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Thursday, April 30, 2015

भूकंप के मलबे में गूंजी मोहब्बत की सहनाई

भूकंप ने नेपाल को वो जख्म दिए हैं, जो कभी नहीं भुलाए जा सकते। सदियों तक इस भूकंप और त्रासदी का दंश यहां के वाशिंदों के लिए भले ही नासूर बना रहे, लेकिन यहां पर एक शख्स ने मोहब्बत की वो मिसाल कायम की है, जो नेपाल के इतिहास के पन्नों पर हमेशा के लिए अमर हो गया है।

भूकंप के मलबे में गूंजी मोहब्बत की सहनाई
दरअसल, ये कहानी है भूकंप की तबाही का शिकार हुए नेपाल के उस कपल की, जिसने लाशों का कब्रिस्तान बन चुके काठमांडू में न केवल शादी की शहनाई बजवाई, बल्कि अपना आशियाना न होने पर भी कैंप पर हनीमून मनाया। आपको बता दें कि अमिता और नरेंद्र काठमांडू में सालों से रहते हैं। पहले दोनों के बीच प्यार हुआ, जिसके बाद दोनों ने शादी का फैसला किया। शादी की तारीख 29 अप्रैल तय हुई। 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप में दोनों के घर तबाह हो गए। अमिता अपने घर के मलबे में फंस गई। नरेंद्र के मुताबिक, एक पल के लिए उन्हें लगा कि उनका सब कुछ तबाह हो गया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। नरेंद्र सबसे पहले अमिता के घर पहुंचे और उसे और उसके परिवारवालों को मलबे से बाहर निकाला।

मलबे में दबने की वजह से अमिता काफी जख्मी हो गई थीं। शुरुआत में वह और उनका परिवार शादी के लिए तैयार नहीं थे। हालांकि, जब नरेंद्र ने समझाया तो वे राजी हो गए। इसके बाद तयशुदा 29 अप्रैल को दोनों ने पशुपतिनाथ मंदिर में शादी कर ली। अमिता ने बताया कि शादी में बाराती के तौर पर 36 लोग शामिल हुए जो 18 मोटरसाइकिलों पर सवार होकर आए। इनमें परिवार के लोग भी शामिल थे। सभी ने वर-वधू को आशीर्वाद दिया।

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Thursday, April 30, 2015

भूकंप के मलबे में गूंजी मोहब्बत की सहनाई

भूकंप ने नेपाल को वो जख्म दिए हैं, जो कभी नहीं भुलाए जा सकते। सदियों तक इस भूकंप और त्रासदी का दंश यहां के वाशिंदों के लिए भले ही नासूर बना रहे, लेकिन यहां पर एक शख्स ने मोहब्बत की वो मिसाल कायम की है, जो नेपाल के इतिहास के पन्नों पर हमेशा के लिए अमर हो गया है।

भूकंप के मलबे में गूंजी मोहब्बत की सहनाई
दरअसल, ये कहानी है भूकंप की तबाही का शिकार हुए नेपाल के उस कपल की, जिसने लाशों का कब्रिस्तान बन चुके काठमांडू में न केवल शादी की शहनाई बजवाई, बल्कि अपना आशियाना न होने पर भी कैंप पर हनीमून मनाया। आपको बता दें कि अमिता और नरेंद्र काठमांडू में सालों से रहते हैं। पहले दोनों के बीच प्यार हुआ, जिसके बाद दोनों ने शादी का फैसला किया। शादी की तारीख 29 अप्रैल तय हुई। 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप में दोनों के घर तबाह हो गए। अमिता अपने घर के मलबे में फंस गई। नरेंद्र के मुताबिक, एक पल के लिए उन्हें लगा कि उनका सब कुछ तबाह हो गया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। नरेंद्र सबसे पहले अमिता के घर पहुंचे और उसे और उसके परिवारवालों को मलबे से बाहर निकाला।

मलबे में दबने की वजह से अमिता काफी जख्मी हो गई थीं। शुरुआत में वह और उनका परिवार शादी के लिए तैयार नहीं थे। हालांकि, जब नरेंद्र ने समझाया तो वे राजी हो गए। इसके बाद तयशुदा 29 अप्रैल को दोनों ने पशुपतिनाथ मंदिर में शादी कर ली। अमिता ने बताया कि शादी में बाराती के तौर पर 36 लोग शामिल हुए जो 18 मोटरसाइकिलों पर सवार होकर आए। इनमें परिवार के लोग भी शामिल थे। सभी ने वर-वधू को आशीर्वाद दिया।

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