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Saturday, April 30, 2016

परिणय सूत्र में बंधे जोडे़

-प्रेमबाबू शर्मा
दिल्ली सरकार में समाज कल्याण मंत्री संदीप कुमार की उपस्थिति में दिल्ली व एनसीआर के 51 जोडे़ शादी के बंधन में बंधे। सामाजिक संस्था वल्र्ड ब्रदर्सहूड आॅर्गेनाइजेेशन की ओर से राजेन्द्र नगर पूरा रोड स्थित चेतनदास पार्क में आयोजित पांचवां सामूहिक विवाह समारोह में 51 युवक-युवतियों ने सर्वधर्म गुरूओं के समक्ष शादी के बंधन में बंधे। 
आयोजकों द्वारा सभी जोड़ों को घर गृहस्थी का आवश्यक सामान उपहार स्वरूप भेंट किया। इस मौके पर हांस्य कवि सुरेन्द्र शर्मा, जिला पुलिस आयुक्त परमादित्य,एसीपी अभिषेक दहिया और संस्था महासचिव एस एस मारवाह,संजय मलिक,अनिल कुमार जैन,इकवाल सिंह जगदेवा उपस्थित थे।
 
शाम को आयोजित भजन संघ्या में वृदावन से आये हरे रामा हरे कृष्णा मंडली, मशहूर सूफी गायक निजामी ब्रदर्स और मोहित चोपड़ा द्वारा गाये सांई  भजन और राधा कृष्ण रास ने मनमोह लिया।  

मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को आगे ले जाना चाहते है - रेणु भार्गव

नई दिल्ली। मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को आगे ले जाना चाहते है। यह कहना है जस्ट डिजाइनल संस्थान की कार्यकारी निदेशक रेनू भार्गव। उनका कहना है कि इससे  निश्चित दौर पर लोगों को रोजगार मिलेगाऔर अब हम इंडिया इंटरनेशनल स्टाइल वीक में हम कुछ अलग करेगें। जस्ट डिजाइनल संस्थान के छात्रों द्वारा देश के अनेक शहरों में अपने डिजाइन पेश करने की योजना है। दिल्ली में फैशन शो की कामयाबी के बाद में जस्ट डिजाइन संस्थान के 20 छात्र राजस्थान की राजधानी जयपुर में फैशन शो करने जा रहे है।
इस दौरान देश-विदेश की 36 मॉडल्स रैंप पर अपना जलबा बिखेगी। बॉलीवुड की हस्तियां के अलावा चार मशहूर डिजाइनर भी भाग लेंगे। यह जानकारी संस्थान की कार्यकारी निदेशक रेनू भार्गव ने दी। क्षेत्र से जुडी कई हस्तियां में अखिलेश अग्रवाल, लोकेश शर्मा, दीपाली चुंग, गजल मिश्रा और जेडी महेश्वरी शो का हिस्सा होगें। 

इस दौरान संस्थान के बच्चों द्वारा डिजाइन किये गये कपड़े मॉडल द्वारा प्रदर्शित किये गये। रेनु भार्गव ने कहा देश में लोग बाजार में उपलब्ध डिजाइन की तरफ जाने लगे हैं। फिर भी लोगों का अभी और जागरूक होने की जरूरत है। हम फैशन के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को आगे ले जाना चाहते है। हम मेक इंन इंडिया पर ज्यादा फोकस कर रहे है। इससे निश्चित दौर पर लोगों को रोजगार मिलेगा। इंडिया इंटरनेशनल स्टाइल वीक में हम कुछ अलग करेगें। योग, वस्तु, मिर्च-मसाले पर कुछ कलेक्शन तैयार किये हैं। इस बार हमारी थीम प्रकृति और आकाश से जुड़े रंग से जुड़े कलेक्शन की है। अब तो फैशन के क्षेत्र में पुरूष भी सफल हो रहे हैं। ड्रेस डिजाइन की आज हर जगह जरूरत है। यह अच्छी बात है कि अब देश के छोटे-छोटे शहरों से इस क्षेत्र से जुड़ी प्रतिभायें आने लगी है। जयपुर में हाथ के कलाकारों की बड़ी जामात रहती है इसलिए बच्चों को उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। इस दौरान समर एडीसन का लॉच हुआ। जिसके  निदेशक अखिलेश अग्रवाल ने कहा देश के मशहूर डिजाइनर जिन्होंने विदेशों में खूब नाम कमाया है। वे इंडिया इंटरनेशनल वीक में हिस्सा लेगें। युवा डिजाइनरों को काफी कुछ दिखने और सीखने को मिलेगा। हम जल्दी ही विटर एडीसन लॉंच करेंगें। अगले सीजन में इंटरनेशनल फैशन डिजाइनर दो दिवसीय फैशन वीक का आयोजन करेगा। इस दौरान कई शानदार कलेक्शनों का प्रदर्शन किया जाएगा। आज डिजाइनर किसी पहचान के मोहताज नहीं है। हैदराबाद फैशन वीक में कई नये डिजाइनर सामने आये।     

सरदार भगत सिंह का अपमान नहीं करेंगे सहन

-प्रेमबाबू शर्मा दिल्ली विश्वविधालय में पढ़ाई जा रही किताब में शहीद भगत सिंह को क्रांतिकारी आतंकवादी लिखे जाने के विरोध में हिन्दुस्तान उत्थान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानेश कुमार चैहान एवं राष्ट्रीय महासचिव ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि ‘कड़ी निंदा करते हुए कहा कि अगर जल्द हीे इस पुस्तक को पढ़ाये जाने से ना रोका गया तो हम देशभक्त सरदार भगत सिंह का यह अपमान सहन नहीं करेंगे और देश में बड़ा आंदोलन चलाएंगे। उन्होंने कहा कि‘युवाओं के प्रेरणास्रोत और देश को आजाद कराने की लड़ाई में फांसी पर लटककर बलिदान देने वाले महान देशभक्त सरदार भगत सिंह को आज क्रांतिकारी आतंकी बताया जा रहा है।’
उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविधालय में मृदुला मुखर्जी और विपिन चंद्रा की पुस्तक इंडियाज स्ट्रगल फाॅर इंडीपेंडेंस पढ़ाई जा रही है, जिसमें शहीद-ए-आजम भगत सिंह को कथित रूप से क्रांतिकारी आतंकवादी बताया जा रहा है। 
पुस्तक इंडियाज स्ट्रगल फाॅर इंडीपेंडेंस के 20वें अध्याय में भगत सिंह को क्रांतिकारी आतंकवादी बताया जाना बेहद आपत्तिजनक है।


अनिल कपूर का सोशल वीडियो में लाइव हुआ

-प्रेमबाबू शर्मा
 
अभिनेता अनिल कपूर से समर्थन प्राप्त व इंडि डाॅट कामद ने भारतीय बाजार में 28 अप्रैल से अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है जिसका मकसद प्रतिभा खोज को लोकतांत्रिक बनाना और ब्रांडों की सोशल मीडिया ऐंगेजमेंट को बढ़ावा देने का काम शुरू किया।   
इंडि डाॅट कामद की स्थापना 2012 में दक्षिण कैलीफोर्निया में हुई थी शुरुआत में यह बतौर आॅनलाइन आर्टिस्ट कन्सोर्टियम काम करता था। आज 200 से ज्यादा देशों के लोग इसे ऐक्सैस करते हैं, यह प्लैटफाॅर्म ब्रांडों के लिए व्यापक संसाधन के तौर पर काम करता है और ज्यादा अर्थपूर्ण व गहरी सोशल मीडिया गतिविधियां करता है। इस प्लैटफाॅर्म पर ब्रांड चुनौतियां व काॅन्टेस्ट शुरु कर सकते हैं।
इंडि डाॅट कामद के साथ जुड़ने पर विख्यात अंतर्राष्ट्रीय सेलिब्रिटी अनिल कपूर ने कहा, ’’भारत में इंडि डाॅट कामद के लांच पर मैं बहुत खुश हूं जो 28 अप्रैल से शुरु लोगों के बीच होगा। 
हमारे पास बहुत सी शैलियां हैं जैसे अभिनय, गायन, रिटेल ब्रांड, उद्यमिता, फैशन व माॅडलिंग आदि तथा बहुत कुछ अभी आने को है। हमारे लांच चैनल पार्टनर भी अहम अवसर व पुरस्कार दे रहे हैं तो इस वजह से हम काफी सकारात्मक हैं कि भारतीय लोग भी इंडी पर आने को उत्साहित होंगे और अपनी दिलचस्पियों के मुताबिक चुनौतियां स्वीकार करेंगे।’’
 

टाइगर श्राॅफ और श्रद्धा कपूर ने रंग जमाया ‘द ग्रेट इंडिया प्लेस माॅल’ में

-प्रेमबाबू शर्मा


 ऐंटरटेनमेंट सिटी लि. का ग्रेट इंडिया प्लेस माॅल में फिल्म बागी के प्रमोशन के लिए टाइगर श्राॅफ और श्रद्धा कपूर आये,और उन्होंने अपनी बहुमुखी शैली में दर्शकों के बीच रंग जमाया। 

इस कार्यक्रम में ऐंटरटेनमेंट सिटी लि. के मुनीष बलदेव ने कहा, ’’अपने हाई-ऐंड लाइफस्टाईल, फैशन और लैज़र गतिविधियों की वजह से द ग्रेट इंडिय प्लेस माॅल नोएडा व एनसीआर के लोगों के लिए एक प्रीमियम डेस्टीनेशन है। लोकप्रिय फिल्मस्टार्स टाइगर श्राॅफ व श्रद्धा कपूर के साथ फिल्म बाग़ी के लांच के लिए इसे चुना जाना फिर से यह पुख्ता करता है कि द ग्रेट इंडिया प्लेस माॅल का रुतबा इस क्षेत्र में प्रीमियम रिटेल व हाॅस्पिटैलिटी प्राॅपर्टी के तौर पर बहुत महत्वपूर्ण है।’’

बिकाऊ चेहरों का बाजार...!!



तारकेश कुमार ओझा
दुनिया को बदल कर रख देने वाले कंप्यूटर- इंटरनेट और स्मार्ट फोन बनाने वालोॆं ने क्या कभी हाथों में माइक पकड़ कर भाषण दिया। अविष्कार से पहले कभी दावा किया कि उसकी क्या योजना है , अथवा अविष्कार के बाद भी कोई सामने आया कि उसने किस तरह ये चीजें बना कर मानवता पर उपकार किया। आज से महज एक दशक पहले तक सेलफोन के तौर पर चुनिंदा हाथों तक सीमित रहने वाला मोबाइल आज यदि हर हाथ की जरूरत बन गया है तो उसे इस मुकाम तक पहुंचाने वालों ने क्या कभी ऐसा दावा किया था या लंबे - चौड़े भाषण दिए थे। टेलीविजन पर जब कभी किसी को लच्छेदार बातें करता देखता हूं तो मेरे मन में यही सवाल बार - बार कौंधने लगता है। बेशक लुभावनी बातें मुझे भी लुभाती है। लेकिन दिमाग बार - बार चुगली करता है कि ऐसी लच्छेदार बातें पहले भी बहुत सुनी। लेकिन दुनिया अपनी तरह से आगे बढ़ते हुए चलती है। सिर्फ बोलने - कहने से कुछ नहीं हो सकता। लेकिन बिकाऊ चेहरों के बाजार को क्या कहें जिसे हमेशा ऐसे चेहरों की तलाश रहती है जो बाजार में बिक सके। वह चेहरा किसी क्रिकेटर का हो सकता है या अभिनेता का अथवा किसी राजनेता का। बाजार में बिकाऊ चेहरों की मांग इस कदर है कि अब इसे उन चेहरों को भु नाने से भी परहेज नही जो गलत वजहों से चर्चा में आए । बिकाऊ चेहरों के इस बाजार को पोर्न स्टार को भी सेलिब्रेटी बनाने में कोई हिचक नहीं। पिछले कुछ दिनों से टेलीविजन चैनलों पर कन्हैया कुमार को छाया देख मुझे भारी आश्चर्य हुआ। मैं खुद से ही सवाल पूछने लगा कि कहीं जनलोकपाल बिल वाला 2011 का वह ऐतिहासिक आंदोलन  वापस तो नहीं लौट आया। क्योंकि ऐसा लग रहा था  जैसे अन्ना हजारे या अरविंद केजरीवाल का कोई नया संस्करण हमारे हाथ लग गया हो। जब देखो किसी न किसी बहाने कन्हैया की चर्चा।कोई उसके गांव - गली की खबरें दिखा रहा है तो कोई एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पूछ रहा है कि शादी कब रह रहे हैं। ऐसे सवाल तो साधारणतः फिल्मी हीरो या हीरोइनों से ही पूछे जाते हैं।  न कोई ब्रेक न व्यावसायिक व्यवधान। जब लगता कि यह कन्हैया डोज कुछ ज्यादा हो रहा है और दर्शक शायद इसे पचा नहीं पाए तभी बताया जाता कि फलां - फलां ने कन्हैया के समर्थन में ट्वीट किया है। आश्चर्य  कि जेएनयू में विवादास्पद नारे दूसरे छात्रों ने भी लगाए। लेकिन छाया सिर्फ कन्हैया है क्योंकि उसे बोलना आता है। बेशक उससे पहले कुछ ऐसा ही हाइप उमर खालिद ने भी लेने की कोशिश की। लेकिन वह ज्यादा सफल नहीं हो पाया। फिर पता चला कि वामपंथी कन्हैया से चुनाव प्रचार कराने की भी सोच रहे हैें। सही - गलत तरीके से रातोरात मिली इस प्रसिद्धि पर कन्हैया का खुश होना तो स्वाभाविक है। लेकिन उसे नहीं भूलना चाहिए कि बिकाऊ चेहरों का यह बाजार हर किसी को भुनाने में  माहिर है। मंडल कमीशन के बाद 80 के दशक का आरक्षण विरोधी आंदोलन जिन्हें याद होगा, वे राजीव गोस्वामी को शायद नहीं भूलें होगे जो आरक्षण के विरोध में अपने शरीर पर सार्वजनिक रूप से  आग लगा कर कन्हैया कुमार की तरह ही देश - दुनिया में छा गया था। तब चैनलों का  कोई प्रभाव तो नहीं था। लेकिन तत्कालीन पत्र - पत्रिकाओं में राजीव की खूब तस्वीरें और खबरें छपी थी। लेकिन कुछ साल बाद आखिरकार राजीव गोस्वामी एक दिन गुमनाम मौत का शिकार बना। 2008 से 2009 तक माओवाद प्रभावित जंगल महल में छत्रधर महतो को भी बिकाऊ चेहरों के बाजार ने जम कर भुनाया। चैनलों पर हर वक्त किसी न किसी बहाने छत्रधर महतो का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू हमेशा दिखाया जाता। लेकिन पकड़े जाने के बाद से छत्रदर महतो  का परिवार आज गुमनाम जिंदगी जी रहा है। जिसकी ओर देखने तक की फुर्सत आज उन्हीं के पास नहीं है जिसने कभी उसे हीरो की तरह पेश किया था। सही या गलत तरीके से  हीरो बनने या बनाने से बेशक किसी को फर्क नहीं पड़ता, लेकिन डर इसी बात का है कि इसके चलते समाज में बदनाम होकर नाम कमाने का नया ट्रेंड न चल निकले।

सुंदर पिचाई पर कोई क्यों नहीं बनाता फिल्म...!!

तारकेश कुमार ओझा 


80 के दशक में एक फिल्म आई थी, नाम था लव - मैरिज। किशोर उम्र में देखी गई इस फिल्म के अत्यंत साधारण होेने के बावजूद इसका मेरे जीवन में विशेष महत्व था  इस फिल्म के एक सीन से मैं कई दिनों तक रोमांचित रहा था। क्योंकि फिल्म में चरित्र अभिनेता चंद्रशेखर दुबे एक सीन पर मेरे शहर खड़गपुर का नाम लेते हैं। पेसों की तंगी और परिजनों की डांट - फटकार की परवाह किए बगैर सिर्फ अपने शहर का नाम सुनने के लिए मैने यह फिल्म कई बार देखी थी। क्योंकि इससे मुझे बड़ा सुखद अहसास होता था। वैसे मैने सुन रखा था कि महान फिल्मकार स्व,सत्यजीत राय समेत कुछ बांग्ला फिल्मों में खड़गपुर के दृश्य फिल्माए जा चुके हैं। लेकिन तब मैने सोचा भी नहीं थी कि कालांतर में मेरे शहर को केंद्र कर कभी कोई फिल्म बनेगी और उसकी यहां शूटिंग भी कई दिनों तक चलेगी। भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तान माने जाने वाले महेन्द्र सिंह धौनी पर बन रही फिल्म की शूटिंग देख हजारों शहरवासियों के साथ मुझे भी  सुखद आश्चर्य हुआ। बेशक उस कालखंड का गवाह होने की वजह से मैं मानता हूं कि धौनी की फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी बिल्कुल किसी परीकथा की तरह है। कहां लेबर टाउन कहा जाने वाला खड़गपुर जैसा छोटा सा कस्बा और कहां क्रिकेट की जगमगाती दुनिया। एक नवोदित क्रिकेट खिलाड़ी के तौर पर उनके रेलवे की नौकरी के सिलसिले में शहर आने से लेकर कुछ साल के संघर्ष के बाद टीम में चयन और सफलता के शिखर तक पहुंचने का घटनाक्रम काफी हैरतअंगेज है। जिसकी वजह से धौनी व्यक्ति से ऊपर उठ कर एक परिघटना बन चुके हैं। उन पर बन रही फिल्म के बहाने जीवन में पहली बार किसी फिल्म की शूटिंग देख मेरे मन में दो सवाल उठे। पहला यही कि किसी फिल्म को बनाने में बेहिसाब धन खर्च होता है। जितने की कल्पना भी एक आम - आदमी नहीं कर सकता। दूसरा यह कि अपने देश में राजनीति , फिल्म और  क्रिकेट के सितारे ही रातों - रात प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंच कर वह सब हासिल करने में सक्षम हैं, जिसकी दूसरे क्षेत्रों के संघर्षशील लोग कल्पना भी नहीं कर सकते। मेरे मन में अक्सर सवाल उठता है कि क्या वजह है कि मेरे शहर के वे खिलाड़ी हमेशा उपेक्षित ही रहे , जो अपने - अपने खेल के धौनी है। क्रिकेट की बदौलत जीवंत किवंदती बन गए धौनी के आश्चर्यजनक उड़ान पर हैरान होते हुए मैं अक्सर सोच में पड़ जाता हूं कि यदि बात सफलता की ही है तो उन सुंदर पिचाई पर कोई फिल्म क्यों  नहीं बनाता जो इसी शहर के आइआइटी से पढ़ कर आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं। जबकि उनकी उपलब्धि का दायरा कहीं अधिक व्यापक है।   बेशक किसी की उपलब्धि को कम करके आंकना मेरा मकसद नहीं लेकिन यह सच है कि देश के लिए खेलने के बावजूद एक खिलाड़ी की उपलब्धियां काफी हद तक व्यक्तिगत ही होती है, जबकि इंटरनेट जैसे वरदान ने आज छोटे - बड़े और अमीर - गरीब को एक धरातल पर लाने का काम किया है। आइआइटी कैंपस जाने का अवसर मिलने पर मैं अक्सर ख्यालों में डूब जाता हूं कि इसी कैंपस में रहते हुए सुंदर पिचाई जैसे आइआइटीयंस ने पढ़ाई पूरी की होगी। जीवन के कई साल इसी शहर में उन्होंने गुजारे होंगे। कोई  नीरज उनकी सफलता को अनटोल्ड स्टोरी के तौर पर रुपहले पर्दे पर उतारने की क्यों नहीं सोचता।


लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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तारकेश कुमार ओझा, भगवानपुर, जनता विद्यालय के पास वार्ड नंबरः09 (नया) खड़गपुर ( प शिचम बंगाल) पिन ः721301
जिला प शिचम मेदिनीपुर 
संपर्कः 09434453934, 9635221463

Monday, April 25, 2016

जाइवी मोबाइल्स के नये प्रोडक्ट लांच


-प्रेमबाबू शर्मानई दिल्ली। जाइवी मोबाइल्स मैजिकाॅन इम्पेक्स प्रा. लि. के मोबाइल डिविजन ने भारत में फीचर फोन का नया प्रोडक्ट पोर्टफोलियो लांच किया है। इसमें शुरुआती कीमत 699रु. से लेकर 1199रु. के फोन हैं। शानदार स्टाइल के साथ आधुनिक तकनीक से निर्मित कम कीमत में बेहतरीन फोन है। 


नई रेंज़ की लांच पर जाइवी मोबाइल्स के सीईओ पंकज आनंद ने कहा, ‘‘हमारा प्रयास रहा है कि हम ग्राहकों को कम कीमत में अच्छा फोन दे और आने वाले सात नए फोन पेश करने की खुशी है। ये उनकी चाहत और जरूरत पूरा करेंगे जो बाजार में उपलब्ध महंगे फोन नहीं खरीद सकते। हमारे फोन 699रु., 799रु., 849रु., 949रु., 1099रु. और 1199रु. कीमत में उपलब्ध है। हमारे फोन और चार्जर भारतीय मानक ब्यूरो (आईएसआई) से मान्यता प्राप्त हैं। ये ‘मेक इन इंडिया’ प्रोडक्ट हैं जो दिल्ली में हाल में स्थापित हमारे संयंत्र में बनेंगे।’’

जाइवी के हर फीचर फोन के लिए ‘दोगुनी बचत दोगुना फायदा’ स्कीम के तहत 9 वाट का एलईडी बल्ब फ्री है। यह स्कीम भी नरेंद्र मोदी की स्कीम ‘प्रकाश पथ’ - ‘उजाला की ओर’ के अनुुरूप है जिसका मकसद आम आदमी की बिजली और पैसे की बचत करना है।

स्कीम पर श्री पंकज आनंद, सीईओ, जाइवी मोबाइल्स ने कहा, ‘‘हमारी यह पहल भी देश में जन-जन को ऊर्जा सक्षमता का संदेश देने के सरकारी प्रयास के अनुरूप है। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस विचार से पूर्ण सहमत हैं कि बिजली संकट दूर करने का सस्ता उपाय बिजली बचाना है न कि बिजली पैदा करना। हमारी स्कीम जन-जन में बिजली बचत की चेतना लाएगी। हम भारत में फीचर फोन की पूरी रेंज़ पर एलईडी बल्ब फ्री देंगे।’’  



कम्पनी देश में फीचर फोन बाजार की असीम संभावना का लाभ लेना चाहती है। यह आने वाले समय में इसके सारे डिवाइस भारत मंे बनाएगी। जाइवी मोबाइल्स भारत में ही बैट्री, चार्जर और हैण्ड्सफ्री बनाएगी जिससे ड्यूटी की बचत होगी जो वर्तमान में 29.5 प्रतिशत की दर से लागू है। बचत का लाभ ग्राहकों को दिया जाएगा।’’   

इस अवसर पर सीईओ श्री पंकज आनंद के साथ श्री गुरदीप सिंह, निदेशक, श्री एन के मोंगा, निदेशक, सुश्री आंचल अरोड़ा - प्रोडक्ट मैनेजर और श्री हर्ष वर्धन- हेड मार्केटिंग भी मौजूद थे। 

‘सिया के राम’ में रामायण बिल्कुल अलग दृष्टिकोण से दिखाया गयाः मदिराक्षी

प्रेमबाबू शर्मा

छोटे परदे पर अब तक रामायण कई बार दिखाया जा चुका है। लेकिन स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले शो ष्ष्सिया के रामष्ष् में रामायण बिल्कुल अलग दृष्टिकोण से दिखाया जाएगा। इस बार माता सीता के नजरिये को उजागर किया जाएगा। ष्ष्सिया के रामष् में सीता की महत्वपूर्ण भूमिका में बिल्कुल नया चेहरा मदिराक्षी नजर आने वाली हैं। उन्होंने अब तक केवल एक दक्षिण की फिल्म की है। मदिराक्षी ने इस शो के बारे में प्रेमबाबू शर्मा से की बातचीत


‘सिया के राम’ टीवी पर आये रामायण के दूसरे संस्करणों से कितना अलग है?

सीता और राम की कहानी हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। पूरी दुनिया की सभ्यताओं को इसने प्रभावित किया है। कर्त्तव्यए सम्मान और पारिवारिक जिम्मेदारियों का इस शो का संदेश आज के समय में भी उतना ही प्रासंगिक है। हालांकि इस कहानी के सारे संस्करण राम के नजरिये से हैं और राम सीता की इस कहानी में सीता के दृष्टिकोण को शायद ही कहीं जगह मिली हो। लेकिन पहली बार कहानी सीता के नजरिये से कही गयी है जो इसके पहले सुनी नहीं गयी। कहानी सीता को एक मजबूत और स्वतंत्र महिला के रूप में दिखायेगी। सीता समानता और शिक्षा में विास रखती है और उनका अपना विचार है। 

क्या शो का फोकस सिर्फ सीता के किरदार पर रहेगा?

सीता यहां राम की सच्ची अर्धागिनी और एक मजबूत इरादों व सोच वाली महिला के रूप में दिखायी देंगी। उनका किरदार आज की हर महिला के लिये प्रासंगिक होगा। यह शो सीता के दृष्टिकोण से कही जा रही एक आदर्श दम्पति सीता और राम के रिश्ते की कहानी है। कहानी जितनी राम की है उतनी ही सीता की भी है। सबसे जरूरी कि शो में ऐसे बहुत से उदाहरण आएंगे जो आज के समाज में भी प्रासंगिक हैं।

सीता की भूमिका के लिये तैयारी किस तरह की ?

हम रामोजी फिल्मसिटी हैदराबाद में शूटिंग कर रहे हैं जो लंबे समय से मेरा अपना शहर है। सीता की भूमिका निभाना आसान नहीं है।

टीवी पर लौटा धार्मिक सीरियलों का दौर

-प्रेमबाबू शर्मा

एक दौर जब टीवी पर सास भी कभी बहू थी,कहानी घर घर की, जैसे शो की लोकप्रियता के आगे कोई भी शो नही टिक पा रहा था,लेकिन बदलते समय के साथ टीवी ने भी करबट और अब एक बार फिर से धर्मिक सीरियलों का दौर रहा है। दूरदर्शन पर सबसे पहले रामायण, श्रीकृष्णा और फिर महाभारत ने रंग जमाया। साल 2011 में एकबार फिर रामायण का जबरदस्त दौर चला और इस बार चैबीस घंटे का माध्यम होने के कारण इसका प्रभाव दूरदर्शन के जमाने से भी ज्यादा मजबूत रहा। दरअसल धर्म के जरिए टीवी रह रहकर समाज में अपने ताकतवर होने का अहसास कराता रहा है। अब एक बार फिर से अचानक बहुत सारे धार्मिक सीरियल फिर से टीवी पर धूम मचाने आ गए हैं। वजह यही है कि इसकी जडंे सिनेमा के मुकाबले ज्यादा मजबूत 

‘‘सिया के राम’ सीरियल स्टार प्लस चैनल पर खूब देखा जा रहा है। इसमें सीता के जीवन की कहानी है। सोनी टीवी पर ‘‘संकट मोचन महाबली हनुमान‘‘ और ‘‘सूर्य पुत्र कर्ण‘‘ बैक टू बैक टेलीकास्ट होने का बावजूद दिन ब दिन अपनी दर्शक संख्या बढ़ा रहे हैं। एंड टीवी चैनल पर ‘‘जय संतोषी मां‘‘ की टीआरपी लगातार परवान चढ़ रही है। स्टार गोल्ड पर पुरानी वाली महाभारत की महिमा का देश के ग्रामीण इलाकों में अब भी कोई तोड़ नहीं है। एपिक चैनल पर रामायण ने एक खास दर्शक वर्ग बना लिया है।
  डिस्कवरी किड्स पर लिटिल कृष्णा का एनिमेशन अवतार बच्चों में जबरदस्त धूम मचा रहा है। इसी चैनल पर किसना भी बच्चों को आकर्षित कर रहा है। तो, कार्टुन नेटवर्क पर रिटर्न्स ऑफ हनुमान जब बच्चे देखते हैं, तो उठने का नाम ही नहीं लेते। बच्चों के एक और चैनल पोगो पर दिख रहे छोटा भीम ने तो घर-घर में जगह बना ली है।
माना जा सकता है कि परंपरा और संस्कृति की कहानियों को अगर ताजा अंदाज में कहा जाए, तो किसी भी काल में दर्शक वर्ग बन ही जाता है। बात सही भी है कि हमारी जो परंपरा हजारों साल से चली आ रही है, दर्शकों पर उसका असर तो होता ही है। हमारे टीवी के परदे पर यह उसी असर का परिदृश्य है, जिसमें सीता, राम, हनुमान, संतोषी मां, कर्ण, कृष्ण और भीम फिर से बहुत चाव के साथ देखे जा रहे हैं। 
यह हमारे टेलीविजन का नया चेहरा है। जो सास बहू और रिश्तों के रंग से आजाद होकर एक बार फिर से धर्म के रंग में रंगता दिख रहा है। टीवी के धर्म के रंग में रंगने का यह तीसरा दौर है। सबसे पहले कोई 25 साल पहले रामायण,श्रीकृष्णा ने धूम मचाई थी। उसके तत्काल बाद टीवी पर महाभारत आई। वह पहला दौर था। दूसरा दौर आया सन 2009 के आखिर में शनिदेव की माहिमा,फिर 2011 में जब लाइफ ओके चैनल पर भगवान शिव पर आधारित ‘‘देवों के देव..महादेव‘‘ की शुरुआत हुई। जबरदस्त टीआरपी मिलने से लाइफ ओके के हौसले बुलंद हुए, तो तत्काल बाद लाइफ ओके पर कथा महादेव पुत्र बाल गणोश की भी आ गई थी।अभी कुछ दिन पहले ही रतन राजपूत और ग्रेसी सिंह मुंबई के एक मंदिर में संतोषी माता की महाआरती करती दिखीं। दोनों वहां माता का आशीर्वाद लेने आई थीं। रतन ने कहा -‘‘मैं अपने हाल ही मैं प्रसारित हुए शो को लेकर कुछ नर्वस हूं। धर्म और भगवान में मेरा विास है। इसलिए उम्मीद है कि हमारा यह सीरियल अच्छा चलेगा।‘‘ सन् 2001 की सुपरहिट फिल्म ‘‘लगान‘‘ में गौरी के किरदार से अचानक बहुत विख्यात हुई और बाद में पंद्रह साल तक लुप्त हो गई। ग्रेसी सिंह भी ‘‘संतोषी मां‘‘ में नजर आ रही हैं। ग्रेसी इसमें संतोषी माता के किरदार में हैं। रतन राजपूत भी अहम रोल में हैं। 
स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले सीरियल ‘‘सिया के राम’ के सेट की खूब र्चचा है। रावण के साम्राज्य के बाहरी हिस्सों की शूटिंग के लिए जल्द ही इस प्रोडक्शन की टीम श्रीलंका जाएगी। ट्रैंगल प्रोडक्शन्स की तरफ से बताया गया कि सीरियल की शूटिंग फिलहाल भारत में की जा रही है। कुछ हिस्सों की शूटिंग भुज में की गई है और जल्द ही इस टीम के लोग भूटान जाएंगे। इस सीरियल में जब रावण का घर दिखाया जाएगा, तो उसे प्रामाणिक लुक देने के लिए एक टीम श्रीलंका में शूटिंग करेगी। इस कथा को पहली बार मिथिला कुमारी सीता के दृष्टिकोण से दिखाया जा रहा है। इसमें मदिराक्षी सीता की भूमिका में है। लाइफ ओके पर देवों के देव महादेव लगातार तीन साल तक अपना रंग जमाए रहा। उस दौरान महादेव का किरदार निभाने वाले कलाकार मोहित रैना के दर्शन करने लोग उनके घर के बाहर जमा होते थे वे जहां भी जाते, लोग उनके पांव छूने लग जाते थे।टीवी पर धर्म के इस तीसरे दौर के बारे में समाजशास्त्री डॉ. विजय शर्मा कहते हैं कि ‘‘बहुत सालों से लोग टीवी पर सास बहू के सीरियल देखकर ऊब गए थे। अब एक बार फिर से हमारी संस्कृति की पारंपरिक कथाएं नए स्वरूप में आ रही हैं, तो लोग तो देखेंगे ही। यही कारण है कि गीता, रामायण और महाभारत के किरदार अलग-अलग कहानियों के साथ फिर से पूरी धमक के साथ लौट आए हैं।‘‘ सफलता के सुर जब सिर चढ़कर बोलने लगते हैं, तो सुनने वाले भी मिल ही जाते हैं। यही कारण है कि सीता, राम, हनुमान, कर्ण और कृष्ण, सारे के सारे टीआरपी के मैदान में बाजी मारने को बेताब हैं। सही मायने में कहा जाए तो दुनिया में किसी भी देश के मुकाबले भारत में टीवी बहुत देर से आया है। हमारे देश में टीवी का वास्तविक विकास तो सिर्फ बीस-पच्चीस साल ही पुराना है। यह अभी-अभी जवान हुआ है। टेलीविजन के असली विकास की शुरुआत को अभी लगभग ढाई दशक का समय भी नहीं बीता लेकिन टीवी आज सबसे ज्यादा और गहरे असरकारक माध्यम के रूप में हमारे सामने है। आज किसी को भी अपनी बात कहनी हो, तो टीवी सबसे व्यापक, सबसे तेज और सबसे असरकारक माध्यम है। तब, जब हमारे देश में सिर्फ दूरदर्शन ही हुआ करता था, तब से ही रामायण और महाभारत के दौर में इसकी भनक मिल गई थी। इसी कारण धार्मिक सीरियल रह रहकर मजबूती के साथ सामने आते रहे हैं।पच्चीस साल पहले जब दूरदर्शन पर रामायण सीरियल आया था तो लोग उस समय टीवी के सामने दिया जलाकर, फूल चढ़ाने के साथ जूते-चप्पल उतारकर सीरियल देखते थे और सीरियल की समाप्ति पर आरती के बाद प्रसाद भी बांटा करते थे। बी.आर. चोपड़ा के महाभारत के कृष्ण नीतीश भारद्वाज को तो गांवों में लोग भगवान का अवतार ही मानते थे। टीवी धारावाहिक निर्माता धीरज कुमार की बात बिल्कुल सही लगती है कि ‘‘आज के पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे धार्मिक धारावाहिक देखें और उनसे संस्कार लेने के साथ अच्छी बातें भी सीखें। इसलिए धार्मिक धारावाहिक कुछ-कुछ अंतराल के बाद अलग-अलग रूप में अवतरित होते रहे हैं।‘‘ सोनी, कलर्स, जी, स्टार प्लस और ऐसे ही मुख्यधारा के चैनलों की तो छोड़िये, काटरून नेटवर्क, पोगो, सोनिक, डिज्नी, डिस्कवरी किड्स, जैसे चैनल भी इसी धारा में बह रहे हैं, क्योंकि बच्चों को तो संस्कार और परंपरा की सीख वहीं से मिलेगी। जहां तक आम दर्शक की बात है तो वह आधुनिकता की दौड़ में सहभागी होने के साथ-साथ अपनी जड़ों से जुड़े रहना ज्यादा पसंद करता है। यही देखकर टीवी के परदे का ताजा परिदृश्य देखें, तो सच्चाई यही है कि ज्यादातर चैनल धर्म के रंग की ऐसी कहानियां रच रहे हैं जिनसे समाज को प्रेरणा मिले और बच्चे, बड़े और बूढ़े हर किसी के जीवन में कुछ न कुछ बदलाव आए। टीवी धारावाहिकों की फैक्टरी के नाम से मशहूर एकता कपूर की इस बात में दम है कि व्यक्ति चाहे कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाए, वह उस आधुनिकता को भी धर्म के अनुसार ही जीता है। क्योंकि संस्कार हमारे जीवन की जड़ें हैं और आपसी लड़ाई झगड़े हमारी दिनर्चया का हिस्सा। ये सारी चीजें साथ-साथ चलती हैं। यही वजह है कि टीवी के परदे पर अचानक बहुत रंग भर गई जिंदगी की कहानियों के बीच धर्म ने भी अपनी धमक फिर से बना ली है

‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ में नए अशोक

-प्रेमबाबू शर्मा

कलर्स पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ अब कई सालों का लीप ले रहा है और खास बात यह है कि इसमें लोगों के चहीते अशोक यानी कि सिद्धार्थ निगम की जगह मोहित रैना दिखने वाले हैं।
पिछले कई दिनों से यह चर्चा चल रही थी कि सालों के लीप के बाद अशोक का किरदार कौन करेगा। अब खुद चैनल ने मोहित के नाम की आधिकारिक घोषणा कर दी है।

मोहित इससे पहले देवों के देव महादेव में काम कर चुके हैं और इसमें मोहित को काफी पसंद किया गया था। चक्रवर्ती सम्राट अशोक में बदलाव को लेकर कई दिनों से बातें हो रही हैं।

खुद चैनल की ओर से जारी किए गए एक टीजर में दिखाया जा चुका है कि अशोक अब बड़े हो चुके हैं। हालांकि उसमें बदले गए अशोक का चेहरा नहीं गुप्त रखा गया था।

24 शहरों में होगा "भजन रत्‍न’’ रिएलिटी शो का ऑडिशन

अनूप जलोटा, मालिनी अवस्‍थी और पंडित बिरजू महराज करेंगे इस शो को जज

-प्रेमबाबू शर्मा


नई दिल्‍ली। एक बार फिर देश में रिएलिटी शो की धूम मची है। डांस इंडिया डांस, यू थिंक यू कैन डांस, के बीच एक नये रिएलिटी शो का आगाज होने जा रहा हैा लेकिन यह रिएलिटी शो बिलकुल अनूठा है। जो भजन पर बेस्‍ड हैा अथ इंटरटेनमेंट के बैनर तले शुरू होने जा रहे इस रिएलिटी शो क नाम रखा गया है भजन रत्‍न । इस रिएलिटी शो के डायरेक्‍टर पंकज नारायण कहते हैं, ‘’ हम पूरे देश से भजन रत्‍न ढूंढ रहे हैं और यह अपनी तरह का पहला रीयालिटी शो है जिसमें नामी गिरामी बॉलीवुड हस्तियों का uuu yuuu समर्थन मिल रहा है। इस रिएलिटी शो का ऑडिशन 28 मई से शुरू होगा जो 9 जुलाई तक चलेगा। मुंबई, दिल्‍ली, चंडीगढ, देहरादून, गुडगांव, नोएडा, पटना, रांची, हैदराबाद आदि 24 शहरों में इसका ऑडिशन होगा। आस्‍था चैनल पर प्रसारित होने वाले भजन रत्‍न रिएलिटी शो को दर्शक 15 जुलाई से देख सकेंगे।

यह अपने आप में पहली तरह का अनूठा रियालिटी शो है जिसमें सभी धर्म के लोग गाएंगे जिसमें सूफी भी शामिल होगा। जो जीतेगा उसे ‘’भजन रत्‍न‘’ के सम्‍मान से नवाजा जाएगा। एक समय था जब लोग हरिओम शरण और अनूप जलोटा के भजनों को सुनकर अपने दिन की शुरुआत करते थे, समाचार में सुनाई पडता था कि सचिन तेंदुलकर क्रीज पर जाने से पहले हरिओम शरण की भजन सुनते थे जिससे उनकी एकाग्रता बनी रहे। लेकिन नई पीढी बदलते परिवेश में इस परंपरा से दूर सी होती जा रही थी। इसी को ध्‍यान में रखते हुए इस कांसेप्‍ट के जरिए लोगों को उनके जडों से जोडना इसका मकसद है जिससे सर्वधर्म समभाव स्‍थापित किया जा सके।
भजन सिंगर अनूप जलोटा, लोकगायक मालिनी अवस्‍थी और कथक डांसर बिरजू महराज इस शो को जज करेंगे। इसका प्रसारण आस्‍था चैनल पर 15 जुलाई से हर शुक्रवार और शनिवार को किया जाएगा। इस शो में बॉलीवुड गायक एश्‍वर्य निगम, टीवी कलाकार रिचा सोनी तथा कथक डांसर आरूषि निशंक भी दिखाई देंगे। गौरतलब है कि देश के इस पहले भजन पर आधारित रियालिटी शो को सफल बनाने के लिए बॉलीवुड के जाने-माने म्‍युजिक डायरेक्‍टर और सिंगर अपना समर्थन देने जुटेंगे।

Thursday, April 21, 2016

Naseer-Kalki starrer 'WAITING' poster released

Chandigarh, April 21th, 2016 (kulbir singh kalsi):-
'Waiting' is about the special relationship between two people who befriend each other unexpectedly in a hospital, while nursing their individual spouses in coma. It is a film about grief, but more than just dealing with it, ‘Waiting’ is also about confronting it and discovering a sliver of hope between the lines. It is a life-affirming story representative of urban India and its ethos, that is bound to strike a chord with cinema-lovers across the board.


Waiting, starring Naseeruddin Shah and Kalki Koechlin. Directed by Anu Menon and produced by Ishka Films and Drishyam Films, ‘Waiting’ had premiered at the Dubai International Film Festival (DIFF). Featuring Rajat Kapoor, Arjun Mathur, it also marks the debut of noted filmmaker Mani Ratnam’s wife, actor Suhasini Maniratnam in Hindi cinema. The film is slated to release on May 27th, 2016.

Sunday, April 10, 2016

Australian Foundation demands special courts for NRIs for speedy redress of their grievances

Also wants powers of court for NRI commission and review of all cases of NRIs wrongly declared POs

Chandigarh, April 10th, 2016 (kulbir singh kalsi):-The Australian Foundation for NRIs (AFNRI), a non-political organisation of Non-resident Indians settled in Australia, has demanded constitution of special courts for NRIs to handle cases, including those under the Rent Act, review of all cases of NRIs being declared proclaimed offenders (POs) through the process of sending summons at local addresses where they have not been residing for years, an early notification of the definition as to who constitutes an NRI and making the Punjab State Commission of NRIs more effective by giving it powers of revision of civil and criminal court.
Addressing a press conference here today, the founder member of AFNRI, Mr Gurpal Singh, a Australia based barrister and solicitor, said despite best intentions of the Punjab government  in creating special mechanisms for redress of grievances of NRIs, the expatriates continue to face serious problems in finding resolution of issues related to property and other disputes back home in a time bound manner.
Research undertaken by AFNRI into the concerns of the NRIs from Punjab has revealed that it still takes between one year to five-plus years for a NRI to get his property vacated through court intervention despite the fact that Section 13 B of the Rent Act was incorporated for the specific objective of providing immediate vacation of properties owned by the NRIs. Declaring NRI suspects in cases as proclaimed offenders, without first confirming whether they have been residing at the place in Punjab where summons were issued, is another major irritant for them.
Mr Gurpal Singh said another issue troubling the NRIs is the continuing confusion over the definition of NRIs. The issue pending in the Honourable Supreme court in the matter of 2011 revolves around the question as to whether a person holding passport of other country, rather than India, would be covered in the scope of NRI as defined in Rent Act?. The government should notify an explanation to the definition of NRI, rather than waiting for the SC decision.  


He said the creation of the Punjab State Commission of NRIs was a well-intended move by the state government, but the commission has no power except to initiate an enquiry into a particular matter. As a consequence the commission has been reduced to a toothless body at a very high expense to the government.

Noting that Punjabis settled in Australia in particular, and other countries including Canada, USA, UK, Singapore, Malaysia, etc., find the assistance provided by the Indian consulates and embassies not fully effective in the light of some important matters falling in domain of state government and state laws, the foundation said it added to the agony and delay in the matters of concern and repeated visits to the consulates. It demanded the Punjab government appoint a nodal office in all these countries to effectively address the issues of NRIs settled in these countries.

The foundation appealed to the chief minister and deputy chief minister to visit Australia for better and open engagement with the NRIs and explore the effective collaboration between Australian states and Punjab.

Saturday, April 9, 2016

“राम धुन लागी श्याम धुन लागी”

भजनों का एलबम भक्ति-भावपूर्ण श्री राम जी और श्री कृष्ण जी के जीवन से घटित वाक्यों को लेकर राम जी के आदर्शवादी व्यक्तित्व, धर्म एवं न्याय परायणता, सदाचार हेतु और कृष्ण जी के बिना स्वार्थ के काम से, सम्मिलित भजनो का संग्रह है, जो प्यार के धागे में पिरोकर आपके सामने प्रस्तुत है |



इन भजनों को सुनने के बाद आनंद विभोर हो जाना स्वाभाविक हो जायेगा राम धुन लागी श्याम धुन लागीसीडी के बाजार में आते ही आप अवश्य आनंद उठायें |

Friday, March 25, 2016

...तुम जो बोलेगे तुम्हे मिलेगा पाक में हुस्न की कमीं नहीं है!!

 सौरभ चन्द्र द्विवेदी (Writer at Freelancer Content Writer and distric president at Social Worker)


भारत की जीत की खुशी सभी भारतीयों के दिल में गिटार की तरह बज रही है। मेरे दिल में एक मीठा सा दर्द भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश को लेकर है। जिस प्रकार से क्रिकेट का खुमार चढा रहता है और हमारी भक्ति की आसक्ति जीत और सिर्फ जीत पर टिकी होती है वरना हमारी तपस्या भंग होने के पूर्ण आसार रहते है। भारत पाकिस्तान के मैच से पहले और बाद में एक पाकिस्तानी माॅडल कंदील बलोच की सुरमयी आवाज पहले तो तन मन में असुरक्षा की भावना को जन्म दे देती है। वे कहतीं है कि "अफरीदी मेरी जान देखो आज का दिन है न, बहुत बडा दिन है। तुम भूल जाओ कि तुम्हारे आसपास कैटरीना, ऐश्वर्या, सनी लियोन है। तुम जो बोलेगे तुम्हे मिलेगा पाक में हुस्न की कमीं नहीं है, तुम जो चाहोगे तुम्हे मिलेगा।"
मतलब की प्रगतिशीलता मे पाकिस्तान भी कम आगे नहीं है और हुस्न के पुजारी हैं। एक माॅडल एक मैच जीतने के लिये खुलेआम अपना जिस्म समर्पित करने का आफर तो करती ही है साथ ही स्ट्रिप डांस करने का वादा भी बस दरकार थी सिर्फ एक जीत की और अफरीदी की बल्ले बल्ले हो सकती थी लेकिन निर्भर अफरीदी पर करता था कि खुलेआम दिये गये आफर को खुले मन से स्वीकार करते थे या नहीं वैसे अफरीदी जैसे हाई प्रोफाइल आदमी खुलेआम तो नहीं लेकिन चोरी चोरी चुपके चुपके इस दुनिया मे कुछ भी संभव है।
भारत पाकिस्तान के मैच मे बात यहीं आकर खत्म नहीं होती है। पाकिस्तानी प्रशंसकों ने अपनी ही टीम की अर्थी निकाल दी। कमोवेश पाकिस्तान से हारने पर भारत में भी खिलाडियों के साथ कुछ ऐसे ही हालात देखने को मिलते। कुल मिलाकर के क्रिकेट के बहाने ही सही भारत पाकिस्तान के रिश्तों की हकीकत का मुआयना हो जाना चाहिए। ध्रतराष्ट्र की तरह सरकार आंखों में पट्टी बांधकर शांति शांति का अभियान चला तो सकती है लेकिन भारत पाक की जनता के दिलों में ही एक दूसरे को लेकर शांति नहीं है।
अगर शांति होती तो पाकिस्तान में टीवी नहीं टूट जाती। ये मान सकते है कि कंदील बलोच ने चर्चा मे बने रहने के लिए अपनी मादक आवाज में और मादक तन को दिखाकर भारतीय प्लेयर के लिये भी डांस किया लेकिन मैच हारने के बाद ये भी कहना कि तुम वापस पाकिस्तान मत आना, आई हेट यू अफरीदी, आई हेट यू।
ये है जन जन के दिलों की आग भारत पाक के रिश्तों को लेकर। मैने जब से होश संभाला और इतिहास में पढा कि भारत पाक का बंटवारा 1947 में हुआ था और कारण महज राजनीतिक महत्वाकांक्षा। जिन्ना शायद आज 72 हूरों के पास होगें और नेहरू गांधी की आत्मा अजर अमर होगी लेकिन भारत पाकिस्तान आज भी बंटवारे की आग में झुलस रहे है। जम्मू कश्मीर तो महज एक बहाना ही है क्यूंकि ये किसी से छिपा नही है कि जो पाकिस्तान है वही भारत है। जमीन के कुछ हिस्से के लिए आखिर और कितनी जाने गंवायेगें ? मौत का मंजर दोनों तरफ बिछ जाता है लेकिन अफसोस कि ये नफरत मुहब्बत मे नहीं बदल रही है।
आतंकवाद अपना काम करता है और सेना के जवान अपना कर्तव्य निभाते हुए शहीद हो जाते है। कल जब बांग्लादेश से क्रिकेट खेल रहे थे तब भी यही याद आया कि ये भारत और पाकिस्तान के नफरत की पैदाइश बांग्लादेश है। कल शायद भारत मैच हार जाता तो उतना बुरा नहीं लगता जितना कि पाकिस्तान से हारकर भारतीयों की भी नींद उड जाती है। लेकिन बेहद ही रोमांचकारी तरीके से भारत ने बांग्लादेश टीम को परास्त कर दिया। ट्वेंटी ट्वेंटी विश्व कप के अनुसार हर एक मैच जितना उतना ही आवश्यक है जैसे सेना ने करगिल का युद्ध जीता था। कारगिल युद्ध घुसपैठ का अंजाम था और ट्वेंटी ट्वेंटी विश्व कप भी वनडे के मध्य घुसपैठ का अंजाम है। जो आतंकवाद और सेना की जंग की तरह ही बेहद रोमांचकारी होता है।
भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश ये तीनो मूलस्वरूप हैं और हिंदू मुस्लिम की नफरत की पैदाइश पाकिस्तान, बांग्लादेश हैं और इसी नफरत मे भारत अंदर ही अंदर जल रहा है। ये नफरत भी मामूली नहीं है बल्कि शायद ही इस नफरत का कभी अंत होगा। शांति वार्ता कितनी भी हो जाये बडा मुश्किल ही प्रतीत होता है कि भारत पाकिस्तान के कभी मधुर संबंध होगे क्यूंकि दोनो देश की जनता एक खेल को खेल की भावना से नहीं देख पाती है और यहां राष्ट्रीय अस्मिता तथा गौरव की बात है। इसलिये तो बहुत पहले ही कह दिया गया है कि कश्मीर भारत का हृदय है। तब इसका हल यही है कि भारत पाक को बेपनाह मुहब्बत हो जाये किंतु परंतु यही है कि पाकिस्तान में बैठे हाफिज जैसे लोग भारत से मधुर संबंध चाहते ही नही है और ना ही दोनों देश की जनता समझौता कर सकती है। मेरी समझ से परे है कि सरकार की अपनी क्या मजबूरी होती है कि वो असलियत जानते हुए भी शांति वार्ता की अपील करती रहती है।
एक दिन सरकार के रिश्ते मधुर हो सकते हैं, अब की तरह क्रिकेट हमेशा खेला जायेगा, सीमा पार से व्यापार बढ सकता है लेकिन यकीन मानिये आतंकवाद कभी खत्म नहीं होगा। इसलिये अपने देश की सीमा सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि परिंदा भी पर न मार सके क्यूंकि एक बार विश्वास टूट गया है तो मुझे नहीं लगता कि अब अथक प्रयासों के बाद भी शराफत से पाकिस्तान हमसे रिश्ता निभायेगा। अपनी नफरत की आग में पाकिस्तान स्वयं जल जायेगा बस भारत सरकार दोनों देश की जन भावनाओ को क्रिकेट के बहाने ही महसूस कर ले और उसी प्रकार अपनी राष्ट्रनीति बना ले। पाकिस्तान को बिल्कुल अलग थलग कर देना चाहिए और आतंकवाद के खात्मे के लिए अंतर्राष्ट्रीय जगत मे प्रयास करने चाहिए फिर पाकिस्तान स्वयं औकात मे आ जायेगा, अगर बरसाती मेढक से आप शांति की अपील करेगें तो असंभव ही है और पाकिस्तान एक खतरनाक बरसाती मेढक है। इसलिये पाकिस्तान का इलाज करना ही आवश्यक है फिर शांति तो अपने आप कायम हो जायेगी।

Asha Bhosle’s granddaughter Zanai debuts with India’s 1st Transgender Band

Mumbai,  March 24, Thursday 2016 (kulbir singh kalsi):- The Brooke Bond Red Label 6-Pack Band is probably the single most significant non-film music act to debut in the last one year. Since it’s launch by Y-Films, Yash Raj Films’ youth wing, the first 3 singles including a Pharrell Williams’ Happy cover and a Sonu Nigam collaboration have stacked up over 10 million views besides huge worldwide buzz.
Now, for its fourth single, the band is joined by 14-year old, Zanai Bhosle, the legendary grand-daughter of Asha Bhosle, for a contemporary rendition of the popular Marathi hit, ‘Hil Pori Hila’. The new version sung in Hindi, English and Marathi is composed by Shameer Tandon, also the curator of the band. It’s unique musically as there are no musical instruments used at all and has been produced using a format popularly called ‘Stomp’ where only hands, feet and various objects like boxes, buckets, bottles, Red Label tea packs, cups, spoons, whistles are used giving the song a ‘never-heard-before’ take.

Asha Bhosle said, “I feel proud to have sung songs for Yash Chopraji and his entire family for so long, and today, my granddaughter has sung for Y-Films. I can’t be happier and I’m glad the relationship between us has remained the same ever since. It is true that in our society, one gender has always been ignored and looked down upon. We all need to take a stand to help them and empower them. And I’m so glad a company like YRF has taken this up and I love the way they’re spreading awareness.”
Added Ashish Patil, Head, Y-Films, “The world has always judged the transgender community but in the eyes of children, we are all equal. Zanai comes in as the voice of that generation telling you how to make the world a more welcoming place through literally a foot-stomping song. At the end of Hil Pori Hila’s video is a sneak into another H-U-M-U-N-G-O-U-S such collaboration with none other than THE Hrithik Roshan!”
Shiva Krishnamurthy, category head, tea, Hindustan Unilever, said, "Red Label is HUL's warmth brand which stands for brewing togetherness. We encourage people to live those little moments that bring us all closer by breaking barriers over a cup of tea. This time, what’s great is that we are using Red Label packs, tea cups and pouring the chai to literally make that music and break those barriers!”
Apart from the band and Zanai, the fun music video directed by Nupur Bhargava & Hitesh Kewalya of Invisible Rabbit, features 25 underprivileged children from the Salaam Bombay Foundation, dancing with abandon. These children are trying to break out of their circumstances and just like the band itself, are nevertheless happy to shake their troubles away. The Hindi lyrics are by Varun Likhate, and the Stomp Mix has been arranged & conducted by Nishadh Chandra. The band comprises Asha Jagtap, Bhavika Patil, Chandni Suvarnakar, Fida Khan, Komal Jagtap, Ravina Jagtap.

हनी सिंह ने किया जोरावर फिल्म का गाना लांच

-प्रेमबाबू शर्मा
नोएडा। अपनी गायिकी से युवा पीढ़ी को आंदोलित करने वाले मशहूर गायक हनी सिंह को आगामी पंजाबी फिल्म जोरावर से बहुत उम्मीदें है। हनी सिंह ने फिल्म में गाना ही नहीं गया बल्कि हीरो की भूमिका में है। हनी ने वर्ल्डस आफ वर्ल्ड में आयोजित एक कार्यक्रम मं पैपी गाना रात जश्न दी लांच किया। जोरावर फिल्म का निर्देशन विनिल माकन ने किया है और इस फिल्म में गुरबानी (वीजे बनी) तथा पारुल गुलाटी जैसे मशहूर कलाकारों ने काम किया है। एंटरटेनमेंट सिटी लिमिटेड के प्रीमियम हाई एंड यूज रिटेल एवं हास्पिटेलिटी गार्डन गैलेरिया में आयोजित कार्यक्रम में हनी सिंह ने अपने प्रशसंकों को आटोग्राफ ही नहीं दिये बल्कि उनके साथ फोटो भी खिंचवाई। एंटरटेनमेंट सिटी के मुनीष बलदेव ने कहा कि गार्डन गैलेरिया बड़े-बडे कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए तैयार है। 

​टाटा स्काई ने डीटीएच पर लांच की काॅमेडी सेवा

-प्रेमबाबू शर्मा
डीटीएच इंडस्ट्री टाटा स्काई ने दर्शकों को आकर्षित करने के लिए टाटा स्काई काॅमेडी नामक एक नया शो लांच किया है। यह भारत में डीटीएच पर अब तक की पहली इंटरेक्टिव सेवा होगी, जो एक जगह पर सभी प्रकार के हिंदी काॅमेडी उपलब्ध करायेगी।

टाटा स्काई की मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी, पल्लवी पूरी ने इस सेवा के कंटेंट सहयोगी, शेमारू एंटरटेनमेंट के निदेशक, हिरेग गडा के साथ मिलकर आज इस सेवा को लाॅन्च किया। लाॅन्च के अवसर पर स्टैंड-अप काॅमेडियन, सुगंधा मिश्रा और साहिल खट्टर ने इस सेवा की एक झलक दिखाई। वे दोनों भी इस सेवा के हिस्से हैं।


टाटा स्काई काॅमेडी विशेष तौर पर इस सेवा के लिए तैयार किये गये मौलिक कंटेंट के साथ-साथ टीवी के पुराने सर्वश्रेष्ठ काॅमेडी शो-नुक्कड़, ये जो है जिंदगी, आॅफिस-आॅफिस और जबान संभाल के उपलब्ध करायेगा। काॅमेडी कंटेंट का हर प्रारूप इस सेवा के जरिए उपलब्ध कराया जा रहा है, जैसे-फिल्मी नकल से लेकर मजेदार फिल्मों की समीक्षाएं, हास्य-मनोरंजन से लेकर फेकिंग न्यूज शो तक - टाटा स्काई के उपभोक्ताओं के लिए अब उनकी उंगलियों पर काॅमेडी कंटेंट उपलब्ध होगा। 

यह सेवा गुदगुदाने वाली सामग्री से भरी हुई है, जो विज्ञापनरहित है और 24ग्7 इसका प्रसारण होता रहता है। टाटा स्काई ने बाॅलीवुड तड़का और काॅमेडी फटाफट जैसी विशेष और नई सामग्री के लिए शेमारू एंटरटेनमंेट की इकाई, काॅमेडीवाला के साथ सहयोग किया है। इस सेवा के इंटरेक्टिव सेक्शन में चुटकुले, मजेदार क्विज जैसे डायलाॅगबाजी (बाॅलीवुड की फिल्मों के डाॅयलाॅग्स के आधार पर) और लोकप्रिय काॅमिक स्ट्रिप सुप्पांडी शामिल हैं, जिसमें रोजाना नई चीजें देखने को मिलेंगी।

यह सेवा विभिन्न क्षेत्रों सामाजिक-आर्थिक सीमाओं में सभी आयु समूह वाले लोगों के लिए लगातार साफ-सुथरा मनोरंजन उपलब्ध करायेगी। अब आपको फाॅरवर्ड किये गये काॅमेडी कंटेंट पर निर्भर नहीं रहना होगा या किसी निर्धारित समय पर काॅमेडी देखने के लिए इंतजार नहीं करना होगा।

टाटा स्काई की मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी, पल्लवी पूरी ने कहा, ‘‘टाटा स्काई काॅमेडी में, हमारा उद्देश्य अपने उपभोक्ताओं को मनोरंजन के लिए मजेदार तरीके उपलब्ध कराना है। काॅमेडी एक ऐसी विधा है जिसके लिए आॅडियंस काफी लालायित रहते हैं और हमें लगता है कि वर्तमान में सभी तरह के हिंदी काॅमेडी कंटेंट के लिए किसी एक ठिकाने का अभाव है। शेमारू के साथ मिलकर, हमने लोकप्रिय काॅमेडी फाॅर्मट्स के लिए वन-स्टाॅप शाॅप उपलब्ध कराने का प्रयास किया है, जो हमारे ग्राहकों के लिए दिन के 24 घंटे उपलब्ध होगा।’’


अपनी दक्षता के बारे में बताते हुए, शेमारू एंटरटेनमेंट के निदेशक, हिरेन गडा ने कहा, ‘‘हम टाटा स्काई के साथ मिलकर इस काॅमेडी सेवा को लाॅन्च करके काफी रोमांचित हैं। अग्रणी कंटेंट समूहक एवं ओनर होने के नाते, हमारा लगातार यह प्रयास रहा है कि अपने आॅडियंस के लिए नई खोजपरक सामग्री उपलब्ध करा सकें। काॅमेडीवाला, शेमारू की एक ऐसी ही पहल है। काॅमेडी एक सार्वभौम मनोरंजन विधा है, इस तथ्य के मद्देनजर, हमारा प्रयास कुछ बेहद मनोरंजक एवं मजेदार प्रोग्रामिंग इकट्ठा करने तैयार करने का होगा।’’  

Saturday, April 30, 2016

परिणय सूत्र में बंधे जोडे़

-प्रेमबाबू शर्मा
दिल्ली सरकार में समाज कल्याण मंत्री संदीप कुमार की उपस्थिति में दिल्ली व एनसीआर के 51 जोडे़ शादी के बंधन में बंधे। सामाजिक संस्था वल्र्ड ब्रदर्सहूड आॅर्गेनाइजेेशन की ओर से राजेन्द्र नगर पूरा रोड स्थित चेतनदास पार्क में आयोजित पांचवां सामूहिक विवाह समारोह में 51 युवक-युवतियों ने सर्वधर्म गुरूओं के समक्ष शादी के बंधन में बंधे। 
आयोजकों द्वारा सभी जोड़ों को घर गृहस्थी का आवश्यक सामान उपहार स्वरूप भेंट किया। इस मौके पर हांस्य कवि सुरेन्द्र शर्मा, जिला पुलिस आयुक्त परमादित्य,एसीपी अभिषेक दहिया और संस्था महासचिव एस एस मारवाह,संजय मलिक,अनिल कुमार जैन,इकवाल सिंह जगदेवा उपस्थित थे।
 
शाम को आयोजित भजन संघ्या में वृदावन से आये हरे रामा हरे कृष्णा मंडली, मशहूर सूफी गायक निजामी ब्रदर्स और मोहित चोपड़ा द्वारा गाये सांई  भजन और राधा कृष्ण रास ने मनमोह लिया।  

मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को आगे ले जाना चाहते है - रेणु भार्गव

नई दिल्ली। मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को आगे ले जाना चाहते है। यह कहना है जस्ट डिजाइनल संस्थान की कार्यकारी निदेशक रेनू भार्गव। उनका कहना है कि इससे  निश्चित दौर पर लोगों को रोजगार मिलेगाऔर अब हम इंडिया इंटरनेशनल स्टाइल वीक में हम कुछ अलग करेगें। जस्ट डिजाइनल संस्थान के छात्रों द्वारा देश के अनेक शहरों में अपने डिजाइन पेश करने की योजना है। दिल्ली में फैशन शो की कामयाबी के बाद में जस्ट डिजाइन संस्थान के 20 छात्र राजस्थान की राजधानी जयपुर में फैशन शो करने जा रहे है।
इस दौरान देश-विदेश की 36 मॉडल्स रैंप पर अपना जलबा बिखेगी। बॉलीवुड की हस्तियां के अलावा चार मशहूर डिजाइनर भी भाग लेंगे। यह जानकारी संस्थान की कार्यकारी निदेशक रेनू भार्गव ने दी। क्षेत्र से जुडी कई हस्तियां में अखिलेश अग्रवाल, लोकेश शर्मा, दीपाली चुंग, गजल मिश्रा और जेडी महेश्वरी शो का हिस्सा होगें। 

इस दौरान संस्थान के बच्चों द्वारा डिजाइन किये गये कपड़े मॉडल द्वारा प्रदर्शित किये गये। रेनु भार्गव ने कहा देश में लोग बाजार में उपलब्ध डिजाइन की तरफ जाने लगे हैं। फिर भी लोगों का अभी और जागरूक होने की जरूरत है। हम फैशन के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को आगे ले जाना चाहते है। हम मेक इंन इंडिया पर ज्यादा फोकस कर रहे है। इससे निश्चित दौर पर लोगों को रोजगार मिलेगा। इंडिया इंटरनेशनल स्टाइल वीक में हम कुछ अलग करेगें। योग, वस्तु, मिर्च-मसाले पर कुछ कलेक्शन तैयार किये हैं। इस बार हमारी थीम प्रकृति और आकाश से जुड़े रंग से जुड़े कलेक्शन की है। अब तो फैशन के क्षेत्र में पुरूष भी सफल हो रहे हैं। ड्रेस डिजाइन की आज हर जगह जरूरत है। यह अच्छी बात है कि अब देश के छोटे-छोटे शहरों से इस क्षेत्र से जुड़ी प्रतिभायें आने लगी है। जयपुर में हाथ के कलाकारों की बड़ी जामात रहती है इसलिए बच्चों को उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। इस दौरान समर एडीसन का लॉच हुआ। जिसके  निदेशक अखिलेश अग्रवाल ने कहा देश के मशहूर डिजाइनर जिन्होंने विदेशों में खूब नाम कमाया है। वे इंडिया इंटरनेशनल वीक में हिस्सा लेगें। युवा डिजाइनरों को काफी कुछ दिखने और सीखने को मिलेगा। हम जल्दी ही विटर एडीसन लॉंच करेंगें। अगले सीजन में इंटरनेशनल फैशन डिजाइनर दो दिवसीय फैशन वीक का आयोजन करेगा। इस दौरान कई शानदार कलेक्शनों का प्रदर्शन किया जाएगा। आज डिजाइनर किसी पहचान के मोहताज नहीं है। हैदराबाद फैशन वीक में कई नये डिजाइनर सामने आये।     

सरदार भगत सिंह का अपमान नहीं करेंगे सहन

-प्रेमबाबू शर्मा दिल्ली विश्वविधालय में पढ़ाई जा रही किताब में शहीद भगत सिंह को क्रांतिकारी आतंकवादी लिखे जाने के विरोध में हिन्दुस्तान उत्थान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानेश कुमार चैहान एवं राष्ट्रीय महासचिव ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि ‘कड़ी निंदा करते हुए कहा कि अगर जल्द हीे इस पुस्तक को पढ़ाये जाने से ना रोका गया तो हम देशभक्त सरदार भगत सिंह का यह अपमान सहन नहीं करेंगे और देश में बड़ा आंदोलन चलाएंगे। उन्होंने कहा कि‘युवाओं के प्रेरणास्रोत और देश को आजाद कराने की लड़ाई में फांसी पर लटककर बलिदान देने वाले महान देशभक्त सरदार भगत सिंह को आज क्रांतिकारी आतंकी बताया जा रहा है।’
उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविधालय में मृदुला मुखर्जी और विपिन चंद्रा की पुस्तक इंडियाज स्ट्रगल फाॅर इंडीपेंडेंस पढ़ाई जा रही है, जिसमें शहीद-ए-आजम भगत सिंह को कथित रूप से क्रांतिकारी आतंकवादी बताया जा रहा है। 
पुस्तक इंडियाज स्ट्रगल फाॅर इंडीपेंडेंस के 20वें अध्याय में भगत सिंह को क्रांतिकारी आतंकवादी बताया जाना बेहद आपत्तिजनक है।


अनिल कपूर का सोशल वीडियो में लाइव हुआ

-प्रेमबाबू शर्मा
 
अभिनेता अनिल कपूर से समर्थन प्राप्त व इंडि डाॅट कामद ने भारतीय बाजार में 28 अप्रैल से अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है जिसका मकसद प्रतिभा खोज को लोकतांत्रिक बनाना और ब्रांडों की सोशल मीडिया ऐंगेजमेंट को बढ़ावा देने का काम शुरू किया।   
इंडि डाॅट कामद की स्थापना 2012 में दक्षिण कैलीफोर्निया में हुई थी शुरुआत में यह बतौर आॅनलाइन आर्टिस्ट कन्सोर्टियम काम करता था। आज 200 से ज्यादा देशों के लोग इसे ऐक्सैस करते हैं, यह प्लैटफाॅर्म ब्रांडों के लिए व्यापक संसाधन के तौर पर काम करता है और ज्यादा अर्थपूर्ण व गहरी सोशल मीडिया गतिविधियां करता है। इस प्लैटफाॅर्म पर ब्रांड चुनौतियां व काॅन्टेस्ट शुरु कर सकते हैं।
इंडि डाॅट कामद के साथ जुड़ने पर विख्यात अंतर्राष्ट्रीय सेलिब्रिटी अनिल कपूर ने कहा, ’’भारत में इंडि डाॅट कामद के लांच पर मैं बहुत खुश हूं जो 28 अप्रैल से शुरु लोगों के बीच होगा। 
हमारे पास बहुत सी शैलियां हैं जैसे अभिनय, गायन, रिटेल ब्रांड, उद्यमिता, फैशन व माॅडलिंग आदि तथा बहुत कुछ अभी आने को है। हमारे लांच चैनल पार्टनर भी अहम अवसर व पुरस्कार दे रहे हैं तो इस वजह से हम काफी सकारात्मक हैं कि भारतीय लोग भी इंडी पर आने को उत्साहित होंगे और अपनी दिलचस्पियों के मुताबिक चुनौतियां स्वीकार करेंगे।’’
 

टाइगर श्राॅफ और श्रद्धा कपूर ने रंग जमाया ‘द ग्रेट इंडिया प्लेस माॅल’ में

-प्रेमबाबू शर्मा


 ऐंटरटेनमेंट सिटी लि. का ग्रेट इंडिया प्लेस माॅल में फिल्म बागी के प्रमोशन के लिए टाइगर श्राॅफ और श्रद्धा कपूर आये,और उन्होंने अपनी बहुमुखी शैली में दर्शकों के बीच रंग जमाया। 

इस कार्यक्रम में ऐंटरटेनमेंट सिटी लि. के मुनीष बलदेव ने कहा, ’’अपने हाई-ऐंड लाइफस्टाईल, फैशन और लैज़र गतिविधियों की वजह से द ग्रेट इंडिय प्लेस माॅल नोएडा व एनसीआर के लोगों के लिए एक प्रीमियम डेस्टीनेशन है। लोकप्रिय फिल्मस्टार्स टाइगर श्राॅफ व श्रद्धा कपूर के साथ फिल्म बाग़ी के लांच के लिए इसे चुना जाना फिर से यह पुख्ता करता है कि द ग्रेट इंडिया प्लेस माॅल का रुतबा इस क्षेत्र में प्रीमियम रिटेल व हाॅस्पिटैलिटी प्राॅपर्टी के तौर पर बहुत महत्वपूर्ण है।’’

बिकाऊ चेहरों का बाजार...!!



तारकेश कुमार ओझा
दुनिया को बदल कर रख देने वाले कंप्यूटर- इंटरनेट और स्मार्ट फोन बनाने वालोॆं ने क्या कभी हाथों में माइक पकड़ कर भाषण दिया। अविष्कार से पहले कभी दावा किया कि उसकी क्या योजना है , अथवा अविष्कार के बाद भी कोई सामने आया कि उसने किस तरह ये चीजें बना कर मानवता पर उपकार किया। आज से महज एक दशक पहले तक सेलफोन के तौर पर चुनिंदा हाथों तक सीमित रहने वाला मोबाइल आज यदि हर हाथ की जरूरत बन गया है तो उसे इस मुकाम तक पहुंचाने वालों ने क्या कभी ऐसा दावा किया था या लंबे - चौड़े भाषण दिए थे। टेलीविजन पर जब कभी किसी को लच्छेदार बातें करता देखता हूं तो मेरे मन में यही सवाल बार - बार कौंधने लगता है। बेशक लुभावनी बातें मुझे भी लुभाती है। लेकिन दिमाग बार - बार चुगली करता है कि ऐसी लच्छेदार बातें पहले भी बहुत सुनी। लेकिन दुनिया अपनी तरह से आगे बढ़ते हुए चलती है। सिर्फ बोलने - कहने से कुछ नहीं हो सकता। लेकिन बिकाऊ चेहरों के बाजार को क्या कहें जिसे हमेशा ऐसे चेहरों की तलाश रहती है जो बाजार में बिक सके। वह चेहरा किसी क्रिकेटर का हो सकता है या अभिनेता का अथवा किसी राजनेता का। बाजार में बिकाऊ चेहरों की मांग इस कदर है कि अब इसे उन चेहरों को भु नाने से भी परहेज नही जो गलत वजहों से चर्चा में आए । बिकाऊ चेहरों के इस बाजार को पोर्न स्टार को भी सेलिब्रेटी बनाने में कोई हिचक नहीं। पिछले कुछ दिनों से टेलीविजन चैनलों पर कन्हैया कुमार को छाया देख मुझे भारी आश्चर्य हुआ। मैं खुद से ही सवाल पूछने लगा कि कहीं जनलोकपाल बिल वाला 2011 का वह ऐतिहासिक आंदोलन  वापस तो नहीं लौट आया। क्योंकि ऐसा लग रहा था  जैसे अन्ना हजारे या अरविंद केजरीवाल का कोई नया संस्करण हमारे हाथ लग गया हो। जब देखो किसी न किसी बहाने कन्हैया की चर्चा।कोई उसके गांव - गली की खबरें दिखा रहा है तो कोई एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पूछ रहा है कि शादी कब रह रहे हैं। ऐसे सवाल तो साधारणतः फिल्मी हीरो या हीरोइनों से ही पूछे जाते हैं।  न कोई ब्रेक न व्यावसायिक व्यवधान। जब लगता कि यह कन्हैया डोज कुछ ज्यादा हो रहा है और दर्शक शायद इसे पचा नहीं पाए तभी बताया जाता कि फलां - फलां ने कन्हैया के समर्थन में ट्वीट किया है। आश्चर्य  कि जेएनयू में विवादास्पद नारे दूसरे छात्रों ने भी लगाए। लेकिन छाया सिर्फ कन्हैया है क्योंकि उसे बोलना आता है। बेशक उससे पहले कुछ ऐसा ही हाइप उमर खालिद ने भी लेने की कोशिश की। लेकिन वह ज्यादा सफल नहीं हो पाया। फिर पता चला कि वामपंथी कन्हैया से चुनाव प्रचार कराने की भी सोच रहे हैें। सही - गलत तरीके से रातोरात मिली इस प्रसिद्धि पर कन्हैया का खुश होना तो स्वाभाविक है। लेकिन उसे नहीं भूलना चाहिए कि बिकाऊ चेहरों का यह बाजार हर किसी को भुनाने में  माहिर है। मंडल कमीशन के बाद 80 के दशक का आरक्षण विरोधी आंदोलन जिन्हें याद होगा, वे राजीव गोस्वामी को शायद नहीं भूलें होगे जो आरक्षण के विरोध में अपने शरीर पर सार्वजनिक रूप से  आग लगा कर कन्हैया कुमार की तरह ही देश - दुनिया में छा गया था। तब चैनलों का  कोई प्रभाव तो नहीं था। लेकिन तत्कालीन पत्र - पत्रिकाओं में राजीव की खूब तस्वीरें और खबरें छपी थी। लेकिन कुछ साल बाद आखिरकार राजीव गोस्वामी एक दिन गुमनाम मौत का शिकार बना। 2008 से 2009 तक माओवाद प्रभावित जंगल महल में छत्रधर महतो को भी बिकाऊ चेहरों के बाजार ने जम कर भुनाया। चैनलों पर हर वक्त किसी न किसी बहाने छत्रधर महतो का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू हमेशा दिखाया जाता। लेकिन पकड़े जाने के बाद से छत्रदर महतो  का परिवार आज गुमनाम जिंदगी जी रहा है। जिसकी ओर देखने तक की फुर्सत आज उन्हीं के पास नहीं है जिसने कभी उसे हीरो की तरह पेश किया था। सही या गलत तरीके से  हीरो बनने या बनाने से बेशक किसी को फर्क नहीं पड़ता, लेकिन डर इसी बात का है कि इसके चलते समाज में बदनाम होकर नाम कमाने का नया ट्रेंड न चल निकले।

सुंदर पिचाई पर कोई क्यों नहीं बनाता फिल्म...!!

तारकेश कुमार ओझा 


80 के दशक में एक फिल्म आई थी, नाम था लव - मैरिज। किशोर उम्र में देखी गई इस फिल्म के अत्यंत साधारण होेने के बावजूद इसका मेरे जीवन में विशेष महत्व था  इस फिल्म के एक सीन से मैं कई दिनों तक रोमांचित रहा था। क्योंकि फिल्म में चरित्र अभिनेता चंद्रशेखर दुबे एक सीन पर मेरे शहर खड़गपुर का नाम लेते हैं। पेसों की तंगी और परिजनों की डांट - फटकार की परवाह किए बगैर सिर्फ अपने शहर का नाम सुनने के लिए मैने यह फिल्म कई बार देखी थी। क्योंकि इससे मुझे बड़ा सुखद अहसास होता था। वैसे मैने सुन रखा था कि महान फिल्मकार स्व,सत्यजीत राय समेत कुछ बांग्ला फिल्मों में खड़गपुर के दृश्य फिल्माए जा चुके हैं। लेकिन तब मैने सोचा भी नहीं थी कि कालांतर में मेरे शहर को केंद्र कर कभी कोई फिल्म बनेगी और उसकी यहां शूटिंग भी कई दिनों तक चलेगी। भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तान माने जाने वाले महेन्द्र सिंह धौनी पर बन रही फिल्म की शूटिंग देख हजारों शहरवासियों के साथ मुझे भी  सुखद आश्चर्य हुआ। बेशक उस कालखंड का गवाह होने की वजह से मैं मानता हूं कि धौनी की फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी बिल्कुल किसी परीकथा की तरह है। कहां लेबर टाउन कहा जाने वाला खड़गपुर जैसा छोटा सा कस्बा और कहां क्रिकेट की जगमगाती दुनिया। एक नवोदित क्रिकेट खिलाड़ी के तौर पर उनके रेलवे की नौकरी के सिलसिले में शहर आने से लेकर कुछ साल के संघर्ष के बाद टीम में चयन और सफलता के शिखर तक पहुंचने का घटनाक्रम काफी हैरतअंगेज है। जिसकी वजह से धौनी व्यक्ति से ऊपर उठ कर एक परिघटना बन चुके हैं। उन पर बन रही फिल्म के बहाने जीवन में पहली बार किसी फिल्म की शूटिंग देख मेरे मन में दो सवाल उठे। पहला यही कि किसी फिल्म को बनाने में बेहिसाब धन खर्च होता है। जितने की कल्पना भी एक आम - आदमी नहीं कर सकता। दूसरा यह कि अपने देश में राजनीति , फिल्म और  क्रिकेट के सितारे ही रातों - रात प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंच कर वह सब हासिल करने में सक्षम हैं, जिसकी दूसरे क्षेत्रों के संघर्षशील लोग कल्पना भी नहीं कर सकते। मेरे मन में अक्सर सवाल उठता है कि क्या वजह है कि मेरे शहर के वे खिलाड़ी हमेशा उपेक्षित ही रहे , जो अपने - अपने खेल के धौनी है। क्रिकेट की बदौलत जीवंत किवंदती बन गए धौनी के आश्चर्यजनक उड़ान पर हैरान होते हुए मैं अक्सर सोच में पड़ जाता हूं कि यदि बात सफलता की ही है तो उन सुंदर पिचाई पर कोई फिल्म क्यों  नहीं बनाता जो इसी शहर के आइआइटी से पढ़ कर आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं। जबकि उनकी उपलब्धि का दायरा कहीं अधिक व्यापक है।   बेशक किसी की उपलब्धि को कम करके आंकना मेरा मकसद नहीं लेकिन यह सच है कि देश के लिए खेलने के बावजूद एक खिलाड़ी की उपलब्धियां काफी हद तक व्यक्तिगत ही होती है, जबकि इंटरनेट जैसे वरदान ने आज छोटे - बड़े और अमीर - गरीब को एक धरातल पर लाने का काम किया है। आइआइटी कैंपस जाने का अवसर मिलने पर मैं अक्सर ख्यालों में डूब जाता हूं कि इसी कैंपस में रहते हुए सुंदर पिचाई जैसे आइआइटीयंस ने पढ़ाई पूरी की होगी। जीवन के कई साल इसी शहर में उन्होंने गुजारे होंगे। कोई  नीरज उनकी सफलता को अनटोल्ड स्टोरी के तौर पर रुपहले पर्दे पर उतारने की क्यों नहीं सोचता।


लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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तारकेश कुमार ओझा, भगवानपुर, जनता विद्यालय के पास वार्ड नंबरः09 (नया) खड़गपुर ( प शिचम बंगाल) पिन ः721301
जिला प शिचम मेदिनीपुर 
संपर्कः 09434453934, 9635221463

Monday, April 25, 2016

जाइवी मोबाइल्स के नये प्रोडक्ट लांच


-प्रेमबाबू शर्मानई दिल्ली। जाइवी मोबाइल्स मैजिकाॅन इम्पेक्स प्रा. लि. के मोबाइल डिविजन ने भारत में फीचर फोन का नया प्रोडक्ट पोर्टफोलियो लांच किया है। इसमें शुरुआती कीमत 699रु. से लेकर 1199रु. के फोन हैं। शानदार स्टाइल के साथ आधुनिक तकनीक से निर्मित कम कीमत में बेहतरीन फोन है। 


नई रेंज़ की लांच पर जाइवी मोबाइल्स के सीईओ पंकज आनंद ने कहा, ‘‘हमारा प्रयास रहा है कि हम ग्राहकों को कम कीमत में अच्छा फोन दे और आने वाले सात नए फोन पेश करने की खुशी है। ये उनकी चाहत और जरूरत पूरा करेंगे जो बाजार में उपलब्ध महंगे फोन नहीं खरीद सकते। हमारे फोन 699रु., 799रु., 849रु., 949रु., 1099रु. और 1199रु. कीमत में उपलब्ध है। हमारे फोन और चार्जर भारतीय मानक ब्यूरो (आईएसआई) से मान्यता प्राप्त हैं। ये ‘मेक इन इंडिया’ प्रोडक्ट हैं जो दिल्ली में हाल में स्थापित हमारे संयंत्र में बनेंगे।’’

जाइवी के हर फीचर फोन के लिए ‘दोगुनी बचत दोगुना फायदा’ स्कीम के तहत 9 वाट का एलईडी बल्ब फ्री है। यह स्कीम भी नरेंद्र मोदी की स्कीम ‘प्रकाश पथ’ - ‘उजाला की ओर’ के अनुुरूप है जिसका मकसद आम आदमी की बिजली और पैसे की बचत करना है।

स्कीम पर श्री पंकज आनंद, सीईओ, जाइवी मोबाइल्स ने कहा, ‘‘हमारी यह पहल भी देश में जन-जन को ऊर्जा सक्षमता का संदेश देने के सरकारी प्रयास के अनुरूप है। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस विचार से पूर्ण सहमत हैं कि बिजली संकट दूर करने का सस्ता उपाय बिजली बचाना है न कि बिजली पैदा करना। हमारी स्कीम जन-जन में बिजली बचत की चेतना लाएगी। हम भारत में फीचर फोन की पूरी रेंज़ पर एलईडी बल्ब फ्री देंगे।’’  



कम्पनी देश में फीचर फोन बाजार की असीम संभावना का लाभ लेना चाहती है। यह आने वाले समय में इसके सारे डिवाइस भारत मंे बनाएगी। जाइवी मोबाइल्स भारत में ही बैट्री, चार्जर और हैण्ड्सफ्री बनाएगी जिससे ड्यूटी की बचत होगी जो वर्तमान में 29.5 प्रतिशत की दर से लागू है। बचत का लाभ ग्राहकों को दिया जाएगा।’’   

इस अवसर पर सीईओ श्री पंकज आनंद के साथ श्री गुरदीप सिंह, निदेशक, श्री एन के मोंगा, निदेशक, सुश्री आंचल अरोड़ा - प्रोडक्ट मैनेजर और श्री हर्ष वर्धन- हेड मार्केटिंग भी मौजूद थे। 

‘सिया के राम’ में रामायण बिल्कुल अलग दृष्टिकोण से दिखाया गयाः मदिराक्षी

प्रेमबाबू शर्मा

छोटे परदे पर अब तक रामायण कई बार दिखाया जा चुका है। लेकिन स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले शो ष्ष्सिया के रामष्ष् में रामायण बिल्कुल अलग दृष्टिकोण से दिखाया जाएगा। इस बार माता सीता के नजरिये को उजागर किया जाएगा। ष्ष्सिया के रामष् में सीता की महत्वपूर्ण भूमिका में बिल्कुल नया चेहरा मदिराक्षी नजर आने वाली हैं। उन्होंने अब तक केवल एक दक्षिण की फिल्म की है। मदिराक्षी ने इस शो के बारे में प्रेमबाबू शर्मा से की बातचीत


‘सिया के राम’ टीवी पर आये रामायण के दूसरे संस्करणों से कितना अलग है?

सीता और राम की कहानी हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। पूरी दुनिया की सभ्यताओं को इसने प्रभावित किया है। कर्त्तव्यए सम्मान और पारिवारिक जिम्मेदारियों का इस शो का संदेश आज के समय में भी उतना ही प्रासंगिक है। हालांकि इस कहानी के सारे संस्करण राम के नजरिये से हैं और राम सीता की इस कहानी में सीता के दृष्टिकोण को शायद ही कहीं जगह मिली हो। लेकिन पहली बार कहानी सीता के नजरिये से कही गयी है जो इसके पहले सुनी नहीं गयी। कहानी सीता को एक मजबूत और स्वतंत्र महिला के रूप में दिखायेगी। सीता समानता और शिक्षा में विास रखती है और उनका अपना विचार है। 

क्या शो का फोकस सिर्फ सीता के किरदार पर रहेगा?

सीता यहां राम की सच्ची अर्धागिनी और एक मजबूत इरादों व सोच वाली महिला के रूप में दिखायी देंगी। उनका किरदार आज की हर महिला के लिये प्रासंगिक होगा। यह शो सीता के दृष्टिकोण से कही जा रही एक आदर्श दम्पति सीता और राम के रिश्ते की कहानी है। कहानी जितनी राम की है उतनी ही सीता की भी है। सबसे जरूरी कि शो में ऐसे बहुत से उदाहरण आएंगे जो आज के समाज में भी प्रासंगिक हैं।

सीता की भूमिका के लिये तैयारी किस तरह की ?

हम रामोजी फिल्मसिटी हैदराबाद में शूटिंग कर रहे हैं जो लंबे समय से मेरा अपना शहर है। सीता की भूमिका निभाना आसान नहीं है।

टीवी पर लौटा धार्मिक सीरियलों का दौर

-प्रेमबाबू शर्मा

एक दौर जब टीवी पर सास भी कभी बहू थी,कहानी घर घर की, जैसे शो की लोकप्रियता के आगे कोई भी शो नही टिक पा रहा था,लेकिन बदलते समय के साथ टीवी ने भी करबट और अब एक बार फिर से धर्मिक सीरियलों का दौर रहा है। दूरदर्शन पर सबसे पहले रामायण, श्रीकृष्णा और फिर महाभारत ने रंग जमाया। साल 2011 में एकबार फिर रामायण का जबरदस्त दौर चला और इस बार चैबीस घंटे का माध्यम होने के कारण इसका प्रभाव दूरदर्शन के जमाने से भी ज्यादा मजबूत रहा। दरअसल धर्म के जरिए टीवी रह रहकर समाज में अपने ताकतवर होने का अहसास कराता रहा है। अब एक बार फिर से अचानक बहुत सारे धार्मिक सीरियल फिर से टीवी पर धूम मचाने आ गए हैं। वजह यही है कि इसकी जडंे सिनेमा के मुकाबले ज्यादा मजबूत 

‘‘सिया के राम’ सीरियल स्टार प्लस चैनल पर खूब देखा जा रहा है। इसमें सीता के जीवन की कहानी है। सोनी टीवी पर ‘‘संकट मोचन महाबली हनुमान‘‘ और ‘‘सूर्य पुत्र कर्ण‘‘ बैक टू बैक टेलीकास्ट होने का बावजूद दिन ब दिन अपनी दर्शक संख्या बढ़ा रहे हैं। एंड टीवी चैनल पर ‘‘जय संतोषी मां‘‘ की टीआरपी लगातार परवान चढ़ रही है। स्टार गोल्ड पर पुरानी वाली महाभारत की महिमा का देश के ग्रामीण इलाकों में अब भी कोई तोड़ नहीं है। एपिक चैनल पर रामायण ने एक खास दर्शक वर्ग बना लिया है।
  डिस्कवरी किड्स पर लिटिल कृष्णा का एनिमेशन अवतार बच्चों में जबरदस्त धूम मचा रहा है। इसी चैनल पर किसना भी बच्चों को आकर्षित कर रहा है। तो, कार्टुन नेटवर्क पर रिटर्न्स ऑफ हनुमान जब बच्चे देखते हैं, तो उठने का नाम ही नहीं लेते। बच्चों के एक और चैनल पोगो पर दिख रहे छोटा भीम ने तो घर-घर में जगह बना ली है।
माना जा सकता है कि परंपरा और संस्कृति की कहानियों को अगर ताजा अंदाज में कहा जाए, तो किसी भी काल में दर्शक वर्ग बन ही जाता है। बात सही भी है कि हमारी जो परंपरा हजारों साल से चली आ रही है, दर्शकों पर उसका असर तो होता ही है। हमारे टीवी के परदे पर यह उसी असर का परिदृश्य है, जिसमें सीता, राम, हनुमान, संतोषी मां, कर्ण, कृष्ण और भीम फिर से बहुत चाव के साथ देखे जा रहे हैं। 
यह हमारे टेलीविजन का नया चेहरा है। जो सास बहू और रिश्तों के रंग से आजाद होकर एक बार फिर से धर्म के रंग में रंगता दिख रहा है। टीवी के धर्म के रंग में रंगने का यह तीसरा दौर है। सबसे पहले कोई 25 साल पहले रामायण,श्रीकृष्णा ने धूम मचाई थी। उसके तत्काल बाद टीवी पर महाभारत आई। वह पहला दौर था। दूसरा दौर आया सन 2009 के आखिर में शनिदेव की माहिमा,फिर 2011 में जब लाइफ ओके चैनल पर भगवान शिव पर आधारित ‘‘देवों के देव..महादेव‘‘ की शुरुआत हुई। जबरदस्त टीआरपी मिलने से लाइफ ओके के हौसले बुलंद हुए, तो तत्काल बाद लाइफ ओके पर कथा महादेव पुत्र बाल गणोश की भी आ गई थी।अभी कुछ दिन पहले ही रतन राजपूत और ग्रेसी सिंह मुंबई के एक मंदिर में संतोषी माता की महाआरती करती दिखीं। दोनों वहां माता का आशीर्वाद लेने आई थीं। रतन ने कहा -‘‘मैं अपने हाल ही मैं प्रसारित हुए शो को लेकर कुछ नर्वस हूं। धर्म और भगवान में मेरा विास है। इसलिए उम्मीद है कि हमारा यह सीरियल अच्छा चलेगा।‘‘ सन् 2001 की सुपरहिट फिल्म ‘‘लगान‘‘ में गौरी के किरदार से अचानक बहुत विख्यात हुई और बाद में पंद्रह साल तक लुप्त हो गई। ग्रेसी सिंह भी ‘‘संतोषी मां‘‘ में नजर आ रही हैं। ग्रेसी इसमें संतोषी माता के किरदार में हैं। रतन राजपूत भी अहम रोल में हैं। 
स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले सीरियल ‘‘सिया के राम’ के सेट की खूब र्चचा है। रावण के साम्राज्य के बाहरी हिस्सों की शूटिंग के लिए जल्द ही इस प्रोडक्शन की टीम श्रीलंका जाएगी। ट्रैंगल प्रोडक्शन्स की तरफ से बताया गया कि सीरियल की शूटिंग फिलहाल भारत में की जा रही है। कुछ हिस्सों की शूटिंग भुज में की गई है और जल्द ही इस टीम के लोग भूटान जाएंगे। इस सीरियल में जब रावण का घर दिखाया जाएगा, तो उसे प्रामाणिक लुक देने के लिए एक टीम श्रीलंका में शूटिंग करेगी। इस कथा को पहली बार मिथिला कुमारी सीता के दृष्टिकोण से दिखाया जा रहा है। इसमें मदिराक्षी सीता की भूमिका में है। लाइफ ओके पर देवों के देव महादेव लगातार तीन साल तक अपना रंग जमाए रहा। उस दौरान महादेव का किरदार निभाने वाले कलाकार मोहित रैना के दर्शन करने लोग उनके घर के बाहर जमा होते थे वे जहां भी जाते, लोग उनके पांव छूने लग जाते थे।टीवी पर धर्म के इस तीसरे दौर के बारे में समाजशास्त्री डॉ. विजय शर्मा कहते हैं कि ‘‘बहुत सालों से लोग टीवी पर सास बहू के सीरियल देखकर ऊब गए थे। अब एक बार फिर से हमारी संस्कृति की पारंपरिक कथाएं नए स्वरूप में आ रही हैं, तो लोग तो देखेंगे ही। यही कारण है कि गीता, रामायण और महाभारत के किरदार अलग-अलग कहानियों के साथ फिर से पूरी धमक के साथ लौट आए हैं।‘‘ सफलता के सुर जब सिर चढ़कर बोलने लगते हैं, तो सुनने वाले भी मिल ही जाते हैं। यही कारण है कि सीता, राम, हनुमान, कर्ण और कृष्ण, सारे के सारे टीआरपी के मैदान में बाजी मारने को बेताब हैं। सही मायने में कहा जाए तो दुनिया में किसी भी देश के मुकाबले भारत में टीवी बहुत देर से आया है। हमारे देश में टीवी का वास्तविक विकास तो सिर्फ बीस-पच्चीस साल ही पुराना है। यह अभी-अभी जवान हुआ है। टेलीविजन के असली विकास की शुरुआत को अभी लगभग ढाई दशक का समय भी नहीं बीता लेकिन टीवी आज सबसे ज्यादा और गहरे असरकारक माध्यम के रूप में हमारे सामने है। आज किसी को भी अपनी बात कहनी हो, तो टीवी सबसे व्यापक, सबसे तेज और सबसे असरकारक माध्यम है। तब, जब हमारे देश में सिर्फ दूरदर्शन ही हुआ करता था, तब से ही रामायण और महाभारत के दौर में इसकी भनक मिल गई थी। इसी कारण धार्मिक सीरियल रह रहकर मजबूती के साथ सामने आते रहे हैं।पच्चीस साल पहले जब दूरदर्शन पर रामायण सीरियल आया था तो लोग उस समय टीवी के सामने दिया जलाकर, फूल चढ़ाने के साथ जूते-चप्पल उतारकर सीरियल देखते थे और सीरियल की समाप्ति पर आरती के बाद प्रसाद भी बांटा करते थे। बी.आर. चोपड़ा के महाभारत के कृष्ण नीतीश भारद्वाज को तो गांवों में लोग भगवान का अवतार ही मानते थे। टीवी धारावाहिक निर्माता धीरज कुमार की बात बिल्कुल सही लगती है कि ‘‘आज के पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे धार्मिक धारावाहिक देखें और उनसे संस्कार लेने के साथ अच्छी बातें भी सीखें। इसलिए धार्मिक धारावाहिक कुछ-कुछ अंतराल के बाद अलग-अलग रूप में अवतरित होते रहे हैं।‘‘ सोनी, कलर्स, जी, स्टार प्लस और ऐसे ही मुख्यधारा के चैनलों की तो छोड़िये, काटरून नेटवर्क, पोगो, सोनिक, डिज्नी, डिस्कवरी किड्स, जैसे चैनल भी इसी धारा में बह रहे हैं, क्योंकि बच्चों को तो संस्कार और परंपरा की सीख वहीं से मिलेगी। जहां तक आम दर्शक की बात है तो वह आधुनिकता की दौड़ में सहभागी होने के साथ-साथ अपनी जड़ों से जुड़े रहना ज्यादा पसंद करता है। यही देखकर टीवी के परदे का ताजा परिदृश्य देखें, तो सच्चाई यही है कि ज्यादातर चैनल धर्म के रंग की ऐसी कहानियां रच रहे हैं जिनसे समाज को प्रेरणा मिले और बच्चे, बड़े और बूढ़े हर किसी के जीवन में कुछ न कुछ बदलाव आए। टीवी धारावाहिकों की फैक्टरी के नाम से मशहूर एकता कपूर की इस बात में दम है कि व्यक्ति चाहे कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाए, वह उस आधुनिकता को भी धर्म के अनुसार ही जीता है। क्योंकि संस्कार हमारे जीवन की जड़ें हैं और आपसी लड़ाई झगड़े हमारी दिनर्चया का हिस्सा। ये सारी चीजें साथ-साथ चलती हैं। यही वजह है कि टीवी के परदे पर अचानक बहुत रंग भर गई जिंदगी की कहानियों के बीच धर्म ने भी अपनी धमक फिर से बना ली है

‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ में नए अशोक

-प्रेमबाबू शर्मा

कलर्स पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ अब कई सालों का लीप ले रहा है और खास बात यह है कि इसमें लोगों के चहीते अशोक यानी कि सिद्धार्थ निगम की जगह मोहित रैना दिखने वाले हैं।
पिछले कई दिनों से यह चर्चा चल रही थी कि सालों के लीप के बाद अशोक का किरदार कौन करेगा। अब खुद चैनल ने मोहित के नाम की आधिकारिक घोषणा कर दी है।

मोहित इससे पहले देवों के देव महादेव में काम कर चुके हैं और इसमें मोहित को काफी पसंद किया गया था। चक्रवर्ती सम्राट अशोक में बदलाव को लेकर कई दिनों से बातें हो रही हैं।

खुद चैनल की ओर से जारी किए गए एक टीजर में दिखाया जा चुका है कि अशोक अब बड़े हो चुके हैं। हालांकि उसमें बदले गए अशोक का चेहरा नहीं गुप्त रखा गया था।

24 शहरों में होगा "भजन रत्‍न’’ रिएलिटी शो का ऑडिशन

अनूप जलोटा, मालिनी अवस्‍थी और पंडित बिरजू महराज करेंगे इस शो को जज

-प्रेमबाबू शर्मा


नई दिल्‍ली। एक बार फिर देश में रिएलिटी शो की धूम मची है। डांस इंडिया डांस, यू थिंक यू कैन डांस, के बीच एक नये रिएलिटी शो का आगाज होने जा रहा हैा लेकिन यह रिएलिटी शो बिलकुल अनूठा है। जो भजन पर बेस्‍ड हैा अथ इंटरटेनमेंट के बैनर तले शुरू होने जा रहे इस रिएलिटी शो क नाम रखा गया है भजन रत्‍न । इस रिएलिटी शो के डायरेक्‍टर पंकज नारायण कहते हैं, ‘’ हम पूरे देश से भजन रत्‍न ढूंढ रहे हैं और यह अपनी तरह का पहला रीयालिटी शो है जिसमें नामी गिरामी बॉलीवुड हस्तियों का uuu yuuu समर्थन मिल रहा है। इस रिएलिटी शो का ऑडिशन 28 मई से शुरू होगा जो 9 जुलाई तक चलेगा। मुंबई, दिल्‍ली, चंडीगढ, देहरादून, गुडगांव, नोएडा, पटना, रांची, हैदराबाद आदि 24 शहरों में इसका ऑडिशन होगा। आस्‍था चैनल पर प्रसारित होने वाले भजन रत्‍न रिएलिटी शो को दर्शक 15 जुलाई से देख सकेंगे।

यह अपने आप में पहली तरह का अनूठा रियालिटी शो है जिसमें सभी धर्म के लोग गाएंगे जिसमें सूफी भी शामिल होगा। जो जीतेगा उसे ‘’भजन रत्‍न‘’ के सम्‍मान से नवाजा जाएगा। एक समय था जब लोग हरिओम शरण और अनूप जलोटा के भजनों को सुनकर अपने दिन की शुरुआत करते थे, समाचार में सुनाई पडता था कि सचिन तेंदुलकर क्रीज पर जाने से पहले हरिओम शरण की भजन सुनते थे जिससे उनकी एकाग्रता बनी रहे। लेकिन नई पीढी बदलते परिवेश में इस परंपरा से दूर सी होती जा रही थी। इसी को ध्‍यान में रखते हुए इस कांसेप्‍ट के जरिए लोगों को उनके जडों से जोडना इसका मकसद है जिससे सर्वधर्म समभाव स्‍थापित किया जा सके।
भजन सिंगर अनूप जलोटा, लोकगायक मालिनी अवस्‍थी और कथक डांसर बिरजू महराज इस शो को जज करेंगे। इसका प्रसारण आस्‍था चैनल पर 15 जुलाई से हर शुक्रवार और शनिवार को किया जाएगा। इस शो में बॉलीवुड गायक एश्‍वर्य निगम, टीवी कलाकार रिचा सोनी तथा कथक डांसर आरूषि निशंक भी दिखाई देंगे। गौरतलब है कि देश के इस पहले भजन पर आधारित रियालिटी शो को सफल बनाने के लिए बॉलीवुड के जाने-माने म्‍युजिक डायरेक्‍टर और सिंगर अपना समर्थन देने जुटेंगे।

Thursday, April 21, 2016

Naseer-Kalki starrer 'WAITING' poster released

Chandigarh, April 21th, 2016 (kulbir singh kalsi):-
'Waiting' is about the special relationship between two people who befriend each other unexpectedly in a hospital, while nursing their individual spouses in coma. It is a film about grief, but more than just dealing with it, ‘Waiting’ is also about confronting it and discovering a sliver of hope between the lines. It is a life-affirming story representative of urban India and its ethos, that is bound to strike a chord with cinema-lovers across the board.


Waiting, starring Naseeruddin Shah and Kalki Koechlin. Directed by Anu Menon and produced by Ishka Films and Drishyam Films, ‘Waiting’ had premiered at the Dubai International Film Festival (DIFF). Featuring Rajat Kapoor, Arjun Mathur, it also marks the debut of noted filmmaker Mani Ratnam’s wife, actor Suhasini Maniratnam in Hindi cinema. The film is slated to release on May 27th, 2016.

Sunday, April 10, 2016

Australian Foundation demands special courts for NRIs for speedy redress of their grievances

Also wants powers of court for NRI commission and review of all cases of NRIs wrongly declared POs

Chandigarh, April 10th, 2016 (kulbir singh kalsi):-The Australian Foundation for NRIs (AFNRI), a non-political organisation of Non-resident Indians settled in Australia, has demanded constitution of special courts for NRIs to handle cases, including those under the Rent Act, review of all cases of NRIs being declared proclaimed offenders (POs) through the process of sending summons at local addresses where they have not been residing for years, an early notification of the definition as to who constitutes an NRI and making the Punjab State Commission of NRIs more effective by giving it powers of revision of civil and criminal court.
Addressing a press conference here today, the founder member of AFNRI, Mr Gurpal Singh, a Australia based barrister and solicitor, said despite best intentions of the Punjab government  in creating special mechanisms for redress of grievances of NRIs, the expatriates continue to face serious problems in finding resolution of issues related to property and other disputes back home in a time bound manner.
Research undertaken by AFNRI into the concerns of the NRIs from Punjab has revealed that it still takes between one year to five-plus years for a NRI to get his property vacated through court intervention despite the fact that Section 13 B of the Rent Act was incorporated for the specific objective of providing immediate vacation of properties owned by the NRIs. Declaring NRI suspects in cases as proclaimed offenders, without first confirming whether they have been residing at the place in Punjab where summons were issued, is another major irritant for them.
Mr Gurpal Singh said another issue troubling the NRIs is the continuing confusion over the definition of NRIs. The issue pending in the Honourable Supreme court in the matter of 2011 revolves around the question as to whether a person holding passport of other country, rather than India, would be covered in the scope of NRI as defined in Rent Act?. The government should notify an explanation to the definition of NRI, rather than waiting for the SC decision.  


He said the creation of the Punjab State Commission of NRIs was a well-intended move by the state government, but the commission has no power except to initiate an enquiry into a particular matter. As a consequence the commission has been reduced to a toothless body at a very high expense to the government.

Noting that Punjabis settled in Australia in particular, and other countries including Canada, USA, UK, Singapore, Malaysia, etc., find the assistance provided by the Indian consulates and embassies not fully effective in the light of some important matters falling in domain of state government and state laws, the foundation said it added to the agony and delay in the matters of concern and repeated visits to the consulates. It demanded the Punjab government appoint a nodal office in all these countries to effectively address the issues of NRIs settled in these countries.

The foundation appealed to the chief minister and deputy chief minister to visit Australia for better and open engagement with the NRIs and explore the effective collaboration between Australian states and Punjab.

Saturday, April 9, 2016

“राम धुन लागी श्याम धुन लागी”

भजनों का एलबम भक्ति-भावपूर्ण श्री राम जी और श्री कृष्ण जी के जीवन से घटित वाक्यों को लेकर राम जी के आदर्शवादी व्यक्तित्व, धर्म एवं न्याय परायणता, सदाचार हेतु और कृष्ण जी के बिना स्वार्थ के काम से, सम्मिलित भजनो का संग्रह है, जो प्यार के धागे में पिरोकर आपके सामने प्रस्तुत है |



इन भजनों को सुनने के बाद आनंद विभोर हो जाना स्वाभाविक हो जायेगा राम धुन लागी श्याम धुन लागीसीडी के बाजार में आते ही आप अवश्य आनंद उठायें |

Friday, March 25, 2016

...तुम जो बोलेगे तुम्हे मिलेगा पाक में हुस्न की कमीं नहीं है!!

 सौरभ चन्द्र द्विवेदी (Writer at Freelancer Content Writer and distric president at Social Worker)


भारत की जीत की खुशी सभी भारतीयों के दिल में गिटार की तरह बज रही है। मेरे दिल में एक मीठा सा दर्द भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश को लेकर है। जिस प्रकार से क्रिकेट का खुमार चढा रहता है और हमारी भक्ति की आसक्ति जीत और सिर्फ जीत पर टिकी होती है वरना हमारी तपस्या भंग होने के पूर्ण आसार रहते है। भारत पाकिस्तान के मैच से पहले और बाद में एक पाकिस्तानी माॅडल कंदील बलोच की सुरमयी आवाज पहले तो तन मन में असुरक्षा की भावना को जन्म दे देती है। वे कहतीं है कि "अफरीदी मेरी जान देखो आज का दिन है न, बहुत बडा दिन है। तुम भूल जाओ कि तुम्हारे आसपास कैटरीना, ऐश्वर्या, सनी लियोन है। तुम जो बोलेगे तुम्हे मिलेगा पाक में हुस्न की कमीं नहीं है, तुम जो चाहोगे तुम्हे मिलेगा।"
मतलब की प्रगतिशीलता मे पाकिस्तान भी कम आगे नहीं है और हुस्न के पुजारी हैं। एक माॅडल एक मैच जीतने के लिये खुलेआम अपना जिस्म समर्पित करने का आफर तो करती ही है साथ ही स्ट्रिप डांस करने का वादा भी बस दरकार थी सिर्फ एक जीत की और अफरीदी की बल्ले बल्ले हो सकती थी लेकिन निर्भर अफरीदी पर करता था कि खुलेआम दिये गये आफर को खुले मन से स्वीकार करते थे या नहीं वैसे अफरीदी जैसे हाई प्रोफाइल आदमी खुलेआम तो नहीं लेकिन चोरी चोरी चुपके चुपके इस दुनिया मे कुछ भी संभव है।
भारत पाकिस्तान के मैच मे बात यहीं आकर खत्म नहीं होती है। पाकिस्तानी प्रशंसकों ने अपनी ही टीम की अर्थी निकाल दी। कमोवेश पाकिस्तान से हारने पर भारत में भी खिलाडियों के साथ कुछ ऐसे ही हालात देखने को मिलते। कुल मिलाकर के क्रिकेट के बहाने ही सही भारत पाकिस्तान के रिश्तों की हकीकत का मुआयना हो जाना चाहिए। ध्रतराष्ट्र की तरह सरकार आंखों में पट्टी बांधकर शांति शांति का अभियान चला तो सकती है लेकिन भारत पाक की जनता के दिलों में ही एक दूसरे को लेकर शांति नहीं है।
अगर शांति होती तो पाकिस्तान में टीवी नहीं टूट जाती। ये मान सकते है कि कंदील बलोच ने चर्चा मे बने रहने के लिए अपनी मादक आवाज में और मादक तन को दिखाकर भारतीय प्लेयर के लिये भी डांस किया लेकिन मैच हारने के बाद ये भी कहना कि तुम वापस पाकिस्तान मत आना, आई हेट यू अफरीदी, आई हेट यू।
ये है जन जन के दिलों की आग भारत पाक के रिश्तों को लेकर। मैने जब से होश संभाला और इतिहास में पढा कि भारत पाक का बंटवारा 1947 में हुआ था और कारण महज राजनीतिक महत्वाकांक्षा। जिन्ना शायद आज 72 हूरों के पास होगें और नेहरू गांधी की आत्मा अजर अमर होगी लेकिन भारत पाकिस्तान आज भी बंटवारे की आग में झुलस रहे है। जम्मू कश्मीर तो महज एक बहाना ही है क्यूंकि ये किसी से छिपा नही है कि जो पाकिस्तान है वही भारत है। जमीन के कुछ हिस्से के लिए आखिर और कितनी जाने गंवायेगें ? मौत का मंजर दोनों तरफ बिछ जाता है लेकिन अफसोस कि ये नफरत मुहब्बत मे नहीं बदल रही है।
आतंकवाद अपना काम करता है और सेना के जवान अपना कर्तव्य निभाते हुए शहीद हो जाते है। कल जब बांग्लादेश से क्रिकेट खेल रहे थे तब भी यही याद आया कि ये भारत और पाकिस्तान के नफरत की पैदाइश बांग्लादेश है। कल शायद भारत मैच हार जाता तो उतना बुरा नहीं लगता जितना कि पाकिस्तान से हारकर भारतीयों की भी नींद उड जाती है। लेकिन बेहद ही रोमांचकारी तरीके से भारत ने बांग्लादेश टीम को परास्त कर दिया। ट्वेंटी ट्वेंटी विश्व कप के अनुसार हर एक मैच जितना उतना ही आवश्यक है जैसे सेना ने करगिल का युद्ध जीता था। कारगिल युद्ध घुसपैठ का अंजाम था और ट्वेंटी ट्वेंटी विश्व कप भी वनडे के मध्य घुसपैठ का अंजाम है। जो आतंकवाद और सेना की जंग की तरह ही बेहद रोमांचकारी होता है।
भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश ये तीनो मूलस्वरूप हैं और हिंदू मुस्लिम की नफरत की पैदाइश पाकिस्तान, बांग्लादेश हैं और इसी नफरत मे भारत अंदर ही अंदर जल रहा है। ये नफरत भी मामूली नहीं है बल्कि शायद ही इस नफरत का कभी अंत होगा। शांति वार्ता कितनी भी हो जाये बडा मुश्किल ही प्रतीत होता है कि भारत पाकिस्तान के कभी मधुर संबंध होगे क्यूंकि दोनो देश की जनता एक खेल को खेल की भावना से नहीं देख पाती है और यहां राष्ट्रीय अस्मिता तथा गौरव की बात है। इसलिये तो बहुत पहले ही कह दिया गया है कि कश्मीर भारत का हृदय है। तब इसका हल यही है कि भारत पाक को बेपनाह मुहब्बत हो जाये किंतु परंतु यही है कि पाकिस्तान में बैठे हाफिज जैसे लोग भारत से मधुर संबंध चाहते ही नही है और ना ही दोनों देश की जनता समझौता कर सकती है। मेरी समझ से परे है कि सरकार की अपनी क्या मजबूरी होती है कि वो असलियत जानते हुए भी शांति वार्ता की अपील करती रहती है।
एक दिन सरकार के रिश्ते मधुर हो सकते हैं, अब की तरह क्रिकेट हमेशा खेला जायेगा, सीमा पार से व्यापार बढ सकता है लेकिन यकीन मानिये आतंकवाद कभी खत्म नहीं होगा। इसलिये अपने देश की सीमा सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि परिंदा भी पर न मार सके क्यूंकि एक बार विश्वास टूट गया है तो मुझे नहीं लगता कि अब अथक प्रयासों के बाद भी शराफत से पाकिस्तान हमसे रिश्ता निभायेगा। अपनी नफरत की आग में पाकिस्तान स्वयं जल जायेगा बस भारत सरकार दोनों देश की जन भावनाओ को क्रिकेट के बहाने ही महसूस कर ले और उसी प्रकार अपनी राष्ट्रनीति बना ले। पाकिस्तान को बिल्कुल अलग थलग कर देना चाहिए और आतंकवाद के खात्मे के लिए अंतर्राष्ट्रीय जगत मे प्रयास करने चाहिए फिर पाकिस्तान स्वयं औकात मे आ जायेगा, अगर बरसाती मेढक से आप शांति की अपील करेगें तो असंभव ही है और पाकिस्तान एक खतरनाक बरसाती मेढक है। इसलिये पाकिस्तान का इलाज करना ही आवश्यक है फिर शांति तो अपने आप कायम हो जायेगी।

Asha Bhosle’s granddaughter Zanai debuts with India’s 1st Transgender Band

Mumbai,  March 24, Thursday 2016 (kulbir singh kalsi):- The Brooke Bond Red Label 6-Pack Band is probably the single most significant non-film music act to debut in the last one year. Since it’s launch by Y-Films, Yash Raj Films’ youth wing, the first 3 singles including a Pharrell Williams’ Happy cover and a Sonu Nigam collaboration have stacked up over 10 million views besides huge worldwide buzz.
Now, for its fourth single, the band is joined by 14-year old, Zanai Bhosle, the legendary grand-daughter of Asha Bhosle, for a contemporary rendition of the popular Marathi hit, ‘Hil Pori Hila’. The new version sung in Hindi, English and Marathi is composed by Shameer Tandon, also the curator of the band. It’s unique musically as there are no musical instruments used at all and has been produced using a format popularly called ‘Stomp’ where only hands, feet and various objects like boxes, buckets, bottles, Red Label tea packs, cups, spoons, whistles are used giving the song a ‘never-heard-before’ take.

Asha Bhosle said, “I feel proud to have sung songs for Yash Chopraji and his entire family for so long, and today, my granddaughter has sung for Y-Films. I can’t be happier and I’m glad the relationship between us has remained the same ever since. It is true that in our society, one gender has always been ignored and looked down upon. We all need to take a stand to help them and empower them. And I’m so glad a company like YRF has taken this up and I love the way they’re spreading awareness.”
Added Ashish Patil, Head, Y-Films, “The world has always judged the transgender community but in the eyes of children, we are all equal. Zanai comes in as the voice of that generation telling you how to make the world a more welcoming place through literally a foot-stomping song. At the end of Hil Pori Hila’s video is a sneak into another H-U-M-U-N-G-O-U-S such collaboration with none other than THE Hrithik Roshan!”
Shiva Krishnamurthy, category head, tea, Hindustan Unilever, said, "Red Label is HUL's warmth brand which stands for brewing togetherness. We encourage people to live those little moments that bring us all closer by breaking barriers over a cup of tea. This time, what’s great is that we are using Red Label packs, tea cups and pouring the chai to literally make that music and break those barriers!”
Apart from the band and Zanai, the fun music video directed by Nupur Bhargava & Hitesh Kewalya of Invisible Rabbit, features 25 underprivileged children from the Salaam Bombay Foundation, dancing with abandon. These children are trying to break out of their circumstances and just like the band itself, are nevertheless happy to shake their troubles away. The Hindi lyrics are by Varun Likhate, and the Stomp Mix has been arranged & conducted by Nishadh Chandra. The band comprises Asha Jagtap, Bhavika Patil, Chandni Suvarnakar, Fida Khan, Komal Jagtap, Ravina Jagtap.

हनी सिंह ने किया जोरावर फिल्म का गाना लांच

-प्रेमबाबू शर्मा
नोएडा। अपनी गायिकी से युवा पीढ़ी को आंदोलित करने वाले मशहूर गायक हनी सिंह को आगामी पंजाबी फिल्म जोरावर से बहुत उम्मीदें है। हनी सिंह ने फिल्म में गाना ही नहीं गया बल्कि हीरो की भूमिका में है। हनी ने वर्ल्डस आफ वर्ल्ड में आयोजित एक कार्यक्रम मं पैपी गाना रात जश्न दी लांच किया। जोरावर फिल्म का निर्देशन विनिल माकन ने किया है और इस फिल्म में गुरबानी (वीजे बनी) तथा पारुल गुलाटी जैसे मशहूर कलाकारों ने काम किया है। एंटरटेनमेंट सिटी लिमिटेड के प्रीमियम हाई एंड यूज रिटेल एवं हास्पिटेलिटी गार्डन गैलेरिया में आयोजित कार्यक्रम में हनी सिंह ने अपने प्रशसंकों को आटोग्राफ ही नहीं दिये बल्कि उनके साथ फोटो भी खिंचवाई। एंटरटेनमेंट सिटी के मुनीष बलदेव ने कहा कि गार्डन गैलेरिया बड़े-बडे कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए तैयार है। 

​टाटा स्काई ने डीटीएच पर लांच की काॅमेडी सेवा

-प्रेमबाबू शर्मा
डीटीएच इंडस्ट्री टाटा स्काई ने दर्शकों को आकर्षित करने के लिए टाटा स्काई काॅमेडी नामक एक नया शो लांच किया है। यह भारत में डीटीएच पर अब तक की पहली इंटरेक्टिव सेवा होगी, जो एक जगह पर सभी प्रकार के हिंदी काॅमेडी उपलब्ध करायेगी।

टाटा स्काई की मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी, पल्लवी पूरी ने इस सेवा के कंटेंट सहयोगी, शेमारू एंटरटेनमेंट के निदेशक, हिरेग गडा के साथ मिलकर आज इस सेवा को लाॅन्च किया। लाॅन्च के अवसर पर स्टैंड-अप काॅमेडियन, सुगंधा मिश्रा और साहिल खट्टर ने इस सेवा की एक झलक दिखाई। वे दोनों भी इस सेवा के हिस्से हैं।


टाटा स्काई काॅमेडी विशेष तौर पर इस सेवा के लिए तैयार किये गये मौलिक कंटेंट के साथ-साथ टीवी के पुराने सर्वश्रेष्ठ काॅमेडी शो-नुक्कड़, ये जो है जिंदगी, आॅफिस-आॅफिस और जबान संभाल के उपलब्ध करायेगा। काॅमेडी कंटेंट का हर प्रारूप इस सेवा के जरिए उपलब्ध कराया जा रहा है, जैसे-फिल्मी नकल से लेकर मजेदार फिल्मों की समीक्षाएं, हास्य-मनोरंजन से लेकर फेकिंग न्यूज शो तक - टाटा स्काई के उपभोक्ताओं के लिए अब उनकी उंगलियों पर काॅमेडी कंटेंट उपलब्ध होगा। 

यह सेवा गुदगुदाने वाली सामग्री से भरी हुई है, जो विज्ञापनरहित है और 24ग्7 इसका प्रसारण होता रहता है। टाटा स्काई ने बाॅलीवुड तड़का और काॅमेडी फटाफट जैसी विशेष और नई सामग्री के लिए शेमारू एंटरटेनमंेट की इकाई, काॅमेडीवाला के साथ सहयोग किया है। इस सेवा के इंटरेक्टिव सेक्शन में चुटकुले, मजेदार क्विज जैसे डायलाॅगबाजी (बाॅलीवुड की फिल्मों के डाॅयलाॅग्स के आधार पर) और लोकप्रिय काॅमिक स्ट्रिप सुप्पांडी शामिल हैं, जिसमें रोजाना नई चीजें देखने को मिलेंगी।

यह सेवा विभिन्न क्षेत्रों सामाजिक-आर्थिक सीमाओं में सभी आयु समूह वाले लोगों के लिए लगातार साफ-सुथरा मनोरंजन उपलब्ध करायेगी। अब आपको फाॅरवर्ड किये गये काॅमेडी कंटेंट पर निर्भर नहीं रहना होगा या किसी निर्धारित समय पर काॅमेडी देखने के लिए इंतजार नहीं करना होगा।

टाटा स्काई की मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी, पल्लवी पूरी ने कहा, ‘‘टाटा स्काई काॅमेडी में, हमारा उद्देश्य अपने उपभोक्ताओं को मनोरंजन के लिए मजेदार तरीके उपलब्ध कराना है। काॅमेडी एक ऐसी विधा है जिसके लिए आॅडियंस काफी लालायित रहते हैं और हमें लगता है कि वर्तमान में सभी तरह के हिंदी काॅमेडी कंटेंट के लिए किसी एक ठिकाने का अभाव है। शेमारू के साथ मिलकर, हमने लोकप्रिय काॅमेडी फाॅर्मट्स के लिए वन-स्टाॅप शाॅप उपलब्ध कराने का प्रयास किया है, जो हमारे ग्राहकों के लिए दिन के 24 घंटे उपलब्ध होगा।’’


अपनी दक्षता के बारे में बताते हुए, शेमारू एंटरटेनमेंट के निदेशक, हिरेन गडा ने कहा, ‘‘हम टाटा स्काई के साथ मिलकर इस काॅमेडी सेवा को लाॅन्च करके काफी रोमांचित हैं। अग्रणी कंटेंट समूहक एवं ओनर होने के नाते, हमारा लगातार यह प्रयास रहा है कि अपने आॅडियंस के लिए नई खोजपरक सामग्री उपलब्ध करा सकें। काॅमेडीवाला, शेमारू की एक ऐसी ही पहल है। काॅमेडी एक सार्वभौम मनोरंजन विधा है, इस तथ्य के मद्देनजर, हमारा प्रयास कुछ बेहद मनोरंजक एवं मजेदार प्रोग्रामिंग इकट्ठा करने तैयार करने का होगा।’’