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Tuesday, March 1, 2011

वैज्ञानिक तकनीक से करें खेती

करनाल ,विजय काम्बोज
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में आयोजित रबी किसान मेले में वैज्ञानिक व किसान रूबरू हुए। मुख्य अतिथि कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के सदस्य डॉ. एनके त्यागी ने खाद्यान्न की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने के लिए टिकाऊ कृषि उत्पादन पर जोर दिया। उन्होंने किसानों को वैज्ञानिक तकनीक अपनाने की सलाह दी तो वैज्ञानिकों को सतत कृषि उत्पादकता बनाए रखने के लिए नई तकनीकें विकसित करने का संदेश दिया।
मेले में आयोजित किसान गोष्ठी में डॉ. त्यागी ने कहा कि कृषि जीवन का आधार है। खेती में दिनोंदिन बढ़ती जा रही लागत वैज्ञानिकों व किसानों के लिए चुनौती है। प्रति हेक्टेयर लागत को कम करके पैदावार बढ़ाकर किसानों की आमदनी में इजाफा करना होगा।
संस्थान के निदेशक डॉ. डीके शर्मा ने कहा कि देश की 6.73 मिलियन हेक्टेयर लवणग्रस्त मृदाओं में से संस्थान की ओर से पंजाब, हरियाणा व उत्तरप्रदेश की लगभग 1.8 मिलियन हेक्टेयर लवणग्रस्त भूमि को सुधारा जा चुका है। इस जमीन के सुधारने से देश में प्रतिवर्ष लगभग 15 मिलियन टन अतिरिक्त वार्षिक अनाज उत्पन्न हो रहा है। किसान को रोजाना आमदनी दिलाने के लिए बहुउद्देश्यीय खेती मॉडल पर कार्य किया गया, जिसमें मधुमक्खी, पशुपालन, मुर्गी, मछली पालन, फल, फूल व सब्जियों की खेती शामिल की गई है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश के अतिरिक्त निदेशक भूमि संरक्षण डॉ. वीएस रापड़िया ने किसानों को सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। मेले में जिले के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया। इनमें पुंडरक से जग्गा राम, रामकुमार, मदन सिंह, सग्गा से पवन कुमार व सुरेंद्र सिंह, मूनक से बलराम शर्मा व धर्मपाल सिंह, नीलोखेड़ी से वाकेश कुमार, कमालपुर रोड़ान से संजीव कुमार, जयसिंहपुरा से वीरेंद्र व रणबीर सिंह, जागसी-सोनीपत से जयभगवान, रणजीत सिंह व धर्मबीर सिंह, नैन-पानीपत से देबी सिंह तंवर व मांगे राम तथा काहनी गांव के सतबीर सिंह शामिल हैं। किसानों में मेले में लगे स्टॉलों का अवलोकन कर कृषि संबंधी जानकारी हासिल की।

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Tuesday, March 1, 2011

वैज्ञानिक तकनीक से करें खेती

करनाल ,विजय काम्बोज
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में आयोजित रबी किसान मेले में वैज्ञानिक व किसान रूबरू हुए। मुख्य अतिथि कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के सदस्य डॉ. एनके त्यागी ने खाद्यान्न की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने के लिए टिकाऊ कृषि उत्पादन पर जोर दिया। उन्होंने किसानों को वैज्ञानिक तकनीक अपनाने की सलाह दी तो वैज्ञानिकों को सतत कृषि उत्पादकता बनाए रखने के लिए नई तकनीकें विकसित करने का संदेश दिया।
मेले में आयोजित किसान गोष्ठी में डॉ. त्यागी ने कहा कि कृषि जीवन का आधार है। खेती में दिनोंदिन बढ़ती जा रही लागत वैज्ञानिकों व किसानों के लिए चुनौती है। प्रति हेक्टेयर लागत को कम करके पैदावार बढ़ाकर किसानों की आमदनी में इजाफा करना होगा।
संस्थान के निदेशक डॉ. डीके शर्मा ने कहा कि देश की 6.73 मिलियन हेक्टेयर लवणग्रस्त मृदाओं में से संस्थान की ओर से पंजाब, हरियाणा व उत्तरप्रदेश की लगभग 1.8 मिलियन हेक्टेयर लवणग्रस्त भूमि को सुधारा जा चुका है। इस जमीन के सुधारने से देश में प्रतिवर्ष लगभग 15 मिलियन टन अतिरिक्त वार्षिक अनाज उत्पन्न हो रहा है। किसान को रोजाना आमदनी दिलाने के लिए बहुउद्देश्यीय खेती मॉडल पर कार्य किया गया, जिसमें मधुमक्खी, पशुपालन, मुर्गी, मछली पालन, फल, फूल व सब्जियों की खेती शामिल की गई है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश के अतिरिक्त निदेशक भूमि संरक्षण डॉ. वीएस रापड़िया ने किसानों को सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। मेले में जिले के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया। इनमें पुंडरक से जग्गा राम, रामकुमार, मदन सिंह, सग्गा से पवन कुमार व सुरेंद्र सिंह, मूनक से बलराम शर्मा व धर्मपाल सिंह, नीलोखेड़ी से वाकेश कुमार, कमालपुर रोड़ान से संजीव कुमार, जयसिंहपुरा से वीरेंद्र व रणबीर सिंह, जागसी-सोनीपत से जयभगवान, रणजीत सिंह व धर्मबीर सिंह, नैन-पानीपत से देबी सिंह तंवर व मांगे राम तथा काहनी गांव के सतबीर सिंह शामिल हैं। किसानों में मेले में लगे स्टॉलों का अवलोकन कर कृषि संबंधी जानकारी हासिल की।

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