विकास बालियान।
बात सही है धनकड़ की... असहमत हो ही नहीं सकते। आत्महत्या कायरता पूर्ण अपराध है। ये सत्य है ये अपराध है। ऐसा अपराधी बच जाए तो उसे गिरफ्तार किया जाता है। उसे सजा दी जाती है। ऐसे अपराधी के साथ रहना भी नहीं चाहिए। साथ देना भी नहीं चाहिए। मगर एक सवाल है। सिक्के के 2 पहलु है। आत्महत्या के इस खेल में भी किराफार अकेला नहीं है ...2 है। एक जो आत्महत्या करता है 1 जो उसे ये कदम उठाने को उकसाता है मजबूर करता है। आत्महत्या जैसा महा आत्मघाती कदम कोइ किसी मज़बूरी में उठाता है।
भारतीय कानून में साफ़ है आत्महत्या के लिए उकसाने या मजबूर करने वाले के खिलाफ IPC के तहत कानूनी कार्यवाही हो। उसे सज़ा दी जाए। जो आत्महत्या के लिए किसी को मजबूर करता है। किसान आत्महत्या कर रहा है। कायरता है। गैर क़ानूनी है। अपराध है। मगर किसान को इस कृत्य के लिए उकसाने वाला मजबूर करने वाला कौन है। उसे तत्काल गिरफ्तार कर सज़ा दी जाए। उस पर मुकदमा चलाया जाए।
- क्यों नहीं मिल रहा किसान को उसकी फसल का लाभकारी मुल्य?
- क्यों नहीं होता किसान का फदल डालने के बाद भी 2-2 साल तक भुगतान?
- क्यों बिकती है किसान की फसल 2-2, 3-3 रुपये किलो?
- क्यूँ नहीं सरकारी खरीद केन्द्रों पर होती किसान की पूरी फसल की खरीद?
- क्यों किसान को 4 % कर्ज देने के बाद वसूली होती है 16 % ब्याज की?
- क्यों किसान पर लगता है चक्रवर्ती पर चक्रवर्ती ब्याज?
- क्यों किसान को नहीं मिलता फदल बीमा योजना का लाभ?
- क्यों 2 लाख के क़र्ज़ के लिए 30 लाख की जमीन बंधक बनाई जाती है?
- क्यूँ किसान के हालात को समझती नहीं सरकार?
- क्यों क्यों क्यों......?
- आखिर क्यों का जवाब देती क्यों नहीं सरकार....?
इस क्यों का जवाब नहीं देने वाली सरकारों ने ही किया किसान को आत्म हत्या के लिए मजबूर। आत्महत्या के लिए उकसाने वाली जिम्मेदार ये सरकारे है। जिनमे आप भी शामिल हो। फिर क्यों नहीं किसान के इस कायरतापूर्ण कदम के लिए किसान को उकसाने या मजबूर करने के लिए आप लोगो पर क्रिमिनल धाराओ में मुकदमा चलाया जाए।
,,,,,,जवाब है तो दो जवाब??
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