खिसयानी बिल्ली खंभा नोंचे....
बिल्कुल यही हाल इस वक्त यूपी की सत्ताधारी पार्टी सपा का है... सूबे में बढ़ते अपराध की लगाम कसने में पूरी तरह से नाकाम पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह, सीएम अखिलेश यादव और शीर्ष नेताओं में शुमार रामगोपाल यादव अब पूरा ठिंकरा मीडिया पर फोड़ रहे है। अपराधियों पर तो कोई पार बसती नही ंतो मीडिया को ही कोसने लगे।
लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती भी खोपचे से बाहर निकल आई है...बदायूं पहुंचकर वो भी मीडिया से मुखातिब हुई...वरना सत्ता पर काबिज़ होने के बाद तो जैसे मीडिया से पूरी तरह से ही मुंह मोड लिया था। सभी जानते है कि आज भी बसपा नेता कैमरे से ऐसे बचते नज़र आते है जैसे बुदके को देखकर बकरी...इसके पीछे कारण कुछ और नहीं, बल्कि खुद बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से अपने कारिदों को दिशा-निर्देश किए हुए है कि कैमरे से दूर रहा....भूत है इसमें...मगर चुनाव में अक्ल ठिकाने आई तो कैमरा ही डूबते को तिनके का सहारा नजर आया।
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भई टीपू, चच्चा मुलायम और रामू...दिखावे पे मत जाओ, थोड़ी-बहुत अपनी भी अक्ल लगाओं....बोलने से पहले कुछ तो सोच-समझ लिया करो कि क्या बोल रहे हो? सबसे पहले तो नारी जाति का सम्मान करना सीखों और उसके बाद भाषण देना...क्योंकि भाषण तो कोई भी दे सकता है...दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने भी दिया था...हुआ क्या घर लौटते है तो खा-पीकर.....थप्पड। ़...ऐसा मत करो कि यूपी में आपका, आपके चटुकार, ठाठ और मंच से लेकर गली-मोहल्लों में आपके नाम की कसीदें पढ़ने वाले उन नेताओं को भी वही हाल न हो जाएं जो थानों में बैठकर थानेदारी कर रहे है।
अपना और अपने इन ठेकेदारों का हाल सुधारिए, सूबे का हुलिया सुधर जाएगा। खाकी वर्दी में लिपटे जिन मामा, फूफी, चाचा-चाची, बहन की नंद के देवर का साला, उसका बहनोई, उसके रिश्ते का साला, उसके भी मामा के चाचा का बेटा आदि-आदि को जो थानों-कोतवाली, जिलों और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी सौंपी है ना उनमें छटनी कर दो। रिश्तेदारी तो बाद में भी निभाई जा सकती है...पहले प्रदेश तो बचा लो। वरना पुरानी कहावत चरितार्थ हो जाएगी कि तन पर नहीं लत्ता और अम्मा चली कलकत्ता...मैं तो भई मुफत की सलाह दे सकता हंू, बाकी काम आपका। हां, अगर इससे भी काम ना चले तो एक बार फिर से मीडिया को कोस लेना...इससे भी अच्छी सलाह दूंगा फिर....ये तो यकास ही दे रहा हूं, इबकी बार सोच्चे बिणा ना दूं।