताते हुए एक होटल मालिक सुनील अग्रवाल ने कहा, "हमारे होटल का नाम पहले वैष्णवी था लेकिन कारोबार चल नहीं रहा था। जब हमने एक और होटल खोला तब उसका नाम बेवकूफ बादशाह रखा जिसने बेहतरीन कारोबार किया।"
बेवकूफ बादशाह यहां बेवकूफ नाम की होटलों की श्रंखला की सबसे ताजा कड़ी है। इससे पहले कई होटलों के नाम बेवकूफ रखे जा चुके थे। गिरिडीह के ही ग्रामीण इलाकों ईसरी और राजधनवार में दो होटलों के नाम बेवकूफ पर रखे गए। बेवकूफ नाम रखने की यह शुरुआत 1971 से हुई। सबसे पुराने बेवकूफ होटल के मालिक बीरबल प्रसाद हैं।
प्रसाद ने आईएएनएस से कहा, "मेरे चाचा गोपी राम ने एक ढाबा शुरू किया था। यह ढाबा नहीं चला और हम गंभीर आर्थिक संकट में आ गए। तब हमने बेहद सस्ते दामों पर खाना देना शुरू किया इसलिए ग्राहकों ने हमें बेवकूफ कहना शुरू कर दिया। हमें बेवकूफ कहने के बावजूद भी वे हमारे ही होटल पर आते थे।"
उन्होंने कहा, "ग्राहक हमारे होटल को बेवकूफ होटल कहने लगे थे इसलिए जब हमने इस नई जगह पर होटल को स्थानांतरित किया तो इसका नाम बेवकूफ होटल रख दिया।"
बेवकूफ नाम की दूसरी होटल 1993 में खुली। इसके मालिक गोपी राम के भतीजे किरण भडानी हैं। भडानी ने इस होटल का नाम श्री बेवकूफ रखा।
भडानी ने कहा, "चाचा के साथ होटल चलाने के समय मैनें देखा कि किसी और होटल की बिक्री उनके बराबर नहीं है। इसलिए मैनें इस नाम की नकल की। मेरे चाचा इससे खुश नहीं थे लेकिन वह मुझे रोक नहीं सके।" इसके बाद बेवकूफ नाम से होटल खोलने का सिलसिला चल निकला।
(भास्कर से )
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Monday, December 6, 2010
बेवकूफ होटल में आपका स्वागत है
गिरिडीह. विख्यात नाटककार शेक्सपियर ने भले ही कहा हो कि 'नाम में क्या रखा है' लेकिन झारखण्ड के गिरिडीह जिले में तो नाम में ही सब कुछ रखा है क्योंकि एक शब्द 'बेवकूफ' ने न केवल यहां के कई लोगों की किस्मत चमकाई है बल्कि अब यह शब्द यहां सफलता की गारंटी बनता जा रहा है।
गिरिडीह में कोर्ट रोड पर 20 मीटर के दायरे में छह होटलों के नाम 'बेवकूफ होटल' हैं।कोई बेवकूफ बादशाह है कोई श्री बेवकूफ। या फिर महा बेवकूफ या बेवकूफ नम्बर वन।
शहर में कोई अन्य होटल बेवकूफ नाम की होटलों से ज्यादा कारोबार नहीं कर रहा है। हालात ये हैं कि जिस भी होटल का नाम बेबकूफ रखा जाता है वही चल निकलता है।
इन होटलों के यह नाम आमिर खान की फिल्म 3 इडियट बनने से कहीं पहले से हैं। 'थ्री इडियट' ने बेशुमार सफलता प्राप्त की और इडियट शब्द को ही पसंद किया जाने लगा।
बेवकूफ शब्द ने कैसे यहां कई लोगों की किस्मत बदली। इस बारे में बताते हुए एक होटल मालिक सुनील अग्रवाल ने कहा, "हमारे होटल का नाम पहले वैष्णवी था लेकिन कारोबार चल नहीं रहा था। जब हमने एक और होटल खोला तब उसका नाम बेवकूफ बादशाह रखा जिसने बेहतरीन कारोबार किया।"
बेवकूफ बादशाह यहां बेवकूफ नाम की होटलों की श्रंखला की सबसे ताजा कड़ी है। इससे पहले कई होटलों के नाम बेवकूफ रखे जा चुके थे। गिरिडीह के ही ग्रामीण इलाकों ईसरी और राजधनवार में दो होटलों के नाम बेवकूफ पर रखे गए। बेवकूफ नाम रखने की यह शुरुआत 1971 से हुई। सबसे पुराने बेवकूफ होटल के मालिक बीरबल प्रसाद हैं।
प्रसाद ने आईएएनएस से कहा, "मेरे चाचा गोपी राम ने एक ढाबा शुरू किया था। यह ढाबा नहीं चला और हम गंभीर आर्थिक संकट में आ गए। तब हमने बेहद सस्ते दामों पर खाना देना शुरू किया इसलिए ग्राहकों ने हमें बेवकूफ कहना शुरू कर दिया। हमें बेवकूफ कहने के बावजूद भी वे हमारे ही होटल पर आते थे।"
उन्होंने कहा, "ग्राहक हमारे होटल को बेवकूफ होटल कहने लगे थे इसलिए जब हमने इस नई जगह पर होटल को स्थानांतरित किया तो इसका नाम बेवकूफ होटल रख दिया।"
बेवकूफ नाम की दूसरी होटल 1993 में खुली। इसके मालिक गोपी राम के भतीजे किरण भडानी हैं। भडानी ने इस होटल का नाम श्री बेवकूफ रखा।
भडानी ने कहा, "चाचा के साथ होटल चलाने के समय मैनें देखा कि किसी और होटल की बिक्री उनके बराबर नहीं है। इसलिए मैनें इस नाम की नकल की। मेरे चाचा इससे खुश नहीं थे लेकिन वह मुझे रोक नहीं सके।" इसके बाद बेवकूफ नाम से होटल खोलने का सिलसिला चल निकला।
(भास्कर से )
गिरिडीह में कोर्ट रोड पर 20 मीटर के दायरे में छह होटलों के नाम 'बेवकूफ होटल' हैं।कोई बेवकूफ बादशाह है कोई श्री बेवकूफ। या फिर महा बेवकूफ या बेवकूफ नम्बर वन।
शहर में कोई अन्य होटल बेवकूफ नाम की होटलों से ज्यादा कारोबार नहीं कर रहा है। हालात ये हैं कि जिस भी होटल का नाम बेबकूफ रखा जाता है वही चल निकलता है।
इन होटलों के यह नाम आमिर खान की फिल्म 3 इडियट बनने से कहीं पहले से हैं। 'थ्री इडियट' ने बेशुमार सफलता प्राप्त की और इडियट शब्द को ही पसंद किया जाने लगा।
बेवकूफ शब्द ने कैसे यहां कई लोगों की किस्मत बदली। इस बारे में बताते हुए एक होटल मालिक सुनील अग्रवाल ने कहा, "हमारे होटल का नाम पहले वैष्णवी था लेकिन कारोबार चल नहीं रहा था। जब हमने एक और होटल खोला तब उसका नाम बेवकूफ बादशाह रखा जिसने बेहतरीन कारोबार किया।"
बेवकूफ बादशाह यहां बेवकूफ नाम की होटलों की श्रंखला की सबसे ताजा कड़ी है। इससे पहले कई होटलों के नाम बेवकूफ रखे जा चुके थे। गिरिडीह के ही ग्रामीण इलाकों ईसरी और राजधनवार में दो होटलों के नाम बेवकूफ पर रखे गए। बेवकूफ नाम रखने की यह शुरुआत 1971 से हुई। सबसे पुराने बेवकूफ होटल के मालिक बीरबल प्रसाद हैं।
प्रसाद ने आईएएनएस से कहा, "मेरे चाचा गोपी राम ने एक ढाबा शुरू किया था। यह ढाबा नहीं चला और हम गंभीर आर्थिक संकट में आ गए। तब हमने बेहद सस्ते दामों पर खाना देना शुरू किया इसलिए ग्राहकों ने हमें बेवकूफ कहना शुरू कर दिया। हमें बेवकूफ कहने के बावजूद भी वे हमारे ही होटल पर आते थे।"
उन्होंने कहा, "ग्राहक हमारे होटल को बेवकूफ होटल कहने लगे थे इसलिए जब हमने इस नई जगह पर होटल को स्थानांतरित किया तो इसका नाम बेवकूफ होटल रख दिया।"
बेवकूफ नाम की दूसरी होटल 1993 में खुली। इसके मालिक गोपी राम के भतीजे किरण भडानी हैं। भडानी ने इस होटल का नाम श्री बेवकूफ रखा।
भडानी ने कहा, "चाचा के साथ होटल चलाने के समय मैनें देखा कि किसी और होटल की बिक्री उनके बराबर नहीं है। इसलिए मैनें इस नाम की नकल की। मेरे चाचा इससे खुश नहीं थे लेकिन वह मुझे रोक नहीं सके।" इसके बाद बेवकूफ नाम से होटल खोलने का सिलसिला चल निकला।
(भास्कर से )
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