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Saturday, July 10, 2010

नमाजी मोर

 उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के एक गांव की मस्जिद में आने वाला एक नमाजी थोड़ा खास है। यह कोई इंसान नहीं, बल्कि मोर है। यह अनोखा ''नमाजी'' नमाज के वक्त मस्जिद में जाकर नाचने लगता है। बुलंदशहर के बोकरासी गांव में मौजूद इस इकलौती मस्जिद का यह नमाजी आकर्षण का केंद्र बन गया है। अल्लाह के प्रति मोर के इस अटूट जुड़ाव को देखकर स्थानीय लोग उसे प्यार से ऊपर वाले का परिंदा कहकर बुलाते हैं।
ग्रामीणों के मुताबिक विगत दो सालों से वे नमाज के समय इस मोर को नाचते हुए देख रहे हैं। स्थानीय निवासी बाबर खान कहते हैं कि मोर समय का बहुत पाबंद है। खासकर शाम को अता की जाने वाली अजान की नमाज शुरू होने से पहले वह चबूतरे पर आकर बैठ जाता है और मस्जिद आने वाले नमाजियों का घूम-घूमकर इस्तकबाल करता है। जैसे ही अजान की नमाज शुरू होती है, वह मनमोहन ढंग से नाचना शुरू कर देता है। यह कभी न भूलने वाले लम्हे जैसा होता है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में तो मोर के इस व्यवहार से हम सब हतप्रभ थे, लेकिन अब नमाज के दौरान मोर का नाचना आम बात हो गई है। ग्रामीणों का कहना कि करीब चार माह पहले यह मोर गांव में पहली बार दिखा था। शुरुआत में गांव के कुछ लोग उसे खाना खिलाते थे। धीरे-धीरे वह सबका चहेता बन गया। मौलाना कहते हैं कि करीब दो साल पहले एक दिन मोर नमाजियों के पीछे-पीछे मस्जिद परिसर आया था। उसके बाद वह लगातार नमाज के वक्त नियिमत रूप से आने लगा।

 
अमित सैनी

Tuesday, July 6, 2010

उम्र 55 दिल बचपन

 कहते है प्यार का रोग कब लग जाए उसकी कोई उम्र नहीं होती जी हां , मुज़फ्फरनगर के 82 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी के सर भी कुछ ऐसा ही प्यार का भुत सवार है इस बुजुर्ग व्यक्ति को एक 55 वर्षीय महिला से प्यार हो गया जिसके लिए दोनों शादी की जिद पर अडिंग है और उन्होंने विशेष विवाह अधिकारी के यहाँ शादी करने की अर्जी पेश की है वही स्वतंत्रता सेनानी का एक बेटा उत्तर प्रदेश पुलिस में डीएसपी और दुसरा इंस्पेक्टर है दोनों बेटो ने पिता के विवाह करने को लेकर विवाह अधिकारी की अदालत में अपनी आपत्ति दर्ज कराई है जिस वजह से मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है
 स्वतंत्रता सेनानी ओमप्रकाश और गासिया मैरिज प्रकरण इस समय सुर्खियों में है ओमप्रकाश और गासिया का कोर्ट मैरिज करने का सपना उस समय चुरचुर हो गया जब उसके दोनों पुत्रो ने अपने पिता के शादी करने को लेकर कोर्ट में आपत्ति दर्ज कराई उधर विशेष विवाह अधिकारी एसडीएम घनश्याम सिंह ने गासिया के मायके और तहसील शामली से स्वतंत्रता सेनानी के गढ़ीपुख्ता में निवास करने की सत्यता की पुष्टि के लिए भेजे गए नोटिसो का भी जवाब नहीं आया है तब तक सुनवाई के लिए आगामी तारीख घोषित की गई है दरअसल मुज़फ्फरनगर के समीपवर्ती कस्बा गढ़ीपुख्ता चौधरान पट्टी निवासी ओमप्रकाश (82 ) एक समय आजाद हिंद फ़ौज के जांबाज रहे है
उन्होंने मलेशिया , वियतनाम समेत कई लड़ाइयो में शिरकत की उन्हें आजादी की सिल्वर जुबली पर 1972 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री ने तामपत्र देकर सम्मानित भी किया था करीब दो दशक पूर्व पत्नी की म्रत्यु के बाद ओमप्रकाश ने पहले अपने बेटो की परवरिश की तीन बेटो में एक की म्रत्यु हो गई जबकि दुसरा यूपी पुलिस में डीएसपी और तीसरा इंस्पेक्टर है डीएसपी ने कुछ साल पूर्व अपने पिता की सेवा के लिए लखीमपुर खीरी निवासी गासिया उर्फ़ रेशमा बेगम को याहा रखा था लगभग 55 वर्षीय चार बच्चो की माँ गासिया की सेवा से प्रभावित तो हुए ही साथ ही साथ ओमप्रकाश गासिया को अपना दिल भी दे बैठे इसी को लेकर ओमप्रकाश ने गासिया के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा इसे गासिया ने स्वीकार कर लिया फिर कया था इससे मानो सेनानी के घर भूचाल आ गया दोनों बेटो डीएसपी और इस्पेक्टर को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने शादी का विरोध किया विरोध के चलते ओमप्रकाश ने शादी के लिए विशेष विवाह अधिकारी एसडीएम शामली घनशाम सिंह की कोर्ट में मैरिज के के लिए आवेदन किया ओमप्रकाश गासिया से शादी करने की जिद पर अडिग है  विशेष विवाह अधिकारी एसडीएम घनश्याम सिंह का कहना है की 2004 में पहली बार इन्होने शादी के लिए इन्होने आवेदन दिया था जो की उस समय तो कैंसिल हो गया था मगर दोनों ने इन्होने एक बार फिर शादी के लिए आवेदन किया है जिसमे जाच चल रही है बुढापे में जो प्यार की कली ओमप्रकाश और गासिया के दिल में खिली है क्या वो खिलेगी ये तो देखने वाली बात होगी हालाकि अभी तक तो ये ही कहा जाएगा की पिता के प्यार का सबसे बड़ा दुश्मन उसके दोनों बेटे है जिन्होंने कोर्ट में अपनी आपत्ति दर्ज कराकर ये साबित कर दिया है

अमित सैनी  



खिलौने नहीं सांप चाहिए ........

 इंसान कि जानवरों से दोस्ती कोई अनोखी बात नहीं है मगर दोस्ती खतरनाक सांपो से हो तो आप क्या कहेगे सुनाने में भले ही अजीब लगे जी हां मुज़फ्फरनगर में एक परिवार ऐसा ही है जहा बड़े तो बड़े बच्चे भी खतरनाक सांपो से खेलते है और मांग करते है हमें खिलौने नहीं सांप चाहिए .......
 मुज़फ्फरनगर में अब्दुल हमीद के परिवार कि जिंदगी सांपो के बिना अधूरी है जिन सांपो को देखकर हर किसी के रौंगटे खड़े हो जाते है उन सांपो को हमीद अपने बच्चो कि तरह पाल रहा है हमीद के पास कोबरा से लेकर अजगर तक कई खतरनाक सांप है जो अब हामिद के परिवार के सदस्य बन चुके है ये ही वजह है कि हामिद के बच्चे भी सांपो से नहीं घबराते और उनके साथ खेलते है हालाकि हामिद कोई सपेरा नहीं है उसे तो महज सांपो को पालने का शौक है इस अनोखे शौक कि शुरुआत 51 साल पहले तब हुई जब महज 9 साल; कि उम्र में हामिद ने अपने गाँव में निकल आये एक खतरनाक सांप को अपने हाथो से पकड़ लिया इसके बाद तो उसे सांपो के साथ दोस्ती करने में मजा आने लगा और उसने इसे अपना शौक बना लिया अपने इस शौक के चलते हामिद को सांपो के बारे में काफी जानकारी भी हो गई हामिद का कहना है की सांपो की सैकड़ो प्रजातिया है मागे उनमे कुछ ही जहरीली होती है हामिद कि देखा देखी उसके बच्चे भी सांपो से खेलना सीख गए है और अब वे खेलने के लिए खिलोना नहीं सांप मांगते है जब तक ये बच्चे एक दो घंटा सांपो के साथ खेल नहीं लेते उनका मन नहीं भरता अब तो आलम ये है कि पडौस के बच्चे भी सांपो से खेलने उनके घर आते है


अमित सैनी


51 बच्चो की माँ

 गर्भाशय के कैंसर ने न सिर्फ वीरेंद्र राणा की पत्नी की गोद सुनी कर दी , बल्कि उसकी जीने की आस भी ख़त्म हो चुकी थी दम्पति ने अपने हौसलों से न सिर्फ मौत का रुख मोड़ दिया बल्कि मात्रत्व का एक नया अध्याय लिखकर इतिहास रच दिया है अब ये दम्पति एक नहीं 50 बच्चो के माँ बाप है भले ही इन बच्चो ने इस माँ की कोख से जन्म नहीं लिया हो
मामला है मुज़फ्फरनगर के शुक्रताल का जहा ये दंपत्ति बिना किसी सरकारी सहायता लिए ही 50 बच्चो का पालन पोषण कर रहे है कई बार आर्थिक संकट इनके आढे आया , लेकिन इन दोनों ने कभी हिम्मत नहीं हारी और इनकी नेक नियत देख लोग इनसे जुड़ते चले गए और समस्या का हल होता चला गया इन सबके बावजूद सरकार दंपत्ति की भावना और बलिदान की अनदेखी कर रही है दरअसल बागपत जिले के निवासी वीरेंदर राणा की शादी 29 वर्ष पूर्व मुज़फ्फरनगर की मीना से हुई थी शादी के कई वर्ष बीत जाने के बाद भी जब दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हुई तो दोनों ने डाक्टरों का सहारा लिया लेकिन जब मीना के गर्भाशय में कैंसर होने का पता चला तो उनकी संतान प्राप्ति के सारे अरमानो पर पानी फिर गया दिल्ली तक इलाज कराने के बाद भी उम्मीद की कोई किरण नहीं जागी इसी दौरान वीरेंद्र पर परिवार वालो ने दूसरी शादी कर लेने का दबाव डाला गया लेकिन वीरेंद्र ने किसी की नहीं सुनी और अपनी पत्नी मीना को लेकर धर्म नगरी शुक्रताल आ गया यहा आकर दोनों ने 19 साल पहले एक बच्चे को गोद ले लिया धीरे धीरे आयुर्वेद के उपचार और मांगेराम (गोद लिया हुआ पहला बच्चा ) की दुआ का असर रहा और मीना का स्वाथ्य ठीक होने लगा मांगेराम के कदम घर में पड़ते ही परिवार भी बढ़ता चला गया अब तक दोनों दंपत्ति के पास लगभग 51 विकलाग बच्चे है जो दोनों को माता पिता मानते है खुशी खुशी जिन्दगी काट रहे परिवार को सदमा उस समय लगा जब मांगेराम की 7 साल की उम्र में बिमारी के चलते मौत हो गईधीरे धीरे कुनबा बढ़ने लगा और इस समय परिवार में 51 बच्चे है उतराखंड , मेरठ , गाजियाबाद , सहित कई जिलो के बेसहारा बच्चे इस परिवार का हिस्सा बने हुए है 51 बच्चो की माँ यानी मीना को अब कोई दुःख नहीं है बल्कि अब वो 51 बच्चो की माँ होने पर गर्व करती हैबाकायदा दोनों दंपत्ति सभी बच्चो की पढाई लिखाई , खेल कूद पर भी ध्यान देते है इस परिवार ने अब आखिल भारतीय अनाथ अनाथ और विकलांग आश्रम का रूप ले लिया है सभी बच्चो का कहना है की उन्हें याहा कभी भी माँ बाप की कमी महसूस नहीं की अपितु बच्चो का तो ये भी कहना है की अगले जन्म में ये इन्ही की कोख से जन्म ले
क्रिकेट खेल रहे ये बच्चे भी इसी आश्रम का हिस्सा है भले ही ये विकलांग है मगर यहा रहते हुए इन बच्चो को जरा भी ये महसूस नहीं होता की ये विकलांग है बल्कि ये खेलने के साथ साथ पढाई में भी माहिर है सभी बच्चे एक साथ बैठकर भोजन करते है , समय समय पर इनकी पसंद के मुताबिक खाना बनाया जाता है जिसे ये बच्चे बड़े चाव से खाकर अपनी पढाई में जुट जाते है बच्चो का सपना है की एक दीं किसी कामयाबी की सीधी पर चढ़कर इस आश्रम और इनका पालन पोषण कर रहे दोनों दम्पत्तियों का नाम रोशन करने का है बड़े बच्चे स्कुल में रहकर छोटे बच्चो को कंप्यूटर, तबला ,हारमूनिएम और अन्य खेल सिखने में मदद करते है


संदीप सैनी

Saturday, July 3, 2010

बेबस पिता ....

-(मुज़फ्फरनगर) 11 साल से एक डॉक्टर की लापरवाही का खामियाजा भुगत रही है एक पिता की होनहार बेटी साबिया बिस्तर पर लेटी बेबसी के आंसू बहा रही है उसे तो ये भी मालूम नही है की उसके जीवन में ये कैसा मौड़ आया की उसे 11 सालो से बेहोशी का सामना करना पड़ रहा है और उसका बेबस पिता दिन रत उसकी सेवा में जुटा है साबिया के इस हाल से सभी परिचित है लेकिन उसके पिता हाकिम मोहम्मंद रफ़ी जैदी अपने सिने में छिपा हुआ दर्द किसे बताये दरशल हाकिम साहब की 6 बेटिया है साबिया उनकी चोथे नंबर की बेटी है साबिया की शादी अब से करीब 12 वर्ष पहले सीतापुर के रहिस ख़ानदान और इन्कम टैक्स कैमिस्निर ज़फर अली के बेटे अधिवक्ता फैज़ अब्बास से बड़ी ही धूम धाम से की गई उस टाइम साबिया एम ए की पढाई कर रही थी शादी के करीब एक साल बाद पिता के घर एम ए फ़ाइनल की परीक्षा देने अपने सोहर के साथ मुज़फ्फरनगर आ गयी उसी दौरान साबिया को प्रशव पीड़ा हुई तो उसके पिता शहर के एक निजी हॉस्पिटल में ले गए जहा आपरेशन के दौरान साबिया ने बेटे को जन्म दिया तो परिवार में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी लेकिन आपरेशन थियेटर से डॉक्टर और साबिया बहार नही आये तो परिज़नो को कुछ शंका पैदा हुई उन्हें ये मालूम नही था की अंदर क्या हो रहा है काफी दबाव देने पर हॉस्पिटल कर्मियों ने बताया की जिस टाइम साबिया का आपरेशन चल रहा था उसी टाइम साबिया होश में आ गयी थी होश में आते ही साबिया छटपटाने लगी डॉक्टर ने दोबारा उसे बेहोश करने के लिए ओवर डोज दे डाली जिस के तुरंत बाद साबिया अचेत हो गयी और जो आज भी अचेत ही है, डॉक्टर ने अपना बचाओ करते हुए उसे मेरठ रेफेर कर दिया जब 15 दिनों तक उसकी बेहोशी नही टूटी तो उसके पिता ने उसे दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया जब काफी टाइम तक उसकी हालत में कोई सुधार नही हुआ तो मुज़फ्फरनगर में घर पर ही उपचार शुरू किया गया इसी बीच साबिया के पति फैज़ अपने बेटे कासीर को लेकर अपने घर सीतापुर चले गये, तभी से साबिया बेहोशी की हालत में अपने पिता के घर पर है और उसका बेबस पिता अपनी बेटी की दिन रत सेवा कर रहा है एक और जहा साबिया वर्षो से बिस्तर पर बेहोशी की हालत में पड़ी हुई है वही दूसरी और साबिया के पति फैज़ ने कुछ दिन पूर्व दूसरी शादी कर ली है, साबिया के जिस बेटे के पैदा होने पर इस हालत में आई आज ना तो उसका वो बेटा ही उसके पास है और ना ही उसका पति, अगर उसका कोई है तो सिर्फ उसका बेबस पिता ....


राकेश शर्मा


Saturday, July 10, 2010

नमाजी मोर

 उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के एक गांव की मस्जिद में आने वाला एक नमाजी थोड़ा खास है। यह कोई इंसान नहीं, बल्कि मोर है। यह अनोखा ''नमाजी'' नमाज के वक्त मस्जिद में जाकर नाचने लगता है। बुलंदशहर के बोकरासी गांव में मौजूद इस इकलौती मस्जिद का यह नमाजी आकर्षण का केंद्र बन गया है। अल्लाह के प्रति मोर के इस अटूट जुड़ाव को देखकर स्थानीय लोग उसे प्यार से ऊपर वाले का परिंदा कहकर बुलाते हैं।
ग्रामीणों के मुताबिक विगत दो सालों से वे नमाज के समय इस मोर को नाचते हुए देख रहे हैं। स्थानीय निवासी बाबर खान कहते हैं कि मोर समय का बहुत पाबंद है। खासकर शाम को अता की जाने वाली अजान की नमाज शुरू होने से पहले वह चबूतरे पर आकर बैठ जाता है और मस्जिद आने वाले नमाजियों का घूम-घूमकर इस्तकबाल करता है। जैसे ही अजान की नमाज शुरू होती है, वह मनमोहन ढंग से नाचना शुरू कर देता है। यह कभी न भूलने वाले लम्हे जैसा होता है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में तो मोर के इस व्यवहार से हम सब हतप्रभ थे, लेकिन अब नमाज के दौरान मोर का नाचना आम बात हो गई है। ग्रामीणों का कहना कि करीब चार माह पहले यह मोर गांव में पहली बार दिखा था। शुरुआत में गांव के कुछ लोग उसे खाना खिलाते थे। धीरे-धीरे वह सबका चहेता बन गया। मौलाना कहते हैं कि करीब दो साल पहले एक दिन मोर नमाजियों के पीछे-पीछे मस्जिद परिसर आया था। उसके बाद वह लगातार नमाज के वक्त नियिमत रूप से आने लगा।

 
अमित सैनी

Tuesday, July 6, 2010

उम्र 55 दिल बचपन

 कहते है प्यार का रोग कब लग जाए उसकी कोई उम्र नहीं होती जी हां , मुज़फ्फरनगर के 82 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी के सर भी कुछ ऐसा ही प्यार का भुत सवार है इस बुजुर्ग व्यक्ति को एक 55 वर्षीय महिला से प्यार हो गया जिसके लिए दोनों शादी की जिद पर अडिंग है और उन्होंने विशेष विवाह अधिकारी के यहाँ शादी करने की अर्जी पेश की है वही स्वतंत्रता सेनानी का एक बेटा उत्तर प्रदेश पुलिस में डीएसपी और दुसरा इंस्पेक्टर है दोनों बेटो ने पिता के विवाह करने को लेकर विवाह अधिकारी की अदालत में अपनी आपत्ति दर्ज कराई है जिस वजह से मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है
 स्वतंत्रता सेनानी ओमप्रकाश और गासिया मैरिज प्रकरण इस समय सुर्खियों में है ओमप्रकाश और गासिया का कोर्ट मैरिज करने का सपना उस समय चुरचुर हो गया जब उसके दोनों पुत्रो ने अपने पिता के शादी करने को लेकर कोर्ट में आपत्ति दर्ज कराई उधर विशेष विवाह अधिकारी एसडीएम घनश्याम सिंह ने गासिया के मायके और तहसील शामली से स्वतंत्रता सेनानी के गढ़ीपुख्ता में निवास करने की सत्यता की पुष्टि के लिए भेजे गए नोटिसो का भी जवाब नहीं आया है तब तक सुनवाई के लिए आगामी तारीख घोषित की गई है दरअसल मुज़फ्फरनगर के समीपवर्ती कस्बा गढ़ीपुख्ता चौधरान पट्टी निवासी ओमप्रकाश (82 ) एक समय आजाद हिंद फ़ौज के जांबाज रहे है
उन्होंने मलेशिया , वियतनाम समेत कई लड़ाइयो में शिरकत की उन्हें आजादी की सिल्वर जुबली पर 1972 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री ने तामपत्र देकर सम्मानित भी किया था करीब दो दशक पूर्व पत्नी की म्रत्यु के बाद ओमप्रकाश ने पहले अपने बेटो की परवरिश की तीन बेटो में एक की म्रत्यु हो गई जबकि दुसरा यूपी पुलिस में डीएसपी और तीसरा इंस्पेक्टर है डीएसपी ने कुछ साल पूर्व अपने पिता की सेवा के लिए लखीमपुर खीरी निवासी गासिया उर्फ़ रेशमा बेगम को याहा रखा था लगभग 55 वर्षीय चार बच्चो की माँ गासिया की सेवा से प्रभावित तो हुए ही साथ ही साथ ओमप्रकाश गासिया को अपना दिल भी दे बैठे इसी को लेकर ओमप्रकाश ने गासिया के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा इसे गासिया ने स्वीकार कर लिया फिर कया था इससे मानो सेनानी के घर भूचाल आ गया दोनों बेटो डीएसपी और इस्पेक्टर को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने शादी का विरोध किया विरोध के चलते ओमप्रकाश ने शादी के लिए विशेष विवाह अधिकारी एसडीएम शामली घनशाम सिंह की कोर्ट में मैरिज के के लिए आवेदन किया ओमप्रकाश गासिया से शादी करने की जिद पर अडिग है  विशेष विवाह अधिकारी एसडीएम घनश्याम सिंह का कहना है की 2004 में पहली बार इन्होने शादी के लिए इन्होने आवेदन दिया था जो की उस समय तो कैंसिल हो गया था मगर दोनों ने इन्होने एक बार फिर शादी के लिए आवेदन किया है जिसमे जाच चल रही है बुढापे में जो प्यार की कली ओमप्रकाश और गासिया के दिल में खिली है क्या वो खिलेगी ये तो देखने वाली बात होगी हालाकि अभी तक तो ये ही कहा जाएगा की पिता के प्यार का सबसे बड़ा दुश्मन उसके दोनों बेटे है जिन्होंने कोर्ट में अपनी आपत्ति दर्ज कराकर ये साबित कर दिया है

अमित सैनी  



खिलौने नहीं सांप चाहिए ........

 इंसान कि जानवरों से दोस्ती कोई अनोखी बात नहीं है मगर दोस्ती खतरनाक सांपो से हो तो आप क्या कहेगे सुनाने में भले ही अजीब लगे जी हां मुज़फ्फरनगर में एक परिवार ऐसा ही है जहा बड़े तो बड़े बच्चे भी खतरनाक सांपो से खेलते है और मांग करते है हमें खिलौने नहीं सांप चाहिए .......
 मुज़फ्फरनगर में अब्दुल हमीद के परिवार कि जिंदगी सांपो के बिना अधूरी है जिन सांपो को देखकर हर किसी के रौंगटे खड़े हो जाते है उन सांपो को हमीद अपने बच्चो कि तरह पाल रहा है हमीद के पास कोबरा से लेकर अजगर तक कई खतरनाक सांप है जो अब हामिद के परिवार के सदस्य बन चुके है ये ही वजह है कि हामिद के बच्चे भी सांपो से नहीं घबराते और उनके साथ खेलते है हालाकि हामिद कोई सपेरा नहीं है उसे तो महज सांपो को पालने का शौक है इस अनोखे शौक कि शुरुआत 51 साल पहले तब हुई जब महज 9 साल; कि उम्र में हामिद ने अपने गाँव में निकल आये एक खतरनाक सांप को अपने हाथो से पकड़ लिया इसके बाद तो उसे सांपो के साथ दोस्ती करने में मजा आने लगा और उसने इसे अपना शौक बना लिया अपने इस शौक के चलते हामिद को सांपो के बारे में काफी जानकारी भी हो गई हामिद का कहना है की सांपो की सैकड़ो प्रजातिया है मागे उनमे कुछ ही जहरीली होती है हामिद कि देखा देखी उसके बच्चे भी सांपो से खेलना सीख गए है और अब वे खेलने के लिए खिलोना नहीं सांप मांगते है जब तक ये बच्चे एक दो घंटा सांपो के साथ खेल नहीं लेते उनका मन नहीं भरता अब तो आलम ये है कि पडौस के बच्चे भी सांपो से खेलने उनके घर आते है


अमित सैनी


51 बच्चो की माँ

 गर्भाशय के कैंसर ने न सिर्फ वीरेंद्र राणा की पत्नी की गोद सुनी कर दी , बल्कि उसकी जीने की आस भी ख़त्म हो चुकी थी दम्पति ने अपने हौसलों से न सिर्फ मौत का रुख मोड़ दिया बल्कि मात्रत्व का एक नया अध्याय लिखकर इतिहास रच दिया है अब ये दम्पति एक नहीं 50 बच्चो के माँ बाप है भले ही इन बच्चो ने इस माँ की कोख से जन्म नहीं लिया हो
मामला है मुज़फ्फरनगर के शुक्रताल का जहा ये दंपत्ति बिना किसी सरकारी सहायता लिए ही 50 बच्चो का पालन पोषण कर रहे है कई बार आर्थिक संकट इनके आढे आया , लेकिन इन दोनों ने कभी हिम्मत नहीं हारी और इनकी नेक नियत देख लोग इनसे जुड़ते चले गए और समस्या का हल होता चला गया इन सबके बावजूद सरकार दंपत्ति की भावना और बलिदान की अनदेखी कर रही है दरअसल बागपत जिले के निवासी वीरेंदर राणा की शादी 29 वर्ष पूर्व मुज़फ्फरनगर की मीना से हुई थी शादी के कई वर्ष बीत जाने के बाद भी जब दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हुई तो दोनों ने डाक्टरों का सहारा लिया लेकिन जब मीना के गर्भाशय में कैंसर होने का पता चला तो उनकी संतान प्राप्ति के सारे अरमानो पर पानी फिर गया दिल्ली तक इलाज कराने के बाद भी उम्मीद की कोई किरण नहीं जागी इसी दौरान वीरेंद्र पर परिवार वालो ने दूसरी शादी कर लेने का दबाव डाला गया लेकिन वीरेंद्र ने किसी की नहीं सुनी और अपनी पत्नी मीना को लेकर धर्म नगरी शुक्रताल आ गया यहा आकर दोनों ने 19 साल पहले एक बच्चे को गोद ले लिया धीरे धीरे आयुर्वेद के उपचार और मांगेराम (गोद लिया हुआ पहला बच्चा ) की दुआ का असर रहा और मीना का स्वाथ्य ठीक होने लगा मांगेराम के कदम घर में पड़ते ही परिवार भी बढ़ता चला गया अब तक दोनों दंपत्ति के पास लगभग 51 विकलाग बच्चे है जो दोनों को माता पिता मानते है खुशी खुशी जिन्दगी काट रहे परिवार को सदमा उस समय लगा जब मांगेराम की 7 साल की उम्र में बिमारी के चलते मौत हो गईधीरे धीरे कुनबा बढ़ने लगा और इस समय परिवार में 51 बच्चे है उतराखंड , मेरठ , गाजियाबाद , सहित कई जिलो के बेसहारा बच्चे इस परिवार का हिस्सा बने हुए है 51 बच्चो की माँ यानी मीना को अब कोई दुःख नहीं है बल्कि अब वो 51 बच्चो की माँ होने पर गर्व करती हैबाकायदा दोनों दंपत्ति सभी बच्चो की पढाई लिखाई , खेल कूद पर भी ध्यान देते है इस परिवार ने अब आखिल भारतीय अनाथ अनाथ और विकलांग आश्रम का रूप ले लिया है सभी बच्चो का कहना है की उन्हें याहा कभी भी माँ बाप की कमी महसूस नहीं की अपितु बच्चो का तो ये भी कहना है की अगले जन्म में ये इन्ही की कोख से जन्म ले
क्रिकेट खेल रहे ये बच्चे भी इसी आश्रम का हिस्सा है भले ही ये विकलांग है मगर यहा रहते हुए इन बच्चो को जरा भी ये महसूस नहीं होता की ये विकलांग है बल्कि ये खेलने के साथ साथ पढाई में भी माहिर है सभी बच्चे एक साथ बैठकर भोजन करते है , समय समय पर इनकी पसंद के मुताबिक खाना बनाया जाता है जिसे ये बच्चे बड़े चाव से खाकर अपनी पढाई में जुट जाते है बच्चो का सपना है की एक दीं किसी कामयाबी की सीधी पर चढ़कर इस आश्रम और इनका पालन पोषण कर रहे दोनों दम्पत्तियों का नाम रोशन करने का है बड़े बच्चे स्कुल में रहकर छोटे बच्चो को कंप्यूटर, तबला ,हारमूनिएम और अन्य खेल सिखने में मदद करते है


संदीप सैनी

Saturday, July 3, 2010

बेबस पिता ....

-(मुज़फ्फरनगर) 11 साल से एक डॉक्टर की लापरवाही का खामियाजा भुगत रही है एक पिता की होनहार बेटी साबिया बिस्तर पर लेटी बेबसी के आंसू बहा रही है उसे तो ये भी मालूम नही है की उसके जीवन में ये कैसा मौड़ आया की उसे 11 सालो से बेहोशी का सामना करना पड़ रहा है और उसका बेबस पिता दिन रत उसकी सेवा में जुटा है साबिया के इस हाल से सभी परिचित है लेकिन उसके पिता हाकिम मोहम्मंद रफ़ी जैदी अपने सिने में छिपा हुआ दर्द किसे बताये दरशल हाकिम साहब की 6 बेटिया है साबिया उनकी चोथे नंबर की बेटी है साबिया की शादी अब से करीब 12 वर्ष पहले सीतापुर के रहिस ख़ानदान और इन्कम टैक्स कैमिस्निर ज़फर अली के बेटे अधिवक्ता फैज़ अब्बास से बड़ी ही धूम धाम से की गई उस टाइम साबिया एम ए की पढाई कर रही थी शादी के करीब एक साल बाद पिता के घर एम ए फ़ाइनल की परीक्षा देने अपने सोहर के साथ मुज़फ्फरनगर आ गयी उसी दौरान साबिया को प्रशव पीड़ा हुई तो उसके पिता शहर के एक निजी हॉस्पिटल में ले गए जहा आपरेशन के दौरान साबिया ने बेटे को जन्म दिया तो परिवार में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी लेकिन आपरेशन थियेटर से डॉक्टर और साबिया बहार नही आये तो परिज़नो को कुछ शंका पैदा हुई उन्हें ये मालूम नही था की अंदर क्या हो रहा है काफी दबाव देने पर हॉस्पिटल कर्मियों ने बताया की जिस टाइम साबिया का आपरेशन चल रहा था उसी टाइम साबिया होश में आ गयी थी होश में आते ही साबिया छटपटाने लगी डॉक्टर ने दोबारा उसे बेहोश करने के लिए ओवर डोज दे डाली जिस के तुरंत बाद साबिया अचेत हो गयी और जो आज भी अचेत ही है, डॉक्टर ने अपना बचाओ करते हुए उसे मेरठ रेफेर कर दिया जब 15 दिनों तक उसकी बेहोशी नही टूटी तो उसके पिता ने उसे दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया जब काफी टाइम तक उसकी हालत में कोई सुधार नही हुआ तो मुज़फ्फरनगर में घर पर ही उपचार शुरू किया गया इसी बीच साबिया के पति फैज़ अपने बेटे कासीर को लेकर अपने घर सीतापुर चले गये, तभी से साबिया बेहोशी की हालत में अपने पिता के घर पर है और उसका बेबस पिता अपनी बेटी की दिन रत सेवा कर रहा है एक और जहा साबिया वर्षो से बिस्तर पर बेहोशी की हालत में पड़ी हुई है वही दूसरी और साबिया के पति फैज़ ने कुछ दिन पूर्व दूसरी शादी कर ली है, साबिया के जिस बेटे के पैदा होने पर इस हालत में आई आज ना तो उसका वो बेटा ही उसके पास है और ना ही उसका पति, अगर उसका कोई है तो सिर्फ उसका बेबस पिता ....


राकेश शर्मा