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Monday, October 29, 2012

मौत की रफ्तार ने निगली पांच जिंदगी


* नो एंट्री में घुसे असंतुलित ट्रक का तांड़व

अमित सैनी, मुजफ्फरनगर।
मौत की रफ्तार ने पांच बेकुसूरों की जिंदगी निगल ली। जानसठ रेलवे क्रोसिंग पुल पर अंधी स्पीड ने पहले एक साइकिल सवार को रौंदा और फिर रिक्शा सवार चार लोगों को मौत की नींद सुला दिया। इसमें से रिक्शा पोलर तो उछलकर पुल से करीब ३० फुट नीचे जा गिरा। ट्रक का कहर यहीं भी नहीं रुका। करीब ड़ेढ किमी तक रिक्शा को घसीटते हुए अलमासपुर चौक तक ले गया। पुलिस के रोकने पर चालक ने ट्रक को एक दुकान में घुसा दिया। लापरवाही के आरोप में दरोगा समेत चार पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है।
मौत का यह तांड़व सोमवार रात करीब सवा आठ बजे शहर के जानसठ रेलवे क्रोसिंग पुल पर हुआ। नशे में धुत्त चालक अंधी रफ्तार से नई मंडी के अलमासपुर की ओर दौड़ा जा रहा था। पुल पर चढ़ते ही ट्रक ने पहले साइकिल सवार को कुचल दिया। पीछे से आ रहे लोगों ने शोर मचाया तो चालक ने ट्रक की ओर स्पीड बढ़ा दी। इसके बाद ट्रक ने रिक्शा को टक्कर मारकर उड़ा दिया। रिक्शा चालक तो उछलकर पुल से करीब ३० फुट नीचे जा गिरा, जबकि रिक् शा सवार महिला, पुरुष और एक बच्चे को ट्रक कुचलते हुए आगे बढ़ गया। चकनाचूर हुई रिक्शा का हैडिंल ट्रक के निचले हिस्से में फंस गया। ट्रक चिंगारी के साथ उसी स्पीड से सामने आने वालों को क्षतिग्रस्त करते हुए अलमासपुर चौक तक जा पहुंचा। पुलिस कर्मियों ने उसे रोकने का प्रयास किया तो चालक ने ट्रक को पवन साइकिल वक्र्स की दुकान में घुसा दिया। पुलिस ने नशे में धुत्त चालक संजय पुत्र रामपाल निवासी चौधरान पट्टी, नकुड़ को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी चालक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की धारा में रिपोर्ट दर्ज करने की तैयारी कर रही है। समाचार लिखे जाने तक मृतकों की शिनाख्त नहीं हो सकी थी।
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मौत के कहर का कौन है जिम्मेदार
* ट्रक के तांड़व से मची जानसठ रोड पर भगदड़
* तीन कारों में सवार परिवार भी बचे बाल-बाल
* नो एंट्री होते हुए आखिर कैसे घुसा शहर में ट्रक
शहर में हादसों को टालने के लिए सुबह सात बजे से रात्रि नौ बजे तक बड़े वाहनों, खासतौर से ट्रकों के आवागमन पर पूरी तरह रोक है। फिर भी पुलिस सांठ-गांठ से ट्रक अंदर दाखिल ही हो जाते हैं। मौत का कहर बरपाने वाला यह ट्रक भी दिनभर मीनाक्षी चौक स्थित कांग्रेस नेता की ट्रांसपोर्ट पर खड़ा रहा। शाम के समय से ही ट्रक चालक संजय चौधरी ने शराब ड़कारनी शुरू कर दी थी। आठ बजे करीब संजय नशे में धुत्त होकर ट्रक लेकर भोपा रोड जाने के लिए चला। मीनाक्षी चौक पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने ट्रक को रोकने तक की जहमत नहीं उठाई। शायद यदि ट्रक को रोक लिया जाता तो इस भयानक हादसे को रोका जा सकता था। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब नो एंट्री में घुसे किसी ट्रक ने मौत का कहर बरपाया हो। पहले भी ऐसी अनेक घटनाऐं हो चुकी हैं, बावजूद इसके प्रशासन उससे कोई सबक नहीं ले रहा है। सोमवार रात हुए दर्दनाक हादसे ने पुलिस की घोर लापरवाही उजागर की है। अधिकारियों ने भी आनन-फानन में गलती पर पर्दा डालने के लिए मंडी थाने के दरोगा सीपी कठेरिया और चार पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर तो कर दिया, लेकिन सवाल यही है कि आखिर कब तक नो एंट्री का मखौल उड़ता रहेगा और बेकुसूर अपनी जिंदगी से हाथ धोते रहेगें।
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मौत का मंजर देखकर सहम गए लोग
मुजफ्फरनगर। खून से लथपथ इधर-उधर पड़ी पांच लाशें, मांस के लौथड़े और बहता खून। यह खौफनाक मंजर जिसने भी देखा, वह सहम गया। सैकड़ों लोगों का जमावड़ा था और हर किसी का गुस्सा उबाल पर था। मौत बने ट्रक के सामने जो भी आया उसकी सांसे अटककर रह गई। क्योंकि ट्रक में फंसी रिक्शा सड़क से घिसड़ते हुए चिंगारी निकाल रही थी। कुदरत का करम रहा कि कोई दूसरा वाहन उसके सामने नहीं आया। अन्यथा हादसा ओर भी बड़ा हो सकता था।
मौत के इस कहर के एक नहीं अनेक प्रत्यक्षदर्शी गवाह हैं। साइकिल सवार को कुचलकर भाग रहे ट्रक चालक को पकडऩे के प्रयास भी हुए, लेकिन रिक् शा को रौंदकर जिस तरह ट्रक भागा कोई उसका पीछा करने की हिम्मत नहीं जुटा सका। धर्मवीर बालियान भी उनमें से एक थे। यह खौफनाक मंजर देखकर वो भी एक बारगी हिल गए। बाद में उन्होंने खुद को संभालते हुए पुलिस को सूचना दी। ऐसा ही भरतिया कॉलोनी के विजय के साथ भी हुआ। खून से लथपथ पांच लाशें देखकर उनका सिर चकरा गया, क्योंकि लाशों का स्वरूप इतना बिगड़ चुका था कि उनके भेजे और मांस के लोथड़े इधर-उधर बिखरे पड़े थे। कुल मिलाकर जिसने भी यह मंजर देखा उसके होश उड़ गए। उन लोगों की तो सांसे ही अटक गई थी, जो मौत की रफ्तार से भाग रहे ट्रक के सामने आने से बाल-बाल बचे।
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हादसों को दावत देने वाला है रेलवे क्रोसिंग पुल
मुजफ्फरनगर। आखिर जिस अनहोनी की आशंका थी, वो सोमवार को सही साबित हुई। पुल के निर्माण से ही यह सवाल उठ रहा था कि बिना फुटपाथ का यह पुल हादसों को दावत दे रहा है। ट्रक के नीचे आकर पांचों लोग जहां मारे गए हैं, वह पुल का एक किनारा है। रेलवे विभाग ने बरसों से खुले नीचे के रास्ते को दीवार कर पूरी तरह बंद किया हुआ है। जिस कारण रिक्शा चालकों और छोटे वाहनों को मजबूरन पुल के ऊपर से गुजरना पड़ता है। यहां पर पथ-प्रकाश की भी समुचित इंतजाम नहीं है।
भोपा पुल के मुकाबले जानसठ रेलवे क्रोसिग पर बनाए गए पुल के अस्तित्व को लेकर करीब एक बरस से सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि पुल का आकार और बनाने का ढग़ जिस तरह का है, वो वाकई दुर्घटनाओं को आमंत्रण देने वाला है। पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ तक नहीं बनाया गया है। उल्टा विरोध के बावजूद रेलवे विभाग ने बरसों से नीचे बने रेलवे क्रोसिंग के रास्ते को दीवार बनाकर बंद कर दिया है। ऐसे में तमाम लोगों को पुल का ही सहारा है। सोमवार रात ट्रक ने जहां पर पांच लोगों को कुचला है, वो पुल का एक किनारा है। इस पुल पर पथ प्रकाश का भी कोई इंतजाम नहीं है। 
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ये है मरने वाले
मुजफ्फरनगर। हादसे में मारे गए पांचों लोगों की देर रात पहचान हो गई। मरने वालों में अमित विहार का मुकेश उसकी पत्नी कविता और आठ साल की बेटी निशा शामिल हैं। लक्ष्मण विहार निवासी रिटायर्ड दरोगा राजेंद्र शर्मा का बेटा पंकज भी काल का ग्रास बना है। पांचवा मृतक दुधिया बबलू पुत्र रहीस निवासी निराना बताया गया है। मृतक विकलांग बबलू के चार बच्चें बताए गए हैं। अभी यह नहीं साफ हो सका है कि रिक्शा कौन चला रहा था। हालांकि मौत की खबर मिलते ही उनके परिजन रोते-बिलखते जिला अस्पताल में पहुंच गए।
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मौत पर उबाल, लोगों ने किया हंगामा
* अलमासपुर चौक पर भीड़ ने लगाया जाम
* मंडी थाने के दरोगा कठेरिया ने की अभद्रता
मुजफ्फरनगर। पांच लोगों की मौत और ट्रक की बेलगाम रफ्तार को लेकर लोगों का गुस्सा उबाल पर था। यही वजह थी कि अलमासपुर चौक पर एकत्र हुए लोगों ने नो एंट्री में घुसे ट्रक को लेकर पुलिस के खिलाफ हंगामा भी किया। आरोप है कि इस दौरान मंडी थाने में दरोगा सीपी कठेरिया ने कई लोगों के साथ अभद्रता भी की। 
ट्रक के कुचलने से हुई पांच लोगों की दर्दनाक मौत से हर कोई गमगीन होने के साथ इस बात को लेकर गुस्सा था कि नो एंट्री होते हुए पुलिस की सांठ-गांठ से ट्रक कैसे शहर के अंदर घुस आया। ट्रक असंतुलित होकर पवन पाल साइकिल वक्र्स की दुकान में जा घुसा। गनीमत रही कि उस वक्त दुकान बंद थी। लेकिन लोग काफी तादाद में सड़क किनारे खड़े थे। यही वजह थी कि लोगों ने हादसे के विरोध में जाम लगाकर विरोध प्रदर्शन भी किया। दरोगा कठेरिया और साथी पुलिसकर्मियों बदमीजी किए जाने से लोग भड़क गए थे। लेकिन बाद में समझा-बुझाकर शांत किया। 

Veena searching streets of Mumbai to find the character face for her movie


Mumbai, kulbir kalsi :
Bombshell of Bollywood Veena Malik is not in a mood to take any chance for her upcoming movie that’s why she is not leaving any stone un turned. Now days she is busy on the streets of Mumbai because of searching a perfect character for her upcoming movie “The city that Never Sleeps”. She was seen wearing a Burkha while travelling in the streets of Mumbai because she wants to avoid the crowds mobbing her. She is diverging from his serious genre for this movie and trying to given a perfect character face.
Veena Malik said, “Its big movie for me and I don’t want to take any chance so I have decided I personally walk around the streets of Mumbai and search the perfect face which will suit. Here everyone is a actor but we need to find out hidden inside actor”.

Nowadays bollywood actors like Amir khan ,Salman khan Sharukh khan Amitabh Bachan have always managed to get into the character of a the person that the role they perform that is why they are the best and I also want to be the best.

Veena had signed new film “The City that Never Sleeps” which is going to break 20 Guinness book of world record. The movies produced by Satish Reddy and Directed by Haroon Rashid. The Film brings more international flavour for the audience that you never seen before. You will see an amalgamation of many actor and actress from different countries U.K, U.S.A, Pakistan, Ukraine and Russia. The Bollywood stars also feature in the movie along with four music directors and twenty supporting directors to complete the film within seven days to first copy out.

Sunday, October 28, 2012

हम बॉयोटैक फसलें चाहते हैं


- टीईसी द्वारा की गई पाबंदी की सिफारिश कृषि विरोधी: नौ जवान किसान क्लब
- बॉयोटैक उत्पादन और ग्रामीण संपन्नता बढ़ाने में सहायक

चंडीगढ़, 
:: हम नौ जवान किसान क्लब, पंजाब का एक प्रमुख किसान संगठन सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक छह सदस्यीय तकनीकी विशेषज्ञ समिति द्वारा भारत में सभी बॉयोटैक फसलों के फील्ड परीक्षणों संबंधरी रिसर्च के 10 वर्षीय फ्रीज की सिफारिश से बेहद निराश हैं और ये सिफारिशें पूरी तरह से किसान विरोधी हैं। 

(L-R): Professor I. S. Dua (Former Chairman, Department of Botany, Panjab University, Chandigarh) and Mr. Karnel Singh( President of the Nau Jawan Kisan Club)  addressing a press conference on the pressing issues facing the Cotton Farmers of the State at Press Club, Chandigarh on Saturday 27th Oct. 2012. 
पूरे विश्व के किसान कई कदम आगे बढ़ चुके हैं। वे अब बिजाई के लिए नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों से तैयार बीजों को प्राप्त करते हैं। ये वो बीज हैं जिन्हें हानिकारक कीटों से पूरी तरह सुरक्षा प्राप्त है। अन्य बीज पौधे को खरपतवार और अन्य जड़ों आदि से सुरक्षित होते हैं और ये किसानों को प्रभावी ढंग से खरपतवारों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। बीजों पर हर्बीसाइड के छिड़काव से भी वे एक स्वस्थ फसल के तौर पर बनी रहती हैं। वहीं ये बीज कम पानी पर फसल को अच्छे से पकने देते हैं, खाद की कम खपत लेते हैं और नाइट्रोजन को अधिक कुशलता से उपयोग में लाते हैं, जो कि आजकल के बदलते पर्यावरण, तेजी से बदले वाले मौसम, सिंचाई की कमी और मिलावटी खाद की आपूर्ति के समय काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

नौ जवान किसान क्लब के अध्यक्ष श्री करनैल सिंह ने कहा कि हम फसलों के उत्पादन के संबंध में कई सारी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिनमें कृषि श्रमिकों की कमी, श्रमिकों पर आने वाला अधिक खर्च, कीट, खरपतवार, रोग, पानी की कमी और न्यूट्रीटेंड की उपलब्धता आदि प्रमुख हैं। बॉयोटैक्नोलॉजी और जीएम फसलों से हम कुछ पसंदीदा विकल्प मिल सकते हैं। तकनीकी विशेषज्ञ समिति की 10 साल पाबंदी की सिफारिश पूरी तरह से किसान विरोधी है। हमें बॉयोटैक्नोलॉजी की जरूरत है। हम चुनने का अधिकार और कृषि करने की स्वतंत्रता चाहते हैं। हमारा सुप्रीम कोर्ट में पूरा विश्वास है जो कि किसानों के हित में ही फैसला करेगा, जिन्हें अपनी फसल उत्पादकता और व्यक्गित आर्थिक संपन्नता बढ़ाने के लिए नई तकनीकों की जरूरत है। पदमश्री जगजीत सिंह हारा ने कहा कि टीईसी ने जिस प्रतिबंध की सिफारिश की है वो किसानों के हितों के विरुद्ध है। 
पंजाब यूनीवर्सिटी के बॉटनी विभाग के पूर्वाध्यक्ष एवं वियात कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर आई. एस. दुआ ने कहा कि  बीते 10 वर्ष में बीटी कॉटन के बीजों के उपयोग, जो कि भारत में एकमात्र स्वीकृत तकनीक है, हमारा कपास उत्पादन दोगुणा हो गया है, कीटनाशकों की खपत कम हो गई है और हम बॉलवोस को नियंत्रित करने के लिए कहीं कम कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं, जो कि कपास की फसल पर हमला करने वाला मुय कीट था, इस से हम अपना उत्पादन में होने वाला नुक्सान कम करने में सफल रहे हैं। इससे ग्रामीण श्रमिकों के लिए अधिक रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं, जिससे हमारे गांवों का माहौल भी बेहतर हुआ है। किसानों की आय बढ़ाने के अलावा हमारी और हमारी परिवारों की जिंदगी भी बेहतर हुई है। हम करीब 1 हजार हाईब्रिड बीटी कॉटन बीजों के करीब पहुंच चुके हैं। हमें और तकनीकें चाहिए और अपनी फसलों के लिए अपने पसंदीदा बीजों के और विकल्प चाहिएं।

Tuesday, October 23, 2012

खबरीलाल: लहू की कलम से लिखी रंजिश की दास्तान

खबरीलाल: लहू की कलम से लिखी रंजिश की दास्तान: अमित सैनी, मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर के किनौनी गांव में चल रही रंजिश की दास्तान लहू से लिखी हुई है। रंजिश में अब तक दोनों पक्षों के आधा दर...

लहू की कलम से लिखी रंजिश की दास्तान


अमित सैनी, मुजफ्फरनगर।
मुजफ्फरनगर के किनौनी गांव में चल रही रंजिश की दास्तान लहू से लिखी हुई है। रंजिश में अब तक दोनों पक्षों के आधा दर्जन से अधिक लोगों का खून बह चुका है। नफरत की चिंगारी से उठी लपटों में अब तो महिलाएं और मासूम बच्चें भी झुलसने लगे हैं। 21 अक्टूबर की देर शाम महिला राजेश की बीच सड़क गोलियों से भूनकर की गई हत्या इसी खूनी रंजिश के परिणाम की एक कड़ी है। बावजूद इसके खूनी दास्तान के किरदारों में धधक रहीं नफरत की चिंगारी बुझने का नाम नहीं ले रही है। पता नहीं यह रंजिश अभी कितने मासूमों का खून पीकर रहेगी।
किनौनी में रंजिश की नींव 17 नंवबर 2003 में रखी गई थी। दरअसल, यूपी पुलिस में तैनात रामबीर ने अपने हिस्से की जमीन चर्चित अपराधी सतेंद्र बरवाला पक्ष के सुरेंद्र सिंह को ठेके पर दे दी थी, जिसके चार बेटे धर्मेंद्र, श्रवण, सतेंद्र उर्फ मोटा और नरेंद्र थे। इसी ठेके की जमीन के विवाद में सुरेंद्र के बेटे धर्मेंद्र की गांव में ही हत्या कर दी गई थी। इस मामले में एक लाख के इनामी बदमाश विनोद बावला पक्ष के नरेश उर्फ टोल्ला समेत कई को नामजद कराया गया था, जबकि सोहनवीर का नाम पुलिस जांच में प्रकाश में आया था। नामजदगी को लेकर उपजी रंजिश में सुरेंद्र के दो बेटों नरेंद्र और श्रवण की 05 सितंबर 2005 में हत्या कर दी गई। जिसमें बालेंद्र और इनामी विनोद बावला समेत कई को नामजद कराया गया। 
Demo Pic
बालेंद्र को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जो आज भी जेल में ही बंद है। इस दौहरे हत्याकांड के पूरे चार साल बाद यानि 05 सितंबर 2009 को सतेंद्र उर्फ मोटा और उसके एक रिश्तेदार की घर में ही बम फटने से दर्दनाक मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए। इस मामले को पुलिस ने हादसा बताकर दबा दिया था। इसके बाद 2009 में ही जेल में बंद बालेंद्र के भाई खिलाड़ी योगेंद्र उर्फ काला की माजरा के जंगल से गोली लगी लाश बरामद हुई। जिसमें मृतका की भाभी राजेश पत्नी बालेंद्र द्वारा सतेंद्र उर्फ मोटा के पिता को नामजद कराया गया। लेकिन पुलिस जांच में आरोपी की पुष्टि नहीं हो सकी। जिस कारण पुलिस ने उसको क्लीन चिट दे दी। इन मामलों की पैरवी कर रही राजेश को भी रविवार २१ अक्टूबर देर शाम मौत की नींद सुला दिया गया। इस मामलें में मृतका की सास सतेंद्र बरवाला, सुरेंद्र सिंह, संजय और देवेंद्र को नामजद कराया गया है। 
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फरार है मुख्य किरदार
मुजफ्फरनगर। खूनी रंजिश के दोनों मुख्य किरदार पुलिस पकड़ से अभी बहुत दूर है। एक लाख के इनामी विनोद बावला और सतेंद्र बरवाला को लाख कोशिश के बावजूद भी पुलिस पकड़ पाने में नाकाम रही है।

Monday, October 22, 2012

सोनम का अनलक्की से लक्की की कोशिश


Prembabu sharma, Delhi
तीखे नैन नक्श और छरहरे बदन वाली सोनम कपूर ने भी अभिनय को अपना कैरियर बनाया लेकिन सिनेमा का परदा उनको रास नही आया । फिल्म संवारिया में संजय भंसाली ने उनको रणवीर कपूर के साथ उनको अच्छा ब्रेक  दिया।इसमें दो राय नही कि फिल्म की कहानी दमदार थी, और दोनो ही कलाकारों के काम को पंसद भी किया गया,लेकिन फिल्म बाक्स आफिस पर खास रंग नही दिखा पायी। नतीजा रणवीर की तो चल निकली और बेचारी सोनम के करियर पर प्रष्न चिन्ह लग गए। खैर , अब भी उन्होनंे हिम्मत नही हारी है। आज भी उनको एक हिट फिल्म की तलाश है। जो उनकी दषा और दिश को बदल देगा।
फिल्मी बैकग्राउड
सोनम के  दादा सुरेन्द्र कपूर बालीवुड के नामचीन फिल्मकार है। उनके ताया बोनी कपूर रूप की रानी चोरों के राजा सहित कई हिट फिल्मों का निर्माण कर चुके है। ताई श्रीदेवी और पिता अनिल कपूर बालीवुड के सफल कलाकार है। या यंू कहे कि अभिनय उनको धराहर में ही मिला है।

अभिनेत्री बनने का सपना
सोनम कपूर ने बचपन से ही पिता की फिल्में देखी है और फिल्में देख देख कर ही उनको भी अभिनय का षौक चरमर्रायां और उनका एक ही सपना था कि बडे होकर वह भी बालीवुड में नाम कमाएगी।
हिट फिल्म का इंताजार
सेानम कूपर ने अपने अब तक के फिल्मी सफर में कोई हिट फिल्म तो नही दी ह, इस बात का उनको मलाल तो है ही, उन्होनें हिम्मत नही हारी है। उनको लगता है कि हर कलाकार का एक दौर होता है और उनका भी समय आने वाला है। बस उनको भी एक सफल हिट फिल्म का इंतजार है।
फिल्मी सफर
इसमें दो राय नही कि सोनत  में टैंलेंट कूट कूट कर भरा है। उनको पहला मौका दिया संजय लीला भंसाली ने फिल्म संवारिया में यह भी किस्मत की बात है कि फिल्म की रीलिज के बाद में रणवीर बालीवुड में हिट हो गए लेकिन सोनम को काम के भी लाले पडने पडे। खैर इसके बाद अभिषेक के साथ में दिल्ली 6 की। आयषा,मौसम,थैक्यू और प्लेयर्स भी इनके करियर से जुडी। लेकिन उनकी किस्मत ने साथ नही दिया और हर फिल्म फलाप रही ।
इडास्ट्री की चमत्कारिक अभिनेत्री
हालांकि अभी तक उनकी चार फिल्में सांवरिया दिल्ली 6 आई हेट लव स्टोरी और आयषा ही प्रदर्षित हुई और चारों ही फिल्में ओधे मुंह गिरी। इस सबके बाद भी सोनम युवा दर्षकों पंसद  हैं। उन्हें इडास्ट्री की चमत्कारिक अभिनेत्री कहा जाता है। तीन बडे अंतर्राष्ट्रीय एंड्रोर्समैंट में उनका आना इसी का संकेत है।
हीर रांझा को लेकर सुर्खियों में
चर्चा है कि अभिनेत्री सोनम कपूर फिल्म ‘रांझा’ में हीर के किरदार के रूप में नजर आएगी। फिल्म में उनके आपोजिट है कोलाबली गीत फेम अभिनेता धनुष । रांझा के निर्देषक है फिल्म तनु वेडस मनु फेम आनंद एल राय। सोनम ने बताया कि यह उनके लिए लक्की फिल्म साबित होगी जो उनके डूबत कैरियर को सहारा दे सकेगी। फिल्म की शूटिंग पंजाब,बनारस,मद्रास और दिल्ली में होगी।
हालीवुड की ओर कंूच
बालीवुड में नही चली तो क्या सोनम कपूर के पास मल्लिका की ही तरह हालीवुड के आफर है।या यूं कहे कि वे हालीवुड की फिल्मों में भी दस्तक दे रही है।
नेगेटिव परिणाम से प्रभावित नहीं
सोनम कपूर को फिल्म प्लेयर्स से काफी उम्मीदें थी,लेकिन फिल्म ने उन्हें जरूरत से ज्यादा हताश किया। सोनम की यह खसियत रही है कि वह अपनी विफलता को याद करने की बजाय आगे की तरफ देखना पसंद करती हैं। इसका एक कारण यह रहा है कि अपने कॅरियर के शुरू से ही वह प्रचार के पैमाने के साथ ताल-मेल बिठाकर आगे बढ रही हैं। शायद इसलिए फिल्म के नेगेटिव परिणाम से वह ज्यादा प्रभावित नहीं हुईं। अब दर्शकों ने एक तरह से उन्हें खारिज कर दिया है।
बालीवुड की फैशनेबल अभिनेत्री
सोनम कपूर को बालीवुड की फैशनेबल अभिनेत्री कहा जाता है। इसमें भी दो राय नही की उनकी लगतार फ्लॉप फिल्मों दर्षकों ने हताश ही किया है। उनकी पिछली  फिल्मों मौसम, थैंक यू , आई हेट लव स्टोरी, आइशा,प्लेयर्स आदि किसी ने भी उन्हें कोई संबल नहीं दिया है।सोनम इस बात को स्वीकारती है कि फिल्मों की असफलता उनके लिए एक सबक है, यह सब किस्मत का खेल ही है कि पता नही कब कौन सी फिल्म हिट हो जाए । लेकिन मेरी हमेश हीे  कोशिश रही है कुछ नया अलग करने की । अब रांझा में दर्शकों के सामने एक नये रूप में हूॅ।
बालीवुड में बढते प्रतिस्पर्धा में पिछडी
बालीवुड में बढते प्रतिस्पर्धा में की एक अघोषित लडाई का उन्हें सामना करना पड रहा है। अब इस लडाई में वह बहुत पीछे जा चुकी हैं। लगातार फ्लॉप फिल्मों की मार झेल रहीं सोनम के लिए मौसम भी खुशगवार नहीं बन पाई। इसके बाद से ही उनके निंदक यह प्रचार करने लगे थे कि वह अपनी हर फिल्म के लिए अशुभ बनती जा रही हैं। सोनम के डूबते कैरियर को क्या हालीवुड की फिल्मों का ही सहारा होगा या फिर आने वाली फिल्में ही उनके अभिनय करियर कोउचाईयां प्रदान करेंगी। अगर सोनम का सिक्का अभिनय मे नही  चला तो क्या वे अपने पिता के प्रोडक्शन का काम ही संभालगी । इसका फैसला तो आने वाला ही समय बतायेगा ।
पिता का सहारा
अनिल कपूर को लगने लग कि कही सोनम फिल्मों के चयन को लेकर लापरवाह है। अब उसके डूबते करियर को उबारने के मकसद से अनिल कनूर ने हस्ताक्षेप करना ष्षुरू कर दिया है। इसीलिए वे हर फिल्म के चयन के मामले मे सर्तक हो गये है। चर्चा तो यह भी है कि अनलि कपूर अपनी बेटी के करियर को उबारने के लिए एक फिल्म का निर्माण भी करने जा रहे है।
अवार्डो की बौछर
फलाप अभिनेत्री लेकिन अभिनय की धनी सोनम कपूर की प्रतिभा के बारे मे लोगों की भले ही कोई राय हो, लेकिन यह भी सच है कि सवंारयिा में उनके काम को लोागों ने नोटिस किया गया और उनको फिल्म फेयर अवार्ड, स्क्रीन अवार्ड,जी सिने अवार्ड,आईफा अवार्ड  से नवाजा गया। जबकि दिल्ली 6 को एषियन फिल्मस अवार्ड का सम्मान मिला। मजेदार बात भी रही कि  उनकी फिल्मों ने देष की अपेक्षा विदेषो में में अच्छा पैसा कमाया। इसलिए सोनम को हिट अभिनेत्री कहने मे कोई परहेज भी नही होना चाहिए।


Sunday, October 21, 2012

खबरीलाल: नई फिल्म ‘एक और शहादत’

खबरीलाल: नई फिल्म ‘एक और शहादत’: Rambabu Sharma, delhi आजाद फिल्मस की फिल्म ‘एक और शहादत’ सच्चाई और ईमानदारी की रह पर चलने वाले एक पुलिस इंस्पेक्टर  के डाकू बन जाने क...

Snorkeling and boating trips at outlying islands


Snorkeling and boating trips at outlying islands arranged by Centra Coconut Beach Resort Samui

Sanjay Pahwa, Chandigarh/New Delhi: 
Snorkeling, boating, and kayaking at Koh Tan and Koh Mutsum, both of which are renowned diving and snorkeling spots, can be arranged for guests staying at Centra Coconut Beach Resort Samui, before or during their arrival. The two islands are within view of the resort, and are easily accessed from Samui. Koh Tan, also known as Coral Island, is a few hundred metres off the southwestern coast of Samui. A small island with no roads or cars and only one village, it is surrounded by a coral reef and with serene and sandy beaches, is an idyllic spot for snorkeling and sunbathing. Koh Mutsum is to the south of Koh Tan, and has a long and sandy beach that is ideal for picnics and barbeques. The intimately-scaled Centra Coconut Beach Resort Samui has 54 rooms and villas of living space including a furnished balcony or terrace. Perfect for couples and large enough for families, the accommodation includes pool view rooms and rooms with direct pool access, while the resort's seven villas each feature a Jacuzzi, a large living space and garden or ocean views. Thai and international cuisines with an emphasis on fresh seafood are served at the beachfront restaurant, and there is also a beach bar and a pool bar.

नई फिल्म ‘एक और शहादत’


Rambabu Sharma, delhi

आजाद फिल्मस की फिल्म ‘एक और शहादत’ सच्चाई और ईमानदारी की रह पर चलने वाले एक पुलिस इंस्पेक्टर  के डाकू बन जाने की कहानी है. समाज के भ्रष्ट नेता, ठेकेदार, राजनेता और पुलिस  इंस्पेक्टर शेर सिंह के आस पास घुमती कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो डाकू बन कर भी ईमानदारी की रह पर चल कर समाज में फैली बुराई को जड़ से खत्म करने की सौगंध खाता है. डाकू शेर सिंह हर मुसीबत का सामना करते हुए न्याय की रह पर चलता है. उसकी दहाड सुन कर समाज के दुश्मनों में दहशत छा जाती है.

इस फिल्म के निर्माता निर्देशक राज अहमद की यह पहली फिल्म है, इससे पहले वह टेली फिल्म रौशनी और विडियोे फिल्म ‘हलाला’ बना चुके हैं. एक और शहादत की शूटिंग राजस्थान, हरयाणा और उत्तर प्रदेश में हुई है संगीतकार प्रदीप कुमार दस, गीतकार एम् वी खान हैं. फिल्म के मुख्य कलाकार हैं अष्फाक खान आजाद,तनवीर अहमद, सपना सेजावल, अली खान, मंजू सिसोदिया, सबीर अली, सुनीता राय, एम् वि खान, अनिल कुमार, महेंद्र ठाकुर, संजय पौरुष आदि.

फिल्म  19 अक्तूबर को प्रदर्शित हो रही है.


Monday, October 8, 2012

मासूमों के खून से रंगे इतिहास के पन्ने

- जिले में मासूमों की हत्याओं का नया नहीं है मामला
- कभी फिरौती तो कभी रंजिश बनी है हत्या का कारण

अमित सैनी, मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर इहितास के पन्ने मासूमों के लहू से रंगे हुए हैं। जिले में मासूमों की कत्लगाथा बहुत पुरानी है। कभी फिरौती तो कभी रंजिश, कभी संपत्ति की चाहत तो कभी अवैध संबंध और हवस की आंधी यहां बच्चों तथा किशोरों की हत्या का कारण बनी है। समय के साथ भले ही अतीत की तस्वीरें धुंधली होती जा रही हों, लेकिन जब कभी किसी बच्चे की हत्या का मामला प्रकाश में आता है तो यादें एकाएक ही ताजा होने लगती है। इस तरह के मामलों से जुड़े लोगों की धड़कने तेज और रूह कांप उठती है।
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उदाहरण एक :छपार थाना क्षेत्र के खोजा नंगला निवासी मोमिन की पांच वर्षीया बेटी महविश का फिरौती के लिए पड़ौसी ने अपहरण कर लिया गया था। रात के समय में ही बच्ची की हत्या कर आरोपी शव के टुकड़े टुकड़े कर देवबंद थाना क्षेत्र के केतकी गांव के जंगल में फेंक आए थे। खुलासा होने पर पुलिस ने दो महिलाओं समेत चार को जेल भेजे थे।
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उदाहरण दो :मंसूरपुर थाना क्षेत्र के नोना गांव निवासी दलित संजय पुत्र हरिराम के ११ वर्षीय सावन और १० वर्षीय प्रियंका दो मार्च २०११ को रहस्यमय परिस्थितियों में घर के बाहर खेलते समय गायब हो गए थे। पांच दिन बाद दोनों के शव जंगल में पड़े मिले थे।
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उदाहरण तीन :सिविल लाईन थाना क्षेत्र के महमूदनगर से करीब डेढ़ वर्ष पूर्व छह वर्षीय अरबास का रंजिश के चलते अपहरण कर कत्ल कर दिया गया था। पुलिस ने इस मामले में पड़ौसियों को आरोपी बनाते हुए जेल भेजा था।
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उदाहरण चार :शहर कोतवाली क्षेत्र के न्याजूपुरा निवासी १२ वर्षीय हसीन शाहपुर थाना क्षेत्र के बसीकला निवासी अपने खालू हसीन के घर गया हुआ था। २६ दिसंबर २०११ की रात वह गायब हो गया। जिसका २९ दिसंबर को उमरपुर के जंगल में शव पड़ा मिला। खुलासा हुआ तो अवैध संबंध का मामला निकला। दरअसल, हसीन की खाला का किसी से अवैध संबंध चल रहे थे, जिनको उसने आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था। पोल खुलने के डर से खाला ने पे्रमी के साथ मिलकर उसकी हत्या की थी।
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उदाहरण पांच :तितावी थाना क्षेत्र के अमीननगर निवासी बीरसिंह ने अपनी पत्नी मुकेश के साथ मिलकर २६ अगस्त २००६ को १२ वर्षीय बेटे अनुज और सास कश्मीरी की गला दबाकर हत्या कर दी थी। हत्या के पीछे कश्मीरी के नाम १२ बीघा जमीन और तांत्रिक क्रियाओं का कारण निकला था। जिसका खुलासा आरोपियों की छोटी बेटी ने पुलिस के सामने किया था।
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उदाहरण छह :शहर कोतवाली क्षेत्र के प्रेमपुरी निवासी छह वर्षीय बच्चे की एक-डेढ़ साल पहले रंजिश के चलते हत्या कर दी गई थी।

दो किशारों का बेरहमी से कत्ल


-कुकर्म के बाद की गई हत्या

अमित सैनी, मुजफ्फरनगर। 
शनिवार की देर शाम कुकर्म के बाद दो मासूम किशारों की बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। वारदात के बाद शवों को थाने के पीछे चंद कदमों की दूरी पर एक गन्ने के खेत में फेंककर आरोपी फरार हो गए। वारदात से गुस्साएं लोगों ने दिल्ली-देहरादून हाइवे पर करीब तीन घंटे तक जाम लगाए रखा। इस दौरान पुलिस और ग्रामीणों के बीच तीखी झड़पें भी हुई। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
जनपद मुजफ्फरनगर के दिल्ली-देहरादून हाईवे पर स्थित छपार निवासी १२ वर्षीय आमिर पुत्र मुदा और १३ वर्षीय साकिब पुत्र मंगता उर्फ इमरान शनिवार सुबह रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हो गए थे। काफी प्रयास के बाद भी उनका पता नहीं पाया था। 
रविवार सुबह सात बजे दोनों के शव थाने के पीछे चंद कदमों की दूरी पर स्थित आशू पुत्र इसराइल के खेत में पड़े मिले। आमिर के पेट में दरांती घोंपी गई थी जबकि साकिब की हत्या उसी के बनियान से गला दबाकर की गई थी। सूचना मिलते ही आसपास के हजारों ग्रामीण मौके पर जा पहुंचे और हंगामे करने लगे। जिस पर एसपी सिटी राजकमल यादव, सीओ सदर आईपीएस पूनम छपार, पुरकाजी, चरथावल, महिला थाना पुलिस और एसओजी समेत मौके पर पहुंच गए। उत्तेजित ग्रामीणों ने हत्यारों की गिरफ्तारी और मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिलाने की मांग के चलते सुबह साढ़े आठ से साढ़े ग्यारह बजे तक जाम लगाए रखा। पंचनामा भरने के लिए पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ी और इस दौरान पुलिस व ग्रामीणों के बीच जमकर झड़प भी हुई। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर छपार में रह रहे थिथकी निवासी साहिम को गिरफ्तार कर लिया है। जिसने बताया कि कुकर्म के बाद दोनों की पोल खुलने के डर से हत्या की गई। पुलिस उसके फरार साथियों की तलाश में जुट गई है। एसएसपी बीबी सिंह का कहना है कि मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करने के साथ ही उसके साथियों को तलाश किया जा रहा है।

बाइक सिखाने के पीछे छिपा था शैतानी चेहरा


-पोल खुलने के डर से दिया दोहरे हत्याकांड के अंजाम

अमित सैनी, मुजफ्फरनगर।
मुजफ्फरनगर के छपार कस्बे में घटित हुए सनसनीखेज और हौलनाक दोहरे हत्याकांड के पीछे आरोपियों का मकशद कुकर्म ही था। लेकिन किशारों के भारी विरोध और पोल खुलने के डर से आरोपियों ने उनको मौत के घाट उतार दिया। आरोपी मृतकों को बाइक सिखाने के बहाने जंगल में ले गए थे। जिनको ले जाते हुए एक ग्रामीण ने देख लिया था। 
छपार निवासी १२ वर्षीय आमिर पुत्र मुदा और १३ वर्षीय साकिब पुत्र मंगता उर्फ इमरान पिछले तीन-चार दिन से गांव में जोहड़ की रखवाली करने वाले मुर्सलीन के बेटे साहिम से बाइक चलाना सीख रहे थे। एसओ छपार संजय गर्ग ने बताया कि परिजनों के डर से दोनों शनिवार सुबह जंगल से चारा और लकड़ी चुनने का बहाना बनाकर घर से निकले थे। बीच रास्ते में साहिम उनको बाइक लिए मिले, जो पहले उन्हें पड़ौसी गांव खुड्डा के जंगल में ले गया। योजनाबद्ध तरीके से साहिम के तीन दोस्त बुड़ीना खुर्द निवासी अरशद, बहेड़ी निवासी जान मौहम्मद और सुजडू निवासी राकिब भी उनको जंगल मिले। यह लोग दोनों को थाने के पीछे आशू पुत्र इसराइल के खेत में ले गए और दोनों के साथ कुकर्म किया। हालांकि दोनों ने भारी विरोध किया, लेकिन आरोपियों ने उनके हाथ-पैर बांधकर घटना को अंजाम दिया और फिर पोल खुलने के डर से दोनों की हत्या कर दी। आमिर के पेट में दरांती गड़ा दी, जो पेट में ही फंसी रह गई। जबकि साकिब के उसी के बनियान से फांसी लगाकर मारा गया। वारदात के बाद चारों आरोपी वहां से फरार हो गए। सुबह घटना का खुलासा उस समय हो सका, जब खेत मालिक आशू पानी चलाने खेत में पहुंचा और वहां दोनों बच्चों के शव पड़े देखे।

सजग होती पुलिस तो बच सकती थी दोनों की जान

किशारों के रहस्यमय परिस्थितियों में गायब होने के तीन घंटे बाद ही परिजनों ने पुलिस को सूचना दे दी थी। लेकिन पुलिस ने मामले को हल्के में लिया और दोनों किशोरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। यहीं कारण रहा कि पुलिस को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा।
मासूम आमिर और साकिब घर से लगभग दस बजे निकले थे। दोनों १२ बजे भी वापस नहीं लौटे तो परिजनों को चिंता सताने लगी और दोनों को हर संभंव ठिकानों पर तलाश किया, लेकिन जब दोनों का कहीं कोई अता-पता नहीं चल सका तो करीब एक बजे परिजन छपार थाने पहुंचे और शिकायत कर उनको तलाश करने की गुहार लगाई। पुलिस ने मामले को हल्के में लेते हुए परिजनों से यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि कहीं घुमने चले गए होगें, घूम-फिर कर शाम तक लौट आएगें। जिस पर वह वापस लौट गए। इसी दौरान छपार बस स्टैंड पर सेब बेचने वाले मुखलतीब ने उनको बताया कि दोनों बच्चों को उसने साहिम के साथ बाइक पर घूमते हुए खुड्डा के जंगल में देखा है। परिजन एक बार फिर से पुलिस के पास पहुंचे और मामले से अवगत कराया। लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी। देर रात करीब डेढ़ बजे परिजनों ने साहिम को दबोच लिया और ग्राम प्रधान के घर पर उससे पूछताछ की, लेकिन उसने कुछ नहीं बताया। पुलिस को भी सूचना दी गई, मगर पुलिस नहीं पहुंची तो परिजन गुपचाप बैठ गए। सुबह शव मिले तो परिजनों की आशंका पर साहिम को पुलिस ने उठाया और सख्ताई से पूछताछ की। जिसने थोड़ी ही देर में तोते की मानिंद सबकुछ उगल दिया। पुलिस की कार्य प्रणाली से क्षुब्ध लोगों ने हाइवे जाम कर अपना रोष प्रकट किया। जिसका सामना तीखी झड़प के रूप में पुलिस को करना पड़ा।

भावुक हुए एसपी सिटी, खेत से खुद उठाकर लाए शव

मौके पर पहुंचे एसपी सिटी राजकमल यादव मासूमों की निर्दयता से की गई हत्या से इतने भावुक हुए कि वह खुद ही कीचड़ भरे खेत में घुस गए। खुद ही शव को दोनों हाथों में उठाकर खेत से बाहर आए। हालांकि इसी दौरान उनको खबर मिली कि गुस्साएं लोगों ने हाइवे पर जाम लगा दिया है। जिसके चलते वह हाइवे स्थित जाम स्पॉट पर जा पहुंचे। भारी विरोध के बाद पुलिस ने पंचनामें भरकर दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए।

रोती-बिलखती रही दोनों की मां

दोनों किशारों की हत्या की खबर मिलते ही उनके परिजनों में हड़कंप मच गया। आमिर की मां फैमिदा और साकिब की मां नईमा बदहवाश सी रोती-बिलखती मौके पर जाने की ओर दौड़ पड़ी। दोनों का रो-रोकर बुरा हाल था। दोनों के अंदर गुस्से का गुबार उस समय फूट पड़ा, जब महिला पुलिस उनको ढांढस बंधाने लगी। हाइवे पर पहुंचकर दोनों सड़क पर बैठ गई। पुलिस और ग्रामीणों ने उनको उठाने का प्रयास भी किया, लेकिन वह नहीं मानी।

Friday, July 27, 2012

आज़ाद देश का गुलाम


आज भले ही देश को आज़ादी मिले 65 बरस बीत चुके हो लेकिन पिछले 15 बरसो से लोहे की बेडियों में जकड़े उमेश उर्फ़ काका को भी अपनी आज़ादी का इंतजार है की कब उसके पैरो की बेडियों को खोलकर उसे आज़ादी दिलाई जाएगी | लोहे की बेडियों में कैद उमेश को किसी अंग्रेजी हुकूमत ने कैद नहीं किया बल्कि उसके खुद अपने परिजनों की कैद में है | सड़क किनारे पर बनी इस झोपडी में ही दिन की शुरुआत करने वाले उमेश की रात भी इसी में गुजर जाती है जिसका उसे पता ही नहीं चलता | बूढ़े हो चुके माँ बाप भी अपने जिगर के इस टुकड़े से तंग आ चुके है | 
सवस्थ व्यक्ति के लिए मानसिक संतुलन का ठीक होना आवश्यक है | यदि किसी व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ जाये तों उसका जीवन नर्क के सामान हो जाता है |कभी कभी ज्यादा तनाव या फिर ज्यादा ख़ुशी मिलने से भी व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है | ऐसा ही हुआ  मुजफ़्फ़र नगर के फलोदा गाँव में पिछले 10 बरसो से उमेश उर्फ़ काका का मानसिक संतुलन ऐसा बिगड़ा की उलटी सीधी हरकते करने लगा जिससे गाँव के लोग ही नहीं बल्कि परिजन भी उसकी हरकतों से तंग आ गये जिसके चलते 15 सालो से उसे लोहे की जंजीरों में बांध कर रखा जाता है | दरअसल जंजीरों में जकड़ा उमेश 12 साल पहले स्वस्थ था और अपनी पत्नी चन्द्र किरण  व दो  बच्चो के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहा था |लेकिन उसके भाँग का नशा करने के शोक ने उसका जीवन नर्क कर दिया और उलटी सीधी हरकते करने लगा जिससे परेशान होकर पत्नी भी अपने बच्चो को लेकर उमेश को छोड़कर चली गयी | बूढ़े माँ बाप ने काफी इलाज कराया लेकिन सब व्यर्थ था | 
धीरे धीरे उमेश की उदंडता बढती गयी जिसपर परिजनों ने उसके पैरो में लोहे की बेडिया डाल दी | हाथो  में  लाठी और चेहरे पर झुर्रियों का जाल लिए ये बूढ़ा व्यक्ति बुधराम उमेश का पिता है जिसकी झील सी इन गहरी आँखों में गम के सिवा कुछ भी नहीं है ये रोना तों चाहता है शायद वक़्त के थपेड़ो और मुफलिसी ने इसके आँसुओ को सोख लिया है | हमेशा अपने बेटे के ठीक हो जाने के लिए इश्वर से प्रार्थना करता है वंही इस बात को भी स्वीकार करता है की अपने जिगर के इस टुकड़े को बरसो से जंजीरों में कैद कर रखा है | उमेश की माँ प्रेमो भी अपने इस लाल से तंग आ चुकी है उसका कहना है की जिस उम्र में उनकी सेवा बेटे को करनी चाहिए थी लेकिन आज इन बुधो को अपने जवान बेटे के सभी काम काज करने पड़ते है,आज उनके पास अपने बेटे के इलाज करने के पैसे भी नहीं है मुश्किल से दो वक़्त की रोटी गाँव से चलती है | गाँव वालो को नुकसान न पंहुचा दे इसी लिए उमेश को जंजीरों में जकड़ा गया है | अपने दुखी मान से उमेश की माँ भी अब अपने बेटे से अपना पीछा छुड़ाना चाहती है | वो  चाहती है की कोई भी इसे ऐसी जगह भर्ती करा दे जंहा उनका बेटा इलाज से सही हो सके |
ग्रामीण भी काका को जंजीरों में जकड़े रहने को गलत मानते है मगर मदद के लिए कोई सामने आने को तैयार नहीं है \ ग्राम प्रधान का कहना है की कई बार इनकी मदद के लिए आवाज उठाई  मगर उनकी लाचारी ओर गरीबी के चलते प्रशासन के कानो पर भी जू नहीं रेंगी | 
जिला चिकित्सा अधिकारी से जब इस युवक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जानकारी ना होने के साथ साथ हर संभव मदद की बात कही | खुद जिला चिकित्सा अधिकारी भी लम्बे समय से जंजीरों में जकड़े रहने के कारण कई गंभीर बिमारी हो जाने की संभावना जाता रहे है | साथ ही चिकित्सको द्वारा उमेश का मेडिकल जाँच कराकर आगे की कार्यवाही की बात कहते है | मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी जंजीरों में इस तरह से किसी भी युवक को कैद में रखने को गैर कानूनी भी मानते है | 
आज भारत देश को आज़ाद हुये भले ही ६२ बरस हो चुके हो लेकिन उमेश के पैरो में पड़ी इन लोहे की बेडियों को देखकर लगता है की उमेश आज भी  आज़ाद देश का गुलाम है | हालाकि यह सिर्फ उसके मानसिक संतुलन ठीक न होने के कारण जिन बूढ़े माँ बाप को बुढ़ापे में अपने बेटे से सेवा करने का सहारा होता है आज वही माँ बाप अपने जवान बेटे का सहारा बने है और उसकी मन से सेवा कर रहे है | उन्हें इंतजार है उस फ़रिश्ते की जो उनके बेटे को सही जगह भर्ती कराकर उसका इलाज करा सके | 

- Amit Saini

Monday, October 29, 2012

मौत की रफ्तार ने निगली पांच जिंदगी


* नो एंट्री में घुसे असंतुलित ट्रक का तांड़व

अमित सैनी, मुजफ्फरनगर।
मौत की रफ्तार ने पांच बेकुसूरों की जिंदगी निगल ली। जानसठ रेलवे क्रोसिंग पुल पर अंधी स्पीड ने पहले एक साइकिल सवार को रौंदा और फिर रिक्शा सवार चार लोगों को मौत की नींद सुला दिया। इसमें से रिक्शा पोलर तो उछलकर पुल से करीब ३० फुट नीचे जा गिरा। ट्रक का कहर यहीं भी नहीं रुका। करीब ड़ेढ किमी तक रिक्शा को घसीटते हुए अलमासपुर चौक तक ले गया। पुलिस के रोकने पर चालक ने ट्रक को एक दुकान में घुसा दिया। लापरवाही के आरोप में दरोगा समेत चार पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है।
मौत का यह तांड़व सोमवार रात करीब सवा आठ बजे शहर के जानसठ रेलवे क्रोसिंग पुल पर हुआ। नशे में धुत्त चालक अंधी रफ्तार से नई मंडी के अलमासपुर की ओर दौड़ा जा रहा था। पुल पर चढ़ते ही ट्रक ने पहले साइकिल सवार को कुचल दिया। पीछे से आ रहे लोगों ने शोर मचाया तो चालक ने ट्रक की ओर स्पीड बढ़ा दी। इसके बाद ट्रक ने रिक्शा को टक्कर मारकर उड़ा दिया। रिक्शा चालक तो उछलकर पुल से करीब ३० फुट नीचे जा गिरा, जबकि रिक् शा सवार महिला, पुरुष और एक बच्चे को ट्रक कुचलते हुए आगे बढ़ गया। चकनाचूर हुई रिक्शा का हैडिंल ट्रक के निचले हिस्से में फंस गया। ट्रक चिंगारी के साथ उसी स्पीड से सामने आने वालों को क्षतिग्रस्त करते हुए अलमासपुर चौक तक जा पहुंचा। पुलिस कर्मियों ने उसे रोकने का प्रयास किया तो चालक ने ट्रक को पवन साइकिल वक्र्स की दुकान में घुसा दिया। पुलिस ने नशे में धुत्त चालक संजय पुत्र रामपाल निवासी चौधरान पट्टी, नकुड़ को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी चालक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की धारा में रिपोर्ट दर्ज करने की तैयारी कर रही है। समाचार लिखे जाने तक मृतकों की शिनाख्त नहीं हो सकी थी।
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मौत के कहर का कौन है जिम्मेदार
* ट्रक के तांड़व से मची जानसठ रोड पर भगदड़
* तीन कारों में सवार परिवार भी बचे बाल-बाल
* नो एंट्री होते हुए आखिर कैसे घुसा शहर में ट्रक
शहर में हादसों को टालने के लिए सुबह सात बजे से रात्रि नौ बजे तक बड़े वाहनों, खासतौर से ट्रकों के आवागमन पर पूरी तरह रोक है। फिर भी पुलिस सांठ-गांठ से ट्रक अंदर दाखिल ही हो जाते हैं। मौत का कहर बरपाने वाला यह ट्रक भी दिनभर मीनाक्षी चौक स्थित कांग्रेस नेता की ट्रांसपोर्ट पर खड़ा रहा। शाम के समय से ही ट्रक चालक संजय चौधरी ने शराब ड़कारनी शुरू कर दी थी। आठ बजे करीब संजय नशे में धुत्त होकर ट्रक लेकर भोपा रोड जाने के लिए चला। मीनाक्षी चौक पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने ट्रक को रोकने तक की जहमत नहीं उठाई। शायद यदि ट्रक को रोक लिया जाता तो इस भयानक हादसे को रोका जा सकता था। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब नो एंट्री में घुसे किसी ट्रक ने मौत का कहर बरपाया हो। पहले भी ऐसी अनेक घटनाऐं हो चुकी हैं, बावजूद इसके प्रशासन उससे कोई सबक नहीं ले रहा है। सोमवार रात हुए दर्दनाक हादसे ने पुलिस की घोर लापरवाही उजागर की है। अधिकारियों ने भी आनन-फानन में गलती पर पर्दा डालने के लिए मंडी थाने के दरोगा सीपी कठेरिया और चार पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर तो कर दिया, लेकिन सवाल यही है कि आखिर कब तक नो एंट्री का मखौल उड़ता रहेगा और बेकुसूर अपनी जिंदगी से हाथ धोते रहेगें।
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मौत का मंजर देखकर सहम गए लोग
मुजफ्फरनगर। खून से लथपथ इधर-उधर पड़ी पांच लाशें, मांस के लौथड़े और बहता खून। यह खौफनाक मंजर जिसने भी देखा, वह सहम गया। सैकड़ों लोगों का जमावड़ा था और हर किसी का गुस्सा उबाल पर था। मौत बने ट्रक के सामने जो भी आया उसकी सांसे अटककर रह गई। क्योंकि ट्रक में फंसी रिक्शा सड़क से घिसड़ते हुए चिंगारी निकाल रही थी। कुदरत का करम रहा कि कोई दूसरा वाहन उसके सामने नहीं आया। अन्यथा हादसा ओर भी बड़ा हो सकता था।
मौत के इस कहर के एक नहीं अनेक प्रत्यक्षदर्शी गवाह हैं। साइकिल सवार को कुचलकर भाग रहे ट्रक चालक को पकडऩे के प्रयास भी हुए, लेकिन रिक् शा को रौंदकर जिस तरह ट्रक भागा कोई उसका पीछा करने की हिम्मत नहीं जुटा सका। धर्मवीर बालियान भी उनमें से एक थे। यह खौफनाक मंजर देखकर वो भी एक बारगी हिल गए। बाद में उन्होंने खुद को संभालते हुए पुलिस को सूचना दी। ऐसा ही भरतिया कॉलोनी के विजय के साथ भी हुआ। खून से लथपथ पांच लाशें देखकर उनका सिर चकरा गया, क्योंकि लाशों का स्वरूप इतना बिगड़ चुका था कि उनके भेजे और मांस के लोथड़े इधर-उधर बिखरे पड़े थे। कुल मिलाकर जिसने भी यह मंजर देखा उसके होश उड़ गए। उन लोगों की तो सांसे ही अटक गई थी, जो मौत की रफ्तार से भाग रहे ट्रक के सामने आने से बाल-बाल बचे।
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हादसों को दावत देने वाला है रेलवे क्रोसिंग पुल
मुजफ्फरनगर। आखिर जिस अनहोनी की आशंका थी, वो सोमवार को सही साबित हुई। पुल के निर्माण से ही यह सवाल उठ रहा था कि बिना फुटपाथ का यह पुल हादसों को दावत दे रहा है। ट्रक के नीचे आकर पांचों लोग जहां मारे गए हैं, वह पुल का एक किनारा है। रेलवे विभाग ने बरसों से खुले नीचे के रास्ते को दीवार कर पूरी तरह बंद किया हुआ है। जिस कारण रिक्शा चालकों और छोटे वाहनों को मजबूरन पुल के ऊपर से गुजरना पड़ता है। यहां पर पथ-प्रकाश की भी समुचित इंतजाम नहीं है।
भोपा पुल के मुकाबले जानसठ रेलवे क्रोसिग पर बनाए गए पुल के अस्तित्व को लेकर करीब एक बरस से सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि पुल का आकार और बनाने का ढग़ जिस तरह का है, वो वाकई दुर्घटनाओं को आमंत्रण देने वाला है। पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ तक नहीं बनाया गया है। उल्टा विरोध के बावजूद रेलवे विभाग ने बरसों से नीचे बने रेलवे क्रोसिंग के रास्ते को दीवार बनाकर बंद कर दिया है। ऐसे में तमाम लोगों को पुल का ही सहारा है। सोमवार रात ट्रक ने जहां पर पांच लोगों को कुचला है, वो पुल का एक किनारा है। इस पुल पर पथ प्रकाश का भी कोई इंतजाम नहीं है। 
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ये है मरने वाले
मुजफ्फरनगर। हादसे में मारे गए पांचों लोगों की देर रात पहचान हो गई। मरने वालों में अमित विहार का मुकेश उसकी पत्नी कविता और आठ साल की बेटी निशा शामिल हैं। लक्ष्मण विहार निवासी रिटायर्ड दरोगा राजेंद्र शर्मा का बेटा पंकज भी काल का ग्रास बना है। पांचवा मृतक दुधिया बबलू पुत्र रहीस निवासी निराना बताया गया है। मृतक विकलांग बबलू के चार बच्चें बताए गए हैं। अभी यह नहीं साफ हो सका है कि रिक्शा कौन चला रहा था। हालांकि मौत की खबर मिलते ही उनके परिजन रोते-बिलखते जिला अस्पताल में पहुंच गए।
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मौत पर उबाल, लोगों ने किया हंगामा
* अलमासपुर चौक पर भीड़ ने लगाया जाम
* मंडी थाने के दरोगा कठेरिया ने की अभद्रता
मुजफ्फरनगर। पांच लोगों की मौत और ट्रक की बेलगाम रफ्तार को लेकर लोगों का गुस्सा उबाल पर था। यही वजह थी कि अलमासपुर चौक पर एकत्र हुए लोगों ने नो एंट्री में घुसे ट्रक को लेकर पुलिस के खिलाफ हंगामा भी किया। आरोप है कि इस दौरान मंडी थाने में दरोगा सीपी कठेरिया ने कई लोगों के साथ अभद्रता भी की। 
ट्रक के कुचलने से हुई पांच लोगों की दर्दनाक मौत से हर कोई गमगीन होने के साथ इस बात को लेकर गुस्सा था कि नो एंट्री होते हुए पुलिस की सांठ-गांठ से ट्रक कैसे शहर के अंदर घुस आया। ट्रक असंतुलित होकर पवन पाल साइकिल वक्र्स की दुकान में जा घुसा। गनीमत रही कि उस वक्त दुकान बंद थी। लेकिन लोग काफी तादाद में सड़क किनारे खड़े थे। यही वजह थी कि लोगों ने हादसे के विरोध में जाम लगाकर विरोध प्रदर्शन भी किया। दरोगा कठेरिया और साथी पुलिसकर्मियों बदमीजी किए जाने से लोग भड़क गए थे। लेकिन बाद में समझा-बुझाकर शांत किया। 

Veena searching streets of Mumbai to find the character face for her movie


Mumbai, kulbir kalsi :
Bombshell of Bollywood Veena Malik is not in a mood to take any chance for her upcoming movie that’s why she is not leaving any stone un turned. Now days she is busy on the streets of Mumbai because of searching a perfect character for her upcoming movie “The city that Never Sleeps”. She was seen wearing a Burkha while travelling in the streets of Mumbai because she wants to avoid the crowds mobbing her. She is diverging from his serious genre for this movie and trying to given a perfect character face.
Veena Malik said, “Its big movie for me and I don’t want to take any chance so I have decided I personally walk around the streets of Mumbai and search the perfect face which will suit. Here everyone is a actor but we need to find out hidden inside actor”.

Nowadays bollywood actors like Amir khan ,Salman khan Sharukh khan Amitabh Bachan have always managed to get into the character of a the person that the role they perform that is why they are the best and I also want to be the best.

Veena had signed new film “The City that Never Sleeps” which is going to break 20 Guinness book of world record. The movies produced by Satish Reddy and Directed by Haroon Rashid. The Film brings more international flavour for the audience that you never seen before. You will see an amalgamation of many actor and actress from different countries U.K, U.S.A, Pakistan, Ukraine and Russia. The Bollywood stars also feature in the movie along with four music directors and twenty supporting directors to complete the film within seven days to first copy out.

Sunday, October 28, 2012

हम बॉयोटैक फसलें चाहते हैं


- टीईसी द्वारा की गई पाबंदी की सिफारिश कृषि विरोधी: नौ जवान किसान क्लब
- बॉयोटैक उत्पादन और ग्रामीण संपन्नता बढ़ाने में सहायक

चंडीगढ़, 
:: हम नौ जवान किसान क्लब, पंजाब का एक प्रमुख किसान संगठन सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक छह सदस्यीय तकनीकी विशेषज्ञ समिति द्वारा भारत में सभी बॉयोटैक फसलों के फील्ड परीक्षणों संबंधरी रिसर्च के 10 वर्षीय फ्रीज की सिफारिश से बेहद निराश हैं और ये सिफारिशें पूरी तरह से किसान विरोधी हैं। 

(L-R): Professor I. S. Dua (Former Chairman, Department of Botany, Panjab University, Chandigarh) and Mr. Karnel Singh( President of the Nau Jawan Kisan Club)  addressing a press conference on the pressing issues facing the Cotton Farmers of the State at Press Club, Chandigarh on Saturday 27th Oct. 2012. 
पूरे विश्व के किसान कई कदम आगे बढ़ चुके हैं। वे अब बिजाई के लिए नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों से तैयार बीजों को प्राप्त करते हैं। ये वो बीज हैं जिन्हें हानिकारक कीटों से पूरी तरह सुरक्षा प्राप्त है। अन्य बीज पौधे को खरपतवार और अन्य जड़ों आदि से सुरक्षित होते हैं और ये किसानों को प्रभावी ढंग से खरपतवारों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। बीजों पर हर्बीसाइड के छिड़काव से भी वे एक स्वस्थ फसल के तौर पर बनी रहती हैं। वहीं ये बीज कम पानी पर फसल को अच्छे से पकने देते हैं, खाद की कम खपत लेते हैं और नाइट्रोजन को अधिक कुशलता से उपयोग में लाते हैं, जो कि आजकल के बदलते पर्यावरण, तेजी से बदले वाले मौसम, सिंचाई की कमी और मिलावटी खाद की आपूर्ति के समय काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

नौ जवान किसान क्लब के अध्यक्ष श्री करनैल सिंह ने कहा कि हम फसलों के उत्पादन के संबंध में कई सारी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिनमें कृषि श्रमिकों की कमी, श्रमिकों पर आने वाला अधिक खर्च, कीट, खरपतवार, रोग, पानी की कमी और न्यूट्रीटेंड की उपलब्धता आदि प्रमुख हैं। बॉयोटैक्नोलॉजी और जीएम फसलों से हम कुछ पसंदीदा विकल्प मिल सकते हैं। तकनीकी विशेषज्ञ समिति की 10 साल पाबंदी की सिफारिश पूरी तरह से किसान विरोधी है। हमें बॉयोटैक्नोलॉजी की जरूरत है। हम चुनने का अधिकार और कृषि करने की स्वतंत्रता चाहते हैं। हमारा सुप्रीम कोर्ट में पूरा विश्वास है जो कि किसानों के हित में ही फैसला करेगा, जिन्हें अपनी फसल उत्पादकता और व्यक्गित आर्थिक संपन्नता बढ़ाने के लिए नई तकनीकों की जरूरत है। पदमश्री जगजीत सिंह हारा ने कहा कि टीईसी ने जिस प्रतिबंध की सिफारिश की है वो किसानों के हितों के विरुद्ध है। 
पंजाब यूनीवर्सिटी के बॉटनी विभाग के पूर्वाध्यक्ष एवं वियात कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर आई. एस. दुआ ने कहा कि  बीते 10 वर्ष में बीटी कॉटन के बीजों के उपयोग, जो कि भारत में एकमात्र स्वीकृत तकनीक है, हमारा कपास उत्पादन दोगुणा हो गया है, कीटनाशकों की खपत कम हो गई है और हम बॉलवोस को नियंत्रित करने के लिए कहीं कम कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं, जो कि कपास की फसल पर हमला करने वाला मुय कीट था, इस से हम अपना उत्पादन में होने वाला नुक्सान कम करने में सफल रहे हैं। इससे ग्रामीण श्रमिकों के लिए अधिक रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं, जिससे हमारे गांवों का माहौल भी बेहतर हुआ है। किसानों की आय बढ़ाने के अलावा हमारी और हमारी परिवारों की जिंदगी भी बेहतर हुई है। हम करीब 1 हजार हाईब्रिड बीटी कॉटन बीजों के करीब पहुंच चुके हैं। हमें और तकनीकें चाहिए और अपनी फसलों के लिए अपने पसंदीदा बीजों के और विकल्प चाहिएं।

Tuesday, October 23, 2012

खबरीलाल: लहू की कलम से लिखी रंजिश की दास्तान

खबरीलाल: लहू की कलम से लिखी रंजिश की दास्तान: अमित सैनी, मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर के किनौनी गांव में चल रही रंजिश की दास्तान लहू से लिखी हुई है। रंजिश में अब तक दोनों पक्षों के आधा दर...

लहू की कलम से लिखी रंजिश की दास्तान


अमित सैनी, मुजफ्फरनगर।
मुजफ्फरनगर के किनौनी गांव में चल रही रंजिश की दास्तान लहू से लिखी हुई है। रंजिश में अब तक दोनों पक्षों के आधा दर्जन से अधिक लोगों का खून बह चुका है। नफरत की चिंगारी से उठी लपटों में अब तो महिलाएं और मासूम बच्चें भी झुलसने लगे हैं। 21 अक्टूबर की देर शाम महिला राजेश की बीच सड़क गोलियों से भूनकर की गई हत्या इसी खूनी रंजिश के परिणाम की एक कड़ी है। बावजूद इसके खूनी दास्तान के किरदारों में धधक रहीं नफरत की चिंगारी बुझने का नाम नहीं ले रही है। पता नहीं यह रंजिश अभी कितने मासूमों का खून पीकर रहेगी।
किनौनी में रंजिश की नींव 17 नंवबर 2003 में रखी गई थी। दरअसल, यूपी पुलिस में तैनात रामबीर ने अपने हिस्से की जमीन चर्चित अपराधी सतेंद्र बरवाला पक्ष के सुरेंद्र सिंह को ठेके पर दे दी थी, जिसके चार बेटे धर्मेंद्र, श्रवण, सतेंद्र उर्फ मोटा और नरेंद्र थे। इसी ठेके की जमीन के विवाद में सुरेंद्र के बेटे धर्मेंद्र की गांव में ही हत्या कर दी गई थी। इस मामले में एक लाख के इनामी बदमाश विनोद बावला पक्ष के नरेश उर्फ टोल्ला समेत कई को नामजद कराया गया था, जबकि सोहनवीर का नाम पुलिस जांच में प्रकाश में आया था। नामजदगी को लेकर उपजी रंजिश में सुरेंद्र के दो बेटों नरेंद्र और श्रवण की 05 सितंबर 2005 में हत्या कर दी गई। जिसमें बालेंद्र और इनामी विनोद बावला समेत कई को नामजद कराया गया। 
Demo Pic
बालेंद्र को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जो आज भी जेल में ही बंद है। इस दौहरे हत्याकांड के पूरे चार साल बाद यानि 05 सितंबर 2009 को सतेंद्र उर्फ मोटा और उसके एक रिश्तेदार की घर में ही बम फटने से दर्दनाक मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए। इस मामले को पुलिस ने हादसा बताकर दबा दिया था। इसके बाद 2009 में ही जेल में बंद बालेंद्र के भाई खिलाड़ी योगेंद्र उर्फ काला की माजरा के जंगल से गोली लगी लाश बरामद हुई। जिसमें मृतका की भाभी राजेश पत्नी बालेंद्र द्वारा सतेंद्र उर्फ मोटा के पिता को नामजद कराया गया। लेकिन पुलिस जांच में आरोपी की पुष्टि नहीं हो सकी। जिस कारण पुलिस ने उसको क्लीन चिट दे दी। इन मामलों की पैरवी कर रही राजेश को भी रविवार २१ अक्टूबर देर शाम मौत की नींद सुला दिया गया। इस मामलें में मृतका की सास सतेंद्र बरवाला, सुरेंद्र सिंह, संजय और देवेंद्र को नामजद कराया गया है। 
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फरार है मुख्य किरदार
मुजफ्फरनगर। खूनी रंजिश के दोनों मुख्य किरदार पुलिस पकड़ से अभी बहुत दूर है। एक लाख के इनामी विनोद बावला और सतेंद्र बरवाला को लाख कोशिश के बावजूद भी पुलिस पकड़ पाने में नाकाम रही है।

Monday, October 22, 2012

सोनम का अनलक्की से लक्की की कोशिश


Prembabu sharma, Delhi
तीखे नैन नक्श और छरहरे बदन वाली सोनम कपूर ने भी अभिनय को अपना कैरियर बनाया लेकिन सिनेमा का परदा उनको रास नही आया । फिल्म संवारिया में संजय भंसाली ने उनको रणवीर कपूर के साथ उनको अच्छा ब्रेक  दिया।इसमें दो राय नही कि फिल्म की कहानी दमदार थी, और दोनो ही कलाकारों के काम को पंसद भी किया गया,लेकिन फिल्म बाक्स आफिस पर खास रंग नही दिखा पायी। नतीजा रणवीर की तो चल निकली और बेचारी सोनम के करियर पर प्रष्न चिन्ह लग गए। खैर , अब भी उन्होनंे हिम्मत नही हारी है। आज भी उनको एक हिट फिल्म की तलाश है। जो उनकी दषा और दिश को बदल देगा।
फिल्मी बैकग्राउड
सोनम के  दादा सुरेन्द्र कपूर बालीवुड के नामचीन फिल्मकार है। उनके ताया बोनी कपूर रूप की रानी चोरों के राजा सहित कई हिट फिल्मों का निर्माण कर चुके है। ताई श्रीदेवी और पिता अनिल कपूर बालीवुड के सफल कलाकार है। या यंू कहे कि अभिनय उनको धराहर में ही मिला है।

अभिनेत्री बनने का सपना
सोनम कपूर ने बचपन से ही पिता की फिल्में देखी है और फिल्में देख देख कर ही उनको भी अभिनय का षौक चरमर्रायां और उनका एक ही सपना था कि बडे होकर वह भी बालीवुड में नाम कमाएगी।
हिट फिल्म का इंताजार
सेानम कूपर ने अपने अब तक के फिल्मी सफर में कोई हिट फिल्म तो नही दी ह, इस बात का उनको मलाल तो है ही, उन्होनें हिम्मत नही हारी है। उनको लगता है कि हर कलाकार का एक दौर होता है और उनका भी समय आने वाला है। बस उनको भी एक सफल हिट फिल्म का इंतजार है।
फिल्मी सफर
इसमें दो राय नही कि सोनत  में टैंलेंट कूट कूट कर भरा है। उनको पहला मौका दिया संजय लीला भंसाली ने फिल्म संवारिया में यह भी किस्मत की बात है कि फिल्म की रीलिज के बाद में रणवीर बालीवुड में हिट हो गए लेकिन सोनम को काम के भी लाले पडने पडे। खैर इसके बाद अभिषेक के साथ में दिल्ली 6 की। आयषा,मौसम,थैक्यू और प्लेयर्स भी इनके करियर से जुडी। लेकिन उनकी किस्मत ने साथ नही दिया और हर फिल्म फलाप रही ।
इडास्ट्री की चमत्कारिक अभिनेत्री
हालांकि अभी तक उनकी चार फिल्में सांवरिया दिल्ली 6 आई हेट लव स्टोरी और आयषा ही प्रदर्षित हुई और चारों ही फिल्में ओधे मुंह गिरी। इस सबके बाद भी सोनम युवा दर्षकों पंसद  हैं। उन्हें इडास्ट्री की चमत्कारिक अभिनेत्री कहा जाता है। तीन बडे अंतर्राष्ट्रीय एंड्रोर्समैंट में उनका आना इसी का संकेत है।
हीर रांझा को लेकर सुर्खियों में
चर्चा है कि अभिनेत्री सोनम कपूर फिल्म ‘रांझा’ में हीर के किरदार के रूप में नजर आएगी। फिल्म में उनके आपोजिट है कोलाबली गीत फेम अभिनेता धनुष । रांझा के निर्देषक है फिल्म तनु वेडस मनु फेम आनंद एल राय। सोनम ने बताया कि यह उनके लिए लक्की फिल्म साबित होगी जो उनके डूबत कैरियर को सहारा दे सकेगी। फिल्म की शूटिंग पंजाब,बनारस,मद्रास और दिल्ली में होगी।
हालीवुड की ओर कंूच
बालीवुड में नही चली तो क्या सोनम कपूर के पास मल्लिका की ही तरह हालीवुड के आफर है।या यूं कहे कि वे हालीवुड की फिल्मों में भी दस्तक दे रही है।
नेगेटिव परिणाम से प्रभावित नहीं
सोनम कपूर को फिल्म प्लेयर्स से काफी उम्मीदें थी,लेकिन फिल्म ने उन्हें जरूरत से ज्यादा हताश किया। सोनम की यह खसियत रही है कि वह अपनी विफलता को याद करने की बजाय आगे की तरफ देखना पसंद करती हैं। इसका एक कारण यह रहा है कि अपने कॅरियर के शुरू से ही वह प्रचार के पैमाने के साथ ताल-मेल बिठाकर आगे बढ रही हैं। शायद इसलिए फिल्म के नेगेटिव परिणाम से वह ज्यादा प्रभावित नहीं हुईं। अब दर्शकों ने एक तरह से उन्हें खारिज कर दिया है।
बालीवुड की फैशनेबल अभिनेत्री
सोनम कपूर को बालीवुड की फैशनेबल अभिनेत्री कहा जाता है। इसमें भी दो राय नही की उनकी लगतार फ्लॉप फिल्मों दर्षकों ने हताश ही किया है। उनकी पिछली  फिल्मों मौसम, थैंक यू , आई हेट लव स्टोरी, आइशा,प्लेयर्स आदि किसी ने भी उन्हें कोई संबल नहीं दिया है।सोनम इस बात को स्वीकारती है कि फिल्मों की असफलता उनके लिए एक सबक है, यह सब किस्मत का खेल ही है कि पता नही कब कौन सी फिल्म हिट हो जाए । लेकिन मेरी हमेश हीे  कोशिश रही है कुछ नया अलग करने की । अब रांझा में दर्शकों के सामने एक नये रूप में हूॅ।
बालीवुड में बढते प्रतिस्पर्धा में पिछडी
बालीवुड में बढते प्रतिस्पर्धा में की एक अघोषित लडाई का उन्हें सामना करना पड रहा है। अब इस लडाई में वह बहुत पीछे जा चुकी हैं। लगातार फ्लॉप फिल्मों की मार झेल रहीं सोनम के लिए मौसम भी खुशगवार नहीं बन पाई। इसके बाद से ही उनके निंदक यह प्रचार करने लगे थे कि वह अपनी हर फिल्म के लिए अशुभ बनती जा रही हैं। सोनम के डूबते कैरियर को क्या हालीवुड की फिल्मों का ही सहारा होगा या फिर आने वाली फिल्में ही उनके अभिनय करियर कोउचाईयां प्रदान करेंगी। अगर सोनम का सिक्का अभिनय मे नही  चला तो क्या वे अपने पिता के प्रोडक्शन का काम ही संभालगी । इसका फैसला तो आने वाला ही समय बतायेगा ।
पिता का सहारा
अनिल कपूर को लगने लग कि कही सोनम फिल्मों के चयन को लेकर लापरवाह है। अब उसके डूबते करियर को उबारने के मकसद से अनिल कनूर ने हस्ताक्षेप करना ष्षुरू कर दिया है। इसीलिए वे हर फिल्म के चयन के मामले मे सर्तक हो गये है। चर्चा तो यह भी है कि अनलि कपूर अपनी बेटी के करियर को उबारने के लिए एक फिल्म का निर्माण भी करने जा रहे है।
अवार्डो की बौछर
फलाप अभिनेत्री लेकिन अभिनय की धनी सोनम कपूर की प्रतिभा के बारे मे लोगों की भले ही कोई राय हो, लेकिन यह भी सच है कि सवंारयिा में उनके काम को लोागों ने नोटिस किया गया और उनको फिल्म फेयर अवार्ड, स्क्रीन अवार्ड,जी सिने अवार्ड,आईफा अवार्ड  से नवाजा गया। जबकि दिल्ली 6 को एषियन फिल्मस अवार्ड का सम्मान मिला। मजेदार बात भी रही कि  उनकी फिल्मों ने देष की अपेक्षा विदेषो में में अच्छा पैसा कमाया। इसलिए सोनम को हिट अभिनेत्री कहने मे कोई परहेज भी नही होना चाहिए।


Sunday, October 21, 2012

खबरीलाल: नई फिल्म ‘एक और शहादत’

खबरीलाल: नई फिल्म ‘एक और शहादत’: Rambabu Sharma, delhi आजाद फिल्मस की फिल्म ‘एक और शहादत’ सच्चाई और ईमानदारी की रह पर चलने वाले एक पुलिस इंस्पेक्टर  के डाकू बन जाने क...

Snorkeling and boating trips at outlying islands


Snorkeling and boating trips at outlying islands arranged by Centra Coconut Beach Resort Samui

Sanjay Pahwa, Chandigarh/New Delhi: 
Snorkeling, boating, and kayaking at Koh Tan and Koh Mutsum, both of which are renowned diving and snorkeling spots, can be arranged for guests staying at Centra Coconut Beach Resort Samui, before or during their arrival. The two islands are within view of the resort, and are easily accessed from Samui. Koh Tan, also known as Coral Island, is a few hundred metres off the southwestern coast of Samui. A small island with no roads or cars and only one village, it is surrounded by a coral reef and with serene and sandy beaches, is an idyllic spot for snorkeling and sunbathing. Koh Mutsum is to the south of Koh Tan, and has a long and sandy beach that is ideal for picnics and barbeques. The intimately-scaled Centra Coconut Beach Resort Samui has 54 rooms and villas of living space including a furnished balcony or terrace. Perfect for couples and large enough for families, the accommodation includes pool view rooms and rooms with direct pool access, while the resort's seven villas each feature a Jacuzzi, a large living space and garden or ocean views. Thai and international cuisines with an emphasis on fresh seafood are served at the beachfront restaurant, and there is also a beach bar and a pool bar.

नई फिल्म ‘एक और शहादत’


Rambabu Sharma, delhi

आजाद फिल्मस की फिल्म ‘एक और शहादत’ सच्चाई और ईमानदारी की रह पर चलने वाले एक पुलिस इंस्पेक्टर  के डाकू बन जाने की कहानी है. समाज के भ्रष्ट नेता, ठेकेदार, राजनेता और पुलिस  इंस्पेक्टर शेर सिंह के आस पास घुमती कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो डाकू बन कर भी ईमानदारी की रह पर चल कर समाज में फैली बुराई को जड़ से खत्म करने की सौगंध खाता है. डाकू शेर सिंह हर मुसीबत का सामना करते हुए न्याय की रह पर चलता है. उसकी दहाड सुन कर समाज के दुश्मनों में दहशत छा जाती है.

इस फिल्म के निर्माता निर्देशक राज अहमद की यह पहली फिल्म है, इससे पहले वह टेली फिल्म रौशनी और विडियोे फिल्म ‘हलाला’ बना चुके हैं. एक और शहादत की शूटिंग राजस्थान, हरयाणा और उत्तर प्रदेश में हुई है संगीतकार प्रदीप कुमार दस, गीतकार एम् वी खान हैं. फिल्म के मुख्य कलाकार हैं अष्फाक खान आजाद,तनवीर अहमद, सपना सेजावल, अली खान, मंजू सिसोदिया, सबीर अली, सुनीता राय, एम् वि खान, अनिल कुमार, महेंद्र ठाकुर, संजय पौरुष आदि.

फिल्म  19 अक्तूबर को प्रदर्शित हो रही है.


Monday, October 8, 2012

मासूमों के खून से रंगे इतिहास के पन्ने

- जिले में मासूमों की हत्याओं का नया नहीं है मामला
- कभी फिरौती तो कभी रंजिश बनी है हत्या का कारण

अमित सैनी, मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर इहितास के पन्ने मासूमों के लहू से रंगे हुए हैं। जिले में मासूमों की कत्लगाथा बहुत पुरानी है। कभी फिरौती तो कभी रंजिश, कभी संपत्ति की चाहत तो कभी अवैध संबंध और हवस की आंधी यहां बच्चों तथा किशोरों की हत्या का कारण बनी है। समय के साथ भले ही अतीत की तस्वीरें धुंधली होती जा रही हों, लेकिन जब कभी किसी बच्चे की हत्या का मामला प्रकाश में आता है तो यादें एकाएक ही ताजा होने लगती है। इस तरह के मामलों से जुड़े लोगों की धड़कने तेज और रूह कांप उठती है।
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उदाहरण एक :छपार थाना क्षेत्र के खोजा नंगला निवासी मोमिन की पांच वर्षीया बेटी महविश का फिरौती के लिए पड़ौसी ने अपहरण कर लिया गया था। रात के समय में ही बच्ची की हत्या कर आरोपी शव के टुकड़े टुकड़े कर देवबंद थाना क्षेत्र के केतकी गांव के जंगल में फेंक आए थे। खुलासा होने पर पुलिस ने दो महिलाओं समेत चार को जेल भेजे थे।
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उदाहरण दो :मंसूरपुर थाना क्षेत्र के नोना गांव निवासी दलित संजय पुत्र हरिराम के ११ वर्षीय सावन और १० वर्षीय प्रियंका दो मार्च २०११ को रहस्यमय परिस्थितियों में घर के बाहर खेलते समय गायब हो गए थे। पांच दिन बाद दोनों के शव जंगल में पड़े मिले थे।
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उदाहरण तीन :सिविल लाईन थाना क्षेत्र के महमूदनगर से करीब डेढ़ वर्ष पूर्व छह वर्षीय अरबास का रंजिश के चलते अपहरण कर कत्ल कर दिया गया था। पुलिस ने इस मामले में पड़ौसियों को आरोपी बनाते हुए जेल भेजा था।
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उदाहरण चार :शहर कोतवाली क्षेत्र के न्याजूपुरा निवासी १२ वर्षीय हसीन शाहपुर थाना क्षेत्र के बसीकला निवासी अपने खालू हसीन के घर गया हुआ था। २६ दिसंबर २०११ की रात वह गायब हो गया। जिसका २९ दिसंबर को उमरपुर के जंगल में शव पड़ा मिला। खुलासा हुआ तो अवैध संबंध का मामला निकला। दरअसल, हसीन की खाला का किसी से अवैध संबंध चल रहे थे, जिनको उसने आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था। पोल खुलने के डर से खाला ने पे्रमी के साथ मिलकर उसकी हत्या की थी।
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उदाहरण पांच :तितावी थाना क्षेत्र के अमीननगर निवासी बीरसिंह ने अपनी पत्नी मुकेश के साथ मिलकर २६ अगस्त २००६ को १२ वर्षीय बेटे अनुज और सास कश्मीरी की गला दबाकर हत्या कर दी थी। हत्या के पीछे कश्मीरी के नाम १२ बीघा जमीन और तांत्रिक क्रियाओं का कारण निकला था। जिसका खुलासा आरोपियों की छोटी बेटी ने पुलिस के सामने किया था।
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उदाहरण छह :शहर कोतवाली क्षेत्र के प्रेमपुरी निवासी छह वर्षीय बच्चे की एक-डेढ़ साल पहले रंजिश के चलते हत्या कर दी गई थी।

दो किशारों का बेरहमी से कत्ल


-कुकर्म के बाद की गई हत्या

अमित सैनी, मुजफ्फरनगर। 
शनिवार की देर शाम कुकर्म के बाद दो मासूम किशारों की बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। वारदात के बाद शवों को थाने के पीछे चंद कदमों की दूरी पर एक गन्ने के खेत में फेंककर आरोपी फरार हो गए। वारदात से गुस्साएं लोगों ने दिल्ली-देहरादून हाइवे पर करीब तीन घंटे तक जाम लगाए रखा। इस दौरान पुलिस और ग्रामीणों के बीच तीखी झड़पें भी हुई। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
जनपद मुजफ्फरनगर के दिल्ली-देहरादून हाईवे पर स्थित छपार निवासी १२ वर्षीय आमिर पुत्र मुदा और १३ वर्षीय साकिब पुत्र मंगता उर्फ इमरान शनिवार सुबह रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हो गए थे। काफी प्रयास के बाद भी उनका पता नहीं पाया था। 
रविवार सुबह सात बजे दोनों के शव थाने के पीछे चंद कदमों की दूरी पर स्थित आशू पुत्र इसराइल के खेत में पड़े मिले। आमिर के पेट में दरांती घोंपी गई थी जबकि साकिब की हत्या उसी के बनियान से गला दबाकर की गई थी। सूचना मिलते ही आसपास के हजारों ग्रामीण मौके पर जा पहुंचे और हंगामे करने लगे। जिस पर एसपी सिटी राजकमल यादव, सीओ सदर आईपीएस पूनम छपार, पुरकाजी, चरथावल, महिला थाना पुलिस और एसओजी समेत मौके पर पहुंच गए। उत्तेजित ग्रामीणों ने हत्यारों की गिरफ्तारी और मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिलाने की मांग के चलते सुबह साढ़े आठ से साढ़े ग्यारह बजे तक जाम लगाए रखा। पंचनामा भरने के लिए पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ी और इस दौरान पुलिस व ग्रामीणों के बीच जमकर झड़प भी हुई। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर छपार में रह रहे थिथकी निवासी साहिम को गिरफ्तार कर लिया है। जिसने बताया कि कुकर्म के बाद दोनों की पोल खुलने के डर से हत्या की गई। पुलिस उसके फरार साथियों की तलाश में जुट गई है। एसएसपी बीबी सिंह का कहना है कि मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करने के साथ ही उसके साथियों को तलाश किया जा रहा है।

बाइक सिखाने के पीछे छिपा था शैतानी चेहरा


-पोल खुलने के डर से दिया दोहरे हत्याकांड के अंजाम

अमित सैनी, मुजफ्फरनगर।
मुजफ्फरनगर के छपार कस्बे में घटित हुए सनसनीखेज और हौलनाक दोहरे हत्याकांड के पीछे आरोपियों का मकशद कुकर्म ही था। लेकिन किशारों के भारी विरोध और पोल खुलने के डर से आरोपियों ने उनको मौत के घाट उतार दिया। आरोपी मृतकों को बाइक सिखाने के बहाने जंगल में ले गए थे। जिनको ले जाते हुए एक ग्रामीण ने देख लिया था। 
छपार निवासी १२ वर्षीय आमिर पुत्र मुदा और १३ वर्षीय साकिब पुत्र मंगता उर्फ इमरान पिछले तीन-चार दिन से गांव में जोहड़ की रखवाली करने वाले मुर्सलीन के बेटे साहिम से बाइक चलाना सीख रहे थे। एसओ छपार संजय गर्ग ने बताया कि परिजनों के डर से दोनों शनिवार सुबह जंगल से चारा और लकड़ी चुनने का बहाना बनाकर घर से निकले थे। बीच रास्ते में साहिम उनको बाइक लिए मिले, जो पहले उन्हें पड़ौसी गांव खुड्डा के जंगल में ले गया। योजनाबद्ध तरीके से साहिम के तीन दोस्त बुड़ीना खुर्द निवासी अरशद, बहेड़ी निवासी जान मौहम्मद और सुजडू निवासी राकिब भी उनको जंगल मिले। यह लोग दोनों को थाने के पीछे आशू पुत्र इसराइल के खेत में ले गए और दोनों के साथ कुकर्म किया। हालांकि दोनों ने भारी विरोध किया, लेकिन आरोपियों ने उनके हाथ-पैर बांधकर घटना को अंजाम दिया और फिर पोल खुलने के डर से दोनों की हत्या कर दी। आमिर के पेट में दरांती गड़ा दी, जो पेट में ही फंसी रह गई। जबकि साकिब के उसी के बनियान से फांसी लगाकर मारा गया। वारदात के बाद चारों आरोपी वहां से फरार हो गए। सुबह घटना का खुलासा उस समय हो सका, जब खेत मालिक आशू पानी चलाने खेत में पहुंचा और वहां दोनों बच्चों के शव पड़े देखे।

सजग होती पुलिस तो बच सकती थी दोनों की जान

किशारों के रहस्यमय परिस्थितियों में गायब होने के तीन घंटे बाद ही परिजनों ने पुलिस को सूचना दे दी थी। लेकिन पुलिस ने मामले को हल्के में लिया और दोनों किशोरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। यहीं कारण रहा कि पुलिस को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा।
मासूम आमिर और साकिब घर से लगभग दस बजे निकले थे। दोनों १२ बजे भी वापस नहीं लौटे तो परिजनों को चिंता सताने लगी और दोनों को हर संभंव ठिकानों पर तलाश किया, लेकिन जब दोनों का कहीं कोई अता-पता नहीं चल सका तो करीब एक बजे परिजन छपार थाने पहुंचे और शिकायत कर उनको तलाश करने की गुहार लगाई। पुलिस ने मामले को हल्के में लेते हुए परिजनों से यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि कहीं घुमने चले गए होगें, घूम-फिर कर शाम तक लौट आएगें। जिस पर वह वापस लौट गए। इसी दौरान छपार बस स्टैंड पर सेब बेचने वाले मुखलतीब ने उनको बताया कि दोनों बच्चों को उसने साहिम के साथ बाइक पर घूमते हुए खुड्डा के जंगल में देखा है। परिजन एक बार फिर से पुलिस के पास पहुंचे और मामले से अवगत कराया। लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी। देर रात करीब डेढ़ बजे परिजनों ने साहिम को दबोच लिया और ग्राम प्रधान के घर पर उससे पूछताछ की, लेकिन उसने कुछ नहीं बताया। पुलिस को भी सूचना दी गई, मगर पुलिस नहीं पहुंची तो परिजन गुपचाप बैठ गए। सुबह शव मिले तो परिजनों की आशंका पर साहिम को पुलिस ने उठाया और सख्ताई से पूछताछ की। जिसने थोड़ी ही देर में तोते की मानिंद सबकुछ उगल दिया। पुलिस की कार्य प्रणाली से क्षुब्ध लोगों ने हाइवे जाम कर अपना रोष प्रकट किया। जिसका सामना तीखी झड़प के रूप में पुलिस को करना पड़ा।

भावुक हुए एसपी सिटी, खेत से खुद उठाकर लाए शव

मौके पर पहुंचे एसपी सिटी राजकमल यादव मासूमों की निर्दयता से की गई हत्या से इतने भावुक हुए कि वह खुद ही कीचड़ भरे खेत में घुस गए। खुद ही शव को दोनों हाथों में उठाकर खेत से बाहर आए। हालांकि इसी दौरान उनको खबर मिली कि गुस्साएं लोगों ने हाइवे पर जाम लगा दिया है। जिसके चलते वह हाइवे स्थित जाम स्पॉट पर जा पहुंचे। भारी विरोध के बाद पुलिस ने पंचनामें भरकर दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए।

रोती-बिलखती रही दोनों की मां

दोनों किशारों की हत्या की खबर मिलते ही उनके परिजनों में हड़कंप मच गया। आमिर की मां फैमिदा और साकिब की मां नईमा बदहवाश सी रोती-बिलखती मौके पर जाने की ओर दौड़ पड़ी। दोनों का रो-रोकर बुरा हाल था। दोनों के अंदर गुस्से का गुबार उस समय फूट पड़ा, जब महिला पुलिस उनको ढांढस बंधाने लगी। हाइवे पर पहुंचकर दोनों सड़क पर बैठ गई। पुलिस और ग्रामीणों ने उनको उठाने का प्रयास भी किया, लेकिन वह नहीं मानी।

Friday, July 27, 2012

आज़ाद देश का गुलाम


आज भले ही देश को आज़ादी मिले 65 बरस बीत चुके हो लेकिन पिछले 15 बरसो से लोहे की बेडियों में जकड़े उमेश उर्फ़ काका को भी अपनी आज़ादी का इंतजार है की कब उसके पैरो की बेडियों को खोलकर उसे आज़ादी दिलाई जाएगी | लोहे की बेडियों में कैद उमेश को किसी अंग्रेजी हुकूमत ने कैद नहीं किया बल्कि उसके खुद अपने परिजनों की कैद में है | सड़क किनारे पर बनी इस झोपडी में ही दिन की शुरुआत करने वाले उमेश की रात भी इसी में गुजर जाती है जिसका उसे पता ही नहीं चलता | बूढ़े हो चुके माँ बाप भी अपने जिगर के इस टुकड़े से तंग आ चुके है | 
सवस्थ व्यक्ति के लिए मानसिक संतुलन का ठीक होना आवश्यक है | यदि किसी व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ जाये तों उसका जीवन नर्क के सामान हो जाता है |कभी कभी ज्यादा तनाव या फिर ज्यादा ख़ुशी मिलने से भी व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है | ऐसा ही हुआ  मुजफ़्फ़र नगर के फलोदा गाँव में पिछले 10 बरसो से उमेश उर्फ़ काका का मानसिक संतुलन ऐसा बिगड़ा की उलटी सीधी हरकते करने लगा जिससे गाँव के लोग ही नहीं बल्कि परिजन भी उसकी हरकतों से तंग आ गये जिसके चलते 15 सालो से उसे लोहे की जंजीरों में बांध कर रखा जाता है | दरअसल जंजीरों में जकड़ा उमेश 12 साल पहले स्वस्थ था और अपनी पत्नी चन्द्र किरण  व दो  बच्चो के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहा था |लेकिन उसके भाँग का नशा करने के शोक ने उसका जीवन नर्क कर दिया और उलटी सीधी हरकते करने लगा जिससे परेशान होकर पत्नी भी अपने बच्चो को लेकर उमेश को छोड़कर चली गयी | बूढ़े माँ बाप ने काफी इलाज कराया लेकिन सब व्यर्थ था | 
धीरे धीरे उमेश की उदंडता बढती गयी जिसपर परिजनों ने उसके पैरो में लोहे की बेडिया डाल दी | हाथो  में  लाठी और चेहरे पर झुर्रियों का जाल लिए ये बूढ़ा व्यक्ति बुधराम उमेश का पिता है जिसकी झील सी इन गहरी आँखों में गम के सिवा कुछ भी नहीं है ये रोना तों चाहता है शायद वक़्त के थपेड़ो और मुफलिसी ने इसके आँसुओ को सोख लिया है | हमेशा अपने बेटे के ठीक हो जाने के लिए इश्वर से प्रार्थना करता है वंही इस बात को भी स्वीकार करता है की अपने जिगर के इस टुकड़े को बरसो से जंजीरों में कैद कर रखा है | उमेश की माँ प्रेमो भी अपने इस लाल से तंग आ चुकी है उसका कहना है की जिस उम्र में उनकी सेवा बेटे को करनी चाहिए थी लेकिन आज इन बुधो को अपने जवान बेटे के सभी काम काज करने पड़ते है,आज उनके पास अपने बेटे के इलाज करने के पैसे भी नहीं है मुश्किल से दो वक़्त की रोटी गाँव से चलती है | गाँव वालो को नुकसान न पंहुचा दे इसी लिए उमेश को जंजीरों में जकड़ा गया है | अपने दुखी मान से उमेश की माँ भी अब अपने बेटे से अपना पीछा छुड़ाना चाहती है | वो  चाहती है की कोई भी इसे ऐसी जगह भर्ती करा दे जंहा उनका बेटा इलाज से सही हो सके |
ग्रामीण भी काका को जंजीरों में जकड़े रहने को गलत मानते है मगर मदद के लिए कोई सामने आने को तैयार नहीं है \ ग्राम प्रधान का कहना है की कई बार इनकी मदद के लिए आवाज उठाई  मगर उनकी लाचारी ओर गरीबी के चलते प्रशासन के कानो पर भी जू नहीं रेंगी | 
जिला चिकित्सा अधिकारी से जब इस युवक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जानकारी ना होने के साथ साथ हर संभव मदद की बात कही | खुद जिला चिकित्सा अधिकारी भी लम्बे समय से जंजीरों में जकड़े रहने के कारण कई गंभीर बिमारी हो जाने की संभावना जाता रहे है | साथ ही चिकित्सको द्वारा उमेश का मेडिकल जाँच कराकर आगे की कार्यवाही की बात कहते है | मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी जंजीरों में इस तरह से किसी भी युवक को कैद में रखने को गैर कानूनी भी मानते है | 
आज भारत देश को आज़ाद हुये भले ही ६२ बरस हो चुके हो लेकिन उमेश के पैरो में पड़ी इन लोहे की बेडियों को देखकर लगता है की उमेश आज भी  आज़ाद देश का गुलाम है | हालाकि यह सिर्फ उसके मानसिक संतुलन ठीक न होने के कारण जिन बूढ़े माँ बाप को बुढ़ापे में अपने बेटे से सेवा करने का सहारा होता है आज वही माँ बाप अपने जवान बेटे का सहारा बने है और उसकी मन से सेवा कर रहे है | उन्हें इंतजार है उस फ़रिश्ते की जो उनके बेटे को सही जगह भर्ती कराकर उसका इलाज करा सके | 

- Amit Saini