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Monday, December 20, 2010

...और उड़ जाते हैं चीथड़े

जबलपुर. ऐसा लगता है कि वर्तमान समय में आदमी के अंदर से मानवीयता मर चुकी है। क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए आदमी आदमखोर की भांति हो चुका है। अब वह जंगली जानवरों को भी निर्दयता से मारने में परहेज नहीं कर रहा है। ....ऐसी ही एक घटना डुमना रोड धोबी घाट के पास घटी,जिसके बारे में सुनते ही वन विभाग के पैरों तले जमीन खिसक गई। यहां पर दो शिकारियों ने सुअर मार बम में बकरे की चर्बी लपेटकर जंगल के बीचोंबीच रख दिया।
स्थल पर एक सियार पहुंचा और उसने बम में लिपटी चर्बी को खाने की कोशिश में मुंह से दबाया,उसके चीथड़े उड़ गए। उसका जबड़ा भी बुरी तरह से लहूलुहान हो गया और बम के फटते ही कुछ दूर तक वह यहां वहां भागने लगा और आगे जाकर उसने दम तोड़ दिया।
पता चला है कि डुमना रोड धोबीघाट स्थित जंगल में शिकारियों के होने की सूचना जीसीएफ निवासी राजेन्द्र शर्मा ने एंटी पोचिंग विभाग के प्रभारी आरके कुमरे को गत दिवस दी थी। एंटी पोचिंग ने सूचना को गंभीरता से लेते हुए सुबह लगभग 4 बजे जंगल में डेरा डाला और शिकारियों की खोजबीन शुरू कर दी।
रास्ते में उन्हें कुछ खून के निशान मिले। इसी आधार पर वे आगे बढ़ते रहे, तभी उन्हें दो लोग नजर आए,उन्होंने पूछताछ की और संदिग्ध दिखाई देने पर उनकी तलाशी भी ली।
बकरे के मांस में मिलाकर बेचते हैं
आरोपियों से कड़ी पूछताछ की गई,तब जाकर उन्होंने बताया कि वे सियार के मांस को खाते भी हैं और इसे बकरे के मांस में मिलाकर बेचते भी हैं। पकड़े गए लालमाटी चांदमारी निवासी जहर सिंह और विक्रम बताए जाते हैं। दोनों रिश्ते में चाचा-भतीजा हैं। विक्रम दमोह जिले का रहने वाला बताया जाता है।
भतीजे को कुछ नहीं पता
पूछताछ में विक्रम ने वन विभाग के अधिकारियांे को बताया कि वह जबलपुर रहने के लिए आया था और चाचा उसे घुमाने के बहाने जंगल ले आए थे। दोनों आरोपियों के विरुद्ध वन्य प्राणी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है और उन्हें सिविल लाइन थाने में रखा गया है।
सियार की मौत के बाद उसे वेटरनरी कॉलेज लाया गया, जहां पर उसका पोस्टमार्टम किया गया।
जीभ ने खोला राज
तलाशी में वन विभाग के अधिकारियों को दोनों व्यक्तियों में से एक की पैन्ट की जेब से पत्ते में लिपटी हुई एक जीभ मिली, जिससे उनका शक और पक्का हो गया। यह जीभ सियार की थी, जो उन्होंने निकालकर जेब में रख ली थी।
- भास्कर से

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Monday, December 20, 2010

...और उड़ जाते हैं चीथड़े

जबलपुर. ऐसा लगता है कि वर्तमान समय में आदमी के अंदर से मानवीयता मर चुकी है। क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए आदमी आदमखोर की भांति हो चुका है। अब वह जंगली जानवरों को भी निर्दयता से मारने में परहेज नहीं कर रहा है। ....ऐसी ही एक घटना डुमना रोड धोबी घाट के पास घटी,जिसके बारे में सुनते ही वन विभाग के पैरों तले जमीन खिसक गई। यहां पर दो शिकारियों ने सुअर मार बम में बकरे की चर्बी लपेटकर जंगल के बीचोंबीच रख दिया।
स्थल पर एक सियार पहुंचा और उसने बम में लिपटी चर्बी को खाने की कोशिश में मुंह से दबाया,उसके चीथड़े उड़ गए। उसका जबड़ा भी बुरी तरह से लहूलुहान हो गया और बम के फटते ही कुछ दूर तक वह यहां वहां भागने लगा और आगे जाकर उसने दम तोड़ दिया।
पता चला है कि डुमना रोड धोबीघाट स्थित जंगल में शिकारियों के होने की सूचना जीसीएफ निवासी राजेन्द्र शर्मा ने एंटी पोचिंग विभाग के प्रभारी आरके कुमरे को गत दिवस दी थी। एंटी पोचिंग ने सूचना को गंभीरता से लेते हुए सुबह लगभग 4 बजे जंगल में डेरा डाला और शिकारियों की खोजबीन शुरू कर दी।
रास्ते में उन्हें कुछ खून के निशान मिले। इसी आधार पर वे आगे बढ़ते रहे, तभी उन्हें दो लोग नजर आए,उन्होंने पूछताछ की और संदिग्ध दिखाई देने पर उनकी तलाशी भी ली।
बकरे के मांस में मिलाकर बेचते हैं
आरोपियों से कड़ी पूछताछ की गई,तब जाकर उन्होंने बताया कि वे सियार के मांस को खाते भी हैं और इसे बकरे के मांस में मिलाकर बेचते भी हैं। पकड़े गए लालमाटी चांदमारी निवासी जहर सिंह और विक्रम बताए जाते हैं। दोनों रिश्ते में चाचा-भतीजा हैं। विक्रम दमोह जिले का रहने वाला बताया जाता है।
भतीजे को कुछ नहीं पता
पूछताछ में विक्रम ने वन विभाग के अधिकारियांे को बताया कि वह जबलपुर रहने के लिए आया था और चाचा उसे घुमाने के बहाने जंगल ले आए थे। दोनों आरोपियों के विरुद्ध वन्य प्राणी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है और उन्हें सिविल लाइन थाने में रखा गया है।
सियार की मौत के बाद उसे वेटरनरी कॉलेज लाया गया, जहां पर उसका पोस्टमार्टम किया गया।
जीभ ने खोला राज
तलाशी में वन विभाग के अधिकारियों को दोनों व्यक्तियों में से एक की पैन्ट की जेब से पत्ते में लिपटी हुई एक जीभ मिली, जिससे उनका शक और पक्का हो गया। यह जीभ सियार की थी, जो उन्होंने निकालकर जेब में रख ली थी।
- भास्कर से

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