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Wednesday, June 29, 2011

मुज़फ्फरनगर में प्रदर्शनी को निहारती महिला

मुज़फ्फरनगर में प्रदर्शनी को निहारती महिला - फोटो : नासिर खान, मुज़फ्फरनगर

Tuesday, June 21, 2011

महिला उत्पीड़न पर घिरी माया सरकार:अपराधो पर र्प्क लगा पाने में साबित हो रही असफल

खुशबू(इन्द्री) :
यूपी में महिलाओं पर अत्याचार-दुराचार की घटनाओं में अचानक हुई बेतहाशा वृद्धि हो रही है! इस वक्त यूपी में हवस और द्र्न्दगी के जीते जागते नजारे देखने को मिल रहे हैं! भाजपा ने महिला उत्पीड़न मामलों की जांच के लिए समितियां गठित की हैं। सूबे की बिगड़ती कानून व्यवस्था और सरकारी कार्यशैली के विरोध में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय कटियार वरिष्ठ नेताओं के साथ मंगलवार को धरने पर बैठने जा रहे हैं। कांग्रेस ने भी जुलाई माह में राजधानी लखनऊ में जोरदार प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी है। सपा नेता व नेता प्रतिपक्ष शिवपाल सिंह यादव का कहना है कि माया सरकार ने सूबे को दुराचार प्रदेश बना दिया है। मुख्यमंत्री किसी से मिलती नहीं हैं। पुलिस पूरी तरह निरंकुश है। अपराधी स्वच्छंद हैं। अभी तक सरकार खुद अपराधियों को संरक्षण दे रही थी, अब उन्हें (अपराधियों) रोकना उसके वश के बाहर की बात हो गयी है। मायावती को नैतिकता के आधार मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ देनी चाहिए। भाजपा ने निघासन कांड (सोनम की हत्या का मामला) के बाद बाराबंकी के भिटोखर मामले (सविता मौर्य की हत्या) और गया प्रसाद की पुलिस हिरासत में मौत के मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी तेज कर दी है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय कटियार स्थानीय बसपा विधायक की भूमिका संदिग्ध बताते हुए मंगलवार को बाराबंकी के बाबागंज बाजार में प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही व अन्य प्रमुख नेताओं के साथ एक दिनी धरने पर बैठेंगे। दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर होने वाले इस प्रदर्शन के अगले ही दिन यानी बुधवार को साध्वी उमा भारती भी मृत सविता व गयाप्रसाद मौर्य के परिजनों से मिलेंगी। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हृदयनारायण दीक्षित ने इस मामले में कांग्रेस को भी लपेटा है। उन्होंने संप्रग पर प्रदेश सरकार को बचाने का आरोप लगाया और कहा, संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत केंद्र द्वारा ध्वस्त कानून व्यवस्था के सवाल पर जवाब तलबी क्यों नहीं की जा रही। कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने बसपा को महिलाओं की दुश्मन नंबर एक बताते हुए कहा, महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद प्रदेश में महिलाएं ही सर्वाधिक असुरक्षित है। कांग्रेस बसपा सरकार की महिला विरोधी कार्यशैली का सच जनता तक पहुंचाने को जुलाई के प्रथम सप्ताह में लखनऊ में महिलाओं का बड़ा प्रदर्शन करेगी!

महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम:महिलाओं को समर्पित देश का पहला हाट तैयार

खुशबू(इन्द्री) :
नई दिल्ली महिलाओं को समर्पित देश में पहला महिला हाट जल्द ही गुलजार होने जा रहा है। स्टॉल सिर्फ महिलाओं को ही सामान की बिक्री के लिए आवंटित किए जाएंगे। साथ ही इनमें खरीददारी करने के लिए सिर्फ कपल्स को ही जाने की इजाजत होगी। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के मकसद से एमसीडी ने वर्ष 2007 में इसका निर्माण शुरू किया था। तत्कालीन मेयर आरती मेहरा ने इसकी नींव रखी थीं। गत महीने जब निर्माण कार्य संपन्न हुआ तो एमसीडी ने वह शर्ते भी तैयार कर ली जिसके आधार पर महिलाओं को स्टॉल आवंटित किए जाएंगे। राजधानी के दक्षिणी, बाहरी और पश्चिमी दिल्ली स्थित आईएनए, पीतमपुरा और जनकपुरी दिल्ली हाट की तर्ज पर एमसीडी ने महिला हाट तैयार किया है। आसिफ अली रोड की भूमिगत पार्किग के ऊपर बने इस हाट की खासियत यह होगी कि यहां के 39 स्टॉल सिर्फ महिलाओं को आवंटित किए जाएंगे। इसे वे चलाएंगी। खाने-पीने के सामान की बिक्री के लिए जो दो कैफेटेरिया बनाए गए हैं, इनका संचालन भी महिलाएं करेंगी। कैफेटेरिया का लाइसेंस दो साल के लिए एमसीडी जारी करेगी। हस्तकरघा सामान की प्रदर्शनी और बिक्री के लिए एक महिला को 30 दिन के लिए ही स्टॉल दिए जाएंगे। 80 फीसदी स्टॉल दिल्ली की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। बाकी स्टॉल अन्य राज्यों की महिलाओं के लिए होंगे। एक साल में कोई महिला सिर्फ एक बार ही स्टाल अपने नाम बुक करा सकेगी। स्टॉल के एवज में उन्हें एक हजार रुपये बतौर फीस के रूप में एमसीडी को देना होगा। सुबह 10 बजे से रात नौ बजे तक महिला हाट खुला रहेगा। एमसीडी के प्रवक्ता दीप माथुर बताते हैं कि इसका मकसद यह था कि दिल्ली के अन्य इलाकों की तरह मध्य दिल्ली में भी हाट हो। बाद में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के मकसद से इसे महिला हाट बनाने का फैसला लिया गया। यह बनकर तैयार हो चुका है। इसके आवंटन आदि की शर्ते बुधवार को स्थायी समिति की बैठक में प्रस्तुत की जाएंगी। स्थायी समिति व सदन से स्वीकृति मिलते ही महिला हाट में स्टॉल आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

Now, free condoms, contraceptives at your doorstep!

The government will shortly launch a scheme to make male and female contraceptives available at people's doorsteps in a major bid to boost population control efforts, Health and Family Welfare Minister Ghulam Nabi Azad said.…

Sanjay Pahwa , Chandigarh / Mumbai :
The government will shortly launch a scheme to make male and female contraceptives available at people's doorsteps in a major bid to boost population control efforts, Health and Family Welfare Minister Ghulam Nabi Azad said.
Accredited Social Health Activists (ASHA) volunteers would promote the use of contraceptives - both male and female - at the household level in targeted districts, he said.
'Under the scheme, the centre will make available contraceptives free of cost at the block level, from where ASHA volunteers will pick up their supplies,' Azad said, addressing the 53rd Convocation of the International Institute of Population Sciences (IIPS) here.
Azad said the 2011 Census shows that efforts towards population stabilisation have yielded results.
'We have succeeded in reducing both fertility and mortality rates substantially and increasing the average life expectancy of the Indian population,' he said but expressed concern at the large regional disparities in demographic outcomes across different Indian states.
For instance, he said the Empowered Action Group (EAG) States, like Uttar Pradesh, Uttarakhand, Bihar, Jharkhand, Rajasthan, Orissa, Madhya Pradesh and Chhattisgrah - where 45 percent of India's population resides - lag behind the rest of the country in both fertility and mortality rate decline.
Azad emphasised that the government was committed to providing quality and universal health care to the rural population through the National Rural Health Mission (NRHM).
'The funding to the health sector is going to be increased from the present level of less than 1 percent of GDP to 2-3 percent of GDP during the 12th Five Year Plan (2012-17),' he said.
He also said that under the newly-launched Janani-Shishu Suraksha Karyakram (JSSK), the government has made child deliveries at government health institutions completely free.
Launched June 1 this year, the scheme provides for free diagnostic tests including ultrasound, free medicine, free provision of blood, free diet up to three days for normal delivery and up to seven days in case of caesarean births and even free to and fro transport from home to hospital to all pregnant women, Azad said.
The IIPS is a premier academic institution in the field of population studies.
It has trained over 3,000 students and professionals in the field from India and several Asian countries including China, Indonesia, Thailand, Vietnam and others.
It is renowned for its expertise in conducting large scale surveys, the results of which help the policy makers in formulating appropriate responses

Sunday, June 19, 2011

निम्ब्री के युवा सरपंच की हत्या

पानीपत, विजय काम्बोज : 
तीन  दिन पूर्व कुछ लोगों द्वारा पीटकर गंभीर रुप से घायल किए गए  हरियाणा के पानीपत जिले  के गांव निंबरी के युवा सरपंच की दिल्ली के एक निजी अस्पताल में आज मौत हो गई। सरपंच राजेष कुमार को पिछले साल हुए पंचायत चुनाव में सरपंच चुना गया था और 22 साल का राजेष कुमार जिले में सबसे छोटी आयु का सरपंच था।  बताया गया है कि गली में मिट्टी डलवाने के मामले को लेकर कुछ लोगों के साथ हुए झगडे में तीन दिन पहले सरपंच पर पांच लोगों ने जानलेवा हमला कर उसे घायल कर दिया था। हमले में राकेश  को काफी चोटें आई थीं और उसे दिल्ली रैफर कर दिया गया था। इस संबंध में पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया था जबकि तीन अन्य लोग फरार हैं। पुलिस के मुताबिक सरपंच की मौत होने के बाद अब मामले को हत्या के मामले में तबदील कर दिया गया है। राकेश  के शव  का दिल्ली में पोस्टमार्टम न हो पाने के चलते उसे अभी तक गांव नहीं लाया जा सका है। 

धर्मबीर सिंह खर्ब एसएचओ सदर थाना 
ने बताया कि पानीपत के गांव निंबरी में हुई एक सनसनीखेज वारदात में युवा सरपंच राकेश  की मौत हो गई। 22 वर्षीय  राकेश  को पिछले साल हुए पंचायती चुनाव में सरपंच पद मिला था। युवा सरपंच राकेश  की कुछ महीनो पहले ही शादी हुई थी !   राकेश  गांव में कुछ विकास कार्य करवा रहा था। इस दौरान एक गली में मिट्टी डलवाई जानी थी। राकेश  मिट्टी डलवाने का कार्य करवाना चाहता था जबकि गांव के ही कुछ लोग इसका विरोध कर रहे थे। तीन दिन पहले इसी मुद्दे को लेकर राकेश  और गांव के बिजेंद्र के बीच झगडा हुआ था और बात धक्का मुक्की तक पहुंच गई थी। कुछ लोगों ने बीच बचाव करते हुए दोनों को समझा दिया था लेकिन शाम  के समय जब राकेश  घर की तरफ जा रहा था  तब बिजेंद्र ने अपने चार साथियों को साथ लेकर तेज धारदार हथियारों से राकेश   पर हमला बोल दिया। इसमें राकेश  के शरीर  पर काफी चोटें आई थीं और वह गंभीर रुप से घायल हो गया था। उसे शहर  के एक निजी अस्पताल में लाया गया लेकिन हालत गंभीर होने पर उसे दिल्ली रैफर कर दिया गया था जहां आज उसकी मौत हो गई।  दिल्ली में पोस्टमार्टम न होने के चलते राकेश  का शव  आज शाम  तक भी पानीपत  नहीं लाया जा सका। 

मैं अपने अभी तक के काम से सतुष्ट हॅू: मोना सिंह

प्रेमाबाबू शर्मा, दिल्ली : 
मॉडल व टीवी एक्टैस मोना सिंह ने सोनी चैनल पर प्रसारित धारावाहिक ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ में जस्सी के किरदार से मिली पापुलटी को भुनाते हुए रियलिटी शो मीठी छुरी नः वन, ‘झलक दिखला जा’, ‘शादी तीन करोड़ की’ और ‘इंटेरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ में बतौर एंकर के रूप में  काम किया। छोटे परदे के अलावा मोना ने  फिल्मों में भी दस्तक दी और  थ्री इंडियट,उठा पटक और लक्ष्मण रेखा जैसी फिल्मों में प्रभावी भूमिकाओं का निभाया। इसमें दो राय नही की मोना खूबसूरत तो है ही ,साथ ही बतूनी और एक मंझी कलाकार भी। इन दिनों मोना सिंह एक बार फिर से सुर्खियों में अपने नये रियलिटी शो ‘इंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ के सीजन 4 के लिए,जिसमें वे एंकर के रूप में ही आ रही हैं। शो इन दिनों सोनी टीवी पर सोमवार से गुरुवार रात नौ बजे प्रसारित हो हैं। मोना का क्या कहना है अपने नये शो और करियर के बारे में ।जस्सी जैसे चर्चित किरदार को निभाने के बाद में आप टीवी पर दुबारा अभिनय करती नजर नही आई ?अभिनय मेेरे खून में भरा है, लेकिन मुझे टीवी पर काम करने के लिए जिस तरह के किरदारों के प्रस्ताव मिले वे सब जस्सी के मुकाबले कमजोर थे मेरेे लिए जरूरी था कि मैं छोटे परदे पर यदि किसी सीरियल में अभिनय करूं तो वह ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ से कई गुना ज्यादा बेहतर हो। लेकिन जब मुझे जब एंकरिंग के मौके मिलने लगे तोे मैंने एंकरिंग की। आप हर किरदार की तुलना जस्सी से क्यों करती हो ?अभिनय मैं पैसे के लिए नही, बल्कि मन की सतुष्टी के लिए करती हॅू। पैसा भले ही कम मिले किन्तु रोल तो बेहतर हो। वैसे भी जस्सी का रोल मेरेे लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था और मैने भी  अपनी ओर से भरपूर मेहनत की ताकि कोई कमी ना रह जाए। इसलिए जस्सी किरदार से तुलना करती हॅ।आपको ऐसा लग रहा कि टीवी पर जिस प्रकार के किरदार दिखाये जा रहे है वे आपके मन मुताबिक नही है ?ऐसा मैंने कब कहा। चैनलों के बीच बढती प्रतिस्पर्धा के चलते अब अच्छी कहानी पर धारावाहिक बन रहे है और नये कलाकारों को भी अच्छा काम मिल रहा है लेकिन मैं जिस तरह का रोल चाहती हॅू वो नही मिल रहे। क्योकि मैं स्वयं को एक कलाकार के रूप में एक्सप्लोर करना चाहती है।तो क्या एंकरिंग से मन की सतुष्टी मिल रही है ?एंकरिंग एक ऐसा प्लेटफार्म है, जहां हम अपने आपको बेहतर तरीके से पेश कर सकते है। मंच संचालन करते हुए भी आपको कुछ न कुछ नया करने का पूरा मौका मिलता रहता है और उसमें किसी प्रकार बंधन या दबाव भी नही होता हैं।मैंने अब तक जो भी और जितना काम किया है  उससे पूरी तरह से सतुष्ट हॅू।चर्चा है कि ‘इंटेरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ के सीजन चार में आपका एक नयी और अलग प्रकार की लुक देखने को मिलेगी अंदाज ?मैं आपको एक राज की बात बता ही देती हॅू कि  इसकी एक कडी में मैं दर्शक के बीच एक सिख किरदार में भी नजर आऊॅगी,अभी तो इसका प्रसारण शुरू हुआ है। आगे-आगे देखिएगा। बहुत कुछ नया नजर आएगा। ‘इंटेरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ क्या खास बात है?‘इंटेरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ लोगों को कुछ करने के लिए प्रेरित करता है। इसके पहले तीन भाग काफी हिट रहे है। बल्कि यूं कहे कि ये एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां देश में छिपी प्रतिभाओं को अपनी कला को दिखाने का मौका एक मंच पर मिल रहा है। लेकिन शो के सीजन तीन में जज अनु मलिक व फरहा खान ने तो अपनी तीखी प्रत्ििरक्रया से कई कलाकारों का मनोबल ही तोड दिया था?इस बारे में मै ज्यादा नही कह सकती लेकिन सीजन चार मे दोनों ही जज किसी को भी हतोत्साहित नहीं करते हैं।क्या आपने टीवी पर अभिनय सतुष्टी ना मिलने के कारण ही फिल्मों की ओर रूख किया था ?ऐसा कुछ नही है । मुझे जब थ्री इंडीयट मे काम का प्रस्ताव मिला और फिल्म की कहानी के मुताबिक मुझे रोल दमदार लगा मैने फिल्म कर ली और बाद में लोगों ने मेरे काम को भी पंसद किया । हाल में रीलिज फिल्म उठापटक में भी मेरा काम बेहतर है। फिल्मों में किस तरह के किरदारों को महत्व देना चाहती है? मैं फिल्मों में किसी एक टाईप्ड रोल की अपेक्षा विविधतापूर्ण किरदारों को निभाना चाहती हॅू , मुझे लटके झटके या फिर ग्लैमरस की आड में सैक्सी सीन वाले किरदारों पंसद नही है। मैं उसी तरह के चरित्र निभाना चाहती हूं जिस तरह के चरित्र स्मिता पाटिल, शबाना आजमीे विद्या बालन या कोंकणा सेन शर्मा निभा रही हैं।  

Logitech Strengthens Its Footprint in Chandigarh by Introducing a Wide Range of Products

Chandigarh, Sanjay Pahwa –
Logitech (SWX: LOGN) (NASDAQ: LOGI) India
showcased its wide lineup of products here in Chandigarh today, as part of
its multi-pronged strategy to enter the diverse markets across India and to
engage all stakeholders including large format retailers and IT resellers
across the region.

[image: Text Box: WHAT’s COOL? § Logitech Wireless Solar Keyboard K750 that
powers itself through its integrated solar panel § Logitech HD Pro Webcam
C910 comes with Full HD 1080p recording and Logitech Vid™ HD crystal-clear
stereo § Logitech Ultimate Custom In- Ear monitors range with comfortable
design and Noise Isolation technology]Chandigarh is a key market for
Logitech with its growing population of high-income individuals, increasing
PC penetration and rapid urbanization. Logitech India plans to address this
business region through focused market development programs. The company is
also strengthening its channel engagement efforts and is conducting channel
roadshows and training across the region to educate channel partners on the
new product portfolio and technologies.

Speaking at the event, Subrotah Biswas, Logitech country manager for India
and South West Asia said, “We believe that regions such as Chandigarh are
growing markets in India and hence strengthening Logitech’s position in such
high-growth markets is an integral part of our strategy to achieve the
targeted growth.  Adoption of technology in these markets is dependent on
our ability to understand customers’ needs and to fulfill them. We are
confident because Logitech has a long history of introducing innovative
products that help people enjoy their digital life more.”

* *

*Logitech Wireless Products*

Products showcased today include a range of mice and keyboards with advanced
2.4 GHz wireless technology and Logitech® Unifying technology, which allows
pairing of up to six compatible Logitech wireless keyboards and mice with
one receiver. With Darkfield Laser Tracking™ technology, Logitech
Performance Mouse M950 allows precise cursor control on virtually any
surface, even glass. Bluetooth wireless products, such as Logitech
Bluetooth® Mouse M555b and Logitech Cordless Desktop MX™ 5500 Revolution,
are also highlighted at the event. On gaming, Logitech Wireless Gamepad F710
provides multiple mode console-style, cable-free control and dual-motor
vibration feedback. Also, the Logitech Harmony® remotes offer one-touch
control to simplify and enhance your home entertainment experience.

*Logitech HD Webcams*

Logitech webcams make video calling more natural by bringing the best
technology together:  Logitech Fluid Crystal™ technology ensures smoother
video, sharper pictures, richer colors and clearer sound in real-world
conditions; RightSound™ technology ensures sound clarity; and RightLight™ 2
technology ensures quality image even at poor lighting conditions.

The company’s new HD webcam series includes Logitech HD Webcam C525,
Logitech HD Webcam C510, Logitech HD Pro Webcam C910, Logitech HD Webcam
C310, Logitech Webcam C905, Logitech HD Webcam C270, and Logitech Webcam Pro
9000.

*Logitech Audio Products*

Logitech also displayed some of its top-notch audio products including
Logitech Speaker System Z623, which is THX-certified; Logitech Rechargeable
Speaker S715i, a small yet powerful rechargeable speaker for iPod and
iPhone; and Logitech Speaker Lapdesk N700, which brings theater-like
experience on your laptop and also is a cooling pad. Logitech also showcased
a range of Ultimate Ears™ earphones and headsets. Ultimate Ears custom
monitor is the number one choice of the world's top touring professional
artists for live performances.

अम्माजी सुनते हुए अच्छा लगता है: फरीदा जलाल

प्रेमबाबू शर्मा, दिल्ली :
फिल्म अभिनेत्री फरीदा जलाल की एक लंबे गैप के बाद में फिर से सब टीवी शो अम्मी जी गली सेे वापिसी हो रही है। धारावाहिक में वे शीर्ष पात्र याानि अम्माजी के किरदार में है। अम्माजी का चरित्र गली के लोगों को संगठिन करना और उनकी समस्याओं का निवारण करना है।इस शो के बाद से तो फरीदा जलाल को भी अम्माजी का संबोधन अच्छा लगने लगा है। अगर हम बात करे फरीदा जलाल के टीवी शो की तो उन्होंने दूरदर्शन सीरीयल ये जो है जिंदगी और देख भाई देख में काम किया और उनकी भूमिका को जमकर सराहा भी गया। शरारत में जादू करने वाली नानी और बालिका वधु के मौसी चरित्र में भी फरीदा जलाल का किरदार दमदार रहा। 
अगर हम बात करते है फरीदा जलाल के अभिनय सफर की तो उन्होंने 1960 मे रीलिज फिल्म चौदवीं का चांद में बतौर चाईल्ड अर्टिस्ट अभिनय किया था। उन्होने अपने अब तक के 51 वर्ष के सफर में सहेली,बहन और मां जैसे हर प्रकार के किरदार को जिया है। उन्होंने अपने अब तक के अभिनय सफर में सौ से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया है उनकी कुछ चर्चित फिल्मो में जहांआरा,अराधना,महल,जहांआरा,बॉबी,लोफर,गोपी,ये रास्ते प्यार है ,पिंजर के नाम उलेखनीय है। हाल मे ही उनसे मुलाकात हुई पेश है चंद अंश ।
एक लंबे गैंप के बाद फरीदा की पुनः वापिसी अम्मी जी गली से हो रही है कैसा महसूस कर रही है?
अच्छा लग रहा है, क्योंकि धारावाहिक की पूरी कथावस्तु ही अम्माजी के इर्द गिर्द घूूमती है। या यूं कहे कि पूरा ही शो मेरे लिए बना है। अम्माजी का किरदार बहुत ही  भावुक और संवेदनशील है । 
बालिका वधू के बाद अचानक टीवी से गायब होने की कोई वजह या फिर आपको किसी खास रोल का इतंजार में था?
मैं टेलीविजन पर अपनी वापसी के लिए काफी अरसे से सोच रही थी लेकिन मुझे तलाश थी एक ऐसे किरदार की जिसके साथ मैं न्याय कर सकूं। अम्माजी की गली जैसे प्रभावशाली रोल को करते हुए मुझे फिल्म बावर्ची राजंेश खन्ना के किरदार की याद आ जाती है।  
इसकी पटकथा में ऐसा क्या खास था?
एक ऐसी भूमिका जिसमें आप मुझे आमतौर पर नहीं देखेंगे. धारावाहिक अम्माजी की गली के निर्माता और निर्देशक से मिलने के बाद मुझे लगा कि मेरी तलाश की मंजिल यही है।
धारावाहिक की कहानी क्या है?
धारावाहिक की कहानी अम्माजी यानी फरीदा जलाल के आसपास ही घूमती है और इसमें उनका किरदार लकवे का शिकार हो चुकी एक ऐसी महिला का है जो देखने में तो निरीह और असहाय नजर आती है, लेकिन असल में पूरी गली की हर समस्या का निदान उनके ही द्वारा होता रहा है।
बालिका वधु की चंद कडियों के बाद,आपका  अचानक गायब होने की कोई खास वजह ?
इस बारे में मुझ से बेहतर धारावाहिक के निर्माता निर्देशक ही बता सकते है। लेकिन जितना भी काम मुझे सौपा गया था उसे मैंने जिम्मेदारी से निभाया।
कही ऐसा तो नही था कि आपके आते ही अम्माजी का किरदार दब रहा हो ?
ऐसा नही है उसका किरदार घंमडी,उग्र किस्म की प्रौढा का था जबकि मेरा रोल ऐसी माहिला का जो परिवार को संगठित करने में विष्वास रखती है। दोनों ही किरदारों में कही समानता नही है वैसे सुलेखा सीकरी  मुझसे काफी बडी हैं और वरिष्ठ भी। उनके साथ काम करने का अनुभव अच्छा ही रहा है।

3 killed, 12 INJURED IN CHANDIGARH ROAD ACCIDENT uxj


Chandigarh,Sanjay Pahwa: 
Three persons including a woman and a child, were reportedly run over by a rashly driven private college bus near Sector 28 light point. The deceased have been identified as Anita (32 years), Jatin (14years) & Mandip (20 years) . Twelve more people part of the 150 strong nagar kirtan Jatha were also injured. This jatha was going on foot to Nadha Sahib Gurdwara from Chandigarh when this mishap happened. Some of the people from the jatha set the bus belonging to a private college, ablaze. The bus was completely gutted. The driver of the bus fled the spot, but the coductor was arrested. Top Administration & Police official reached the spot to control the situation. The injured & the dead were taken to PGI & Sec.16 General Hospital. 
CHANDIGARH : SANJAY PAHWA: CHANDIGARH SECTOR.28 LIGHT POINT KE PAAS EK SADAK DURGHATNA MEIN 3 KI MAUT AUR 12 GHAYAL HUE. CHANDIGARH SE  PAIDAL JAATE KIRTAN JATHE KE LAG BHAG 200 SE BHI ADHIK LOG NADHA SAHIB JA RAHE THE , JAB KI EK PRIVATE COLLEGE KE BUS KE DRIVER NE KUCH LOGON PE BUS CHADA DI . BUS DRIVER MAUKE SE FARAR HO GAYA LEKIN BUS KA CONDUCTOR PAKDA GAYA. SHRADHALUON NE GUSSE MEIN BUS KO AAG LAGA DI . GHAYALON KO GENERAL HOSPITAL AUR PGI PAHUNCHAYA GAYA. KUCH CHASHAMDID GAWAHON KE MUTABIK BUS NE PEHLE EK ACTIVA SCOOTER KO TAKKAR MARI AUR PHIR PAIDAL JAATE JATHE KE LOGON PE CHADA DI. MAARE GAYE LOGON  MEIN 32 SAAL KI ANITA, 14 SAAL KE JATIN AUR 20 KE MANDIP THE.

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भोजपुरी फिल्म वाह! जीजा जी


नई दिल्ली ;चंदन शर्मा :
मसाला फिल्में ऐसी ही होती हैं। थोड़ा रोमांसए थोड़ी कॉमेडी और थोड़ा एक्शन। एक आइटम सौंग भी शामिल कर लिया जाएए तो सोने में सुहागा। ऐसी फिल्मों में कहानी और पटकथा का ज्यादा महत्व नहीं होता। फिल्म वाह! जीजा जी पूरी तरह मसाला फिल्म हैए!रिस्पांस पिक्चर्स प्रस्तुति निर्माता भट्टाचार्य और निर्देशक अभिषेक चड्ढा की भोजपुरी फिल्म समाज के उस वर्ग की जिसमें कभी.कभी रिश्तें कुछ अजीब से बन जाते हैं। ऐसे ही रिश्तों की एक कहानी है ष्वाह! जीजा जीष्।  फिल्म की कहानीं विमल सहाय और उनकी चार बेटियाँ मंजूए मीराए मीना और मेघा के इर्द गिर्द घूमती है। उनकी दो बडी बेटियां मंजू और मीरा विवाहित है जबकि मीना और मेघा अभी अविवाहित हैं। 
मंजू का पति विष्णु सीधा सादा और पारिवारिक हैए जबकि मीरा का पति श्मोरी लाल  स्वार्थी एमौका परस्त है। कॉलेज में अपने हुस्न से युवाओं के दिल पर राज करने वाली मेघा अनाथ युवक सागर को प्यार करती है। जबकि एक अन्य युवा श्रवण ए मेघा को एक तरफा प्यार करता हैए। श्रवणए मेधा को पाने की लालसा में मेघा के जीजा श्मोरीलाल की मदद लेता है। वह अपनी एक सुनियोजित चाल के तहत् श्रवण का परिचय अपने ससुर विमल सहाय से कराता है।  लेकिन विमल सहाय की मजबूरी यह है कि वे अपनी बडी बेटी मीना के विवाह से पूर्व  मेघा का विवाह नही कर सकते है । तिकडबाज श्मोरी लाल अब अपनी एक नई चाल के तहत् श्रवण मीना से करवा देता है।विवाहोपांत श्रवण चाह कर भी मेघा को नही भुला पाता है और उसे पाने की लालसा में वह मीना की हत्या करके उसे हमेशा के लिए को रास्ते से हटा देता है। मेघा अपनी बहन मीना की मौत के बाद से तो श्रवण से नफरत करने लगती है। अब मेघा की जिंदगी का एक ही मकसद है कि वह पढ़ लिख कर पुलिस अधिकारी बने।अभिताभ बच्चनए हेमा मालिनी जैसे सितारों वाली फिल्म गंगा और गंगोत्री के जाने.पहचान के निर्देशक अभिषेक चड्ढा ने इस फिल्म का निर्देशन किया है। उनका कहता है कि लटके.झटके वाली खोखली कहानियों पर तो सैंकड़ों भोजपुरी फिल्में बनी हैं और बनती जा रही हैंए लेकिन कुछ ऐसे कहानियों पर भी फिल्में बनाई जानी चाहिए जो समाज की बुराईयों को सामने लायेए मनोरंजन के साथ.साथ यदि कुछ अच्छे संदेश भी दर्शकों को दिये जायें तो अच्छी फिल्मों को दर्शक जरूर पसंद करेंगें।फिल्म वाह! जीजा जी के निमाता सुमन भट्टाचार्या कोलकात्ता के जाने.माने लोकप्रिय व्यवसायी हैं। उनका कहता है कि इस फिल्म से उन्हें लाभ की इच्छा नहीं है यदि समाज का छोटा वर्ग भी फिल्म से कुछ सीखता है तो उनका सबसे बड़ा लाभ वही होगा।ष्वाह! जीजा जीष् की कथा चित्रांस ने लिखी हैए जबकि पटकथा.संवाद चुनमुन पंडित के हैंए छायाकार वसंत जाधव तथा गीत.संगीत अशोक घायल का है।फिल्म के मुख्य कलाकार हैं. छोटू छलियाए प्रिया कपूरए अमीर चंदए सुमंत मिश्राए मनोज जयसवालए ज्ञानेश गौतमए प्रियंका चटर्जीए श्रीपर्णाए संतोष विश्वकर्माए राजूए सूरज जैसवालए मोहनए दीपकए ओसियाना चौधरीए पायलए बिन्दूए प्रियाए सुतृष्णाए तरूणए टीण् पीण् श्रीवास्तवए प्रभाकरए अभिषेक और नये चेहरे रतन लखमनी के साथ सुमन भट्टाचार्य।

संसाधनों की कमी से जूझ रहे अस्पतालों का इलाज करे सरकार


खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री : 
कहने को तो इस समय हरियाणा सरकार ने प्रदेश में विकास कार्यों की झड़ी लगा रखी है|लेकिन लोगों को चिकित्सक सुविधाओं का आभाव झेलना पड़ रहा है|विशेषकर ग्रामीण इलाकों में जहाँ लोगों को सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की व्यवस्था तो उपलब्ध कराई गयी है लेकिन सिर्फ कागजी तौर पर स्थिति बहुत खराब है| इस समय जिले के कई गांवों में आज भी स्वास्थ्य सेवा नहीं है।जहाँ पर है वहां या तो डॉकटर नही या इलाज के लिए दवाइयां और संसाधन नही|सरकार द्वारा गाँव में सरकारी अस्पतालों में 42 डॉकटर की सेवा उपलब्ध कराई गयी है|लेकिन कुछ   सिविल अस्पताल में कुल 42 में से 33 डाक्टर ही काम कर रहे हैं। बच्चों के लिए नर्सरी भी तैयार नहीं हो सकी है। कई अस्पतालों में मशीनें चलाने के लिए विशेषज्ञ नहीं हैं।
 रोहतक : सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों के करीब 12 पद खाली हैं। स्किन स्पेशलिस्ट नहीं है। सफाई व्यवस्था की ओर ध्यान नहीं दिए जाने से बीमारी फैलने की आशंका रहती है। कुरुक्षेत्र : 36 साल बाद भी लोकनायक जयप्रकाश सिविल अस्पताल का विस्तार नहीं किया गया। न तो यहां जरूरी पूरे उपकरण हैं और न ही दवाएं। ज्यादा संख्या में गंभीर मरीज आने पर या तो फर्श पर लिटाकर इलाज किया जाता है। यमुनानगर : ट्रॉमा सेंटर में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। माइक्रोबायोलाजिस्ट का पद रिक्त है। यहां टीएमटी मशीन, इकोकार्डियोग्राफी व सिटी स्कैन मशीन भी नहीं हैं। अंबाला : सरकारी अस्पतालों में दवाइयों से लेकर डॉक्टरों का अभाव है। मशीनों को चलाने वाला कोई नहीं है। शहर में सात साल से अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहे। सफाई का आलम ये है कि टीबी अस्पताल की छत पर पीपल के पौधे उगे हुए हैं। करनाल : 1911 में शहर में किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल नाम से जिले का राजकीय अस्पताल बना था। इसका ट्रॉमा सेंटर रेफर सेंटर बन चुका है। 19 पीएचसी और छह सीएचसी में सुविधाओं के अभाव में मरीजों को कराहते देखा जा सकता है। कभी एक्सरे की फिल्म नहीं तो कभी दवाइयों की कमी। पानीपत : सिविल अस्पताल 12 लाख की आबादी वाले जिले की आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम नहीं है। यहां 42 में से 37 डॉक्टर सेवा दे रहे हैं। अल्ट्रासाउंड मशीन चलाने वाला कोई नहीं है। जले हुए मरीजों का इलाज करने के लिए बर्न यूनिट नहीं है। इन परिस्थितयों में सरकार द्वारा किये गये स्वस्थ परिवार के दावे बेकार ही साबित प्रतीत होते हैं|सही चिकित्सा सुविधा नही मिल पाने के कारण ही आज देश के गाँव स्वस्थ नही हैं और इसके लिए सरकार ही जिम्मेवार है|हांलाकि स्वास्थ्य का ध्यान रखना लोगों की जिम्मेवारी है लेकिन इसके लिए सुविधाएँ उपलब्ध करना सरकार का और स्वास्थ्य विभाग का कर्तव्य है|लेकिन दोनों ही आँखें मूंदे बैठी है|

प्राची का नया अवतार


टीवी शो कसम से की वाणी याानि प्राची देसाई फिल्मोद्योग की नई मनमोहक अदाकारा के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं। रॉक ऑन,लाईफ पार्टनर,वंनस ओपन इन टाईम मुंमई,उडान एक्सप्रेस कन्नड,थडाईयारा थाका तामिल जैसी फिल्मों के बाद में प्राची भट्ट भाइयों की नई रोमांचक फिल्म इन्फॉर्मर में एक अलग तरह की भूमिका में नजर आएंगी।चर्चा थी कि प्राची निर्माता कृष्ण चौधरी की एक फिल्म जोकर में राजीव खंडेलवाल के आपोजिट काम कर रही है।
इसके समानांतर एक अन्य फिल्म घायल रिटर्न भी उनके खाते में है। भट्ट भाई और उनकी नई फिल्म की सह-निर्माता फॉक्स स्टार कम्पनी प्राची को लेकर अपनी फिल्म के विषय में अभी कोई खुलासा करने को तैयार नहीं है।अब खबर है कि भट्ट भाइयों की इस नई फिल्म का निर्देशन कुणाल देशमुख करेंगे। फिल्म में प्राची को एकदम नए रूप में दर्शकों के सामने पेश करने की योजना है। नई फिल्म में भी प्राची के हीरो हाशमी हैं। सूत्र का कहना है कि प्राची इस फिल्म में बेहद मनमोहक और लुभावने किरदार में दिखेंगी।-- 
prembabusharma media critic

10489,Bagichi Peer ji,Near Pratap Nagar Metro Rly.St.
Delhi 110007

अमेरिका में भारतीय करा रहे कन्या भ्रूण हत्या

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री : 
आधुनिक शिक्षा के बावजूद भारतीय महिलाओं की मानसिकता में बदलाव नहीं आया है। अमेरिका में परिवार के दबाव के चलते भारतीय मूल की महिलाएं पुत्र की चाह में कन्या भ्रूण हत्या करा रही हैं। लिंग निर्धारण के लिए वह यहां की उदारवादी नीति और कृत्रिम प्रजनन सुविधाओं का सहारा ले रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। भारत के विपरीत अमेरिका में लिंग निर्धारण वैध है। अध्ययन के मुताबिक यह महिलाएं कृत्रिम प्रजनन तकनीक इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) के दौरान सिर्फ नर भ्रूण को प्रत्यारोपित करा रही हैं। वह कन्या भ्रूण का गर्भपात करा देती हैं। शोधकर्ताओं ने कैलिफोर्निया, न्यूजर्सी और न्यूयॉर्क में 65 अप्रवासी भारतीय महिलाओं का साक्षात्कार लिया, जिन्होंने सितंबर, 2004 से दिसंबर, 2009 के बीच लिंग परीक्षण कराया। साक्षात्कार के दौरान जो महिलाएं गर्भवती थीं, उनमे से 89 प्रतिशत ने कन्या भ्रूण पता चलने के बाद गर्भपात करा लिया। यह सभी महिलाएं विभिन्न धर्मो और अलग-अलग शैक्षिक पृष्ठिभूमि की थीं। जबकि आधे से ज्यादा नौकरीपेशा थीं। हालांकि विभिन्न शैक्षिक स्तर होने के बावजूद उनकी मानसिकता एक समान थी। इनमें 38 प्रतिशत हाईस्कूल पास थीं। जबकि 12 स्नातक और 15 के पास चिकित्सा, लॉ, बिजनेस, नर्सिग और वैज्ञानिक शोध की उच्च स्तरीय डिग्री । कन्या भ्रूण जानने के बावजूद उसे जन्म देने वाली महिलाओं ने कहा कि उन्हें गर्भावस्था के दौरान कई तरह के मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न से गुजरना पड़ा। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में रेजिडेंट डॉक्टर और प्रमुख शोधकर्ता सुनीता पुरी ने कहा, चिकित्सक इन मामलों में सलाह देने के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन पारिवारिक दबाव के मामलों में संकोच कर जाते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत में लिंग चयन तकनीक पर प्रतिबंध है। जबकि अमेरिका में किसी भी कारण से गर्भपात और विभिन्न चिकित्सकीय तकनीक के जरिए लिंग चयन की छूट है। यह शोध 18 साल की उम्र के बाद पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से आई अप्रवासी भारतीय महिलाओं पर किया गया।

Tuesday, June 7, 2011

संध्या सिंह की कला प्रर्दशनी

नई दिल्ली।(प्रेमबाबू शर्मा) :
हमारी संस्कृति में शास्त्रीय संगीत, जीवन को संवारने और सुरूचिपूर्ण ढंग से जीने की कला को माना गया है। संगीत हमारी संस्कृति की ऐसी गरिमापूर्ण धरोहर है जिससे हमारे देश के हर प्रंातों के विभिन्न लोकसंगीत की पावन धाराएं निकलती हैं। यह धाराएं हमारे जीवन में न सिर्फ उल्लास और खुशियों का रंग भरती हैं। बल्कि यह हमारे संस्कारों की पहचान का आधार भी हैं।
अगर हम किसी को रागों के रंग के बारे में पूछे तो निश्चय ही हमें इसका जवाब नहीं मिल पाएगा। किंतु प्रतिभाषाली चित्रकार संध्या सिंह ने संगीत की प्ररेणा से अपने कैनवैस पर इसी विषय पर विभिन्न रागों को अकार देने की कोशिश की है। संध्या ने डी.ए.वी. कॉलेज देहरादून से फाईन आर्टस में मास्टर डिग्री प्राप्त की है उनके अनुसार संगीत को अपनी कल्पनाओ�¤ ‚ से रंगना इतना आसान नहीं इसके लिए संगीत की प्रकृति का गहराई से ज्ञान होना बहुत आवश्यक है।
हम संगीत की बात करें तो सबसे पहले हमको यह समझ लेना चाहिए कि इंसान की अनुभूति किसी भी कला की जन्मदाता है। चित्रकारी और संगीत कला के दो पहलू है जिनके माध्यम से इंसान अपनी संवेदनाओं को अभिव्यक्त करता है। कितु अगर इनका मिश्रण कर दिया जाय तो अवश्य यह चौंका देने वाला विषय होगा। संध्या सिंह �¤ �ा कहना हैं राग संगीत की आत्मा हैं। राग का अर्थ है प्रेम, इच्छाएं, सवेंदनाए, अनुभूति, इंसानी जीवन के विभिन्न पक्ष एवं कविता । हर राग में एक विशेष प्रकार के स्वर समूह को बार बार प्रयोग करके उस राग की पहचान दर्शाई जाती है।
हर राग का एक निश्चित समय है। उस समय की व्यक्तिगत मनस्थिति व मौसम परिस्थिति के आधार पर रंगों का चयन निश्चित करता है। उनके चित्रों में इंद्रधनुष के सात रंगों को माध्यम बनाया गया है । उन्होंने अपने कुछ चित्रों के माध्यम से यह भी दर्शाने का प्रयास किया है कि संगीत बिना हमारा जीवन नीरस हैं। संगीत एक ऐसा माध्यम है जो हमें हमारे जीवन के सुख और दुख की कडियों को जोड़ता है।
संध्या के मुताबिक स्वर एवं नांद संगीत के मुख्य अंग हैं। संध्या सिंह ने अपने कैनवैस पर विभिन्न रंगों के माध्यम से अलाप, जुगलबंदी एंव संगीत के सात स्वर एवं उनसे जु़ड़ने वाले अन्य पहलुओं को स्थूल आकार दिए हैं। संध्या सिंह कि संगीत की विभिन्न कड़ियों को जोड़ती ‘रिदम ऑफ लाईफ म्युजिक’ चित्रकला प्रर्दषनी 29 जून से 6 जुलाई तक मुम्बई के डी डी निरॉय आर्ट गैलरी में लगाई जाएगी।

पान मसाला बताकर हो रहा गुटखे का विज्ञापन

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री :
मुंबई सहित देश भर में तंबाकू उत्पाद निषेध अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। महानगर में पान मसाला विज्ञापन के रूप में तम्बाकू उत्पादों का धड़ल्ले से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। संगठन ने मुम्बई महानगर के तीन हजार लोगों के बीच यह सर्वेक्षण किया था। इसमें अधिकतर उत्तरदाताओं ने पान मसाला विज्ञापन को गुटखा का प्रचार बताया है। ऐसी स्थिति में यह सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद (उत्पादन, आपूर्ति, वितरण, व्यापार एवं वाणिज्य के विनियमन और विज्ञापन का निषेध) अधिनियम-2003 का उल्लंघन करता है। सर्वेक्षण के लिए दो समूहों का चयन किया गया था। एक समूह ने 12-18 वर्ष के आयु वर्ग (बच्चे) की प्रतिक्रिया ली और दूसरे समूह ने 19-50 वर्ष के आयुवर्ग (युवा) की। सर्वेक्षणकर्ताओं ने उत्तरदाताओं को तीन ब्रांडों वाले पान मसाला विज्ञापनों के फ्लैश कार्ड दिखाए जो होर्डिग और बेस्ट बसों पर दिखाई देते हैं। पहले फ्लैश कार्ड के उत्तरदाताओं में 82 फीसदी (1235) बच्चों और 84 फीसदी (1255) युवाओं ने इसे गुटखा बताया, जबकि 9 फीसदी (136) बच्चों और 7 फीसदी (105) युवाओं ने कहा कि यह पान मसाला है। दूसरे फ्लैश कार्ड के उत्तरदाताओं में 62 फीसदी बच्चों और 71 फीसदी युवाओं ने इसे गुटखा बताया, जबकि 14 फीसदी बच्चों और 13 फीसदी युवाओं ने इसे पान मसाला करार दिया। इसी प्रकार तीसरे फ्लैश कार्ड के उत्तरदाताओं में 58 फीसदी बच्चों और 65 फीसदी युवाओं ने इसे गुटखा कहा, जबकि 17 फीसदी बच्चों और 15 फीसदी युवाओं ने इसे पान मसाला बताया। सलाम बॉम्बे की कार्यक्रम निदेशक देविका चड्ढा ने कहा, सभी तीन ब्रांडों ने पान मसाला उत्पाद का विज्ञापन करने का दावा किया है। जबकि अध्ययन में सामने आया है कि विज्ञापन अप्रत्यक्ष रूप से उनके गुटखा का प्रचार-प्रसार करते हैं क्योंकि विज्ञापन देखने वालों ने इसे गुटखा का प्रचार बताया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि विज्ञापन उत्पादों को खरीदने में उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। संगठन ने भारतीय विज्ञापन परिषद (एसीआइ) को पत्र लिखकर ऐसे ब्रांडों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है जो अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू उत्पादों का प्रचार-प्रसार कर उत्पाद निषेध अधिनियम का उल्लंघन करते हैं।


Monday, June 6, 2011

देश के धनी भी नहीं चाहते घर की लक्ष्मी


खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री :
एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि संतान के रूप में एक कन्या होने के बाद यदि गर्भ में दूसरी भी लड़की आ जाती है तो ऐसे भ्रूण की हत्या करवाने की प्रवृत्ति भारत में धनी एवं शिक्षित तबकों में तेजी से बढ़ रही है। प्रतिष्ठित लैंसेट पत्रिका के आगामी अंक में छपने वाले इस अध्ययन के निष्कर्षो के अनुसार 1980 से 2010 के बीच इस तरह के गर्भपातों की संख्या 42 लाख से एक करोड़ 21 लाख के बीच रही है। अध्ययन में दावा किया गया है कि पिछले कुछ दशकों में पुत्र की चाहत में चुनिंदा गर्भपात का चलन बढ़ा है। साथ ही लड़के-लड़कियों के अनुपात में कमी की प्रवृत्ति जो अभी तक उत्तरी राज्यों में ही ज्यादा पाई जाती थी अब उसका प्रकोप पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में भी फैलने लगा है। टोरंटो विश्वविद्यालय के प्रभात झा इस अध्ययन पत्र के मुख्य लेखक हैं। उन्होंने बताया, भारत की अधिकतर आबादी ऐसे राज्यों में रहती है जहां इस तरह के मामले आम हैं। अध्ययन में जनगणना आंकड़ों और राष्ट्रीय सर्वेक्षण के जन्म आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इस विश्लेषण का मकसद ऐसे परिवारों में दूसरे बच्चे के जन्म में बालक-बालिका के अनुपात का अंदाजा लगाया जा सका जहां पहली संतान के रूप में बच्ची पैदा हो चुकी थी। अध्ययन में पाया गया कि 1990 में प्रति 1000 लड़कों पर 906 लड़कियां थीं जो 2005 में घटकर 836 रह गई। झा ने कहा कि अनुपात में यह गिरावट उन परिवारों में अधिक देखी गई जहां जन्म देने वाली मां ने दसवीं या उससे उच्च कक्षा की शिक्षा हासिल कर रखी थी और जो संपन्न गृहस्थी की थी। लेकिन ऐसे ही परिवारों में यदि पहला बच्चा लड़का है तो दूसरी संतान के मामले में लड़का-लड़की अनुपात में कोई कमी नहीं आई। उन्होंने कहा कि इससे यह सुझाव मिलता है कि कन्या भ्रूण का चुनिंदा गर्भपात शिक्षित एवं संपन्न परिवारों में ज्यादा मिलता है। ऐसी प्रवृत्ति आम तौर पर पहली संतान के लड़की होने के मामलों में देखी जाती है। 1980 के दशक में कन्या भ्रूण का चुनिंदा गर्भपात 0.20 लाख था, जो 1990 के दशक में बढ़कर 12 लाख से 40 लाख तथा 2000 के दशक में 31 लाख से 60 लाख तक हो गया।
अमेरिका में भी भारतीय मूल की महिलाएं आगे : भारत ही नहीं अमेरिका में भी भारतीय मूल की महिलाएं पुत्र की चाह में खूब कन्या भू्रण हत्या करवा रही हैं। खास बात यह है कि भारत के विपरीत अमेरिका में लिंग निर्धारण करवाना कानूनन वैध है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने सितंबर 2004 से दिसंबर 2009 के बीच लिंग निर्धारण परीक्षण करवाने वाली कैलिफोर्निया, न्यू जर्सी और न्यूयॉर्क की प्रवासी भारतीय महिलाओं का साक्षात्कार किया। शोध में यह बात सामने आई कि 40 प्रतिशत महिलाओं ने यह जानने के बाद कि उनके गर्भ में कन्या पल रही है, गर्भपात करवा दिया। साक्षात्कार के दौरान जो महिलाएं गर्भवती थीं, उनमें से 89 प्रतिशत ने कन्या भू्रण हत्या करवाई। शोध में यह बात सामने आई कि जिन महिलाओं ने यह जानने के बावजूद उसे जन्म दिया कि उनके पेट में कन्या भ्रूण है, उन्हें गर्भावस्था के दौरान कई तरह के मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न से गुजरना पड़ा|

भारत 20 खतरनाक देशों में


खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री :
भारत अब सबसे अधिक खतरनाक देशों की श्रेणी में आ गया है। ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआइ) 2011 के अनुसार शांतिप्रिय माने जाने वाले इस देश में अशांति तेजी से बढ़ी है। भारत इस बार इस सूची में सात अंक नीचे आ गया है। दरअसल, ग्लोबल पीस इंडेक्स 23 सूचकांकों पर देशों के हालात की विवेचना और आकलन करता है। इसमें सैन्य अभियानों पर खर्च, अपराध की बढ़ती दर, संघर्ष के स्तर और पड़ोसी देशों से उसके संबंध शामिल हैं। इन पैमानों पर आकलन के बाद देश को सात पायदान नीचे उतरना पड़ा है। इस नई रैंकिंग के हिसाब से भारत अब बीस सबसे अधिक खतरनाक देशों में शुमार हो गया है जहां पर अशांति और संघर्ष का बोलबाला है। 
भारत सात अंक गिरकर अब कुल 153 देशों के सूचकांक में 135 नंबर पर आ गया है। इन बीस सबसे खतरनाक देशों में पाकिस्तान (146वां स्थान) और अफगानिस्तान (150वां स्थान) पर है। ग्लोबल पीस इंडेक्स के संस्थापक स्टीव केलीली ने एक साक्षात्कार में बताया कि भारत के अंक अधिकांश मापदंडों पर पहले जैसे ही रहे हैं इसलिए वहां ऐसी कोई विकट स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है। सामूहिक हत्याएं और अपराध की दर भी भारत में अन्य देशों से काफी कम हैं। रैंकिंग में गिरावट की मूल वजह सिर्फ इतनी है कि भारतीय समाज में अपराध बढ़ने की छवि बन गई है। तीन साल की आर्थिक मंदी खत्म होने के तुरंत बाद ही सबसे अधिक शांतिप्रिय देश के रूप में न्यूजीलैंड को हटाकर आइसलैंड ने यह जगह ले ली है। वहीं पिछली बार सबसे अशांत देश घोषित इराक की जगह सोमालिया ने ली है। लगातार तीसरे साल सामाजिक उठापटक विश्व को और अधिक अशांत बना रही है। वहीं आर्थिक तनावों के चलते चीन के लिए खतरा पैदा होने का भी दावा इस इंडेक्स में किया गया है। जीपीआइ के अनुसार आर्थिक कारणों से ही अरब देशों की हलचल के साथ ही विश्व के मध्य भूभाग में अशांति है। खाद्य पदार्थो की कीमतें आसमान छूने के चलते ही मिस्र, ट्यूनीशिया और अन्य देशों में संघर्ष शुरू हो गया है। कुछ देशों में खूनखराबा हदें पार कर चुका है। हालांकि इस परेशानी का मुकाबला यूरोपीय देशों में सड़कों पर आवाज बुलंद करके हो रहा है। हालांकि इस रिपोर्ट के कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं। जिसमें बताया गया है कि आइवरी कोस्ट, लीबिया और उत्तर-दक्षिण कोरिया के बीच सीमा विवाद जारी रहने के बावजूद वहां युद्ध के हालात अब खत्म हो चुके हैं। यह पड़ोसी देश अब तनावपूर्ण शांति से काम ले रहे हैं। कभी बड़े दुश्मन पड़ोसी देश अब सह-अस्तित्व की भावना को समझते हुए मिल-जुलकर रह रहे हैं। केलीली ने कहा कि सबसे रोचक और अहम अध्ययन चीन का है। वहां आने वाले समय में बड़े बदलाव तय हैं। अगर आने वाले सालों में वहां आर्थिक विकास की गति मंद पड़ती गई तो हिंसक प्रतिक्रिया और अस्थिरता संभव है। उन्होंने बताया कि शांति को सुनिश्चित करने के लिए सबसे अहम आयाम सुचारू रूप से चलने वाली सरकारें, अपेक्षाकृत एकरूप समाज, संपत्ति की समान भागीदारी, कालेज स्तर तक अच्छी शिक्षा, प्रेस की 
आजादी हैं।

जनसंख्या बढ़ोतरी, कहीं बहुत कम कहीं बहुत ज्यादा

खुशबू(इन्द्री)करनाल :

हर सेकंड औसतन 2.6 बच्चे पैदा होते हैं, हर मिनट 158, हर दिन 2 लाख 28 हजार 155 लोग दुनिया में पैदा होते हैं। हर सेंकड दुनिया की जनसंख्या बढ़ रही है। कुल 6 अरब 96 करोड़ से ज्यादा लोग हैं। और हर टिक टिक के साथ बढ़ रहे हैं। 
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक 2100 में दुनिया की जनसंख्या दस अरब हो जाएगी। 1950 से अब तक दुनिया की जनसंख्या का बढ़ना आधा हो गया है। मतलब पहले हर महिला के औसतन पांच बच्चे होते थे, लेकिन अब यह संख्या आधी हो गई है। इसका मुख्य कारण परिवार नियोजन है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या विभाग के अध्यक्ष थोमास बुइटनर कहते हैं, 'जो जनसंख्या आज हम देख रहे हैं वह सुधार भरे कदम का परिणाम है। अगर 1950 के कदम नहीं बदले होते तो आज जनसंख्या के आंकड़े अलग होते।'

हालांकि तस्वीर का सिर्फ एक यही अच्छा पहलू होता तो बहुत ही बढ़िया था, लेकिन ऐसा है नहीं। क्योंकि अमीर देशों में जनसंख्या घट रही है और गरीब देशों में लगातार बढ़ रही है। जनसंख्या के बढ़ने की गति अगर इसी तेजी से जारी रही तो इस सदी के आखिर में ही धरती पर 27 अरब लोग हो जाएंगे। अभी से चार गुना ज्यादा। लेकिन नाइजीरिया में थ्योरिटिकली दो अरब ज्यादा होंगे तो जर्मनी की जनसंख्या आधी हो जाएगी और चीन में 50 करोड़ लोग कम हो जाएंगे।

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ एक और मामले पर नजर डालते हैं, 'ज्यादा से ज्यादा लोगों को परिवार नियोजन की सुविधा मिल रही रही और मत्यु दर कम हो गई है। विकास के सभी काम, परिवार नियोजन की कोशिशें मां और बच्चों के मरने की दर कम करती है।' 

इन आंकड़ों के मुताबिक गरीब से गरीब देशों में भी प्रति महिला बच्चों की संख्या कम हो जाएगी। और इसलिए 2100 तक दुनिया में करीब दस अरब लोगों के धरती पर रहने का अनुमान संयुक्त राष्ट्र ने लगाया है।

असमान जनसंख्या बढ़ोतरी : -

यूएन ने अनुमान लगाया है कि अगर प्रति महिला औसतन एक दशमलव छह बच्चे पैदा होते हैं तो जनसंख्या 16 अरब तक पहुंच जाएगी। यह सबसे ज्यादा वाला अनुमान है और एकदम कम होने की स्थिति में दुनिया की जनसंख्या घट कर छह अरब ही रह जाएगी जो आज की संख्या से भी कम होगी। दो हजार आठ में भी संयुक्त राष्ट्र ने इसी तरह का अनुमान लगाया था जिसे उसे ठीक करना पड़ा था।


जर्मन जनसंख्या संस्था (वेल्ट बेफ्योल्करुंग प्रतिष्ठान) की प्रमुख रेनाटे बैहर बताती हैं, 'दो हजार पचास में बीस करोड़ जनसंख्या बढ़ने के सुधार को इसलिए करना पड़ा क्योंकि पैदा होने वाले बच्चों की संख्या जितना कम होने का अनुमान था वैसा आखिरी दो साल में हुआ नहीं। यह एक चेतावनी है। उम्मीद करते हैं कि नेता इस चेतावनी को सुनेंगे और इस पर कार्रवाई करेंगे।'
इसके लिए रेनाटे बैहर थाईलैंड और केन्या का उदाहरण देती हैं, 'आप अगर आज केन्या और थाईलैंड की ओर देखें तो पता चलेगा कि दोनों में जमीन आसमान का फर्क है। केन्या में जनसंख्या चार गुना बढ़ी है जबकि थाईलैंड में सिर्फ दो गुना।'
इसका कारण सिर्फ एक ही है कि 1970 के दशक में थाईलैंड ने दो बच्चे प्रति परिवार की नीति अपनाई और इसे आगे बढ़ाया। अब तो केन्या भी इसे समझ गया है कि परिवार की खुशहाली कम बच्चे ही जरूरी हैं, लेकिन दुनिया के कई देश अभी भी नहीं समझे हैं।

Dr.Anshu Kataria (35) Elected as President of 40 years old Chandigarh Management Association (CMA)


Chandigarh :Sanjay Pahwa:
 History has been created today in Chandigarh Management Association (CMA). Dr.Anshu Kataria, Chairman, Aryans Group of Colleges has been selected as President of CMA. This is first time in 40 years history of CMA that a 35 years old young leader has been chosen for such a prestigious post. Dr.Kataria is Doctorate from University Business School, Panjab University, Chandigarh and is running Aryans Group of Colleges on Chandigarh-Patiala Highway, near Chandigarh.
 The winning team includes Dr.Manoj K.Sharma (Vice-President), Mr.M.L.Garg (Joint Secretary), Ms.Madhulika Kak (General Secretary) and Mr.A.K.Verma (Treasurer). The other Executive members are Mr.Amarjit Singh Tanda, Mr.Arun Kumar Gandhi, Mr.Balwant Gurunay, Dr.Niraj Pasricha, Dr.T.L.Kaushal, Mr.J.N.Vohra, Mr.Jagtaran Singh Nayyar and CA Mr.Vivek Goyal.Dr Zora Singh (Desh Bhagat), Dr.Aneet (Gian Jyoti) & Gurvinder Singh Bahra (Rayat & Bahra) were also elected as Organizational member.
Addressing the CMA, Dr.Kataria said that with the cooperation of other members, he would make CMA as the best among India’s Management Associations. He further said that he would work for widening the membership base of CMA and also to make it financially strong. Before that, Annual general Meeting of CMA took place where Dr.Gulshan Sharma (President, CMA) & Sh.J.N.Vohra (Genera l Secretary) addressed the members of CMA.
Established in 1966, CMA is a registered society affiliated to the All India Management Association (AIMA). Aimed at promoting professional management concepts amongst management fraternity representing Industry, Trade and Academia of the Chandigarh and its adjoining satellite cities the association has more than 400 members.
Young and enterprising Kataria has achieved several milestones in his short career of over a decade where he is running a successful Business School. He also plans to expand his horizon by making a foray into engineering and nursing colleges from the current academic session. His vision to make a difference in the field by equating quality and excellence with performance has helped Aryans Business School being considered among the reputed business schools of the region.

कन्या भ्रूणहत्या के खिलाफ जागरूकता

नई दिल्ली। (प्रेमबाबू शर्मा) : 
बाहरी दिल्ली स्थित शकूरपुर जेजे कालोनी में लोगों को कन्या भ्रूणहत्या के खिलाफं जागरुक करने के मकसद संे एक कार्यक्रम का आयोजन हु। कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक संस्था जनजागृति वेलफेयर सोसायटी सिरसपुर और एनएसयूआई नेता दीपिका देसवाल ने मिलकर किया।इस मौके फैशन डिजाइनर संजना जॉन,गोल्ड मेडलिस्ट पहलवान अनिल खत्री, पदमश्री डा. मौसिम अली,प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव विजेंद्र जिंदल, संस्था के उपाध्यक्ष नरेश देसवाल, पास्टर इमैनुअल, सुशांत मिश्रा, परवीन रज्जी, सुषमा ढींगरा, जेबी जैन, प्रेम, पंजाब से कांग्रेस नेता परविंदर कौर समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे। इस मौके पर एक जागरुकता रैली का आयोजन भी हुआ, जिसमें लड़कियों की घटती तादाद पर चिंता जताते हुए कन्या भ्रूण हत्या रोकने का संदेश दिया गया। अगर बेटी को कोख में ही मार डालोगे, तो बेटे के लिए बहू कहां से लाओगे। कार्यक्रम में जर्नलिस्ट टुडे नेटवर्क और राजधानी संदेश समाचार पत्र ने मीडिया पार्टनर की भूमिका अदा की। 
दीपिका देसवाल और संजना जॉन इस मौके पर कहा कि भारत वर्ष को हमेशा महिलाओ की पूजा के लिए जाना जाता है। नारी को जननी कहा जाता है। उसी नारी को कमजोर करने की जो साजिश कन्या भ्रूण हत्या के रुप की जा रही है। उसे रोकने के लिए जागरुकता की जरुरत है। पीएनडीटी एक्ट 1994 का हवाला देते हुए भी बताया कि भ्रूण जांच के लिए अल्ट्रासाउंड अथवा कोई भी तरीका अपनाने वालो को तीन साल की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माना और दूसरी बार दोषी पाए जाने पर पांच साल की सजा और 50 हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना होने का प्रावधान है। साथ ही उस मेडिकल अथोर्टी का लाइसेंस तक रद्द किए जाने का प्रावधान है। इसके लिए लिंगानुपात में महिलाओं की संख्या बढाए जाने की जरुरत है। सरकार ने महिलाओं के लिए शिक्षा से लेकर रोजगार तक के लिए कई सुविधाएं दी है, जिनमें सबला, लाडली और ऐसी ही कई योजनाएं चल रही हैं। जिसका फायदा भी महिलाओं को उठाना चाहिए। अंत में सभी ने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लिया। सोसायटी के अध्यक्ष नरेशपाल राणा ने आए हुए सभी अतिथियों का आभार जताया।

Wednesday, June 29, 2011

मुज़फ्फरनगर में प्रदर्शनी को निहारती महिला

मुज़फ्फरनगर में प्रदर्शनी को निहारती महिला - फोटो : नासिर खान, मुज़फ्फरनगर

Tuesday, June 21, 2011

महिला उत्पीड़न पर घिरी माया सरकार:अपराधो पर र्प्क लगा पाने में साबित हो रही असफल

खुशबू(इन्द्री) :
यूपी में महिलाओं पर अत्याचार-दुराचार की घटनाओं में अचानक हुई बेतहाशा वृद्धि हो रही है! इस वक्त यूपी में हवस और द्र्न्दगी के जीते जागते नजारे देखने को मिल रहे हैं! भाजपा ने महिला उत्पीड़न मामलों की जांच के लिए समितियां गठित की हैं। सूबे की बिगड़ती कानून व्यवस्था और सरकारी कार्यशैली के विरोध में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय कटियार वरिष्ठ नेताओं के साथ मंगलवार को धरने पर बैठने जा रहे हैं। कांग्रेस ने भी जुलाई माह में राजधानी लखनऊ में जोरदार प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी है। सपा नेता व नेता प्रतिपक्ष शिवपाल सिंह यादव का कहना है कि माया सरकार ने सूबे को दुराचार प्रदेश बना दिया है। मुख्यमंत्री किसी से मिलती नहीं हैं। पुलिस पूरी तरह निरंकुश है। अपराधी स्वच्छंद हैं। अभी तक सरकार खुद अपराधियों को संरक्षण दे रही थी, अब उन्हें (अपराधियों) रोकना उसके वश के बाहर की बात हो गयी है। मायावती को नैतिकता के आधार मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ देनी चाहिए। भाजपा ने निघासन कांड (सोनम की हत्या का मामला) के बाद बाराबंकी के भिटोखर मामले (सविता मौर्य की हत्या) और गया प्रसाद की पुलिस हिरासत में मौत के मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी तेज कर दी है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय कटियार स्थानीय बसपा विधायक की भूमिका संदिग्ध बताते हुए मंगलवार को बाराबंकी के बाबागंज बाजार में प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही व अन्य प्रमुख नेताओं के साथ एक दिनी धरने पर बैठेंगे। दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर होने वाले इस प्रदर्शन के अगले ही दिन यानी बुधवार को साध्वी उमा भारती भी मृत सविता व गयाप्रसाद मौर्य के परिजनों से मिलेंगी। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हृदयनारायण दीक्षित ने इस मामले में कांग्रेस को भी लपेटा है। उन्होंने संप्रग पर प्रदेश सरकार को बचाने का आरोप लगाया और कहा, संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत केंद्र द्वारा ध्वस्त कानून व्यवस्था के सवाल पर जवाब तलबी क्यों नहीं की जा रही। कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने बसपा को महिलाओं की दुश्मन नंबर एक बताते हुए कहा, महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद प्रदेश में महिलाएं ही सर्वाधिक असुरक्षित है। कांग्रेस बसपा सरकार की महिला विरोधी कार्यशैली का सच जनता तक पहुंचाने को जुलाई के प्रथम सप्ताह में लखनऊ में महिलाओं का बड़ा प्रदर्शन करेगी!

महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम:महिलाओं को समर्पित देश का पहला हाट तैयार

खुशबू(इन्द्री) :
नई दिल्ली महिलाओं को समर्पित देश में पहला महिला हाट जल्द ही गुलजार होने जा रहा है। स्टॉल सिर्फ महिलाओं को ही सामान की बिक्री के लिए आवंटित किए जाएंगे। साथ ही इनमें खरीददारी करने के लिए सिर्फ कपल्स को ही जाने की इजाजत होगी। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के मकसद से एमसीडी ने वर्ष 2007 में इसका निर्माण शुरू किया था। तत्कालीन मेयर आरती मेहरा ने इसकी नींव रखी थीं। गत महीने जब निर्माण कार्य संपन्न हुआ तो एमसीडी ने वह शर्ते भी तैयार कर ली जिसके आधार पर महिलाओं को स्टॉल आवंटित किए जाएंगे। राजधानी के दक्षिणी, बाहरी और पश्चिमी दिल्ली स्थित आईएनए, पीतमपुरा और जनकपुरी दिल्ली हाट की तर्ज पर एमसीडी ने महिला हाट तैयार किया है। आसिफ अली रोड की भूमिगत पार्किग के ऊपर बने इस हाट की खासियत यह होगी कि यहां के 39 स्टॉल सिर्फ महिलाओं को आवंटित किए जाएंगे। इसे वे चलाएंगी। खाने-पीने के सामान की बिक्री के लिए जो दो कैफेटेरिया बनाए गए हैं, इनका संचालन भी महिलाएं करेंगी। कैफेटेरिया का लाइसेंस दो साल के लिए एमसीडी जारी करेगी। हस्तकरघा सामान की प्रदर्शनी और बिक्री के लिए एक महिला को 30 दिन के लिए ही स्टॉल दिए जाएंगे। 80 फीसदी स्टॉल दिल्ली की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। बाकी स्टॉल अन्य राज्यों की महिलाओं के लिए होंगे। एक साल में कोई महिला सिर्फ एक बार ही स्टाल अपने नाम बुक करा सकेगी। स्टॉल के एवज में उन्हें एक हजार रुपये बतौर फीस के रूप में एमसीडी को देना होगा। सुबह 10 बजे से रात नौ बजे तक महिला हाट खुला रहेगा। एमसीडी के प्रवक्ता दीप माथुर बताते हैं कि इसका मकसद यह था कि दिल्ली के अन्य इलाकों की तरह मध्य दिल्ली में भी हाट हो। बाद में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के मकसद से इसे महिला हाट बनाने का फैसला लिया गया। यह बनकर तैयार हो चुका है। इसके आवंटन आदि की शर्ते बुधवार को स्थायी समिति की बैठक में प्रस्तुत की जाएंगी। स्थायी समिति व सदन से स्वीकृति मिलते ही महिला हाट में स्टॉल आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

Now, free condoms, contraceptives at your doorstep!

The government will shortly launch a scheme to make male and female contraceptives available at people's doorsteps in a major bid to boost population control efforts, Health and Family Welfare Minister Ghulam Nabi Azad said.…

Sanjay Pahwa , Chandigarh / Mumbai :
The government will shortly launch a scheme to make male and female contraceptives available at people's doorsteps in a major bid to boost population control efforts, Health and Family Welfare Minister Ghulam Nabi Azad said.
Accredited Social Health Activists (ASHA) volunteers would promote the use of contraceptives - both male and female - at the household level in targeted districts, he said.
'Under the scheme, the centre will make available contraceptives free of cost at the block level, from where ASHA volunteers will pick up their supplies,' Azad said, addressing the 53rd Convocation of the International Institute of Population Sciences (IIPS) here.
Azad said the 2011 Census shows that efforts towards population stabilisation have yielded results.
'We have succeeded in reducing both fertility and mortality rates substantially and increasing the average life expectancy of the Indian population,' he said but expressed concern at the large regional disparities in demographic outcomes across different Indian states.
For instance, he said the Empowered Action Group (EAG) States, like Uttar Pradesh, Uttarakhand, Bihar, Jharkhand, Rajasthan, Orissa, Madhya Pradesh and Chhattisgrah - where 45 percent of India's population resides - lag behind the rest of the country in both fertility and mortality rate decline.
Azad emphasised that the government was committed to providing quality and universal health care to the rural population through the National Rural Health Mission (NRHM).
'The funding to the health sector is going to be increased from the present level of less than 1 percent of GDP to 2-3 percent of GDP during the 12th Five Year Plan (2012-17),' he said.
He also said that under the newly-launched Janani-Shishu Suraksha Karyakram (JSSK), the government has made child deliveries at government health institutions completely free.
Launched June 1 this year, the scheme provides for free diagnostic tests including ultrasound, free medicine, free provision of blood, free diet up to three days for normal delivery and up to seven days in case of caesarean births and even free to and fro transport from home to hospital to all pregnant women, Azad said.
The IIPS is a premier academic institution in the field of population studies.
It has trained over 3,000 students and professionals in the field from India and several Asian countries including China, Indonesia, Thailand, Vietnam and others.
It is renowned for its expertise in conducting large scale surveys, the results of which help the policy makers in formulating appropriate responses

Sunday, June 19, 2011

निम्ब्री के युवा सरपंच की हत्या

पानीपत, विजय काम्बोज : 
तीन  दिन पूर्व कुछ लोगों द्वारा पीटकर गंभीर रुप से घायल किए गए  हरियाणा के पानीपत जिले  के गांव निंबरी के युवा सरपंच की दिल्ली के एक निजी अस्पताल में आज मौत हो गई। सरपंच राजेष कुमार को पिछले साल हुए पंचायत चुनाव में सरपंच चुना गया था और 22 साल का राजेष कुमार जिले में सबसे छोटी आयु का सरपंच था।  बताया गया है कि गली में मिट्टी डलवाने के मामले को लेकर कुछ लोगों के साथ हुए झगडे में तीन दिन पहले सरपंच पर पांच लोगों ने जानलेवा हमला कर उसे घायल कर दिया था। हमले में राकेश  को काफी चोटें आई थीं और उसे दिल्ली रैफर कर दिया गया था। इस संबंध में पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया था जबकि तीन अन्य लोग फरार हैं। पुलिस के मुताबिक सरपंच की मौत होने के बाद अब मामले को हत्या के मामले में तबदील कर दिया गया है। राकेश  के शव  का दिल्ली में पोस्टमार्टम न हो पाने के चलते उसे अभी तक गांव नहीं लाया जा सका है। 

धर्मबीर सिंह खर्ब एसएचओ सदर थाना 
ने बताया कि पानीपत के गांव निंबरी में हुई एक सनसनीखेज वारदात में युवा सरपंच राकेश  की मौत हो गई। 22 वर्षीय  राकेश  को पिछले साल हुए पंचायती चुनाव में सरपंच पद मिला था। युवा सरपंच राकेश  की कुछ महीनो पहले ही शादी हुई थी !   राकेश  गांव में कुछ विकास कार्य करवा रहा था। इस दौरान एक गली में मिट्टी डलवाई जानी थी। राकेश  मिट्टी डलवाने का कार्य करवाना चाहता था जबकि गांव के ही कुछ लोग इसका विरोध कर रहे थे। तीन दिन पहले इसी मुद्दे को लेकर राकेश  और गांव के बिजेंद्र के बीच झगडा हुआ था और बात धक्का मुक्की तक पहुंच गई थी। कुछ लोगों ने बीच बचाव करते हुए दोनों को समझा दिया था लेकिन शाम  के समय जब राकेश  घर की तरफ जा रहा था  तब बिजेंद्र ने अपने चार साथियों को साथ लेकर तेज धारदार हथियारों से राकेश   पर हमला बोल दिया। इसमें राकेश  के शरीर  पर काफी चोटें आई थीं और वह गंभीर रुप से घायल हो गया था। उसे शहर  के एक निजी अस्पताल में लाया गया लेकिन हालत गंभीर होने पर उसे दिल्ली रैफर कर दिया गया था जहां आज उसकी मौत हो गई।  दिल्ली में पोस्टमार्टम न होने के चलते राकेश  का शव  आज शाम  तक भी पानीपत  नहीं लाया जा सका। 

मैं अपने अभी तक के काम से सतुष्ट हॅू: मोना सिंह

प्रेमाबाबू शर्मा, दिल्ली : 
मॉडल व टीवी एक्टैस मोना सिंह ने सोनी चैनल पर प्रसारित धारावाहिक ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ में जस्सी के किरदार से मिली पापुलटी को भुनाते हुए रियलिटी शो मीठी छुरी नः वन, ‘झलक दिखला जा’, ‘शादी तीन करोड़ की’ और ‘इंटेरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ में बतौर एंकर के रूप में  काम किया। छोटे परदे के अलावा मोना ने  फिल्मों में भी दस्तक दी और  थ्री इंडियट,उठा पटक और लक्ष्मण रेखा जैसी फिल्मों में प्रभावी भूमिकाओं का निभाया। इसमें दो राय नही की मोना खूबसूरत तो है ही ,साथ ही बतूनी और एक मंझी कलाकार भी। इन दिनों मोना सिंह एक बार फिर से सुर्खियों में अपने नये रियलिटी शो ‘इंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ के सीजन 4 के लिए,जिसमें वे एंकर के रूप में ही आ रही हैं। शो इन दिनों सोनी टीवी पर सोमवार से गुरुवार रात नौ बजे प्रसारित हो हैं। मोना का क्या कहना है अपने नये शो और करियर के बारे में ।जस्सी जैसे चर्चित किरदार को निभाने के बाद में आप टीवी पर दुबारा अभिनय करती नजर नही आई ?अभिनय मेेरे खून में भरा है, लेकिन मुझे टीवी पर काम करने के लिए जिस तरह के किरदारों के प्रस्ताव मिले वे सब जस्सी के मुकाबले कमजोर थे मेरेे लिए जरूरी था कि मैं छोटे परदे पर यदि किसी सीरियल में अभिनय करूं तो वह ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ से कई गुना ज्यादा बेहतर हो। लेकिन जब मुझे जब एंकरिंग के मौके मिलने लगे तोे मैंने एंकरिंग की। आप हर किरदार की तुलना जस्सी से क्यों करती हो ?अभिनय मैं पैसे के लिए नही, बल्कि मन की सतुष्टी के लिए करती हॅू। पैसा भले ही कम मिले किन्तु रोल तो बेहतर हो। वैसे भी जस्सी का रोल मेरेे लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था और मैने भी  अपनी ओर से भरपूर मेहनत की ताकि कोई कमी ना रह जाए। इसलिए जस्सी किरदार से तुलना करती हॅ।आपको ऐसा लग रहा कि टीवी पर जिस प्रकार के किरदार दिखाये जा रहे है वे आपके मन मुताबिक नही है ?ऐसा मैंने कब कहा। चैनलों के बीच बढती प्रतिस्पर्धा के चलते अब अच्छी कहानी पर धारावाहिक बन रहे है और नये कलाकारों को भी अच्छा काम मिल रहा है लेकिन मैं जिस तरह का रोल चाहती हॅू वो नही मिल रहे। क्योकि मैं स्वयं को एक कलाकार के रूप में एक्सप्लोर करना चाहती है।तो क्या एंकरिंग से मन की सतुष्टी मिल रही है ?एंकरिंग एक ऐसा प्लेटफार्म है, जहां हम अपने आपको बेहतर तरीके से पेश कर सकते है। मंच संचालन करते हुए भी आपको कुछ न कुछ नया करने का पूरा मौका मिलता रहता है और उसमें किसी प्रकार बंधन या दबाव भी नही होता हैं।मैंने अब तक जो भी और जितना काम किया है  उससे पूरी तरह से सतुष्ट हॅू।चर्चा है कि ‘इंटेरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ के सीजन चार में आपका एक नयी और अलग प्रकार की लुक देखने को मिलेगी अंदाज ?मैं आपको एक राज की बात बता ही देती हॅू कि  इसकी एक कडी में मैं दर्शक के बीच एक सिख किरदार में भी नजर आऊॅगी,अभी तो इसका प्रसारण शुरू हुआ है। आगे-आगे देखिएगा। बहुत कुछ नया नजर आएगा। ‘इंटेरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ क्या खास बात है?‘इंटेरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ लोगों को कुछ करने के लिए प्रेरित करता है। इसके पहले तीन भाग काफी हिट रहे है। बल्कि यूं कहे कि ये एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां देश में छिपी प्रतिभाओं को अपनी कला को दिखाने का मौका एक मंच पर मिल रहा है। लेकिन शो के सीजन तीन में जज अनु मलिक व फरहा खान ने तो अपनी तीखी प्रत्ििरक्रया से कई कलाकारों का मनोबल ही तोड दिया था?इस बारे में मै ज्यादा नही कह सकती लेकिन सीजन चार मे दोनों ही जज किसी को भी हतोत्साहित नहीं करते हैं।क्या आपने टीवी पर अभिनय सतुष्टी ना मिलने के कारण ही फिल्मों की ओर रूख किया था ?ऐसा कुछ नही है । मुझे जब थ्री इंडीयट मे काम का प्रस्ताव मिला और फिल्म की कहानी के मुताबिक मुझे रोल दमदार लगा मैने फिल्म कर ली और बाद में लोगों ने मेरे काम को भी पंसद किया । हाल में रीलिज फिल्म उठापटक में भी मेरा काम बेहतर है। फिल्मों में किस तरह के किरदारों को महत्व देना चाहती है? मैं फिल्मों में किसी एक टाईप्ड रोल की अपेक्षा विविधतापूर्ण किरदारों को निभाना चाहती हॅू , मुझे लटके झटके या फिर ग्लैमरस की आड में सैक्सी सीन वाले किरदारों पंसद नही है। मैं उसी तरह के चरित्र निभाना चाहती हूं जिस तरह के चरित्र स्मिता पाटिल, शबाना आजमीे विद्या बालन या कोंकणा सेन शर्मा निभा रही हैं।  

Logitech Strengthens Its Footprint in Chandigarh by Introducing a Wide Range of Products

Chandigarh, Sanjay Pahwa –
Logitech (SWX: LOGN) (NASDAQ: LOGI) India
showcased its wide lineup of products here in Chandigarh today, as part of
its multi-pronged strategy to enter the diverse markets across India and to
engage all stakeholders including large format retailers and IT resellers
across the region.

[image: Text Box: WHAT’s COOL? § Logitech Wireless Solar Keyboard K750 that
powers itself through its integrated solar panel § Logitech HD Pro Webcam
C910 comes with Full HD 1080p recording and Logitech Vid™ HD crystal-clear
stereo § Logitech Ultimate Custom In- Ear monitors range with comfortable
design and Noise Isolation technology]Chandigarh is a key market for
Logitech with its growing population of high-income individuals, increasing
PC penetration and rapid urbanization. Logitech India plans to address this
business region through focused market development programs. The company is
also strengthening its channel engagement efforts and is conducting channel
roadshows and training across the region to educate channel partners on the
new product portfolio and technologies.

Speaking at the event, Subrotah Biswas, Logitech country manager for India
and South West Asia said, “We believe that regions such as Chandigarh are
growing markets in India and hence strengthening Logitech’s position in such
high-growth markets is an integral part of our strategy to achieve the
targeted growth.  Adoption of technology in these markets is dependent on
our ability to understand customers’ needs and to fulfill them. We are
confident because Logitech has a long history of introducing innovative
products that help people enjoy their digital life more.”

* *

*Logitech Wireless Products*

Products showcased today include a range of mice and keyboards with advanced
2.4 GHz wireless technology and Logitech® Unifying technology, which allows
pairing of up to six compatible Logitech wireless keyboards and mice with
one receiver. With Darkfield Laser Tracking™ technology, Logitech
Performance Mouse M950 allows precise cursor control on virtually any
surface, even glass. Bluetooth wireless products, such as Logitech
Bluetooth® Mouse M555b and Logitech Cordless Desktop MX™ 5500 Revolution,
are also highlighted at the event. On gaming, Logitech Wireless Gamepad F710
provides multiple mode console-style, cable-free control and dual-motor
vibration feedback. Also, the Logitech Harmony® remotes offer one-touch
control to simplify and enhance your home entertainment experience.

*Logitech HD Webcams*

Logitech webcams make video calling more natural by bringing the best
technology together:  Logitech Fluid Crystal™ technology ensures smoother
video, sharper pictures, richer colors and clearer sound in real-world
conditions; RightSound™ technology ensures sound clarity; and RightLight™ 2
technology ensures quality image even at poor lighting conditions.

The company’s new HD webcam series includes Logitech HD Webcam C525,
Logitech HD Webcam C510, Logitech HD Pro Webcam C910, Logitech HD Webcam
C310, Logitech Webcam C905, Logitech HD Webcam C270, and Logitech Webcam Pro
9000.

*Logitech Audio Products*

Logitech also displayed some of its top-notch audio products including
Logitech Speaker System Z623, which is THX-certified; Logitech Rechargeable
Speaker S715i, a small yet powerful rechargeable speaker for iPod and
iPhone; and Logitech Speaker Lapdesk N700, which brings theater-like
experience on your laptop and also is a cooling pad. Logitech also showcased
a range of Ultimate Ears™ earphones and headsets. Ultimate Ears custom
monitor is the number one choice of the world's top touring professional
artists for live performances.

अम्माजी सुनते हुए अच्छा लगता है: फरीदा जलाल

प्रेमबाबू शर्मा, दिल्ली :
फिल्म अभिनेत्री फरीदा जलाल की एक लंबे गैप के बाद में फिर से सब टीवी शो अम्मी जी गली सेे वापिसी हो रही है। धारावाहिक में वे शीर्ष पात्र याानि अम्माजी के किरदार में है। अम्माजी का चरित्र गली के लोगों को संगठिन करना और उनकी समस्याओं का निवारण करना है।इस शो के बाद से तो फरीदा जलाल को भी अम्माजी का संबोधन अच्छा लगने लगा है। अगर हम बात करे फरीदा जलाल के टीवी शो की तो उन्होंने दूरदर्शन सीरीयल ये जो है जिंदगी और देख भाई देख में काम किया और उनकी भूमिका को जमकर सराहा भी गया। शरारत में जादू करने वाली नानी और बालिका वधु के मौसी चरित्र में भी फरीदा जलाल का किरदार दमदार रहा। 
अगर हम बात करते है फरीदा जलाल के अभिनय सफर की तो उन्होंने 1960 मे रीलिज फिल्म चौदवीं का चांद में बतौर चाईल्ड अर्टिस्ट अभिनय किया था। उन्होने अपने अब तक के 51 वर्ष के सफर में सहेली,बहन और मां जैसे हर प्रकार के किरदार को जिया है। उन्होंने अपने अब तक के अभिनय सफर में सौ से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया है उनकी कुछ चर्चित फिल्मो में जहांआरा,अराधना,महल,जहांआरा,बॉबी,लोफर,गोपी,ये रास्ते प्यार है ,पिंजर के नाम उलेखनीय है। हाल मे ही उनसे मुलाकात हुई पेश है चंद अंश ।
एक लंबे गैंप के बाद फरीदा की पुनः वापिसी अम्मी जी गली से हो रही है कैसा महसूस कर रही है?
अच्छा लग रहा है, क्योंकि धारावाहिक की पूरी कथावस्तु ही अम्माजी के इर्द गिर्द घूूमती है। या यूं कहे कि पूरा ही शो मेरे लिए बना है। अम्माजी का किरदार बहुत ही  भावुक और संवेदनशील है । 
बालिका वधू के बाद अचानक टीवी से गायब होने की कोई वजह या फिर आपको किसी खास रोल का इतंजार में था?
मैं टेलीविजन पर अपनी वापसी के लिए काफी अरसे से सोच रही थी लेकिन मुझे तलाश थी एक ऐसे किरदार की जिसके साथ मैं न्याय कर सकूं। अम्माजी की गली जैसे प्रभावशाली रोल को करते हुए मुझे फिल्म बावर्ची राजंेश खन्ना के किरदार की याद आ जाती है।  
इसकी पटकथा में ऐसा क्या खास था?
एक ऐसी भूमिका जिसमें आप मुझे आमतौर पर नहीं देखेंगे. धारावाहिक अम्माजी की गली के निर्माता और निर्देशक से मिलने के बाद मुझे लगा कि मेरी तलाश की मंजिल यही है।
धारावाहिक की कहानी क्या है?
धारावाहिक की कहानी अम्माजी यानी फरीदा जलाल के आसपास ही घूमती है और इसमें उनका किरदार लकवे का शिकार हो चुकी एक ऐसी महिला का है जो देखने में तो निरीह और असहाय नजर आती है, लेकिन असल में पूरी गली की हर समस्या का निदान उनके ही द्वारा होता रहा है।
बालिका वधु की चंद कडियों के बाद,आपका  अचानक गायब होने की कोई खास वजह ?
इस बारे में मुझ से बेहतर धारावाहिक के निर्माता निर्देशक ही बता सकते है। लेकिन जितना भी काम मुझे सौपा गया था उसे मैंने जिम्मेदारी से निभाया।
कही ऐसा तो नही था कि आपके आते ही अम्माजी का किरदार दब रहा हो ?
ऐसा नही है उसका किरदार घंमडी,उग्र किस्म की प्रौढा का था जबकि मेरा रोल ऐसी माहिला का जो परिवार को संगठित करने में विष्वास रखती है। दोनों ही किरदारों में कही समानता नही है वैसे सुलेखा सीकरी  मुझसे काफी बडी हैं और वरिष्ठ भी। उनके साथ काम करने का अनुभव अच्छा ही रहा है।

3 killed, 12 INJURED IN CHANDIGARH ROAD ACCIDENT uxj


Chandigarh,Sanjay Pahwa: 
Three persons including a woman and a child, were reportedly run over by a rashly driven private college bus near Sector 28 light point. The deceased have been identified as Anita (32 years), Jatin (14years) & Mandip (20 years) . Twelve more people part of the 150 strong nagar kirtan Jatha were also injured. This jatha was going on foot to Nadha Sahib Gurdwara from Chandigarh when this mishap happened. Some of the people from the jatha set the bus belonging to a private college, ablaze. The bus was completely gutted. The driver of the bus fled the spot, but the coductor was arrested. Top Administration & Police official reached the spot to control the situation. The injured & the dead were taken to PGI & Sec.16 General Hospital. 
CHANDIGARH : SANJAY PAHWA: CHANDIGARH SECTOR.28 LIGHT POINT KE PAAS EK SADAK DURGHATNA MEIN 3 KI MAUT AUR 12 GHAYAL HUE. CHANDIGARH SE  PAIDAL JAATE KIRTAN JATHE KE LAG BHAG 200 SE BHI ADHIK LOG NADHA SAHIB JA RAHE THE , JAB KI EK PRIVATE COLLEGE KE BUS KE DRIVER NE KUCH LOGON PE BUS CHADA DI . BUS DRIVER MAUKE SE FARAR HO GAYA LEKIN BUS KA CONDUCTOR PAKDA GAYA. SHRADHALUON NE GUSSE MEIN BUS KO AAG LAGA DI . GHAYALON KO GENERAL HOSPITAL AUR PGI PAHUNCHAYA GAYA. KUCH CHASHAMDID GAWAHON KE MUTABIK BUS NE PEHLE EK ACTIVA SCOOTER KO TAKKAR MARI AUR PHIR PAIDAL JAATE JATHE KE LOGON PE CHADA DI. MAARE GAYE LOGON  MEIN 32 SAAL KI ANITA, 14 SAAL KE JATIN AUR 20 KE MANDIP THE.

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भोजपुरी फिल्म वाह! जीजा जी


नई दिल्ली ;चंदन शर्मा :
मसाला फिल्में ऐसी ही होती हैं। थोड़ा रोमांसए थोड़ी कॉमेडी और थोड़ा एक्शन। एक आइटम सौंग भी शामिल कर लिया जाएए तो सोने में सुहागा। ऐसी फिल्मों में कहानी और पटकथा का ज्यादा महत्व नहीं होता। फिल्म वाह! जीजा जी पूरी तरह मसाला फिल्म हैए!रिस्पांस पिक्चर्स प्रस्तुति निर्माता भट्टाचार्य और निर्देशक अभिषेक चड्ढा की भोजपुरी फिल्म समाज के उस वर्ग की जिसमें कभी.कभी रिश्तें कुछ अजीब से बन जाते हैं। ऐसे ही रिश्तों की एक कहानी है ष्वाह! जीजा जीष्।  फिल्म की कहानीं विमल सहाय और उनकी चार बेटियाँ मंजूए मीराए मीना और मेघा के इर्द गिर्द घूमती है। उनकी दो बडी बेटियां मंजू और मीरा विवाहित है जबकि मीना और मेघा अभी अविवाहित हैं। 
मंजू का पति विष्णु सीधा सादा और पारिवारिक हैए जबकि मीरा का पति श्मोरी लाल  स्वार्थी एमौका परस्त है। कॉलेज में अपने हुस्न से युवाओं के दिल पर राज करने वाली मेघा अनाथ युवक सागर को प्यार करती है। जबकि एक अन्य युवा श्रवण ए मेघा को एक तरफा प्यार करता हैए। श्रवणए मेधा को पाने की लालसा में मेघा के जीजा श्मोरीलाल की मदद लेता है। वह अपनी एक सुनियोजित चाल के तहत् श्रवण का परिचय अपने ससुर विमल सहाय से कराता है।  लेकिन विमल सहाय की मजबूरी यह है कि वे अपनी बडी बेटी मीना के विवाह से पूर्व  मेघा का विवाह नही कर सकते है । तिकडबाज श्मोरी लाल अब अपनी एक नई चाल के तहत् श्रवण मीना से करवा देता है।विवाहोपांत श्रवण चाह कर भी मेघा को नही भुला पाता है और उसे पाने की लालसा में वह मीना की हत्या करके उसे हमेशा के लिए को रास्ते से हटा देता है। मेघा अपनी बहन मीना की मौत के बाद से तो श्रवण से नफरत करने लगती है। अब मेघा की जिंदगी का एक ही मकसद है कि वह पढ़ लिख कर पुलिस अधिकारी बने।अभिताभ बच्चनए हेमा मालिनी जैसे सितारों वाली फिल्म गंगा और गंगोत्री के जाने.पहचान के निर्देशक अभिषेक चड्ढा ने इस फिल्म का निर्देशन किया है। उनका कहता है कि लटके.झटके वाली खोखली कहानियों पर तो सैंकड़ों भोजपुरी फिल्में बनी हैं और बनती जा रही हैंए लेकिन कुछ ऐसे कहानियों पर भी फिल्में बनाई जानी चाहिए जो समाज की बुराईयों को सामने लायेए मनोरंजन के साथ.साथ यदि कुछ अच्छे संदेश भी दर्शकों को दिये जायें तो अच्छी फिल्मों को दर्शक जरूर पसंद करेंगें।फिल्म वाह! जीजा जी के निमाता सुमन भट्टाचार्या कोलकात्ता के जाने.माने लोकप्रिय व्यवसायी हैं। उनका कहता है कि इस फिल्म से उन्हें लाभ की इच्छा नहीं है यदि समाज का छोटा वर्ग भी फिल्म से कुछ सीखता है तो उनका सबसे बड़ा लाभ वही होगा।ष्वाह! जीजा जीष् की कथा चित्रांस ने लिखी हैए जबकि पटकथा.संवाद चुनमुन पंडित के हैंए छायाकार वसंत जाधव तथा गीत.संगीत अशोक घायल का है।फिल्म के मुख्य कलाकार हैं. छोटू छलियाए प्रिया कपूरए अमीर चंदए सुमंत मिश्राए मनोज जयसवालए ज्ञानेश गौतमए प्रियंका चटर्जीए श्रीपर्णाए संतोष विश्वकर्माए राजूए सूरज जैसवालए मोहनए दीपकए ओसियाना चौधरीए पायलए बिन्दूए प्रियाए सुतृष्णाए तरूणए टीण् पीण् श्रीवास्तवए प्रभाकरए अभिषेक और नये चेहरे रतन लखमनी के साथ सुमन भट्टाचार्य।

संसाधनों की कमी से जूझ रहे अस्पतालों का इलाज करे सरकार


खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री : 
कहने को तो इस समय हरियाणा सरकार ने प्रदेश में विकास कार्यों की झड़ी लगा रखी है|लेकिन लोगों को चिकित्सक सुविधाओं का आभाव झेलना पड़ रहा है|विशेषकर ग्रामीण इलाकों में जहाँ लोगों को सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की व्यवस्था तो उपलब्ध कराई गयी है लेकिन सिर्फ कागजी तौर पर स्थिति बहुत खराब है| इस समय जिले के कई गांवों में आज भी स्वास्थ्य सेवा नहीं है।जहाँ पर है वहां या तो डॉकटर नही या इलाज के लिए दवाइयां और संसाधन नही|सरकार द्वारा गाँव में सरकारी अस्पतालों में 42 डॉकटर की सेवा उपलब्ध कराई गयी है|लेकिन कुछ   सिविल अस्पताल में कुल 42 में से 33 डाक्टर ही काम कर रहे हैं। बच्चों के लिए नर्सरी भी तैयार नहीं हो सकी है। कई अस्पतालों में मशीनें चलाने के लिए विशेषज्ञ नहीं हैं।
 रोहतक : सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों के करीब 12 पद खाली हैं। स्किन स्पेशलिस्ट नहीं है। सफाई व्यवस्था की ओर ध्यान नहीं दिए जाने से बीमारी फैलने की आशंका रहती है। कुरुक्षेत्र : 36 साल बाद भी लोकनायक जयप्रकाश सिविल अस्पताल का विस्तार नहीं किया गया। न तो यहां जरूरी पूरे उपकरण हैं और न ही दवाएं। ज्यादा संख्या में गंभीर मरीज आने पर या तो फर्श पर लिटाकर इलाज किया जाता है। यमुनानगर : ट्रॉमा सेंटर में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। माइक्रोबायोलाजिस्ट का पद रिक्त है। यहां टीएमटी मशीन, इकोकार्डियोग्राफी व सिटी स्कैन मशीन भी नहीं हैं। अंबाला : सरकारी अस्पतालों में दवाइयों से लेकर डॉक्टरों का अभाव है। मशीनों को चलाने वाला कोई नहीं है। शहर में सात साल से अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहे। सफाई का आलम ये है कि टीबी अस्पताल की छत पर पीपल के पौधे उगे हुए हैं। करनाल : 1911 में शहर में किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल नाम से जिले का राजकीय अस्पताल बना था। इसका ट्रॉमा सेंटर रेफर सेंटर बन चुका है। 19 पीएचसी और छह सीएचसी में सुविधाओं के अभाव में मरीजों को कराहते देखा जा सकता है। कभी एक्सरे की फिल्म नहीं तो कभी दवाइयों की कमी। पानीपत : सिविल अस्पताल 12 लाख की आबादी वाले जिले की आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम नहीं है। यहां 42 में से 37 डॉक्टर सेवा दे रहे हैं। अल्ट्रासाउंड मशीन चलाने वाला कोई नहीं है। जले हुए मरीजों का इलाज करने के लिए बर्न यूनिट नहीं है। इन परिस्थितयों में सरकार द्वारा किये गये स्वस्थ परिवार के दावे बेकार ही साबित प्रतीत होते हैं|सही चिकित्सा सुविधा नही मिल पाने के कारण ही आज देश के गाँव स्वस्थ नही हैं और इसके लिए सरकार ही जिम्मेवार है|हांलाकि स्वास्थ्य का ध्यान रखना लोगों की जिम्मेवारी है लेकिन इसके लिए सुविधाएँ उपलब्ध करना सरकार का और स्वास्थ्य विभाग का कर्तव्य है|लेकिन दोनों ही आँखें मूंदे बैठी है|

प्राची का नया अवतार


टीवी शो कसम से की वाणी याानि प्राची देसाई फिल्मोद्योग की नई मनमोहक अदाकारा के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं। रॉक ऑन,लाईफ पार्टनर,वंनस ओपन इन टाईम मुंमई,उडान एक्सप्रेस कन्नड,थडाईयारा थाका तामिल जैसी फिल्मों के बाद में प्राची भट्ट भाइयों की नई रोमांचक फिल्म इन्फॉर्मर में एक अलग तरह की भूमिका में नजर आएंगी।चर्चा थी कि प्राची निर्माता कृष्ण चौधरी की एक फिल्म जोकर में राजीव खंडेलवाल के आपोजिट काम कर रही है।
इसके समानांतर एक अन्य फिल्म घायल रिटर्न भी उनके खाते में है। भट्ट भाई और उनकी नई फिल्म की सह-निर्माता फॉक्स स्टार कम्पनी प्राची को लेकर अपनी फिल्म के विषय में अभी कोई खुलासा करने को तैयार नहीं है।अब खबर है कि भट्ट भाइयों की इस नई फिल्म का निर्देशन कुणाल देशमुख करेंगे। फिल्म में प्राची को एकदम नए रूप में दर्शकों के सामने पेश करने की योजना है। नई फिल्म में भी प्राची के हीरो हाशमी हैं। सूत्र का कहना है कि प्राची इस फिल्म में बेहद मनमोहक और लुभावने किरदार में दिखेंगी।-- 
prembabusharma media critic

10489,Bagichi Peer ji,Near Pratap Nagar Metro Rly.St.
Delhi 110007

अमेरिका में भारतीय करा रहे कन्या भ्रूण हत्या

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री : 
आधुनिक शिक्षा के बावजूद भारतीय महिलाओं की मानसिकता में बदलाव नहीं आया है। अमेरिका में परिवार के दबाव के चलते भारतीय मूल की महिलाएं पुत्र की चाह में कन्या भ्रूण हत्या करा रही हैं। लिंग निर्धारण के लिए वह यहां की उदारवादी नीति और कृत्रिम प्रजनन सुविधाओं का सहारा ले रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। भारत के विपरीत अमेरिका में लिंग निर्धारण वैध है। अध्ययन के मुताबिक यह महिलाएं कृत्रिम प्रजनन तकनीक इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) के दौरान सिर्फ नर भ्रूण को प्रत्यारोपित करा रही हैं। वह कन्या भ्रूण का गर्भपात करा देती हैं। शोधकर्ताओं ने कैलिफोर्निया, न्यूजर्सी और न्यूयॉर्क में 65 अप्रवासी भारतीय महिलाओं का साक्षात्कार लिया, जिन्होंने सितंबर, 2004 से दिसंबर, 2009 के बीच लिंग परीक्षण कराया। साक्षात्कार के दौरान जो महिलाएं गर्भवती थीं, उनमे से 89 प्रतिशत ने कन्या भ्रूण पता चलने के बाद गर्भपात करा लिया। यह सभी महिलाएं विभिन्न धर्मो और अलग-अलग शैक्षिक पृष्ठिभूमि की थीं। जबकि आधे से ज्यादा नौकरीपेशा थीं। हालांकि विभिन्न शैक्षिक स्तर होने के बावजूद उनकी मानसिकता एक समान थी। इनमें 38 प्रतिशत हाईस्कूल पास थीं। जबकि 12 स्नातक और 15 के पास चिकित्सा, लॉ, बिजनेस, नर्सिग और वैज्ञानिक शोध की उच्च स्तरीय डिग्री । कन्या भ्रूण जानने के बावजूद उसे जन्म देने वाली महिलाओं ने कहा कि उन्हें गर्भावस्था के दौरान कई तरह के मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न से गुजरना पड़ा। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में रेजिडेंट डॉक्टर और प्रमुख शोधकर्ता सुनीता पुरी ने कहा, चिकित्सक इन मामलों में सलाह देने के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन पारिवारिक दबाव के मामलों में संकोच कर जाते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत में लिंग चयन तकनीक पर प्रतिबंध है। जबकि अमेरिका में किसी भी कारण से गर्भपात और विभिन्न चिकित्सकीय तकनीक के जरिए लिंग चयन की छूट है। यह शोध 18 साल की उम्र के बाद पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से आई अप्रवासी भारतीय महिलाओं पर किया गया।

Tuesday, June 7, 2011

संध्या सिंह की कला प्रर्दशनी

नई दिल्ली।(प्रेमबाबू शर्मा) :
हमारी संस्कृति में शास्त्रीय संगीत, जीवन को संवारने और सुरूचिपूर्ण ढंग से जीने की कला को माना गया है। संगीत हमारी संस्कृति की ऐसी गरिमापूर्ण धरोहर है जिससे हमारे देश के हर प्रंातों के विभिन्न लोकसंगीत की पावन धाराएं निकलती हैं। यह धाराएं हमारे जीवन में न सिर्फ उल्लास और खुशियों का रंग भरती हैं। बल्कि यह हमारे संस्कारों की पहचान का आधार भी हैं।
अगर हम किसी को रागों के रंग के बारे में पूछे तो निश्चय ही हमें इसका जवाब नहीं मिल पाएगा। किंतु प्रतिभाषाली चित्रकार संध्या सिंह ने संगीत की प्ररेणा से अपने कैनवैस पर इसी विषय पर विभिन्न रागों को अकार देने की कोशिश की है। संध्या ने डी.ए.वी. कॉलेज देहरादून से फाईन आर्टस में मास्टर डिग्री प्राप्त की है उनके अनुसार संगीत को अपनी कल्पनाओ�¤ ‚ से रंगना इतना आसान नहीं इसके लिए संगीत की प्रकृति का गहराई से ज्ञान होना बहुत आवश्यक है।
हम संगीत की बात करें तो सबसे पहले हमको यह समझ लेना चाहिए कि इंसान की अनुभूति किसी भी कला की जन्मदाता है। चित्रकारी और संगीत कला के दो पहलू है जिनके माध्यम से इंसान अपनी संवेदनाओं को अभिव्यक्त करता है। कितु अगर इनका मिश्रण कर दिया जाय तो अवश्य यह चौंका देने वाला विषय होगा। संध्या सिंह �¤ �ा कहना हैं राग संगीत की आत्मा हैं। राग का अर्थ है प्रेम, इच्छाएं, सवेंदनाए, अनुभूति, इंसानी जीवन के विभिन्न पक्ष एवं कविता । हर राग में एक विशेष प्रकार के स्वर समूह को बार बार प्रयोग करके उस राग की पहचान दर्शाई जाती है।
हर राग का एक निश्चित समय है। उस समय की व्यक्तिगत मनस्थिति व मौसम परिस्थिति के आधार पर रंगों का चयन निश्चित करता है। उनके चित्रों में इंद्रधनुष के सात रंगों को माध्यम बनाया गया है । उन्होंने अपने कुछ चित्रों के माध्यम से यह भी दर्शाने का प्रयास किया है कि संगीत बिना हमारा जीवन नीरस हैं। संगीत एक ऐसा माध्यम है जो हमें हमारे जीवन के सुख और दुख की कडियों को जोड़ता है।
संध्या के मुताबिक स्वर एवं नांद संगीत के मुख्य अंग हैं। संध्या सिंह ने अपने कैनवैस पर विभिन्न रंगों के माध्यम से अलाप, जुगलबंदी एंव संगीत के सात स्वर एवं उनसे जु़ड़ने वाले अन्य पहलुओं को स्थूल आकार दिए हैं। संध्या सिंह कि संगीत की विभिन्न कड़ियों को जोड़ती ‘रिदम ऑफ लाईफ म्युजिक’ चित्रकला प्रर्दषनी 29 जून से 6 जुलाई तक मुम्बई के डी डी निरॉय आर्ट गैलरी में लगाई जाएगी।

पान मसाला बताकर हो रहा गुटखे का विज्ञापन

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री :
मुंबई सहित देश भर में तंबाकू उत्पाद निषेध अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। महानगर में पान मसाला विज्ञापन के रूप में तम्बाकू उत्पादों का धड़ल्ले से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। संगठन ने मुम्बई महानगर के तीन हजार लोगों के बीच यह सर्वेक्षण किया था। इसमें अधिकतर उत्तरदाताओं ने पान मसाला विज्ञापन को गुटखा का प्रचार बताया है। ऐसी स्थिति में यह सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद (उत्पादन, आपूर्ति, वितरण, व्यापार एवं वाणिज्य के विनियमन और विज्ञापन का निषेध) अधिनियम-2003 का उल्लंघन करता है। सर्वेक्षण के लिए दो समूहों का चयन किया गया था। एक समूह ने 12-18 वर्ष के आयु वर्ग (बच्चे) की प्रतिक्रिया ली और दूसरे समूह ने 19-50 वर्ष के आयुवर्ग (युवा) की। सर्वेक्षणकर्ताओं ने उत्तरदाताओं को तीन ब्रांडों वाले पान मसाला विज्ञापनों के फ्लैश कार्ड दिखाए जो होर्डिग और बेस्ट बसों पर दिखाई देते हैं। पहले फ्लैश कार्ड के उत्तरदाताओं में 82 फीसदी (1235) बच्चों और 84 फीसदी (1255) युवाओं ने इसे गुटखा बताया, जबकि 9 फीसदी (136) बच्चों और 7 फीसदी (105) युवाओं ने कहा कि यह पान मसाला है। दूसरे फ्लैश कार्ड के उत्तरदाताओं में 62 फीसदी बच्चों और 71 फीसदी युवाओं ने इसे गुटखा बताया, जबकि 14 फीसदी बच्चों और 13 फीसदी युवाओं ने इसे पान मसाला करार दिया। इसी प्रकार तीसरे फ्लैश कार्ड के उत्तरदाताओं में 58 फीसदी बच्चों और 65 फीसदी युवाओं ने इसे गुटखा कहा, जबकि 17 फीसदी बच्चों और 15 फीसदी युवाओं ने इसे पान मसाला बताया। सलाम बॉम्बे की कार्यक्रम निदेशक देविका चड्ढा ने कहा, सभी तीन ब्रांडों ने पान मसाला उत्पाद का विज्ञापन करने का दावा किया है। जबकि अध्ययन में सामने आया है कि विज्ञापन अप्रत्यक्ष रूप से उनके गुटखा का प्रचार-प्रसार करते हैं क्योंकि विज्ञापन देखने वालों ने इसे गुटखा का प्रचार बताया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि विज्ञापन उत्पादों को खरीदने में उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। संगठन ने भारतीय विज्ञापन परिषद (एसीआइ) को पत्र लिखकर ऐसे ब्रांडों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है जो अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू उत्पादों का प्रचार-प्रसार कर उत्पाद निषेध अधिनियम का उल्लंघन करते हैं।


Monday, June 6, 2011

देश के धनी भी नहीं चाहते घर की लक्ष्मी


खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री :
एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि संतान के रूप में एक कन्या होने के बाद यदि गर्भ में दूसरी भी लड़की आ जाती है तो ऐसे भ्रूण की हत्या करवाने की प्रवृत्ति भारत में धनी एवं शिक्षित तबकों में तेजी से बढ़ रही है। प्रतिष्ठित लैंसेट पत्रिका के आगामी अंक में छपने वाले इस अध्ययन के निष्कर्षो के अनुसार 1980 से 2010 के बीच इस तरह के गर्भपातों की संख्या 42 लाख से एक करोड़ 21 लाख के बीच रही है। अध्ययन में दावा किया गया है कि पिछले कुछ दशकों में पुत्र की चाहत में चुनिंदा गर्भपात का चलन बढ़ा है। साथ ही लड़के-लड़कियों के अनुपात में कमी की प्रवृत्ति जो अभी तक उत्तरी राज्यों में ही ज्यादा पाई जाती थी अब उसका प्रकोप पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में भी फैलने लगा है। टोरंटो विश्वविद्यालय के प्रभात झा इस अध्ययन पत्र के मुख्य लेखक हैं। उन्होंने बताया, भारत की अधिकतर आबादी ऐसे राज्यों में रहती है जहां इस तरह के मामले आम हैं। अध्ययन में जनगणना आंकड़ों और राष्ट्रीय सर्वेक्षण के जन्म आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इस विश्लेषण का मकसद ऐसे परिवारों में दूसरे बच्चे के जन्म में बालक-बालिका के अनुपात का अंदाजा लगाया जा सका जहां पहली संतान के रूप में बच्ची पैदा हो चुकी थी। अध्ययन में पाया गया कि 1990 में प्रति 1000 लड़कों पर 906 लड़कियां थीं जो 2005 में घटकर 836 रह गई। झा ने कहा कि अनुपात में यह गिरावट उन परिवारों में अधिक देखी गई जहां जन्म देने वाली मां ने दसवीं या उससे उच्च कक्षा की शिक्षा हासिल कर रखी थी और जो संपन्न गृहस्थी की थी। लेकिन ऐसे ही परिवारों में यदि पहला बच्चा लड़का है तो दूसरी संतान के मामले में लड़का-लड़की अनुपात में कोई कमी नहीं आई। उन्होंने कहा कि इससे यह सुझाव मिलता है कि कन्या भ्रूण का चुनिंदा गर्भपात शिक्षित एवं संपन्न परिवारों में ज्यादा मिलता है। ऐसी प्रवृत्ति आम तौर पर पहली संतान के लड़की होने के मामलों में देखी जाती है। 1980 के दशक में कन्या भ्रूण का चुनिंदा गर्भपात 0.20 लाख था, जो 1990 के दशक में बढ़कर 12 लाख से 40 लाख तथा 2000 के दशक में 31 लाख से 60 लाख तक हो गया।
अमेरिका में भी भारतीय मूल की महिलाएं आगे : भारत ही नहीं अमेरिका में भी भारतीय मूल की महिलाएं पुत्र की चाह में खूब कन्या भू्रण हत्या करवा रही हैं। खास बात यह है कि भारत के विपरीत अमेरिका में लिंग निर्धारण करवाना कानूनन वैध है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने सितंबर 2004 से दिसंबर 2009 के बीच लिंग निर्धारण परीक्षण करवाने वाली कैलिफोर्निया, न्यू जर्सी और न्यूयॉर्क की प्रवासी भारतीय महिलाओं का साक्षात्कार किया। शोध में यह बात सामने आई कि 40 प्रतिशत महिलाओं ने यह जानने के बाद कि उनके गर्भ में कन्या पल रही है, गर्भपात करवा दिया। साक्षात्कार के दौरान जो महिलाएं गर्भवती थीं, उनमें से 89 प्रतिशत ने कन्या भू्रण हत्या करवाई। शोध में यह बात सामने आई कि जिन महिलाओं ने यह जानने के बावजूद उसे जन्म दिया कि उनके पेट में कन्या भ्रूण है, उन्हें गर्भावस्था के दौरान कई तरह के मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न से गुजरना पड़ा|

भारत 20 खतरनाक देशों में


खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री :
भारत अब सबसे अधिक खतरनाक देशों की श्रेणी में आ गया है। ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआइ) 2011 के अनुसार शांतिप्रिय माने जाने वाले इस देश में अशांति तेजी से बढ़ी है। भारत इस बार इस सूची में सात अंक नीचे आ गया है। दरअसल, ग्लोबल पीस इंडेक्स 23 सूचकांकों पर देशों के हालात की विवेचना और आकलन करता है। इसमें सैन्य अभियानों पर खर्च, अपराध की बढ़ती दर, संघर्ष के स्तर और पड़ोसी देशों से उसके संबंध शामिल हैं। इन पैमानों पर आकलन के बाद देश को सात पायदान नीचे उतरना पड़ा है। इस नई रैंकिंग के हिसाब से भारत अब बीस सबसे अधिक खतरनाक देशों में शुमार हो गया है जहां पर अशांति और संघर्ष का बोलबाला है। 
भारत सात अंक गिरकर अब कुल 153 देशों के सूचकांक में 135 नंबर पर आ गया है। इन बीस सबसे खतरनाक देशों में पाकिस्तान (146वां स्थान) और अफगानिस्तान (150वां स्थान) पर है। ग्लोबल पीस इंडेक्स के संस्थापक स्टीव केलीली ने एक साक्षात्कार में बताया कि भारत के अंक अधिकांश मापदंडों पर पहले जैसे ही रहे हैं इसलिए वहां ऐसी कोई विकट स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है। सामूहिक हत्याएं और अपराध की दर भी भारत में अन्य देशों से काफी कम हैं। रैंकिंग में गिरावट की मूल वजह सिर्फ इतनी है कि भारतीय समाज में अपराध बढ़ने की छवि बन गई है। तीन साल की आर्थिक मंदी खत्म होने के तुरंत बाद ही सबसे अधिक शांतिप्रिय देश के रूप में न्यूजीलैंड को हटाकर आइसलैंड ने यह जगह ले ली है। वहीं पिछली बार सबसे अशांत देश घोषित इराक की जगह सोमालिया ने ली है। लगातार तीसरे साल सामाजिक उठापटक विश्व को और अधिक अशांत बना रही है। वहीं आर्थिक तनावों के चलते चीन के लिए खतरा पैदा होने का भी दावा इस इंडेक्स में किया गया है। जीपीआइ के अनुसार आर्थिक कारणों से ही अरब देशों की हलचल के साथ ही विश्व के मध्य भूभाग में अशांति है। खाद्य पदार्थो की कीमतें आसमान छूने के चलते ही मिस्र, ट्यूनीशिया और अन्य देशों में संघर्ष शुरू हो गया है। कुछ देशों में खूनखराबा हदें पार कर चुका है। हालांकि इस परेशानी का मुकाबला यूरोपीय देशों में सड़कों पर आवाज बुलंद करके हो रहा है। हालांकि इस रिपोर्ट के कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं। जिसमें बताया गया है कि आइवरी कोस्ट, लीबिया और उत्तर-दक्षिण कोरिया के बीच सीमा विवाद जारी रहने के बावजूद वहां युद्ध के हालात अब खत्म हो चुके हैं। यह पड़ोसी देश अब तनावपूर्ण शांति से काम ले रहे हैं। कभी बड़े दुश्मन पड़ोसी देश अब सह-अस्तित्व की भावना को समझते हुए मिल-जुलकर रह रहे हैं। केलीली ने कहा कि सबसे रोचक और अहम अध्ययन चीन का है। वहां आने वाले समय में बड़े बदलाव तय हैं। अगर आने वाले सालों में वहां आर्थिक विकास की गति मंद पड़ती गई तो हिंसक प्रतिक्रिया और अस्थिरता संभव है। उन्होंने बताया कि शांति को सुनिश्चित करने के लिए सबसे अहम आयाम सुचारू रूप से चलने वाली सरकारें, अपेक्षाकृत एकरूप समाज, संपत्ति की समान भागीदारी, कालेज स्तर तक अच्छी शिक्षा, प्रेस की 
आजादी हैं।

जनसंख्या बढ़ोतरी, कहीं बहुत कम कहीं बहुत ज्यादा

खुशबू(इन्द्री)करनाल :

हर सेकंड औसतन 2.6 बच्चे पैदा होते हैं, हर मिनट 158, हर दिन 2 लाख 28 हजार 155 लोग दुनिया में पैदा होते हैं। हर सेंकड दुनिया की जनसंख्या बढ़ रही है। कुल 6 अरब 96 करोड़ से ज्यादा लोग हैं। और हर टिक टिक के साथ बढ़ रहे हैं। 
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक 2100 में दुनिया की जनसंख्या दस अरब हो जाएगी। 1950 से अब तक दुनिया की जनसंख्या का बढ़ना आधा हो गया है। मतलब पहले हर महिला के औसतन पांच बच्चे होते थे, लेकिन अब यह संख्या आधी हो गई है। इसका मुख्य कारण परिवार नियोजन है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या विभाग के अध्यक्ष थोमास बुइटनर कहते हैं, 'जो जनसंख्या आज हम देख रहे हैं वह सुधार भरे कदम का परिणाम है। अगर 1950 के कदम नहीं बदले होते तो आज जनसंख्या के आंकड़े अलग होते।'

हालांकि तस्वीर का सिर्फ एक यही अच्छा पहलू होता तो बहुत ही बढ़िया था, लेकिन ऐसा है नहीं। क्योंकि अमीर देशों में जनसंख्या घट रही है और गरीब देशों में लगातार बढ़ रही है। जनसंख्या के बढ़ने की गति अगर इसी तेजी से जारी रही तो इस सदी के आखिर में ही धरती पर 27 अरब लोग हो जाएंगे। अभी से चार गुना ज्यादा। लेकिन नाइजीरिया में थ्योरिटिकली दो अरब ज्यादा होंगे तो जर्मनी की जनसंख्या आधी हो जाएगी और चीन में 50 करोड़ लोग कम हो जाएंगे।

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ एक और मामले पर नजर डालते हैं, 'ज्यादा से ज्यादा लोगों को परिवार नियोजन की सुविधा मिल रही रही और मत्यु दर कम हो गई है। विकास के सभी काम, परिवार नियोजन की कोशिशें मां और बच्चों के मरने की दर कम करती है।' 

इन आंकड़ों के मुताबिक गरीब से गरीब देशों में भी प्रति महिला बच्चों की संख्या कम हो जाएगी। और इसलिए 2100 तक दुनिया में करीब दस अरब लोगों के धरती पर रहने का अनुमान संयुक्त राष्ट्र ने लगाया है।

असमान जनसंख्या बढ़ोतरी : -

यूएन ने अनुमान लगाया है कि अगर प्रति महिला औसतन एक दशमलव छह बच्चे पैदा होते हैं तो जनसंख्या 16 अरब तक पहुंच जाएगी। यह सबसे ज्यादा वाला अनुमान है और एकदम कम होने की स्थिति में दुनिया की जनसंख्या घट कर छह अरब ही रह जाएगी जो आज की संख्या से भी कम होगी। दो हजार आठ में भी संयुक्त राष्ट्र ने इसी तरह का अनुमान लगाया था जिसे उसे ठीक करना पड़ा था।


जर्मन जनसंख्या संस्था (वेल्ट बेफ्योल्करुंग प्रतिष्ठान) की प्रमुख रेनाटे बैहर बताती हैं, 'दो हजार पचास में बीस करोड़ जनसंख्या बढ़ने के सुधार को इसलिए करना पड़ा क्योंकि पैदा होने वाले बच्चों की संख्या जितना कम होने का अनुमान था वैसा आखिरी दो साल में हुआ नहीं। यह एक चेतावनी है। उम्मीद करते हैं कि नेता इस चेतावनी को सुनेंगे और इस पर कार्रवाई करेंगे।'
इसके लिए रेनाटे बैहर थाईलैंड और केन्या का उदाहरण देती हैं, 'आप अगर आज केन्या और थाईलैंड की ओर देखें तो पता चलेगा कि दोनों में जमीन आसमान का फर्क है। केन्या में जनसंख्या चार गुना बढ़ी है जबकि थाईलैंड में सिर्फ दो गुना।'
इसका कारण सिर्फ एक ही है कि 1970 के दशक में थाईलैंड ने दो बच्चे प्रति परिवार की नीति अपनाई और इसे आगे बढ़ाया। अब तो केन्या भी इसे समझ गया है कि परिवार की खुशहाली कम बच्चे ही जरूरी हैं, लेकिन दुनिया के कई देश अभी भी नहीं समझे हैं।

Dr.Anshu Kataria (35) Elected as President of 40 years old Chandigarh Management Association (CMA)


Chandigarh :Sanjay Pahwa:
 History has been created today in Chandigarh Management Association (CMA). Dr.Anshu Kataria, Chairman, Aryans Group of Colleges has been selected as President of CMA. This is first time in 40 years history of CMA that a 35 years old young leader has been chosen for such a prestigious post. Dr.Kataria is Doctorate from University Business School, Panjab University, Chandigarh and is running Aryans Group of Colleges on Chandigarh-Patiala Highway, near Chandigarh.
 The winning team includes Dr.Manoj K.Sharma (Vice-President), Mr.M.L.Garg (Joint Secretary), Ms.Madhulika Kak (General Secretary) and Mr.A.K.Verma (Treasurer). The other Executive members are Mr.Amarjit Singh Tanda, Mr.Arun Kumar Gandhi, Mr.Balwant Gurunay, Dr.Niraj Pasricha, Dr.T.L.Kaushal, Mr.J.N.Vohra, Mr.Jagtaran Singh Nayyar and CA Mr.Vivek Goyal.Dr Zora Singh (Desh Bhagat), Dr.Aneet (Gian Jyoti) & Gurvinder Singh Bahra (Rayat & Bahra) were also elected as Organizational member.
Addressing the CMA, Dr.Kataria said that with the cooperation of other members, he would make CMA as the best among India’s Management Associations. He further said that he would work for widening the membership base of CMA and also to make it financially strong. Before that, Annual general Meeting of CMA took place where Dr.Gulshan Sharma (President, CMA) & Sh.J.N.Vohra (Genera l Secretary) addressed the members of CMA.
Established in 1966, CMA is a registered society affiliated to the All India Management Association (AIMA). Aimed at promoting professional management concepts amongst management fraternity representing Industry, Trade and Academia of the Chandigarh and its adjoining satellite cities the association has more than 400 members.
Young and enterprising Kataria has achieved several milestones in his short career of over a decade where he is running a successful Business School. He also plans to expand his horizon by making a foray into engineering and nursing colleges from the current academic session. His vision to make a difference in the field by equating quality and excellence with performance has helped Aryans Business School being considered among the reputed business schools of the region.

कन्या भ्रूणहत्या के खिलाफ जागरूकता

नई दिल्ली। (प्रेमबाबू शर्मा) : 
बाहरी दिल्ली स्थित शकूरपुर जेजे कालोनी में लोगों को कन्या भ्रूणहत्या के खिलाफं जागरुक करने के मकसद संे एक कार्यक्रम का आयोजन हु। कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक संस्था जनजागृति वेलफेयर सोसायटी सिरसपुर और एनएसयूआई नेता दीपिका देसवाल ने मिलकर किया।इस मौके फैशन डिजाइनर संजना जॉन,गोल्ड मेडलिस्ट पहलवान अनिल खत्री, पदमश्री डा. मौसिम अली,प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव विजेंद्र जिंदल, संस्था के उपाध्यक्ष नरेश देसवाल, पास्टर इमैनुअल, सुशांत मिश्रा, परवीन रज्जी, सुषमा ढींगरा, जेबी जैन, प्रेम, पंजाब से कांग्रेस नेता परविंदर कौर समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे। इस मौके पर एक जागरुकता रैली का आयोजन भी हुआ, जिसमें लड़कियों की घटती तादाद पर चिंता जताते हुए कन्या भ्रूण हत्या रोकने का संदेश दिया गया। अगर बेटी को कोख में ही मार डालोगे, तो बेटे के लिए बहू कहां से लाओगे। कार्यक्रम में जर्नलिस्ट टुडे नेटवर्क और राजधानी संदेश समाचार पत्र ने मीडिया पार्टनर की भूमिका अदा की। 
दीपिका देसवाल और संजना जॉन इस मौके पर कहा कि भारत वर्ष को हमेशा महिलाओ की पूजा के लिए जाना जाता है। नारी को जननी कहा जाता है। उसी नारी को कमजोर करने की जो साजिश कन्या भ्रूण हत्या के रुप की जा रही है। उसे रोकने के लिए जागरुकता की जरुरत है। पीएनडीटी एक्ट 1994 का हवाला देते हुए भी बताया कि भ्रूण जांच के लिए अल्ट्रासाउंड अथवा कोई भी तरीका अपनाने वालो को तीन साल की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माना और दूसरी बार दोषी पाए जाने पर पांच साल की सजा और 50 हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना होने का प्रावधान है। साथ ही उस मेडिकल अथोर्टी का लाइसेंस तक रद्द किए जाने का प्रावधान है। इसके लिए लिंगानुपात में महिलाओं की संख्या बढाए जाने की जरुरत है। सरकार ने महिलाओं के लिए शिक्षा से लेकर रोजगार तक के लिए कई सुविधाएं दी है, जिनमें सबला, लाडली और ऐसी ही कई योजनाएं चल रही हैं। जिसका फायदा भी महिलाओं को उठाना चाहिए। अंत में सभी ने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लिया। सोसायटी के अध्यक्ष नरेशपाल राणा ने आए हुए सभी अतिथियों का आभार जताया।