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Thursday, May 21, 2015

29 मई काे रिलीज होगी पंजाबी फिल्म ‘‘गद्दार-द ट्रेटर‘‘

प्रेमबाबू
 शर्मा!

सागा यूनीसिस इन्फोसोल्यूसन्स एण्ड ग्रैन्डसन्स फिल्म्स के बैनर तले डायरेक्टर अमितोज मान की आने वाली पंजाबी फिल्म ‘‘गद्दार-द ट्रेटर‘‘ भारत समेत विश्वभर में 29 मई 2015 को रीलिज होगीं।  मुख्य कलाकार मशहूर पंजाबी गायक और फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे हरभजन मान, डायरेक्टर अमितोज मान और प्रोड्यूसर सुमीत सिंह है। इस फिल्म में हरभजन मान के अपोजिट मशहूर फिल्म अदाकारा एवलिन शर्मा है। जिन्होने इससे पहले ‘‘यारियाॅ‘‘ और ‘‘ये जवानी है दिवानी‘‘ जैसी फिल्मों में अपनी अभिनय के जरिये लाखों लोगों का दिल जीता है। इसके अलावा फिल्म में एक अन्य रोल मनप्रीत ग्रैवाल निभा रही हैं जो  मिस अस्ट्रैलिया रह चुकीं है।  
फिल्म के डायरेक्टर अमितोज मान ने कहा ‘‘फिल्में समाज का आईना होती है। और एक ऐसी फिल्म जो मनोरंजन के साथ-साथ आपको कोई मैसेज भी दे इससे अच्छा कुछ नहीें हो सकता। मेरा मानना है कि लोग एक अच्छी कहानी और मनोरंजन के लिए फिल्म देखने जाते हैं। इसमें लैग्वेज कोई रूकावट नहीं होनी चाहिए। क्योंकि कहानी वहीं होती है सिर्फ भाषाएॅ बदल जाती है। बेशक ‘‘गद्दार-द ट्रेटर‘‘ एक पंजाबी फिल्म है लेकिन एक बार जब आप इसे देखेंगें तो आपको एक बेहतरीन कहानी के साथ भरपूर मनोरंजन भी मिलेगा‘‘। वहीं इस मौके पर अभिनेता हरभजन मान ने कहा ‘‘ मुझे इस फिल्म में काम करने में बहुत मजा आया। मेरा किरदार इस फिल्म में एक बहुत रईस इन्सान की है जिसने जिंदगी में बहुत कामयाबी हाशिल की है। पर किसी कारणवश उसे भारत आना पड़ता है जहाॅ वो एक बहुत हीं अजीब सी उलझन या यू कहें की मुसीबत में पड़ जाता है। इस फिल्म को मैं एक बहुत हीं अलग फिल्म मानता हॅू और जब आप ये फिल्म देखेंगें तो आप खुद समझ जायेंगें कि मैने ऐसा क्यू कहा‘‘।
गौरतलब है कि ‘‘गद्दार-द ट्रेटर‘‘ का ट्रेलर यू-ट्यूब पर लोगों ने काफी पसंद किया है। फिल्म की शूटिंग पंजाब, मुम्बई, गोवा और टोरंटो में की गई है। 

Gauhar Visits Kapsons To Meet Fans!!

Chandigarh,  May 21st Thursday 2015 (Kulbir Singh Kalsi):-


Kapsons has always promoted Punjabi movies from blockbusters to critically acclaimed ones. Adding to the list, on Wednesday the star cast of the upcoming Punjabi movie “O Yara Ainvayi Ainvayi Lut Gaya” visited Kapsons Chandigarh to promote their forthcoming movie among Kapsons shoppers.
The interaction with the movie stars was exclusively organized for Kapsons Royale Club members, special customers and guests. Popular model turned actress, Gauhar Khan interacted with her fans present in the store. One lucky Kapsons shopper was given a chance of getting her outfit picked by Gauhar.  

After visiting the Kapsons, Bathinda store a day ago, the star cast was excited to be at the flagship Kapsons store in Chandigarh. The store was filled with customers and guests thrilled to see Gauhar. Gauhar Khan the leading lady in the movie said “I’m happy to be among my fans and supporters at Kapsons. I hope I get to see everyone at the premier too.”
Kapsons Chandigarh is the most prominent shopping destination in the region and their venture of promoting “O Yara Ainvayi Ainvayi Lut Gaya” was welcomed by the crowd. They are eagerly waiting for the movie to hit the cinemas this week.   

&TV पर जल्द नजर आएगा "द वाॅयस"

प्रेमबाबू शर्मा!

रियलटी फाॅर्मेट शो ‘द वाॅयस’ का प्रसारण जल्द ही एंड टीवी पर होने जा रहा है। ‘द वाॅयस‘ सिंगिंग रियलटी शो का विशुद्ध स्वरूप है, जिसमें प्रतिभागियों का चुनाव ‘ब्लाइंड आॅडिशंस‘ के जरिये किया जायेगा। उन्हें शख्सियत के बजाय सिर्फ उनकी आवाज के आधार पर ही चुना जायेगा। 



देश के महान संगीतकार और गायक शान, सुनिधि चैहान, मीका सिंह और हिमेश रेशमिया इस तलाश को अंजाम देंगे। सभी कोचेज़ अपनी टीम बनायेंगे और फिनाले तक पहुंचाने के लिए इन प्रतिभाओं को परामर्शश् प्रदान करेंगे। तो -ज्ट पर इस अनूठे, मंत्रमुग्ध करने वाले एन्टरटेनमेंट फाॅर्मेट द वाॅयस 6 जून से प्रत्येक शनिवार और रविवार रात 9.00 बजे दर्शकों के बीच होगा।  

इस शो का निर्माण एंडेमाॅल ने किया है और यह तलपा मीडिया हाउस से संबंधित है। आॅडिशंस से लेकर फिनाले तक, इस शो में मनोरंजन का स्तर सबसे उच्च रहेगा, क्योंकि इसमें अनोखे राउंड होंगे, जिन्हें 3 चरणों ब्लाइंड्स, बैटल्स और लाइव में विभक्त किया गया है। अद्भुत शुरूआत में, ब्लाइंड आॅडिशंस में सेलीब्रिटी कोचेज प्रतिभागियों को देखे बगैर उनकी आवाज सुनकर अपनी टीम बनायेंगे। कोचेज़ के पास एक बजर होगा, जिसकी मदद से वे अपनी पसंद की आवाज को बजर बजाकर और मुड़कर अपनी टीम में शामिल कर सकते हैं। यदि एक से ज्यादा कोच बजर दबाते हैं, तो प्रतिभागी को उसके पसंद का कोच चुनने का अवसर दिया जायेगा। बैटल्स राउंड में, कोचेज़ अपनी टीम के दो सदस्यों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करेंगे और दोनों से एक ही गाना सुनकर एक का चुनाव करेंगे। प्रतियोगिता के अंतिम चरण में यानी लाइव में, फाइनल उम्मीदवारों को मेंटाॅर्स और पेशेवरों की टीम द्वारा परामर्श दिया जायेगा। प्रत्येक टीम के शीर्ष प्रतिभागी एक-दूसरे से मुकाबला करेंगे और टेलीविजन के दर्शक अपनी पसंदीदा आवाज के लिए वोट करेंगे।

श्री राजेश अय्यर, बिजनेस हेड, -ज्ट ने कहा, ‘‘हम द वाॅयस के भारतीय संस्करण को पेश  करने के लिए बेहद रोमांचित हैं। इस फाॅर्मेट ने वैश्विक स्तर पर काफी प्रशंसा बटोरी है। यह शो रियलटी स्पेस में अत्यधिक प्रभावशाली वीकेंड प्राॅपर्टी को पेश करने की दिशा में हमारा पहला कदम है। इससे हमारे चैनल की पेशकश और सुदृढ़ होगी। वीकेंड ड्राइवर के रूप में स्थापित, यह शो दर्शकों को साथ बैठकर देखने के लिए प्रेरित करेगा और उन्हें शुरू से अंत तक मनोरंजक भावनात्मक यात्रा पर ले जायेगा। इस फाॅर्मेट को दुनिया भर में काफी लोकप्रियता मिली है, हमें भरोसा है कि भारतीय दर्शक भी इसे खूब पसंद करेंगे क्योंकि हमारे यहां संगीतप्रेमियों की संख्या काफी अधिक है।‘‘
 
श्री दीपक धार, प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एंडेमाॅल इंडिया ने बताया, ‘‘भारतीय टेलीविजन के दर्शकों के लिए प्रीतिकर एवं खोजपरक प्रोग्रामिंग लाने की दिशा में एंडेमाॅल द्वारा शुरू की गई यह एक और पहल है। द वाॅयस, ऐसा शो है जोकि गायन के क्षेत्र में देश की शीर्ष  प्रतिभा को ढूंढने पर केन्द्रित है, इन्हें इनकी गायन प्रतिभा और उनकी आवाज की गुणवत्ता के आधार पर चुना जायेगा। देश के सर्वोत्तम अज्ञात कलाकारों और संगीत की दुनिया में चार बड़े नामों को जजेस के रूप में लेने के साथ, यह शो निश्चित रूप से भारत की सर्वश्रेष्ठ आवाजों को ढूंढने के प्रयास में देश को भी शामिल करेगा।‘‘

इस शो को लेकर चारों जजेज़ का रोमांच चरम पर है और उनसे शानदार प्रतिसाद मिल रहा है। शान का कहना है, ‘‘द वाॅयस वैश्विक स्तर पर बेहद लोकप्रिय फाॅर्मेट है। किसी भी गायक संगीतकार के लिए यह बेहद चर्चित शो है। यदि आप टेलीविजन और किसी संगीत शो में आने की चाहत रखते हैं तो द वाॅयस इंडिया से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। मुझे इसके प्रत्येक राउंड ने आकर्षित किया। यह राउंड बहुत अलग एवं खोजपरक हैं। मुझे भरोसा है कि दर्शक शो को पसंद करेंगे।‘‘

मीका सिंह ने कहा, ‘‘जब मुझसे द वाॅयस इन इंडिया के पहले संस्करण में कोच बनने के लिए संपर्क किया गया, तभी से मैं बहुत उत्साहित था। यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी प्राॅपर्टी है और मुझे खुशी है कि इसका हिस्से बनने का अवसर मिला। मैं ऐसी आवाज को ढूंढने के लिए बेताब हूं, जिसकी क्वालिटी बेहतरीन हो..यानी उसमें कुछ नया और वर्सेटाइल हो जो पलट कर देखने के लिए सभी को मजबूर कर दे। 

हिमेश रेशमिया ने आगे बताया, ‘‘इस शो का फाॅर्मेट अद्भुत है; भारत में इस तरह के फाॅर्मेट के साथ कभी भी प्रयोग नहीं किया गया। मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं और शो का हिस्सा बनकर अत्यधिक रोमांचित हूं। द वाॅयस इंडिया में तीन चरणों में प्रतियोगिता होगी जिसमें ब्लाइंड आॅडिशंस, बैटल्स और लाइव राउंड शामिल हैं। इसमें जजेज़ की कोई अवधारणा नहीं है। लेकिन एक कोच के रूप में, मैं अपनी टीम के सदस्यों को मानसिक और सुरीले ढंग से प्रशिक्षित करूंगा, जिससे उन्हें सफलता की ओर बढ़ने का मौका मिलेगा। जैसा कि नाम से पता चलता है कि इस शो में मुख्य रूप से प्रतिभागियों पर फोकस किया गया है।‘‘

इस शो में एकमात्र महिला कोच सुनिधि चैहान ने बताया, ‘‘द वाॅयस इंडिया‘ को लेकर मैं बहुत रोमांचित हूं। मैंने खासतौर से अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय संस्करण को देखा और मैं प्रतिभाओं की क्वालिटी देखकर दंग रह गई। सच्चाई यह है कि उन्हें विशुद्ध रूप से ब्लाइंड आॅडिशंस के माध्यम से उनकी आवाज के आधार पर चुना गया और कोचेज़ को गायकों को लेकर कोई भनक नहीं थी। इसलिए, जब यह फाॅर्मेट भारत आया, और निर्माताओं ने मुझसे संपर्क किया, तो मैं बहुत उत्साहित हो गई। ‘द वाॅयस इंडिया‘ म्यूजिक रियलटी शो की दुनिया को पुन: परिभाषित करने के लिए तैयार है और मुझे खुशी है कि मैं भी इसका एक हिस्सा हूं।‘‘

अपनी अपारंपरिक अप्रोच और अद्भुत सेट-अप के साथ, द वाॅयस इंडिया आधुनिक युग के भारतीयों में अपनी खास जगह बनायेगा...यह भारतीय एक्सक्लूसिव एवं कभी ने देखे गये अनुभव के साथ हमेशा रोमांचित होने के लिए तत्पर रहते हैं। इस शो में, कोचेज़ अपना पूरा दमखम लगा देंगे और प्रतियोगिता के स्तर को नये स्तर पर ले जायेंगे। कोचेज़ द्वारा प्रतिभागियों को परामर्श देने एवं उनमें निखार लाने के बाद, अंतिम पावर दर्शकों के पास होगी, जो देश के सबसे बेहतरीन गायक/गायिका और द वाॅयस इंडिया के खिताब के विजेता की खोज के लिए अपनी पसंदीदा आवाज का चयन करेंगे। 

Wednesday, May 20, 2015

'आजतक' वालों... क्यों पत्रकारिता की 'मां-बहन' करने पर तुले हो भई?

गुस्ताफी माफः अमित सैनी


इसे पत्रकारिता का दमन कहूं या फिर हत्या? कुछ समझ में नहीं आ रहा है! अपने आप को देश का नंबर-वन कहलाने वाला "AAJTAK" Channel गलती पर गलती किए जा रहा है! गलती भी छोटी नहीं, बल्कि बड़ी-बड़ी! हालांकि खबरिया चैनलों पर गलती करने का पुराना रिवाज हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से तो हद ही हो गई है। "आजतक" ने कुछ  दिन पहले "कांड का गां..." कर दिया था, जो कि अपने आप में बहुत बड़ी गलती थी, जिससे "आजतक" के "धुरंधरों" को सबक लेना चाहिए था, लेकिन नहीं लिया और फिर से गलती दोहरा दी। 


इस बार "आजतक" पर आॅनएयर गलती जो गई है वो किसी बुलेटिन में नहीं, बल्कि स्पेशल कार्यक्रम में हुई है। फोटो पिता का और नाम मां  था...इसी तरह से फोटो मां का तो नाम पिता का लिख दिया गया। समझ से परे है कि आखिर ये हो क्या रहा है? मन-मंथन करता हूं तो सिर दर्द करने लगता है। दिल करता है कि अपना सिर दीवार में दे मारूं! क्योंकि ये हाल केवल "आजतक" का ही नहीं है, बल्कि बड़े चैनलों में शुमार "IBN-7" और "ABP" NEWS का भी है। 

"आजतक कांड" के बाद "ABP" NEWS ने भी बड़ी गलती की थी। "ABP" ने तो एक कार्यक्रम के दौरान स्क्रीन पर पता नहीं कहां से “मुस्लिम एक्सपर्ट” लाकर बैठा दिया था। अब कोई पूछने वाला हो कि भई ये "एक्सपर्ट" कहां से पैदा हो गया या फिर एबीपी ने ही अपने न्यूजरूम में एक्सपर्ट पैदा करने की कोई मशीन लगा ली है? जहां से "हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई" आदि समय-समय पर पैदा कर आॅन स्क्रिन लाकर बैठाया जाएगा? इस एक्सपर्ट कांड़ की वजह से "ABP" की चाैतरफा निंदा हुई। शायद इस लापरवाही के चलते किसी पर गाज भी गिरी हो, लेकिन इस कांड़ के बाद "ABP" की कोई गलती या लापरवाही सामने नहीं आई।


"ABP" और "आजतक" ने तो खैर कांड़ ही किया था...लेकिन आईबीएन-7 तो इनसे भी "चार चंदे" आगे निकला। आईबीएन-7 ने तो पूरी ही खबर का एनकाउंटर कर दिया। दरअसल, आईबीएन-7 पर दिल्ली पुलिस द्वारा मनोज कुमार वशिष्ठ का कथित तौर पर किए गए एनकाउंटर के बाद उठे बवाल की खबर चल रही थी। अब पता नहीं कौन महाशय थे वो... जिन्होंने एनकाउंटर का एनकाउंटर कर दिया और चला दिया “एनकांटर”। भला ये भी कोई बात हुई।

और सही भी तो है...पुरानी कहावत है, जितनी चीनी डालोगे उतना ही तो मीठा होगा। इंटर्न-ट्रेनी से प्रोड्यूसर का काम लोगे तो भई ऐसा ही होगा! हां....अगर सीनियर लेविल पर ऐसी गलतियां हो रही है तो फिर भगवान ही मालिक है।

एक बार फिर से गुस्ताखी माफ...क्या करूं मजबूर जो हूं, देखकर रहा नहीं जाता और कलम चल पड़ती है मेरी

Tuesday, May 19, 2015

आडींयस का है डब्ल स्टैंर्डड : लीजा मलिक



- प्रेमबाबू शर्मा !
आडींयस को समझना मुश्किल है। आडींयस देखना भी सब कुछ चाहती है और आलोचना किए बिना भी नही रहती। वर्तमान मे आडींयस नेडब्ल स्टैंर्डड अपनाया हुआ है। कुछ इस तरह से अपने आलोचकोको जवाब दिया लीजा मलिक ने। लीजा ने कहा कि आईटम न बर कोआईटम सांग कहना ही गलत है। पहले दौर कि अभिनैत्रिया जबआईटम न बर किया करती थी तब उन्हे तो बउे आदर स मान के साथ बुलाया जाता था। वर्तमान मे जब कोई मॉडल या अभिनैत्री आईटम नंबर करती है तो उसे पुकारा जाता है आईट्म गर्ल....ऐसा क्यो? मैं तो सीधे सीधे बोलूगी कि आईटम सांग करना भी हर किसी के बस की बात नही है। किसी की कला की तारीफ नही की जाती तो आलोचना करने का हक भी किसी को नही है। मुझे तो लगता है कि सच बोलना ही मेरा चर्चा मे रहने का कारण है। फिल्म इंडस्ट्री के जिन लोगो को मेरी सच्चाई बर्दाशत नही होती वो आलोचक बन जाते है और जिन लोगो मे सच्चाई को मानने की ताकत है वों आज भी मेरी प्रसंशा करते नही थकते।

शॉट ड्रैस पहनने मे बुराई नही:
अभिनैत्री लीजा मलिक का कहना है कि बॉलीवुड में अब तक हिट हुईं अभिनेत्रियों में शायद ही कोई होगी, जिसने कभी बिकनी में शॉट नहीं दिया। फिर चाहे वो पुरानी फिल्‍मों में सायरा बानो और शर्मिला टैगोर हों या फिर आज की करीना कपूर और सन्‍नी लियोन। कभी न कभी सभी पर्दे पर बिकनी में दिखाई दी ही हैं । लीजा का कहना है कि अब ट्रेंड बदल रहा है। अब डायरेक्‍टर बिकनी में शोकेस की तरह हीरोइनों को दिखाने के बजाये, हॉट सीन ज्‍यादा प्रिफर कर रहे हैं।

डाईटिंग नही एक्र्साइज पर देना चाहिए ध्यान:
हॉट बॉडी और अपने फिटनेस की मल्लिका लीजा मलिक को डाईटिंग करना बिलकुल पंसद नही बल्कि उनका कहना तो यह है कि डाईटिंग करना व्यर्थ है । बिना एक्र्साइज किए कोई भी इंसान फिट नही रह सकता। पेट भर कर खाने की वजाए हर 2 या 3 घंटो के बाद हल्का फूल्का खाना चाहिए। ऐसा करने से कभी भी मोटापा नही आता और बॉडी फिट रहती है। सोचा नही था टिप टिप बरसा पानी इतना हिट हो जाऐगा:


लिजा मलिक ने कहा कि टिप टिप बरसा पानी हमेशा से मेरा पसंदीदा गाना था और जब एलबम बनाने की बात आई तो मैं इसे कैसे भूल सकती थी। मेरे लिए यह ख़ुशी की बात थी कि वीडियो बिलकुल वैसा ही शूट हुआ जैसा हम चाहते थे। जिसें चदं दिनो मे ही यूट्यूब पर इसे 2.4 लाख हिट मिले थे। वीडियो बनाते समय मैंने सोचा भी नहीं था कि यह इतनी बड़ी हिट होगी।

कौन हैं लिजा मालिक :
दिल्ली की रहने वाली लिजा को 3 साल की उम्र से ही डांस का शौक था। जैसे-जैसे वह बड़ी होती गईं उनका यह शौक जुनून में तब्दील होता गया। मिस दिल्ली के खिताब से नवाजी गई इस खुबसूरत बाला को सोनी टीवी पर आने वाले रियलिटी शो बूगी-वूगी से खासी लोकप्रियता मिली। अपने कैरियर को गति देने के लिए लीज़ा मालिक मुंबई शि ट हो गईं और कुछ दिनों के संघर्ष के बाद उनके एक के बाद एक तीन  यूजिक एलबम रिलीज हुए। चिक्स ऑन फायर, आओ ना, सि पली लीज़ा नामक उनके तीनों  यूजिक एलबम काफी सराहे गए।  यूजिक एलब स के अलावा लिजा कई कमर्शियल और भोजपुरी फिल्मों में काम कर चुकी हैं। भोजपुरी फिल्म दरोगा जी चोरी गई में किया गया उनका आइटम नंबर कफी लोकप्रिय हुआ था।

वीभत्स "निर्भया कांड़-II" पर "Presstitutes" चुप, कराह रही इंसानियत!!

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला डिग्री कॉलेज में दिल्ली के निर्भया कांड जैसी वीभत्स घटना शुक्रवार को हुई। कॉलेज के चार सीनियर छात्रों ने प्रथम वर्ष की छात्रा को कॉलेज से उठाकर उसके साथ दुष्कर्म किया और मरणा सन्न हालत में सड़क किनारे फेंक दिया। इस मामले की चर्चा पूरे हिमाचल में लोगों की जुबान पर है, लेकिन निर्भयाकांड पर दस-दस पेज के सप्लीमेंट छापने वाले प्रिंट मीडिया में एक सिंगल कॉलम खबर तक नहीं है। हिमाचल से छपने वाले अखबार हिमाचल दस्तक ने अपनी वेबसाइट पर खबर लगा दी, लेकिन मामला हाई-प्रोफाइल होने के चलते अगले कुछ ही घंटो में खबर वेबसाइट से हट गई। कॉलेज के छात्रों से मिल रही खबर के अनुसार छात्रा की हालत बेहद नाजुक है।


हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए दरिंदों ने छात्रा के यूट्रस तक को बाहर निकाल दिया है। कॉलेज प्रशासन से लेकर पुलिस प्रशासन तक इस मामले से ही इनकार कर रहा है। छात्रा को इलाज के लिए हिमाचल से बाहर कहां भेजा गया है इसकी जानकारी तक किसी को नहीं है। कॉलेज छात्र दबी जुबान में बताते हैं कि चारों आरोपी काफी समय से छात्रा को परेशान कर रहे थे जिससे तंग आकर शुक्रवार को छात्रा ने अपनी बहन के साथ कॉलेज के प्राचार्य से शिकायत भी की थी, जिसके बाद आरोपियों ने शाम को इस घटना को अंजाम दिया।


सवाल सिर्फ ये है कि एक बलात्कार दिल्ली में होता तो अखबार क्रांति छापने लगते हैं, फेमनिस्ट एंकर की जुबान आग उगलने लगती हैं.... मोमबत्तियां लिए लोग सड़कों पर उतर आते हैं, ऐसा आंदोलन होता है मानो देश एक बार फिर गुलाम है और जनता आजादी के लिए सड़कों पर है। आनन-फानन में जांच कमेटियां बैठा दी जाती हैं, संसद में निर्भया बिल आ जाता है, इसलिए क्योंकि वहां पर बलात्कारी किसी मंत्री के बेटे नहीं... बस ड्राइवर-कन्डैक्टर थे। जगह राजधानी थी..कोई गांव, कस्बा या धर्मशाला जैसा छोटा शहर नहीं। 


मामला जैसे ही हाईप्रोफाइल होता है... मीडिया अपनी दुम बचाकर न जाने किस बिल में छिप जाता है। ये कौन से संपादक हैं जो इस मामले में एक सिंगल कॉलम खबर तक छापने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। मैं नहीं जानता ये राष्ट्रीय मुद्दा होना चाहिए या क्षेत्रीय...लेकिन किसी के साथ अन्याय हुआ है, क्या उसके हक की...उसको न्याय दिलाने के लिए मीडिया को आवाज नहीं उठानी चाहिए? यहां के अखबारों ने जिस प्रकार से चुप्पी साधी हुई है वो यहां के संपादकों और पत्रकारों के पुरुषार्थ पर सवाल खड़ा कर रहा है!

साभार: Sunita Katoch की फेसबुक वाल से।




हॉलीवुड सिट्कॉम सेंस 8 में अनुपम खेर की बेटी हैं टीना देसाईं

साइ फाइ और एक्शन के चहितों के लिए 5 जून से एक और नया शो सेंस 8 शुरू होने जा रहा है. वैकॉस्की द्वारा निर्मित यह नेटफ्लिक्स सीरिज़ है. भारतीय नायिका टीना देसाईं के अभिनय से सजे इस शो का पहला ट्रेलर दर्शकों के सामने आ चुका है. इस शो के ट्रेलर में अनुपम खेर टीना देसाईं के पिता की भूमिका में नज़र आ रहे हैं. शो के पहले कट में सभी कलाकारों से मिलवाया गया है जिससे यह बात पता चलती है कि इसका कॉंसेप्ट काफी लुभावना है. जिस तरह प्लॉट के ज़रिये इसकी कहानी का वर्णन किया है वह दर्शकों के मन में कहानी को लेकर जिज्ञासा पैदा करती है. इसकी कहानी विश्व के अलग अलग देशों में रहनेवाले आठ लोगों की कहानी पर आधारित है जो एक घटना के तहत मानसिक तथा भावनात्मक स्तर पर एक दूसरे से जुड जाते हैं. 


जैसा कि शो के ट्रेलर को देखकर इस बात का अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि इंटेंस ड्रामा के साथ इसका एक्शन लाजवाब है. इसमें लोगों की पहचान, लैंगिकता, विश्वास तथा मान्यताओं के विस्तृत स्वरूप पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की गयी है जिसे हमनें मन के अतल गहराइयों में कहीं दफन कर दिया है. इसमें विशेष रूप से दिखाया गया है कि हम अजनबियों के साथ कैसे रहते हैं, अपने प्यारों के साथ कैसे रहते हैं और जब अकेले रहते हैं तो कैसे रहते हैं.


सिर्फ यही नहीं इसमें यह भी दिखाया गया है कि तब हमारी प्रतिक्रिया क्या होती है जब हमारी प्राइवेसी पर हमला होता है. इस सिलसिले में जब हमनें टीना से बात की तो टीना ने कहा, ‘’सेंस 8 के ट्रेलर को देखकर पूरे विश्व की सांसे थम गयी हैं. सभी इसे देखने के लिए बेताब हैं. इसमें दो राय नहीं कि इसका प्लॉट काबिले तारीफ है. इस ट्रेलर को देखकर मुझे जिस तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है उससे मैं बेहद खुश हूं. फिलहाल इसका शुरूआती भाग जितना बेहतरीन है, आगे की कहानी उससे भी अधिक अमेज़िंग होगी.’’ गौरतलब है कि इससे पहले टीना देसाईं वर्ष 2011 में आई अपनी पहली फिल्म ‘यह फासले’ में अनुपम खेर की बेटी के रूप में नज़र आ चुकी हैं.  

रेड कार्पेट को लेकर नर्वस हैं ऋचा



प्रेमबाबू शर्मा!

जैसे जैसे कान फिल्म समारोह की तारीख नज़दीक आती जा रही है वैसे वैसे ऋचा के दिल की धडकन भी तेज़ होती जा रही है. अपने खास दिन के लिए ऋचा इस शनिवार को कान फिल्म फेस्टिवल के लिए रवाना होंगी. खबर है कि कान फिल्म फेस्टिवल को लेकर ऋचा काफी नर्वस हैं. सूत्रों की मानें तो दूसरी बार इस समारोह को अटेंड करने जा रहीं ऋचा का यह पहला मौका है जब वह रेड कार्पेट पर चलेंगी. गौरतलब है कि इस बार फिल्म के साथ फिल्म में निभायी गयी अपनी मुख्य भूमिका के लिए भी ऋचा खुद पर ज़िम्मेदारी का भाव महसूस कर रही हैं. अब इसे ऋचा की नर्वसनेस कहें या फैशन को लेकर अति सतर्कता लेकिन सच यह है कि कान फिल्म समारोह में रेड कार्पेट पर पहली बार चलने के लिए काफी नर्वस हैं.  

Monday, May 18, 2015

बेहतर अभिनेता बनना मेरे जीवन की अग्नि परीक्षा हैः अभिनव कुमार

प्रेमबाबू शर्मा !

अभिनव कुमार! जी हां ये स्क्रीन नाम है उस न्यू फाइंड यानि उभरते हुए नवोदित अभिनेता का... जिसने हाल ही में सोशल, फैमिलियर थ्रिलर ‘जी लेने दो एक पल’ से बड़े स्क्रीन पर हीरो के रूप में बॉलीवुड में दस्तक दी है। अभिनव कुमार का वास्तविक नाम है ध्रुव कुमार सिंह। संघर्ष की एक लंबी पारी पार कर अभिनव कुमार ने यूं तो कई छोटी-बड़ी फिल्मों में भूमिकाएं की, जिनमें मशहूर निर्माता और निर्देशक अनिल शर्मा कृत ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’ ज्यादा महत्वपूर्ण रही। इस फिल्म में उन्हें नोटिस में भी लिया गया। इसी बीच अभिनव कुमार को इक्का-दुक्का रीजनल फिल्में भी मिली, मगर उनका फोकस बॉलीवुड पर ही रहा। आखिरकार वक्त उन पर मेहरबान हो ही गया और जाने माने एजुकेशनिस्ट, सीरियल स्कूल्स, कॉलेजेज के चेयरमेन और फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर, प्रोड्यूसर और प्रेजेंटर शरद चंद्र ने कहानीकार-निर्देशक संजीव राय के निर्देशन में अपनी फिल्म ‘जी लेने दो एक पल’ के नायक का रोल उन्हें सौंप दिया और इस तरह अभिनव  कुमार ने  अपनी ड्रीम जर्नी का पहला कदम  बॉलीवुड में रख दिया। शरद चंद्र प्रस्तुत और वेदर फिल्म्स कृत ‘जी लेने दो एक पल’ की मुम्बई के परवानी स्टूडियो में चल रही शूटिंग के दौरान उनसे कैरियर और फ्यूचर की प्लानिंग को लेकर बातचीत हुईः



 ’क्या हिंदी फिल्मों का हीरो बनना आपका चाइल्डहुड ड्रीम रहा?

“हां! बचपन से ही मैं हिंदी फिल्मों का दीवाना रहा हूं। कई फिल्मों ने मेरे अंदर घर बना लिए, जो लगातार मुझे इसी दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करती हैं। सच मानिए मेरा और किसी काम में मन ही नहीं लगता। बस एक ही धुन... और एक ही मकसद....फिल्म..फिल्म... और बस फिल्म।”

’अच्छा जब आपने फिल्मों में हीरो बनने के लिए मुंबई जाकर स्ट्रगल करने की ठानी तो घरवालों ने क्या रियेक्ट किया? क्या वो आपके फैसले से सहमत थे?

“कतई नहीं, चूंकि मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता हूं, जहां लोग अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, कलेक्टर बनाने के सपने ही नहीं देखते बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए अपनी जमीन जायदाद तक बेचने से पीछे नहीं हटते। मेरे माता-पिता  भी मुझे डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन मेरा रुझान शुरू से फिल्मों की तरफ रहा। जब उन्हें मेरी मंशा का पता चला तो वो लोग बहुत नाराज हुए, मगर मेरे बड़े भाई साहब वीरेंद्र प्रधान ने मेरा बहुत साथ ही नहीं दिया बल्कि आगे बढ़ाने में आर्थिक मदद भी की।”

’आपने फिल्मों में हीरो बनने के लिए क्या प्लानिंग की ?

“सांइस में ग्रेजुएशन करने के बाद मैंने प्री-मेडिकल एग्जाम दिए, मगर बात ना बन सकी, क्योंकि मेरे दिल-ओ-दिमाग पर एक्टर बनने का फितूर जो सवार था। उसी फितूर के तहत मैंने दिल्ली के एनएसडी में एक्टिंग कोर्स के लिए एप्लाई किया, मगर रिटर्न टेस्ट में अटक गया। लेकिन जरा सा भी निराश नहीं हुआ और खूब मेहनत और लगन से श्रीराम आर्ट और कल्चर सेंटर से एक्टिंग का डिप्लोमा किया और फिर मुंबई की ओर कूच कर गया। मुंबई में कर्नल कपूर और रणवीर सिंह की डाॅक्युमेंटिरी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल्स किए और स्ट्रगल शुरू कर दिया।”

’पहली फिल्म कौन सी रही जिसमें आपने काम किया?

“सबसे पहली फिल्म ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’ में मुझे एक पारिवारिक मित्र के जरिए एक छोटा सा रोल मिला। अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और बॉबी देओल की कास्ट वाली अनिल शर्मा जैसे नामी -गिरामी निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिला और इंडस्ट्री को करीब से देख पाया।”

आपका फिल्म ‘जी लेने दो एक पल’ में हीरो के तौर पर चयन कैसे हुआ? इस फिल्म की यूएसपी क्या है?

‘जी लेने दो एक पल’ की कहानी ही यूएसपी है। पिछले दो साल से कहानीकार और निर्देशक संजीव रॉय इस पर काम कर रहे थे। कई बार प्लानिंग बनी कभी “अर्थ” ने तोडा तो कभी परिस्थितियों ने तोड़ा मगर हमने इरादों को कभी टूटने नहीं दिया और आखिरकार शरद चंद्र जैसे कर्मठ और विजनरी प्रजेंटेर को हमारी फिल्म का प्रपोजल बहुत पसंद आया। कहानी और चारित्रिक विश्लेषण के अनुसार फिल्म के नायक के रोल में सबको मैं जंचा। मुझे इस बात की भी खुशी है कि सभी की कसौटी पर खरा उतरा।


’‘जी लेने दो एक पल’ के आप हीरो हैं, ये किस तरह का कैरेक्टर है? क्या ये किरदार आज के दौर को रिप्रेजेंट करता है?

“बतौर हीरो ‘जी लेने दो एक पल’ मेरी पहली फिल्म है। ये पूरी तरह से पारिवारिक पृष्ठभूमि पर आधारित है। इसमें पति-पत्नी के रिश्ते में आस्था और विश्वास को मुस्तैदी से पिरोया गया। जब इसके नायक शेखर से परिस्थिति वश अपने रिश्ते की लक्ष्मण रेखा को लांगने की भूल हो जाती है तो वो आत्मग्लानि के साथ अपनी पत्नी सुधा को  कैसे फेस करता हैं? ये एक खट्टी मीठी जर्नी है। कैसा भी दौर हो फिल्मों से आप परिवार और उनसे जुड़े प्रसंग कभी भी अलग नहीं कर सकते।”

“सुनने में आया है कि आपकी फिल्म के निर्देशक संजीव राय बहुत कुशल स्क्रीन राइटर हैं और उम्दा टेक्नीशियन भी... आपके उनके साथ वर्किंग एक्सपीरियंस कैसे रहे?

“आपने सही सुना है। संजीव जी जितने बढि़या निर्देशक हैं, उतने ही अच्छे और संवेदनशील लेखक भी हैं। जमीन से जुड़े कई कथ्यों का भंडार है उनके पास। ‘जी लेने दो एक पल’ का जो लिरिकल ट्रीटमेंट वो दे रहे हैं...मुझे लगता है फिल्म की सफलता का एक बहुत बड़ा हिस्सा होगा। उनके साथ मेरे बहुत अच्छे अनुभव रहे, पूरी फिल्म हमने एक साथ जी है। उन्होंने मुझसे किरदार के अनुरूप वाजिब एक्टिंग करा ली है।”

बॉलीवुड के सपने आपके जीवन के अंग रहे हैं तो कौन सा अभिनेता आपका रोल मॉडल रहा ?

“आप मुझे आउट डेटिड मत कहियेगा। मैं जो आपको बता रहा हूं...वो कॉमन नहीं, शत प्रतिशत सच है। मुझे एक्टिंग एंपायर दिलीप कुमार साहब और अमिताभ बच्चन के जीवंत अभिनय ने बेहद प्रभावित  किया है और ये ही दो विभूतियां मेरे रोल मॉडल रहे हैं।”

आपके जीवन का गोल क्या है?

“एक बढि़या अभिनेता बनना है। अभी शुरुआत है, इससे ज्यादा कहना उचित नहीं होगा।”

फिल्म समीक्षा : बॉम्बे वेलवेट




-प्रेमबाबू शर्मा

कलाकार: रणबीर कपूर, अनुष्का शर्मा, करण जौहर, के.के. मेनन, मनीष चौधरी, सत्यदीप मिश्रा, विवान शाह
निर्माता: विक्रमादित्य मोटवाने, विकास बहल
निर्देशक: अनुराग कश्यप
कहानी: ज्ञान प्रकाश
संगीत: अमित त्रिवेदी

‘बॉम्बे वेलवेट’ डायरेक्टर अनुराग कश्यप की करीबन आठ वर्ष की रिसर्च वर्क व मेहनत का नतीजा है। अनुराग लीक से हटकर व एक्सपेरिमेंटल सिनेमा के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इससे पहले भी गुलाल, ब्लैक फ्राइडे व गैंग्स आॅफ वासेपुर जैसी फिल्में बनाई हैं परन्तु इस फिल्म को बनाने में उन्होंने बहुत बड़ा जोखिम उठाया है क्योंकि इस फिल्म में 1949 की मुम्बई को हू-ब-हू परदे पर उकेरना कोई आसान काम नहीं था। इस फिल्म को अगर आप देखेंगे तो आपको यही लगेगा कि आप 60 के दशक की मुम्बई में आ गए हैं। इंटरवल से पहले फिल्म की रफ्तार काफी सुस्त है। कई बार तो ऐसा लगता है कि शायद फिल्म में इंटरवल ही नहीं है परन्तु इंटरवल के बाद फिल्म रफ्तार पकड़ती है और अपने सही मुकाम तक पहुंचती है।

कहानी: इस फिल्म की कहानी शुरू होती है भारत देश की आजादी के बाद यानि सन् 1949 की बॉम्बे (मुम्बई) से। जॉनी बलराज (रणबीर कपूर) मुम्बई के रेड लाइट एरिया में पला-बढ़ा है परन्तु उसके सपने बड़े हैं। अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी वो बॉक्सिंग फाइट में हिस्सा लेता है तो कभी चोरी करता है। इन सभी कामों में उसका साथ देता है उसका खास दोस्त चिम्मन (सत्यदीप मिश्रा)। इसी बीच एक क्लब में जॉनी को रोजी (अनुष्का शर्मा) दिखाई पड़ती है, जोकि एक जैज सिंगर है। जॉनी उसे देखते ही दिल दे बैठता है और पैसा कमाने के लिए कोई मोटा हाथ मारना चाहता है। मोटा हाथ मारने के लिए वह एक बैंक में जाता है, जहां बैंक का एक कस्टमर कैजाद खम्बाटा (करण जौहर) अपनी मोटी रकम निकलवा रहा होता है। जॉनी खम्बाटा को डराने की कोशिश करता है परन्तु खम्बाटा स्वयं ही उसे अपना रूपयों से भरा बैग दे देता है और अपने साथ काम करने की पेशकश करता है, जोकि जॉनी स्वीकार कर लेता है। खम्बाटा जॉनी को बॉम्बे वेलवेट क्लब खोलकर देता है और जॉनी को लगता है कि शायद अब उसकी मंजिल नजदीक है। परन्तु कहानी में रोचक मोड़ तब आता है जब जॉनी ज्यादा पैसे के लालच में खम्बाटा के खिलाफ हो जाता है। अब देखना यह है कि क्या जॉनी अपने मकसद में पास हो पाता है? क्या जॉनी व रोजी का प्यार परवान चढ़ पाता है? यह जानने के लिए तो आपको 60 के दशक के बॉम्बे वेलवेट में जाना पड़ेगा।
अभिनय: रणबीर कपूर ने जॉनी के किरदार में जीवंत अभिनय किया है। एक इंटरव्यू के दौरान रणबीर ने कहा भी था कि जब उन्हें बॉम्बे वेलवेट की कहानी का पता चला तो उन्होंने स्वयं अनुराग कश्यप से मिलकर जॉनी के रोल करने के लिए डिमांड की थी। रोजी के किरदार में अनुष्का ने भी अपना शत प्रतिशत दिया है। करण जौहर ने अपने दमदार अभिनय से साबित कर दिया है कि वो एक अच्छे डायरेक्टर होने के साथ-साथ एक अच्छे एक्टर भी हैं। अन्य कलाकारों में के.के. मेनन, सत्यदीप मिश्रा, मनीष चैधरी व विवान शाह ने भी अपने किरदार बखूबी निभाए हैं।

संगीत: अमित त्रिवेदी ने फिल्म के दौर के हिसाब से अच्छा संगीत दिया है। फिल्म के गीत ‘फिफ्फी’ व ‘मोहब्बत बुरी बीमारी’ थिएटर से निकलने के बाद आपकी जुबां पर चढ़े रहेंगे।

डायरेक्शन: अनुराग कश्यप के बेहतरीन डायरेक्शन की सराहना करनी होगी कि उन्होंने 60 के दशक की मुम्बई, कलाकारों के पहनावे व स्टाइल तथा उस दौर का म्यूजिक को हू-ब-हू सिल्वर स्क्रीन पर उकेरा है। हालांकि अगर वो फिल्म की रफ्तार को थोड़ा तेज रखते, तो फिल्म ज्यादा अच्छी बन सकती थी।

निष्कर्षः यह फिल्म आम दर्शकों के लिए नहीं है। इस फिल्म में आपको रीयल सिनेमा देखने को मिलेगा। जो लोग फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं या इस इंडस्ट्री में आना चाहते हैं तो उन्हें यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए क्योंकि इस फिल्म से आपको सिनेमा की बारीकियां पता चलेंगी। एंटरटेनमेंट की चाह में अगर आप इस फिल्म को देखने जाएंगे तो आपको निराशा ही हाथ लगेगी।

Saturday, May 16, 2015

'कड़वी हकीकत' के साथ दफन हो गई 'खूनी मोहब्बत'!

मास्टर शौकत अली की शिक्षित फेमिली में उनकी बेटी शबनम शिक्षा मित्र के रूप में कार्यरत थी। इस दौरान उसको अपने गांव के ही अनपढ़ और बेरोजगार सलीम से प्यार हो गया। शबनम और सलीम दोनों बेइंतहा मौहब्बत करते थे। वो आपस में निकाह करके जिंदगी जीना चाहते थे। ये घटना कोई काल्पनिक नहीं, बल्कि एक कड़वी हकीकत है...जो इतिहास के काले पन्नों पर अमरोहा कांड़ के नाम से लिखी जा चुकी है।
ये घटना उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के हसनपुर इलाके की है। इश्क-विश्क और निकाह के बीच में मान-सम्मान, पसंद-ना-पसंद के साथ दर्दनाक मौतें.... वो भी एक की नहीं बल्कि परिवार के सात सदस्यों की.....निमर्म तरीके से हत्या।


 सलीम और शबनम पर इश्क का खुमार इस कदर हावी था कि वो भूल गई कि जीवन में माता-पिता, भाई-भाभी और भतीजों का क्या महत्व होता है? मास्टर साहब शौकत अली अपनी बेटी की शादी अनपढ़-गंवार व्यक्ति के साथ नहीं करना चाह रहे थे... लेकिन प्यार का क्या? वो जाति, धर्म, शिक्षित या अशिक्षित देखता -समझता ही नहीं। प्यार तो अंधे कानून की तरह ही अंधा होता हैं?


प्यार करने वाले ही प्यार को समझ सकते हैं...लेकिन मेरा व्यक्तिगत मानना ये ही है कि समान मानसिक विचारधारा... विकसित मानसिकता के दो विपरीत लिंग के मध्य प्यार पनप सकता है... क्यूंकि प्यार विचार और भावनाओं से संचालित होता है। यहां अपवाद हो सकता है कि सलीम अनपढ़ होने के बाद भी उसकी सोच-समझ विकसित वा उच्च दर्जे की रही हो... क्यूंकि आकर्षण टिकाऊ नहीं होता... बल्कि क्षणिक होता है और एक झटके में खत्म भी हो जाता है।
सोचने की बात है कि प्यार में ऐसा पागलपन कैसा कि दोनों ने मिलकर पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया। इतना ही नहीं महज 10 माह के अपने मासूम भतीजे को भी बड़ी ही बेरहमी से गला घोटकर मार दिया।
प्रेमी और प्रेमिका को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी.. क्यूंकि दोनों पर मामला बना साजिशन प्यार के लिए मौत के घाट उतारने के साथ-साथ संपत्ति को हड़पने का भी। सवाल ये है कि क्या सलीम प्यार के सहारे शबनम के माता-पिता की संपत्ति भी हड़पना चाहता था? क्या उसने सबनम को बहकाया हुआ था? ऐसा क्या झांसा दिया हुआ था कि सबनम अपने ही परिवार की जानी दुश्मन बन गई?


परिवार की इज्जत, मान-सम्मान के लिए बहुत से प्रेमी अपने प्यार को कुर्बान कर देते हैं! भले सारी जिंदगी घुट-घुटकर जिए... लेकिन शबनम प्यार में कितनी पागल हो गई कि अब जेल में सड़ने के साथ-साथ फांसी के फंदे पर झूलने का इंतजार कर रही है। 
एक बूरे एहसास के साथ प्रेम की एक कहानी फिर से इस समाज के सामने है। वास्तव में चिंतन करना होगा कि लड़का-लड़की जिससे प्यार करें...जिसे पसंद करें... उसी से शादी करना उचित होगा या फिर जैसा हमारे माता-पिता, परिवार वाले, धर्म या जाति की मान्यताएं-परंपराएं है वैसे ही की जाएं? क्यूंकि जाति, उपजाति, मान-सम्मान के चलते प्रेम की हत्या तो लगातार हो रही हैं और इस प्रेम के चलते नए-नए किस्से सामने आते रहते हैं।

सौरभ द्विवेदी की फेसबुक वाॅल से।

Friday, May 15, 2015

Raavan aka Aarya Babbar visits the hub of Punjab - Chandigarh.

Chandigarh,  May 15th Friday 2015 (Kulbir Singh Kalsi):- The talented actor AaryaBabbar who portrays the phenomenal character of Raavan in Sony Entertainment Television’s newly launched mythological show SankatMochanMahabali Hanuman is grabbing viewers’ attention with his acting skills at Chandigarh. The audience is wowed by Aarya’s performance and are appreciating him in the role of Raavan.

Aarya, who has already won hearts with his character, recently visited Chandigarh for the promotions of the show and was left spellbound with the phenomenon response of the people towards the show and his character.
Astounded with the response, the actor quipped, “Visiting Chandigarh is like coming home, it’s my city! This city has its own charm and I feel very privileged to come here. To be loved by the people of Chandigarh humbles me even more. The people here are very warm and loving. I was overwhelmed with their response towards our show and especially my character. It is a moment of pride when you hear people appreciate your work. I promise to give my best shot in each performance and live up to their expectation.”


Playing such a difficult character with heavy costume has its own challenges, especially if the head-gear is as heavy as five-kilos. The prop is clipped to his hair, a process that takes him 45 minutes, but the actor prefers looking at the brighter aspect of it, “I love the character. I have no option but take it with a smile or at least try. But I won't deny it can get daunting at times and really painful. But am not complaining because a true actor is defined by the roles he plays and the challenges that he overcomes.”
Not only the audience in Chandigarh is appreciating Aarya’s stint as Raavan in the show, but the people all over are amazed with his performance. Renowned celebrities from Bollywood have also been admiring AaryaBabbar’s avatar as Raavan. His appearance in the upcoming episode will leave the viewers’ mesmerised.
So don’t miss to catch the phenomenal performance of AaryaBabbar as Raavan in the show SankatMochanMahabali Hanuman from Monday to Friday at 8pm only on Sony Entertainment Television

Why you should care about “Be Safe Online”


Chandigarh,  May 15th Friday 2015 (Kulbir Singh Kalsi):It is 2015. Even as cyber criminals adopt advanced tools and technologies, individuals and businesses continue to lag behind even in the basics. This gap is driving massive ransomware and extortion campaigns, leaving most people at the mercy of criminals. The situation is worrisome.


DSD InfoSec, a local Information Security startup formed to combat this problem - have announced their SkySight product designed to provide realtime visibility to attacks & attackers and aid better defense. SkySight is a unique combination of a network sensor, a cloud-based Security Information & Event Management system and a mobile Security Operations Console.

-Enthusiast Team members of  DSD InfoSec, at the press conference getting their photo shot during the press meet Chandigarh press club. 


On the community front last year, Chandigarh Chapters of NULL and OWASP started the Be Safe Online program designed to empower people with safe online behaviours; to spread awareness and equip people with the necessary skills. More than a dozen talks have been held on Online Safety related subjects. Several technical sessions on secure coding are also being conducted on a regular basis for IT companies of the region under this program.

This year, this program has been strengthened by Global Shapers Chandigarh Hub (GSC) and DSD InfoSec. GSC plans to increase the reach and adoption of this program through its campaigns in schools and colleges. Meanwhile, DSD have developed a mobile app Be Safe Online (available on Android and iOS) for the program. Released today, this free app gives people access to carefully curated security tips. Users can also share these tips on social media; as well as seek security advice from a team of experts from NULL/OWASP and DSD.

As the world's focus on cyber security increases, initiatives like this could propel Chandigarh as a leader in Information Security, and result in increased business to local IT as well as non-IT companies. 
About DSD InfoSec

Started by a group of fresh grads and led by industry veterans, DSD's vision is to make the online world safer by developing affordable and super-simplified cutting-edge

security products for use by individuals and small businesses. DSD's SkySight is the first such product out of their stable.
About Global Shapers Community

The Global Shapers Community is a network of Hubs developed and led by young people who are exceptional in their potential, achievements and the drive to make a contribution to their communities. The Chandigarh Hub, formed in 2014, has already earned a solid reputation by winning the CocaCola “Shaping a Better Future” contest and taking up a number of inspirational projects such as BloodDonor.Me, REMobilize, I Break My Silence and Be Safe Online. 
About NULL
NULL is India's largest and most active security community. Registered as a non-profit society in Pune in 2010, NULL mission is to spread information security awareness. NULL is open, professional, inclusive, responsible and completely volunteer-driven.
About OWASP
The Open Web Application Security Project (OWASP) is a worldwide not-for-profit charitable organization focused on improving the security of software. OWASP mission is to make software security visible, so that individuals and organizations worldwide can make informed decisions about true software security risks. 
Shorter version (150 words)
Today, DSD InfoSec, a local Information Security startup have announced their SkySight product as a better way to defend against modern cyber-crime. Designed to provide realtime visibility to attacks & attackers and aid better defense, SkySight is a unique combination of a network sensor, a cloud-based Security Information & Event Management system and a mobile Security Operations Console.
As a part of their community effort, DSD and Global Shapers Chandigarh Hub have also joined hands with non-profits NULL and Open Web Application Security Project (OWASP) Chandigarh
Chapters to promote their Be Safe Online program. This program is designed to help people adopt safe online behaviours. So far, more than a dozen talks on Online Safety have been held by the community volunteers in this program. While DSD has donated to the program, a mobile app that provides security tips, GSC will drive adoption through its campaigns in schools and colleges.

रसूकदार पार्टी में संस्कृति का हरण, नशा और डांसर के आगोश में बीती रात!

 "ये सच है कि कल एक अजीज और पारिवारिक मित्र भी कह सकते....उनकी शादी में गया था, जहां म्युजिकल डांस प्रोग्राम भी था। सबको हिदायत दी गई थी कि सभी शांति और सभ्यता से डांस देखेंगे, लेकिन कुछ नवयुवकों ने अपना आपा खो ही दिया और बस फिर क्या था?


धन की वर्षा होने लगी.... ये बालाऐं नाच रहीं थी और 10 से लेकर 100, 500 और 1000 रुपये के नोट इनके सर से सरकते हुऐ अंग-अंग को छूकर चरणों में गिर रहे थे। धन की रानी तो कल ये ही बन गई थी।
मैं इनका डांस तो देख रहा था... पर उससे ज्यादा मैं बहुत सारे चिरपरिचितों की भाव भंगिमाएं भी पढ रहा था। मुझे आश्चर्य और आनंद तब आ रहा था, जब मैं ऐसे नौजवानों को देख रहा था जो दिन में मेहनत -मजदूरी करते हैं तब उनके परिवार का भरण-पोषण होता हैं, लेकिन इन बालाओं को देखकर वो देवदास की तरह लट्टू हुए जा रहे थे।

मैं उस वक्त ही मनन कर रहा था कि वास्तव में देश में पैसे की कमी है भी या नहीं?? जिस तरह से यहां आज पैसा उड रहा हैं उससे तो यही लग रहा है इस पैसे की कोई कीमत नहीं है!
मैने पिक बहुत सी निकाली हैं...दो छोटी क्लिप के वीडियो भी बना डाले हैं लेकिन किसी का चेहरा पब्लिश करना गुनाह है और मै ऐसा गुनाह क्यूं करूं लेकिन जो भी हो रहा था... वो अनुशासन तोडकर हुआ। स्टेज में इंहीं बालाओं के साथ नाचकर लुत्फ उठाया गया।

बेशक नाचिए! आनंद लीजिए! लेकिन इतनी सी प्रार्थना है कि ये ही दिलदारी गरीबों और भूखे व्यक्तियों, जरूरतमंद लोगों के लिए बनाए रखिए, जहां आपके पैसे का सदुपयोग हो सके और दुआएं मिल सकें.... नहीं तो ये यूपी-बिहार लूटकर ले ही जाएगी।
खैर! मैं कुछ देर बाद वापस हो लिया और प्रोग्राम तो रात भर चला, लेकिन जितना जानना था वो जान लिया। इसको कहते हैं “काजल की कोठरी”।

अब काजल की कोठरी की कहावत मुझ पर चरितार्थ कर सकते हैं। लेकिन मुझे जो लिखना था वो लिख दिया और कल सोच रहा था बेरोजगारी, किसानों की परेशानी और नवयुवकों का भविष्य मेरा अपना अनुभव है। एक आंदोलन करना हो तो कम लोग ही आते हैं और बार-बार प्रेरणा देना पडता है... पर ऐसे कार्यक्रमों में बिन बुलाए मेहमान भी आकर लुत्फ उठा लेते हैं और उन्हें आनंद भी बहुत मिलता है।"

सौरभ द्विवेदी 




सौरभ द्विवेदी की फेसबुक वाॅलपोस्ट से।
सौरभ द्विवेदी एक स्वतंत्र लेखक है।

Wednesday, May 13, 2015

10th Habitat Film Festival showcasing the best Indian films



Prembabu Sharma​



New Delhi: The 10th India Habitat Film on 5th day films screened like Malayalam movie Negaulukal directed by Avira Rebecca, Assamese movie Adomya directed by Bobby Sharma Barauah and Hindi movie Sadma directed by Balu Mahendra. Besides, the film director of Negaulukal Avira Rebecca also interacted with audience and shares his views on film.



Also an exhibition titled ‘Rhythm, Raga and Melody’ in collaboration with National Film Archive of India, Pune  at the Convention Center Foyer,IHC showcasing exhibition of around 90 films posters highlights the contribution of music in Hindi Cinema.

On 6th day of India Habitat Film Festival, films will be screening  like Ek Hazarchi Note (Marathi) directed by Shrihari Sathe, Quolf (Kashmeri) directed by Ali Emran and Hindi movie Sagar directed by Ramesh Sippy.”

Tuesday, May 12, 2015

... और जब 'आजतक' के वरिष्ठ एंकर पुण्य प्रसून वाजपेयी से भिड़ गए मेरे "मुजफ्फरनगरी" मित्र !!

     बात उन दिनों की है जब हम भास्कर न्यूज की लाॅचिंग की तैयारी में जुटे हुए थे। उस वक्त हमारा आशियाना इंद्रापुरम में हुआ करता था। रविवार का दिन था...मुजफ्फरनगर के रहने वाले मेरे दो घनिष्ठ मित्र प्रमोद मलिक और अब्दुल बारी का अचानक फोन आया कि वो भी नोएडा-गाजियाबाद आए हुए हैं और मुझसे मिलना चाहते हैं। मैं उस वक्त ओरेंट काउंटी अपोर्टमेंट के पास एक मार्केट में था तो मैने उन्हें भी वहीं पर बुला लिया।

...And Punya Prasun Vajpayee clashed with my rustic friend_khabrilal News
Parmod Malik

     उन्होंने अपनी कार को मार्केट के मुख्य रास्ते पर खड़ी कर दी और उसके अंदर बैठकर बतियाने लगे, जबकि मैं उस वक्त दुकान से शायद कुछ खरीददारी करने में मशगूल था। आपको ज्ञात हो कि वेस्ट यूपी के मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत और बिजनौर में “खड़ी बोली” (भाषा) बोली जाती है, जिसे “कौरवी भाषा” कहा जाता है। चूंकि मेरे ये दोनों महानुभव दोस्त मुजफ्फरनगर के गांव से ताल्लुक रखते हैं तो जाहिर है कि इनकी भाषा भी उसी तरह की खड़ी ही होगी।


...And Punya Prasun Vajpayee clashed with my rustic friend_khabrilal News
Abdul Bari
     इसी बीच पीछे से गोल्डन कलर की आॅल्ड माॅडल होंडा सिटी कार आई। चूंकि मार्केट का रास्ता बेहद संकरा था तो होंडा सिटी कार को निकलने के लिए जगह नहीं मिली। कार चालक बार-बार हाॅर्न दिए जा रहा था, जबकि मेरे ये दोनों महानुभवी दोस्त अपनी मस्ती में मस्त थे। जब लगातार हाॅर्न बजता रहा तो दोनों का पारा अचानक चढ़ गया और कार को साइड में लगाने के बजाए होंडा सिटी कार चालक से भिड़ने के लिए उतरने लगे....तभी अचानक मेरी नजर होंडा सिटी कार की ड्राईविंग सीट पर गई तो मुझे चेहरा कुछ जाना-पहचाना सा लगा। ध्यान से देखने पर मैने वो चेहरा पहचान लिया...वो कोई और नहीं बल्कि 'आजतक' चैनल के वरिष्ठ एंकर एवं एक्जीटिव एडिटर पुण्य प्रसून वाजपेयी थे।

...And Punya Prasun Vajpayee clashed with my rustic friend_khabrilal News
Punya Prasun Bajpai

     इससे पहले मैं कुछ समझ पाता उससे पहले ही मेरे दोनों इन महानुभव दोस्तों ने अपनी कार को आगे कर साइड में लगाया...और “कुछ” करने के मकसद से गालियां भांजते हुए नीचे उतरने लगे। पुण्य प्रसून वाजपेयी उनकी मंशा को अच्छी से भांप गए थे। वो भी अपनी होंडा सिटी कार को साइड में खड़ी करके “दो-दो” हाथ करने के मकसद से नीचे उतर गए। ये देखकर मैंने अपना सिर पीटा और तुरंत ही उनकी तरफ लपका। उससे पहले पुण्य प्रसून वाजपेयी ड्राईविंग सीट की तरफ बैठे अब्दुल बारी से बात करने लगे, जबकि दूसरी तरफ से प्रमोद मलिक बड़े ही तैश में बड़बड़ाते हुए कार से उतरा और मगर तब तक मैं वहां पहुंच चुका था।
     इससे पहले कि उनके बीच “कुछ” होता, मैने पुण्य प्रसून वाजपेयी को अपना परिचय दिया और साथ ही उन्हें ये भी बताया कि वो दोनों मुजफ्फरनगर के रहने वाले मेरे दोस्त हैं, जो कि मुझसे मिलने आए हैं। शायद वो भी “मुजफ्फरनगर” का नाम सुनकर समझ गए कि उनकी कोई गलती नहीं है। बिना कुछ सवाल-जवाब किए ही मंद-मद मुस्कुराते हुए अपनी कार में सवार होकर चले गए।

     फिर मैंने अपने उन महानुभव दोस्तों को समझाया कि भाई जिनसे आप भिड़ने जा रहे थे वो मीडिया के दिग्गज हस्तियों में से एक हैं। लेकिन उनकी समझ में नहीं आया तो मैंने उन्हें समझाया कि वो बड़े पत्रकार है....बड़े “सामान” हैं तो उनकी समझ में आया। तब अब्दुल बारी बोला कि हां, यार मैं भी तो कहूं। ये आदमी कुछ-कुछ देख्खा सा लगरा था। पर याद नहीं आया कौण था।

     खैर, मैंने “भरत” मिलाप के बाद दोनों को मुजफ्फरनगर के लिए विदा कर दिया। उसी रात करीब 10 बजे मेरे पास अब्दुल बारी का फोन आता है और कहता है कि “भाई आप सही कह रहे थे। हम जिस्से भीड़ रहे थे वो तो आजतक पर आरा है।” ये सुनकर मैं बहुत हंसा। शायद उस वक्त आजतक पर किसी मुद्दे पर डिबेट चल रही थी, जिसको पुण्य प्रसून वाजपेयी लीड कर रहे थे।

"वो देती रही दुहाई...करती रही मिन्नतें...जोड़ती रही हाथ...लेकिन

सोशल साइट फेसबुक और व्हाट्स एप्प पर एक वीडियो वायरल हुआ है। इस वीडियो में कुछ लड़के प्रेमी युगल की बेरहमी से पिटाई करते नज़र आ रहे हैं। हालांकि ये कहना मुश्किल है कि लड़का-लड़की कौन हैं और इस वीडियो को कहां फिल्माया गया है? मगर वीडियो देखकर सहज ही अंदेशा लगाया जा सकता है कि वीडियो को उन्हीं आरोपी युवकों में से एक द्वारा फिल्माया गया है, जो बार-बार ये कहता सुनाई पड़ रहा है कि मनमर्जी नहीं करने दिए जाने पर वीडियो को व्हाट्स एप्प पर डाल दिया जाएगा।


वो कसम खाती रही, मिन्नतें करती रही। भगवान की दुहाई देती रही...लेकिन उन दरिंदों को उस पर जरा भी तरस नहीं आया। अपने पे्रमी को बचाने के लिए वो उसकी ढाल बनी रही, उसके ऊपर पड़ने वाले हर लात-घूंसे को वो अपने ऊपर लेती रही। पीट-पीटकर दोनों को अधमरा कर दिया। प्रेमी भी हाथ जोड़कर छोड़ने की गुहार करता रहा, मगर जैसे उनके सिर पर शैतान सवार था। रह-रहकर वो बहाने से लड़की के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे।


बदमाश लड़कों ने इस युगल के साथ जो किया वो किया ही, साथ ही जो धमकी दी थी उसे भी पूरा कर दिया। वीडियो में लड़की के साथ जिस हैवानियत के साथ बदसलूकी और मारपीट की गई है, उसे देखकर तो इंसानियत भी शर्मसार हो जाएं। प्रेमी को पीट-पीटकर जमीन पर लिटा दिया गया, जबकि हाथ जोड़कर मिन्नतें कर रही लड़की को बदमाश लड़के लगातार पीट रहे हैं।

दिल्ली में एक महिला को ईंट मारे जाने के मामले का वीडियो बना और आरोपी सिपाही को वो सजा दी गई, जिसके बारे में कभी उसने सपने में भी नहीं सोचा होगा, लेकिन इस वीडियो को बनाया भी उन लड़कों ने ही जिन्होंने ऐसी तुच्छ हरकत को अंजाम दिया और फिर उसे सोशल साइट्स पर भी वायरल कर दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसे हैवानों को कब और कैसे सजा मिले। 

Monday, May 11, 2015

जगजीत सिंह की फैंन हॅू: जेनीवा रॉय

प्रेमबाबू शर्मा, दिल्ली

जेनीवा रॉय भारत की एकमात्र ऐसी गजल सिंगर हैं जिन्होंने गजल गायिकी के क्षेत्र में देश-विदेशों में ना केवल महारथ हासिल की.. बल्कि उनकी गजलों की एलबम ‘एहसास प्यार का’ और ’सोचते-सोचते’ को संगीत प्रेमियों की गैलिरी में पसंद और प्यार-दुलार खूब मिला खनकदार आवाज की मल्लिका, प्रतिभा सम्पन्न और समर्पित भावना से ओतप्रोत युवा गजल गायिका जेनीवा रॉय मरहूम गजल मैस्ट्रो जगजीत सिंह की गजल गायिकी से बेहद प्रभावित हैं। शायद इसीलिए उन्होंने ढेर सारे एक्टिंग और प्लेबैक सिंगिंग के ऑफर ठुकरा कर ‘फीमेल जगजीत सिंह’ बनने का नारा बुलंद किया है। पिछले दिनों जेनीवा रॉय से उनकी नई म्यूजिक एलबम ‘संगदिल’ की म्यूजिक सिटिंग्स पर मुम्बई में मिला। यहाँ प्रस्तुत हैं उनके कैरियर और भावी योजनाओं को लेकर अंतरंग बातचीत के महत्वपूर्ण अंश


’आपकी  गजलों की एलबम "एहसास प्यार" का  और  "सोचते-सोचते" को गजल प्रेमियों के बीच कैसा रिस्पांस मिला ?

मैं अपने आपको बहुत खुशकिस्मत मानती हूँ कि अब जब न्यू जनरेशन  की गैलेरी में म्यूजिक की शक्ल बिलकुल अलग-थलग  हो गईं है ऐसे में मेरी दोनों एलबमस को अच्छा खासा रिस्पांस म्यूजिक लवर्स में मिला और तो और मुझे गल्फ कंट्रीज में बहुत मान सन्मान मिला कई प्रेस्टीजिस एवार्ड्स के लिये भी नॉमिनेट हुई।

’आपने तो काफी सालों से अलग अलग मिजाज की गजलों को सुना-गुना हैं... आपकी अपनी राय में गजलों में क्या विषेशता होती है?

मैंने तो हमेशा से ही देखा है कि गजलों की कॉम्पोजिशन के साथ साथ दिल को झंकृत करने वाले कलाम यानि लिरिक्स का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। शायद यही वजह है कि उन गजल गायकों को सफलता नहीं मिली जिन्हें शायरी, पोएट्री की नोलॉज नहीं  है।

क्या आपने इस यूएसपी को अपनी एलबमस में अपनाया है?

यकीनन क्योंकि मैं अच्छी तरह से जानती हूँ कि गजलों की सोल (आत्मा) लफ्जों की अदायगी है वो उन्हें लोकप्रिय बनाने में कितना बड़ा पार्ट निभाती है। इसलिए मैंने अपनी दोनों एलबम्स में शायरों के चयन का विशेष ध्यान रखा है "एहसास प्यार का" में दुबई के मशहूर शायर सैयद अब्बू वाकर मलिकी, "सोचते-सोचते" में नक्श लायलपुरी को लिया और अब मेरी नई एलबम "संगदिल" में मुन्नवर राणा और नवाब आरजू ने गजलें लिखी हैं।


आप भारत की पहली महिला गायिका है...जो फीमेल जगजीत सिंह बनने का बीड़ा उठाए हुए हैं आखिर उसकी क्या वजह है? क्या आपकी गजल गायिकी में वो विशेषताएं है जिनके लिए उनका बिलकुल अलग मुकाम अब तक है?

जी हाँ... कुदरतन मुझ में वो सारी खूबियाँ है जिनकी वजह से जगजीत सिंह गजलों के बादशाह कहलाए मैं ऐसा समझती हूँ कि चूँकि जगजीत सिंह मेरे रोल मॉडल उस समय से रहे जबकि मैं उनकी गजलों से गहरी पैठ बना रही थी। उनकी गायिकी के गुण जैसे आवाज का सही मात्रा में उतार चढाव, कलाम के मर्म को समझकर लफ्जों की अदायगी, सुरों में संतुलन आदि मुझमें स्वाभाविक रूप से उतरता चला गया। इसी तारतम्य में दुबई के 'दुबई क्लब' में आयोजित ‘गजल तुम्हारी आवाज मेरी’ प्रोग्राम में जब मैंने अपने गजलों के आराध्य की गाई गजल 'अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको'....को परफॉर्म किया तो...ऑडियन्स ने मुझे किसी दूसरे फनकार की गजलें गाने ही नहीं दिया। प्रोग्राम की कुछ लिमिटेशन थी। मेरे प्रोग्राम के बाद बॉलीवुड के एक नामचीन सिंगर का परफॉर्मेन्स होना था मगर ऑडियंस की डिमांड्स पर मैं रात भर जगजीत सिंह की गायी गजलें गाती रही। दुबई बहरीन, मॉरीशस आदि देश-विदेशों में मुझे गजल सिंगर के  तौर पर बम्फर रिस्पांस मिला। बस तभी से मैंने फीमेल जगजीत सिंह बनना जिन्दगी का मकसद बना लिया।

’क्या आपको अपने रोल मॉडल से रूबरू होने का मौका मिला?

आपने मेरी दुखती रग पर हाथ रख दिया। हम साथ-साथ काम करने वाले थे दरअसल मै उन्हें अपनी ड्रीम फिल्म ‘मेरी गजल’ में बतौर म्यूजिक डायरेक्टर साइन करना चाहती थी मीडिया पर्सनेलिटी सतीश कँवल और मशहूर शायर-गीतकार नक्श लायलपुरी के मार्फत सब कुछ तय हो गया था इसी बीच मैं टूर पर निकल गई। और जब इण्डिया लौटी तो खबर मिली कि जगजीत सिंह नहीं रहे...मैं हतप्रभ रह गई और मेरा दिव्यास्वप्न चूर हो गया खैर अब अपना मकसद पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं रखूंगी

’आपकी नई गजल एलबम ‘संगदिल’ के बारे में बताइये। क्या तैयारियां चल रही हैं? यह किस तरह की एलबम है?

मेरी बेहतरीन गजलों की नई एलबम ‘संगदिल’ कैरियर के पड़ाव में बहुत अहम् है। इस एलबम में आज के दौर की रोमांटिक शायरी है अदब का खास ध्यान रखते हुए मुन्नवर राणा और नवाब आरजू ने सरल शब्दों में ह्रदय पर गहरी छाप छोड़ देने वाली गजलें कही है। जिन्हें नौशाद अली साहब ने बहुत ही उम्दा संगीतबद्ध किया है मुझे यकीन है कि यह एलबम सबको पसंद आएगा।

सुनने में आया है कि आपने कुछ बंगाली फिल्मों में अभिनय भी किया है तो क्या अभिनय और गायन का सफर साथ-साथ जारी रखेगी?

-हाँ.. कुछेक बंगाली फिल्मों में लीडिंग हीरोइन के रोल्स किये हैं। बहुत अच्छा रिस्पांस भी मिला है। कई बड़े ऑफर्स भी आये हैं... मगर मैंने एक्टिंग के सारे ऑफर ठुकरा दिए हैं। बतौर अभिनेत्री ‘खशबू’ मेरी आखिरी फिल्म है मैं अब एकचित होकर गजल गायिकी पर ही काम  करुँगी।

Thursday, May 21, 2015

29 मई काे रिलीज होगी पंजाबी फिल्म ‘‘गद्दार-द ट्रेटर‘‘

प्रेमबाबू
 शर्मा!

सागा यूनीसिस इन्फोसोल्यूसन्स एण्ड ग्रैन्डसन्स फिल्म्स के बैनर तले डायरेक्टर अमितोज मान की आने वाली पंजाबी फिल्म ‘‘गद्दार-द ट्रेटर‘‘ भारत समेत विश्वभर में 29 मई 2015 को रीलिज होगीं।  मुख्य कलाकार मशहूर पंजाबी गायक और फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे हरभजन मान, डायरेक्टर अमितोज मान और प्रोड्यूसर सुमीत सिंह है। इस फिल्म में हरभजन मान के अपोजिट मशहूर फिल्म अदाकारा एवलिन शर्मा है। जिन्होने इससे पहले ‘‘यारियाॅ‘‘ और ‘‘ये जवानी है दिवानी‘‘ जैसी फिल्मों में अपनी अभिनय के जरिये लाखों लोगों का दिल जीता है। इसके अलावा फिल्म में एक अन्य रोल मनप्रीत ग्रैवाल निभा रही हैं जो  मिस अस्ट्रैलिया रह चुकीं है।  
फिल्म के डायरेक्टर अमितोज मान ने कहा ‘‘फिल्में समाज का आईना होती है। और एक ऐसी फिल्म जो मनोरंजन के साथ-साथ आपको कोई मैसेज भी दे इससे अच्छा कुछ नहीें हो सकता। मेरा मानना है कि लोग एक अच्छी कहानी और मनोरंजन के लिए फिल्म देखने जाते हैं। इसमें लैग्वेज कोई रूकावट नहीं होनी चाहिए। क्योंकि कहानी वहीं होती है सिर्फ भाषाएॅ बदल जाती है। बेशक ‘‘गद्दार-द ट्रेटर‘‘ एक पंजाबी फिल्म है लेकिन एक बार जब आप इसे देखेंगें तो आपको एक बेहतरीन कहानी के साथ भरपूर मनोरंजन भी मिलेगा‘‘। वहीं इस मौके पर अभिनेता हरभजन मान ने कहा ‘‘ मुझे इस फिल्म में काम करने में बहुत मजा आया। मेरा किरदार इस फिल्म में एक बहुत रईस इन्सान की है जिसने जिंदगी में बहुत कामयाबी हाशिल की है। पर किसी कारणवश उसे भारत आना पड़ता है जहाॅ वो एक बहुत हीं अजीब सी उलझन या यू कहें की मुसीबत में पड़ जाता है। इस फिल्म को मैं एक बहुत हीं अलग फिल्म मानता हॅू और जब आप ये फिल्म देखेंगें तो आप खुद समझ जायेंगें कि मैने ऐसा क्यू कहा‘‘।
गौरतलब है कि ‘‘गद्दार-द ट्रेटर‘‘ का ट्रेलर यू-ट्यूब पर लोगों ने काफी पसंद किया है। फिल्म की शूटिंग पंजाब, मुम्बई, गोवा और टोरंटो में की गई है। 

Gauhar Visits Kapsons To Meet Fans!!

Chandigarh,  May 21st Thursday 2015 (Kulbir Singh Kalsi):-


Kapsons has always promoted Punjabi movies from blockbusters to critically acclaimed ones. Adding to the list, on Wednesday the star cast of the upcoming Punjabi movie “O Yara Ainvayi Ainvayi Lut Gaya” visited Kapsons Chandigarh to promote their forthcoming movie among Kapsons shoppers.
The interaction with the movie stars was exclusively organized for Kapsons Royale Club members, special customers and guests. Popular model turned actress, Gauhar Khan interacted with her fans present in the store. One lucky Kapsons shopper was given a chance of getting her outfit picked by Gauhar.  

After visiting the Kapsons, Bathinda store a day ago, the star cast was excited to be at the flagship Kapsons store in Chandigarh. The store was filled with customers and guests thrilled to see Gauhar. Gauhar Khan the leading lady in the movie said “I’m happy to be among my fans and supporters at Kapsons. I hope I get to see everyone at the premier too.”
Kapsons Chandigarh is the most prominent shopping destination in the region and their venture of promoting “O Yara Ainvayi Ainvayi Lut Gaya” was welcomed by the crowd. They are eagerly waiting for the movie to hit the cinemas this week.   

&TV पर जल्द नजर आएगा "द वाॅयस"

प्रेमबाबू शर्मा!

रियलटी फाॅर्मेट शो ‘द वाॅयस’ का प्रसारण जल्द ही एंड टीवी पर होने जा रहा है। ‘द वाॅयस‘ सिंगिंग रियलटी शो का विशुद्ध स्वरूप है, जिसमें प्रतिभागियों का चुनाव ‘ब्लाइंड आॅडिशंस‘ के जरिये किया जायेगा। उन्हें शख्सियत के बजाय सिर्फ उनकी आवाज के आधार पर ही चुना जायेगा। 



देश के महान संगीतकार और गायक शान, सुनिधि चैहान, मीका सिंह और हिमेश रेशमिया इस तलाश को अंजाम देंगे। सभी कोचेज़ अपनी टीम बनायेंगे और फिनाले तक पहुंचाने के लिए इन प्रतिभाओं को परामर्शश् प्रदान करेंगे। तो -ज्ट पर इस अनूठे, मंत्रमुग्ध करने वाले एन्टरटेनमेंट फाॅर्मेट द वाॅयस 6 जून से प्रत्येक शनिवार और रविवार रात 9.00 बजे दर्शकों के बीच होगा।  

इस शो का निर्माण एंडेमाॅल ने किया है और यह तलपा मीडिया हाउस से संबंधित है। आॅडिशंस से लेकर फिनाले तक, इस शो में मनोरंजन का स्तर सबसे उच्च रहेगा, क्योंकि इसमें अनोखे राउंड होंगे, जिन्हें 3 चरणों ब्लाइंड्स, बैटल्स और लाइव में विभक्त किया गया है। अद्भुत शुरूआत में, ब्लाइंड आॅडिशंस में सेलीब्रिटी कोचेज प्रतिभागियों को देखे बगैर उनकी आवाज सुनकर अपनी टीम बनायेंगे। कोचेज़ के पास एक बजर होगा, जिसकी मदद से वे अपनी पसंद की आवाज को बजर बजाकर और मुड़कर अपनी टीम में शामिल कर सकते हैं। यदि एक से ज्यादा कोच बजर दबाते हैं, तो प्रतिभागी को उसके पसंद का कोच चुनने का अवसर दिया जायेगा। बैटल्स राउंड में, कोचेज़ अपनी टीम के दो सदस्यों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करेंगे और दोनों से एक ही गाना सुनकर एक का चुनाव करेंगे। प्रतियोगिता के अंतिम चरण में यानी लाइव में, फाइनल उम्मीदवारों को मेंटाॅर्स और पेशेवरों की टीम द्वारा परामर्श दिया जायेगा। प्रत्येक टीम के शीर्ष प्रतिभागी एक-दूसरे से मुकाबला करेंगे और टेलीविजन के दर्शक अपनी पसंदीदा आवाज के लिए वोट करेंगे।

श्री राजेश अय्यर, बिजनेस हेड, -ज्ट ने कहा, ‘‘हम द वाॅयस के भारतीय संस्करण को पेश  करने के लिए बेहद रोमांचित हैं। इस फाॅर्मेट ने वैश्विक स्तर पर काफी प्रशंसा बटोरी है। यह शो रियलटी स्पेस में अत्यधिक प्रभावशाली वीकेंड प्राॅपर्टी को पेश करने की दिशा में हमारा पहला कदम है। इससे हमारे चैनल की पेशकश और सुदृढ़ होगी। वीकेंड ड्राइवर के रूप में स्थापित, यह शो दर्शकों को साथ बैठकर देखने के लिए प्रेरित करेगा और उन्हें शुरू से अंत तक मनोरंजक भावनात्मक यात्रा पर ले जायेगा। इस फाॅर्मेट को दुनिया भर में काफी लोकप्रियता मिली है, हमें भरोसा है कि भारतीय दर्शक भी इसे खूब पसंद करेंगे क्योंकि हमारे यहां संगीतप्रेमियों की संख्या काफी अधिक है।‘‘
 
श्री दीपक धार, प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एंडेमाॅल इंडिया ने बताया, ‘‘भारतीय टेलीविजन के दर्शकों के लिए प्रीतिकर एवं खोजपरक प्रोग्रामिंग लाने की दिशा में एंडेमाॅल द्वारा शुरू की गई यह एक और पहल है। द वाॅयस, ऐसा शो है जोकि गायन के क्षेत्र में देश की शीर्ष  प्रतिभा को ढूंढने पर केन्द्रित है, इन्हें इनकी गायन प्रतिभा और उनकी आवाज की गुणवत्ता के आधार पर चुना जायेगा। देश के सर्वोत्तम अज्ञात कलाकारों और संगीत की दुनिया में चार बड़े नामों को जजेस के रूप में लेने के साथ, यह शो निश्चित रूप से भारत की सर्वश्रेष्ठ आवाजों को ढूंढने के प्रयास में देश को भी शामिल करेगा।‘‘

इस शो को लेकर चारों जजेज़ का रोमांच चरम पर है और उनसे शानदार प्रतिसाद मिल रहा है। शान का कहना है, ‘‘द वाॅयस वैश्विक स्तर पर बेहद लोकप्रिय फाॅर्मेट है। किसी भी गायक संगीतकार के लिए यह बेहद चर्चित शो है। यदि आप टेलीविजन और किसी संगीत शो में आने की चाहत रखते हैं तो द वाॅयस इंडिया से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। मुझे इसके प्रत्येक राउंड ने आकर्षित किया। यह राउंड बहुत अलग एवं खोजपरक हैं। मुझे भरोसा है कि दर्शक शो को पसंद करेंगे।‘‘

मीका सिंह ने कहा, ‘‘जब मुझसे द वाॅयस इन इंडिया के पहले संस्करण में कोच बनने के लिए संपर्क किया गया, तभी से मैं बहुत उत्साहित था। यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी प्राॅपर्टी है और मुझे खुशी है कि इसका हिस्से बनने का अवसर मिला। मैं ऐसी आवाज को ढूंढने के लिए बेताब हूं, जिसकी क्वालिटी बेहतरीन हो..यानी उसमें कुछ नया और वर्सेटाइल हो जो पलट कर देखने के लिए सभी को मजबूर कर दे। 

हिमेश रेशमिया ने आगे बताया, ‘‘इस शो का फाॅर्मेट अद्भुत है; भारत में इस तरह के फाॅर्मेट के साथ कभी भी प्रयोग नहीं किया गया। मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं और शो का हिस्सा बनकर अत्यधिक रोमांचित हूं। द वाॅयस इंडिया में तीन चरणों में प्रतियोगिता होगी जिसमें ब्लाइंड आॅडिशंस, बैटल्स और लाइव राउंड शामिल हैं। इसमें जजेज़ की कोई अवधारणा नहीं है। लेकिन एक कोच के रूप में, मैं अपनी टीम के सदस्यों को मानसिक और सुरीले ढंग से प्रशिक्षित करूंगा, जिससे उन्हें सफलता की ओर बढ़ने का मौका मिलेगा। जैसा कि नाम से पता चलता है कि इस शो में मुख्य रूप से प्रतिभागियों पर फोकस किया गया है।‘‘

इस शो में एकमात्र महिला कोच सुनिधि चैहान ने बताया, ‘‘द वाॅयस इंडिया‘ को लेकर मैं बहुत रोमांचित हूं। मैंने खासतौर से अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय संस्करण को देखा और मैं प्रतिभाओं की क्वालिटी देखकर दंग रह गई। सच्चाई यह है कि उन्हें विशुद्ध रूप से ब्लाइंड आॅडिशंस के माध्यम से उनकी आवाज के आधार पर चुना गया और कोचेज़ को गायकों को लेकर कोई भनक नहीं थी। इसलिए, जब यह फाॅर्मेट भारत आया, और निर्माताओं ने मुझसे संपर्क किया, तो मैं बहुत उत्साहित हो गई। ‘द वाॅयस इंडिया‘ म्यूजिक रियलटी शो की दुनिया को पुन: परिभाषित करने के लिए तैयार है और मुझे खुशी है कि मैं भी इसका एक हिस्सा हूं।‘‘

अपनी अपारंपरिक अप्रोच और अद्भुत सेट-अप के साथ, द वाॅयस इंडिया आधुनिक युग के भारतीयों में अपनी खास जगह बनायेगा...यह भारतीय एक्सक्लूसिव एवं कभी ने देखे गये अनुभव के साथ हमेशा रोमांचित होने के लिए तत्पर रहते हैं। इस शो में, कोचेज़ अपना पूरा दमखम लगा देंगे और प्रतियोगिता के स्तर को नये स्तर पर ले जायेंगे। कोचेज़ द्वारा प्रतिभागियों को परामर्श देने एवं उनमें निखार लाने के बाद, अंतिम पावर दर्शकों के पास होगी, जो देश के सबसे बेहतरीन गायक/गायिका और द वाॅयस इंडिया के खिताब के विजेता की खोज के लिए अपनी पसंदीदा आवाज का चयन करेंगे। 

Wednesday, May 20, 2015

'आजतक' वालों... क्यों पत्रकारिता की 'मां-बहन' करने पर तुले हो भई?

गुस्ताफी माफः अमित सैनी


इसे पत्रकारिता का दमन कहूं या फिर हत्या? कुछ समझ में नहीं आ रहा है! अपने आप को देश का नंबर-वन कहलाने वाला "AAJTAK" Channel गलती पर गलती किए जा रहा है! गलती भी छोटी नहीं, बल्कि बड़ी-बड़ी! हालांकि खबरिया चैनलों पर गलती करने का पुराना रिवाज हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से तो हद ही हो गई है। "आजतक" ने कुछ  दिन पहले "कांड का गां..." कर दिया था, जो कि अपने आप में बहुत बड़ी गलती थी, जिससे "आजतक" के "धुरंधरों" को सबक लेना चाहिए था, लेकिन नहीं लिया और फिर से गलती दोहरा दी। 


इस बार "आजतक" पर आॅनएयर गलती जो गई है वो किसी बुलेटिन में नहीं, बल्कि स्पेशल कार्यक्रम में हुई है। फोटो पिता का और नाम मां  था...इसी तरह से फोटो मां का तो नाम पिता का लिख दिया गया। समझ से परे है कि आखिर ये हो क्या रहा है? मन-मंथन करता हूं तो सिर दर्द करने लगता है। दिल करता है कि अपना सिर दीवार में दे मारूं! क्योंकि ये हाल केवल "आजतक" का ही नहीं है, बल्कि बड़े चैनलों में शुमार "IBN-7" और "ABP" NEWS का भी है। 

"आजतक कांड" के बाद "ABP" NEWS ने भी बड़ी गलती की थी। "ABP" ने तो एक कार्यक्रम के दौरान स्क्रीन पर पता नहीं कहां से “मुस्लिम एक्सपर्ट” लाकर बैठा दिया था। अब कोई पूछने वाला हो कि भई ये "एक्सपर्ट" कहां से पैदा हो गया या फिर एबीपी ने ही अपने न्यूजरूम में एक्सपर्ट पैदा करने की कोई मशीन लगा ली है? जहां से "हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई" आदि समय-समय पर पैदा कर आॅन स्क्रिन लाकर बैठाया जाएगा? इस एक्सपर्ट कांड़ की वजह से "ABP" की चाैतरफा निंदा हुई। शायद इस लापरवाही के चलते किसी पर गाज भी गिरी हो, लेकिन इस कांड़ के बाद "ABP" की कोई गलती या लापरवाही सामने नहीं आई।


"ABP" और "आजतक" ने तो खैर कांड़ ही किया था...लेकिन आईबीएन-7 तो इनसे भी "चार चंदे" आगे निकला। आईबीएन-7 ने तो पूरी ही खबर का एनकाउंटर कर दिया। दरअसल, आईबीएन-7 पर दिल्ली पुलिस द्वारा मनोज कुमार वशिष्ठ का कथित तौर पर किए गए एनकाउंटर के बाद उठे बवाल की खबर चल रही थी। अब पता नहीं कौन महाशय थे वो... जिन्होंने एनकाउंटर का एनकाउंटर कर दिया और चला दिया “एनकांटर”। भला ये भी कोई बात हुई।

और सही भी तो है...पुरानी कहावत है, जितनी चीनी डालोगे उतना ही तो मीठा होगा। इंटर्न-ट्रेनी से प्रोड्यूसर का काम लोगे तो भई ऐसा ही होगा! हां....अगर सीनियर लेविल पर ऐसी गलतियां हो रही है तो फिर भगवान ही मालिक है।

एक बार फिर से गुस्ताखी माफ...क्या करूं मजबूर जो हूं, देखकर रहा नहीं जाता और कलम चल पड़ती है मेरी

Tuesday, May 19, 2015

आडींयस का है डब्ल स्टैंर्डड : लीजा मलिक



- प्रेमबाबू शर्मा !
आडींयस को समझना मुश्किल है। आडींयस देखना भी सब कुछ चाहती है और आलोचना किए बिना भी नही रहती। वर्तमान मे आडींयस नेडब्ल स्टैंर्डड अपनाया हुआ है। कुछ इस तरह से अपने आलोचकोको जवाब दिया लीजा मलिक ने। लीजा ने कहा कि आईटम न बर कोआईटम सांग कहना ही गलत है। पहले दौर कि अभिनैत्रिया जबआईटम न बर किया करती थी तब उन्हे तो बउे आदर स मान के साथ बुलाया जाता था। वर्तमान मे जब कोई मॉडल या अभिनैत्री आईटम नंबर करती है तो उसे पुकारा जाता है आईट्म गर्ल....ऐसा क्यो? मैं तो सीधे सीधे बोलूगी कि आईटम सांग करना भी हर किसी के बस की बात नही है। किसी की कला की तारीफ नही की जाती तो आलोचना करने का हक भी किसी को नही है। मुझे तो लगता है कि सच बोलना ही मेरा चर्चा मे रहने का कारण है। फिल्म इंडस्ट्री के जिन लोगो को मेरी सच्चाई बर्दाशत नही होती वो आलोचक बन जाते है और जिन लोगो मे सच्चाई को मानने की ताकत है वों आज भी मेरी प्रसंशा करते नही थकते।

शॉट ड्रैस पहनने मे बुराई नही:
अभिनैत्री लीजा मलिक का कहना है कि बॉलीवुड में अब तक हिट हुईं अभिनेत्रियों में शायद ही कोई होगी, जिसने कभी बिकनी में शॉट नहीं दिया। फिर चाहे वो पुरानी फिल्‍मों में सायरा बानो और शर्मिला टैगोर हों या फिर आज की करीना कपूर और सन्‍नी लियोन। कभी न कभी सभी पर्दे पर बिकनी में दिखाई दी ही हैं । लीजा का कहना है कि अब ट्रेंड बदल रहा है। अब डायरेक्‍टर बिकनी में शोकेस की तरह हीरोइनों को दिखाने के बजाये, हॉट सीन ज्‍यादा प्रिफर कर रहे हैं।

डाईटिंग नही एक्र्साइज पर देना चाहिए ध्यान:
हॉट बॉडी और अपने फिटनेस की मल्लिका लीजा मलिक को डाईटिंग करना बिलकुल पंसद नही बल्कि उनका कहना तो यह है कि डाईटिंग करना व्यर्थ है । बिना एक्र्साइज किए कोई भी इंसान फिट नही रह सकता। पेट भर कर खाने की वजाए हर 2 या 3 घंटो के बाद हल्का फूल्का खाना चाहिए। ऐसा करने से कभी भी मोटापा नही आता और बॉडी फिट रहती है। सोचा नही था टिप टिप बरसा पानी इतना हिट हो जाऐगा:


लिजा मलिक ने कहा कि टिप टिप बरसा पानी हमेशा से मेरा पसंदीदा गाना था और जब एलबम बनाने की बात आई तो मैं इसे कैसे भूल सकती थी। मेरे लिए यह ख़ुशी की बात थी कि वीडियो बिलकुल वैसा ही शूट हुआ जैसा हम चाहते थे। जिसें चदं दिनो मे ही यूट्यूब पर इसे 2.4 लाख हिट मिले थे। वीडियो बनाते समय मैंने सोचा भी नहीं था कि यह इतनी बड़ी हिट होगी।

कौन हैं लिजा मालिक :
दिल्ली की रहने वाली लिजा को 3 साल की उम्र से ही डांस का शौक था। जैसे-जैसे वह बड़ी होती गईं उनका यह शौक जुनून में तब्दील होता गया। मिस दिल्ली के खिताब से नवाजी गई इस खुबसूरत बाला को सोनी टीवी पर आने वाले रियलिटी शो बूगी-वूगी से खासी लोकप्रियता मिली। अपने कैरियर को गति देने के लिए लीज़ा मालिक मुंबई शि ट हो गईं और कुछ दिनों के संघर्ष के बाद उनके एक के बाद एक तीन  यूजिक एलबम रिलीज हुए। चिक्स ऑन फायर, आओ ना, सि पली लीज़ा नामक उनके तीनों  यूजिक एलबम काफी सराहे गए।  यूजिक एलब स के अलावा लिजा कई कमर्शियल और भोजपुरी फिल्मों में काम कर चुकी हैं। भोजपुरी फिल्म दरोगा जी चोरी गई में किया गया उनका आइटम नंबर कफी लोकप्रिय हुआ था।

वीभत्स "निर्भया कांड़-II" पर "Presstitutes" चुप, कराह रही इंसानियत!!

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला डिग्री कॉलेज में दिल्ली के निर्भया कांड जैसी वीभत्स घटना शुक्रवार को हुई। कॉलेज के चार सीनियर छात्रों ने प्रथम वर्ष की छात्रा को कॉलेज से उठाकर उसके साथ दुष्कर्म किया और मरणा सन्न हालत में सड़क किनारे फेंक दिया। इस मामले की चर्चा पूरे हिमाचल में लोगों की जुबान पर है, लेकिन निर्भयाकांड पर दस-दस पेज के सप्लीमेंट छापने वाले प्रिंट मीडिया में एक सिंगल कॉलम खबर तक नहीं है। हिमाचल से छपने वाले अखबार हिमाचल दस्तक ने अपनी वेबसाइट पर खबर लगा दी, लेकिन मामला हाई-प्रोफाइल होने के चलते अगले कुछ ही घंटो में खबर वेबसाइट से हट गई। कॉलेज के छात्रों से मिल रही खबर के अनुसार छात्रा की हालत बेहद नाजुक है।


हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए दरिंदों ने छात्रा के यूट्रस तक को बाहर निकाल दिया है। कॉलेज प्रशासन से लेकर पुलिस प्रशासन तक इस मामले से ही इनकार कर रहा है। छात्रा को इलाज के लिए हिमाचल से बाहर कहां भेजा गया है इसकी जानकारी तक किसी को नहीं है। कॉलेज छात्र दबी जुबान में बताते हैं कि चारों आरोपी काफी समय से छात्रा को परेशान कर रहे थे जिससे तंग आकर शुक्रवार को छात्रा ने अपनी बहन के साथ कॉलेज के प्राचार्य से शिकायत भी की थी, जिसके बाद आरोपियों ने शाम को इस घटना को अंजाम दिया।


सवाल सिर्फ ये है कि एक बलात्कार दिल्ली में होता तो अखबार क्रांति छापने लगते हैं, फेमनिस्ट एंकर की जुबान आग उगलने लगती हैं.... मोमबत्तियां लिए लोग सड़कों पर उतर आते हैं, ऐसा आंदोलन होता है मानो देश एक बार फिर गुलाम है और जनता आजादी के लिए सड़कों पर है। आनन-फानन में जांच कमेटियां बैठा दी जाती हैं, संसद में निर्भया बिल आ जाता है, इसलिए क्योंकि वहां पर बलात्कारी किसी मंत्री के बेटे नहीं... बस ड्राइवर-कन्डैक्टर थे। जगह राजधानी थी..कोई गांव, कस्बा या धर्मशाला जैसा छोटा शहर नहीं। 


मामला जैसे ही हाईप्रोफाइल होता है... मीडिया अपनी दुम बचाकर न जाने किस बिल में छिप जाता है। ये कौन से संपादक हैं जो इस मामले में एक सिंगल कॉलम खबर तक छापने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। मैं नहीं जानता ये राष्ट्रीय मुद्दा होना चाहिए या क्षेत्रीय...लेकिन किसी के साथ अन्याय हुआ है, क्या उसके हक की...उसको न्याय दिलाने के लिए मीडिया को आवाज नहीं उठानी चाहिए? यहां के अखबारों ने जिस प्रकार से चुप्पी साधी हुई है वो यहां के संपादकों और पत्रकारों के पुरुषार्थ पर सवाल खड़ा कर रहा है!

साभार: Sunita Katoch की फेसबुक वाल से।




हॉलीवुड सिट्कॉम सेंस 8 में अनुपम खेर की बेटी हैं टीना देसाईं

साइ फाइ और एक्शन के चहितों के लिए 5 जून से एक और नया शो सेंस 8 शुरू होने जा रहा है. वैकॉस्की द्वारा निर्मित यह नेटफ्लिक्स सीरिज़ है. भारतीय नायिका टीना देसाईं के अभिनय से सजे इस शो का पहला ट्रेलर दर्शकों के सामने आ चुका है. इस शो के ट्रेलर में अनुपम खेर टीना देसाईं के पिता की भूमिका में नज़र आ रहे हैं. शो के पहले कट में सभी कलाकारों से मिलवाया गया है जिससे यह बात पता चलती है कि इसका कॉंसेप्ट काफी लुभावना है. जिस तरह प्लॉट के ज़रिये इसकी कहानी का वर्णन किया है वह दर्शकों के मन में कहानी को लेकर जिज्ञासा पैदा करती है. इसकी कहानी विश्व के अलग अलग देशों में रहनेवाले आठ लोगों की कहानी पर आधारित है जो एक घटना के तहत मानसिक तथा भावनात्मक स्तर पर एक दूसरे से जुड जाते हैं. 


जैसा कि शो के ट्रेलर को देखकर इस बात का अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि इंटेंस ड्रामा के साथ इसका एक्शन लाजवाब है. इसमें लोगों की पहचान, लैंगिकता, विश्वास तथा मान्यताओं के विस्तृत स्वरूप पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की गयी है जिसे हमनें मन के अतल गहराइयों में कहीं दफन कर दिया है. इसमें विशेष रूप से दिखाया गया है कि हम अजनबियों के साथ कैसे रहते हैं, अपने प्यारों के साथ कैसे रहते हैं और जब अकेले रहते हैं तो कैसे रहते हैं.


सिर्फ यही नहीं इसमें यह भी दिखाया गया है कि तब हमारी प्रतिक्रिया क्या होती है जब हमारी प्राइवेसी पर हमला होता है. इस सिलसिले में जब हमनें टीना से बात की तो टीना ने कहा, ‘’सेंस 8 के ट्रेलर को देखकर पूरे विश्व की सांसे थम गयी हैं. सभी इसे देखने के लिए बेताब हैं. इसमें दो राय नहीं कि इसका प्लॉट काबिले तारीफ है. इस ट्रेलर को देखकर मुझे जिस तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है उससे मैं बेहद खुश हूं. फिलहाल इसका शुरूआती भाग जितना बेहतरीन है, आगे की कहानी उससे भी अधिक अमेज़िंग होगी.’’ गौरतलब है कि इससे पहले टीना देसाईं वर्ष 2011 में आई अपनी पहली फिल्म ‘यह फासले’ में अनुपम खेर की बेटी के रूप में नज़र आ चुकी हैं.  

रेड कार्पेट को लेकर नर्वस हैं ऋचा



प्रेमबाबू शर्मा!

जैसे जैसे कान फिल्म समारोह की तारीख नज़दीक आती जा रही है वैसे वैसे ऋचा के दिल की धडकन भी तेज़ होती जा रही है. अपने खास दिन के लिए ऋचा इस शनिवार को कान फिल्म फेस्टिवल के लिए रवाना होंगी. खबर है कि कान फिल्म फेस्टिवल को लेकर ऋचा काफी नर्वस हैं. सूत्रों की मानें तो दूसरी बार इस समारोह को अटेंड करने जा रहीं ऋचा का यह पहला मौका है जब वह रेड कार्पेट पर चलेंगी. गौरतलब है कि इस बार फिल्म के साथ फिल्म में निभायी गयी अपनी मुख्य भूमिका के लिए भी ऋचा खुद पर ज़िम्मेदारी का भाव महसूस कर रही हैं. अब इसे ऋचा की नर्वसनेस कहें या फैशन को लेकर अति सतर्कता लेकिन सच यह है कि कान फिल्म समारोह में रेड कार्पेट पर पहली बार चलने के लिए काफी नर्वस हैं.  

Monday, May 18, 2015

बेहतर अभिनेता बनना मेरे जीवन की अग्नि परीक्षा हैः अभिनव कुमार

प्रेमबाबू शर्मा !

अभिनव कुमार! जी हां ये स्क्रीन नाम है उस न्यू फाइंड यानि उभरते हुए नवोदित अभिनेता का... जिसने हाल ही में सोशल, फैमिलियर थ्रिलर ‘जी लेने दो एक पल’ से बड़े स्क्रीन पर हीरो के रूप में बॉलीवुड में दस्तक दी है। अभिनव कुमार का वास्तविक नाम है ध्रुव कुमार सिंह। संघर्ष की एक लंबी पारी पार कर अभिनव कुमार ने यूं तो कई छोटी-बड़ी फिल्मों में भूमिकाएं की, जिनमें मशहूर निर्माता और निर्देशक अनिल शर्मा कृत ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’ ज्यादा महत्वपूर्ण रही। इस फिल्म में उन्हें नोटिस में भी लिया गया। इसी बीच अभिनव कुमार को इक्का-दुक्का रीजनल फिल्में भी मिली, मगर उनका फोकस बॉलीवुड पर ही रहा। आखिरकार वक्त उन पर मेहरबान हो ही गया और जाने माने एजुकेशनिस्ट, सीरियल स्कूल्स, कॉलेजेज के चेयरमेन और फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर, प्रोड्यूसर और प्रेजेंटर शरद चंद्र ने कहानीकार-निर्देशक संजीव राय के निर्देशन में अपनी फिल्म ‘जी लेने दो एक पल’ के नायक का रोल उन्हें सौंप दिया और इस तरह अभिनव  कुमार ने  अपनी ड्रीम जर्नी का पहला कदम  बॉलीवुड में रख दिया। शरद चंद्र प्रस्तुत और वेदर फिल्म्स कृत ‘जी लेने दो एक पल’ की मुम्बई के परवानी स्टूडियो में चल रही शूटिंग के दौरान उनसे कैरियर और फ्यूचर की प्लानिंग को लेकर बातचीत हुईः



 ’क्या हिंदी फिल्मों का हीरो बनना आपका चाइल्डहुड ड्रीम रहा?

“हां! बचपन से ही मैं हिंदी फिल्मों का दीवाना रहा हूं। कई फिल्मों ने मेरे अंदर घर बना लिए, जो लगातार मुझे इसी दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करती हैं। सच मानिए मेरा और किसी काम में मन ही नहीं लगता। बस एक ही धुन... और एक ही मकसद....फिल्म..फिल्म... और बस फिल्म।”

’अच्छा जब आपने फिल्मों में हीरो बनने के लिए मुंबई जाकर स्ट्रगल करने की ठानी तो घरवालों ने क्या रियेक्ट किया? क्या वो आपके फैसले से सहमत थे?

“कतई नहीं, चूंकि मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता हूं, जहां लोग अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, कलेक्टर बनाने के सपने ही नहीं देखते बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए अपनी जमीन जायदाद तक बेचने से पीछे नहीं हटते। मेरे माता-पिता  भी मुझे डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन मेरा रुझान शुरू से फिल्मों की तरफ रहा। जब उन्हें मेरी मंशा का पता चला तो वो लोग बहुत नाराज हुए, मगर मेरे बड़े भाई साहब वीरेंद्र प्रधान ने मेरा बहुत साथ ही नहीं दिया बल्कि आगे बढ़ाने में आर्थिक मदद भी की।”

’आपने फिल्मों में हीरो बनने के लिए क्या प्लानिंग की ?

“सांइस में ग्रेजुएशन करने के बाद मैंने प्री-मेडिकल एग्जाम दिए, मगर बात ना बन सकी, क्योंकि मेरे दिल-ओ-दिमाग पर एक्टर बनने का फितूर जो सवार था। उसी फितूर के तहत मैंने दिल्ली के एनएसडी में एक्टिंग कोर्स के लिए एप्लाई किया, मगर रिटर्न टेस्ट में अटक गया। लेकिन जरा सा भी निराश नहीं हुआ और खूब मेहनत और लगन से श्रीराम आर्ट और कल्चर सेंटर से एक्टिंग का डिप्लोमा किया और फिर मुंबई की ओर कूच कर गया। मुंबई में कर्नल कपूर और रणवीर सिंह की डाॅक्युमेंटिरी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल्स किए और स्ट्रगल शुरू कर दिया।”

’पहली फिल्म कौन सी रही जिसमें आपने काम किया?

“सबसे पहली फिल्म ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’ में मुझे एक पारिवारिक मित्र के जरिए एक छोटा सा रोल मिला। अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और बॉबी देओल की कास्ट वाली अनिल शर्मा जैसे नामी -गिरामी निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिला और इंडस्ट्री को करीब से देख पाया।”

आपका फिल्म ‘जी लेने दो एक पल’ में हीरो के तौर पर चयन कैसे हुआ? इस फिल्म की यूएसपी क्या है?

‘जी लेने दो एक पल’ की कहानी ही यूएसपी है। पिछले दो साल से कहानीकार और निर्देशक संजीव रॉय इस पर काम कर रहे थे। कई बार प्लानिंग बनी कभी “अर्थ” ने तोडा तो कभी परिस्थितियों ने तोड़ा मगर हमने इरादों को कभी टूटने नहीं दिया और आखिरकार शरद चंद्र जैसे कर्मठ और विजनरी प्रजेंटेर को हमारी फिल्म का प्रपोजल बहुत पसंद आया। कहानी और चारित्रिक विश्लेषण के अनुसार फिल्म के नायक के रोल में सबको मैं जंचा। मुझे इस बात की भी खुशी है कि सभी की कसौटी पर खरा उतरा।


’‘जी लेने दो एक पल’ के आप हीरो हैं, ये किस तरह का कैरेक्टर है? क्या ये किरदार आज के दौर को रिप्रेजेंट करता है?

“बतौर हीरो ‘जी लेने दो एक पल’ मेरी पहली फिल्म है। ये पूरी तरह से पारिवारिक पृष्ठभूमि पर आधारित है। इसमें पति-पत्नी के रिश्ते में आस्था और विश्वास को मुस्तैदी से पिरोया गया। जब इसके नायक शेखर से परिस्थिति वश अपने रिश्ते की लक्ष्मण रेखा को लांगने की भूल हो जाती है तो वो आत्मग्लानि के साथ अपनी पत्नी सुधा को  कैसे फेस करता हैं? ये एक खट्टी मीठी जर्नी है। कैसा भी दौर हो फिल्मों से आप परिवार और उनसे जुड़े प्रसंग कभी भी अलग नहीं कर सकते।”

“सुनने में आया है कि आपकी फिल्म के निर्देशक संजीव राय बहुत कुशल स्क्रीन राइटर हैं और उम्दा टेक्नीशियन भी... आपके उनके साथ वर्किंग एक्सपीरियंस कैसे रहे?

“आपने सही सुना है। संजीव जी जितने बढि़या निर्देशक हैं, उतने ही अच्छे और संवेदनशील लेखक भी हैं। जमीन से जुड़े कई कथ्यों का भंडार है उनके पास। ‘जी लेने दो एक पल’ का जो लिरिकल ट्रीटमेंट वो दे रहे हैं...मुझे लगता है फिल्म की सफलता का एक बहुत बड़ा हिस्सा होगा। उनके साथ मेरे बहुत अच्छे अनुभव रहे, पूरी फिल्म हमने एक साथ जी है। उन्होंने मुझसे किरदार के अनुरूप वाजिब एक्टिंग करा ली है।”

बॉलीवुड के सपने आपके जीवन के अंग रहे हैं तो कौन सा अभिनेता आपका रोल मॉडल रहा ?

“आप मुझे आउट डेटिड मत कहियेगा। मैं जो आपको बता रहा हूं...वो कॉमन नहीं, शत प्रतिशत सच है। मुझे एक्टिंग एंपायर दिलीप कुमार साहब और अमिताभ बच्चन के जीवंत अभिनय ने बेहद प्रभावित  किया है और ये ही दो विभूतियां मेरे रोल मॉडल रहे हैं।”

आपके जीवन का गोल क्या है?

“एक बढि़या अभिनेता बनना है। अभी शुरुआत है, इससे ज्यादा कहना उचित नहीं होगा।”

फिल्म समीक्षा : बॉम्बे वेलवेट




-प्रेमबाबू शर्मा

कलाकार: रणबीर कपूर, अनुष्का शर्मा, करण जौहर, के.के. मेनन, मनीष चौधरी, सत्यदीप मिश्रा, विवान शाह
निर्माता: विक्रमादित्य मोटवाने, विकास बहल
निर्देशक: अनुराग कश्यप
कहानी: ज्ञान प्रकाश
संगीत: अमित त्रिवेदी

‘बॉम्बे वेलवेट’ डायरेक्टर अनुराग कश्यप की करीबन आठ वर्ष की रिसर्च वर्क व मेहनत का नतीजा है। अनुराग लीक से हटकर व एक्सपेरिमेंटल सिनेमा के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इससे पहले भी गुलाल, ब्लैक फ्राइडे व गैंग्स आॅफ वासेपुर जैसी फिल्में बनाई हैं परन्तु इस फिल्म को बनाने में उन्होंने बहुत बड़ा जोखिम उठाया है क्योंकि इस फिल्म में 1949 की मुम्बई को हू-ब-हू परदे पर उकेरना कोई आसान काम नहीं था। इस फिल्म को अगर आप देखेंगे तो आपको यही लगेगा कि आप 60 के दशक की मुम्बई में आ गए हैं। इंटरवल से पहले फिल्म की रफ्तार काफी सुस्त है। कई बार तो ऐसा लगता है कि शायद फिल्म में इंटरवल ही नहीं है परन्तु इंटरवल के बाद फिल्म रफ्तार पकड़ती है और अपने सही मुकाम तक पहुंचती है।

कहानी: इस फिल्म की कहानी शुरू होती है भारत देश की आजादी के बाद यानि सन् 1949 की बॉम्बे (मुम्बई) से। जॉनी बलराज (रणबीर कपूर) मुम्बई के रेड लाइट एरिया में पला-बढ़ा है परन्तु उसके सपने बड़े हैं। अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी वो बॉक्सिंग फाइट में हिस्सा लेता है तो कभी चोरी करता है। इन सभी कामों में उसका साथ देता है उसका खास दोस्त चिम्मन (सत्यदीप मिश्रा)। इसी बीच एक क्लब में जॉनी को रोजी (अनुष्का शर्मा) दिखाई पड़ती है, जोकि एक जैज सिंगर है। जॉनी उसे देखते ही दिल दे बैठता है और पैसा कमाने के लिए कोई मोटा हाथ मारना चाहता है। मोटा हाथ मारने के लिए वह एक बैंक में जाता है, जहां बैंक का एक कस्टमर कैजाद खम्बाटा (करण जौहर) अपनी मोटी रकम निकलवा रहा होता है। जॉनी खम्बाटा को डराने की कोशिश करता है परन्तु खम्बाटा स्वयं ही उसे अपना रूपयों से भरा बैग दे देता है और अपने साथ काम करने की पेशकश करता है, जोकि जॉनी स्वीकार कर लेता है। खम्बाटा जॉनी को बॉम्बे वेलवेट क्लब खोलकर देता है और जॉनी को लगता है कि शायद अब उसकी मंजिल नजदीक है। परन्तु कहानी में रोचक मोड़ तब आता है जब जॉनी ज्यादा पैसे के लालच में खम्बाटा के खिलाफ हो जाता है। अब देखना यह है कि क्या जॉनी अपने मकसद में पास हो पाता है? क्या जॉनी व रोजी का प्यार परवान चढ़ पाता है? यह जानने के लिए तो आपको 60 के दशक के बॉम्बे वेलवेट में जाना पड़ेगा।
अभिनय: रणबीर कपूर ने जॉनी के किरदार में जीवंत अभिनय किया है। एक इंटरव्यू के दौरान रणबीर ने कहा भी था कि जब उन्हें बॉम्बे वेलवेट की कहानी का पता चला तो उन्होंने स्वयं अनुराग कश्यप से मिलकर जॉनी के रोल करने के लिए डिमांड की थी। रोजी के किरदार में अनुष्का ने भी अपना शत प्रतिशत दिया है। करण जौहर ने अपने दमदार अभिनय से साबित कर दिया है कि वो एक अच्छे डायरेक्टर होने के साथ-साथ एक अच्छे एक्टर भी हैं। अन्य कलाकारों में के.के. मेनन, सत्यदीप मिश्रा, मनीष चैधरी व विवान शाह ने भी अपने किरदार बखूबी निभाए हैं।

संगीत: अमित त्रिवेदी ने फिल्म के दौर के हिसाब से अच्छा संगीत दिया है। फिल्म के गीत ‘फिफ्फी’ व ‘मोहब्बत बुरी बीमारी’ थिएटर से निकलने के बाद आपकी जुबां पर चढ़े रहेंगे।

डायरेक्शन: अनुराग कश्यप के बेहतरीन डायरेक्शन की सराहना करनी होगी कि उन्होंने 60 के दशक की मुम्बई, कलाकारों के पहनावे व स्टाइल तथा उस दौर का म्यूजिक को हू-ब-हू सिल्वर स्क्रीन पर उकेरा है। हालांकि अगर वो फिल्म की रफ्तार को थोड़ा तेज रखते, तो फिल्म ज्यादा अच्छी बन सकती थी।

निष्कर्षः यह फिल्म आम दर्शकों के लिए नहीं है। इस फिल्म में आपको रीयल सिनेमा देखने को मिलेगा। जो लोग फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं या इस इंडस्ट्री में आना चाहते हैं तो उन्हें यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए क्योंकि इस फिल्म से आपको सिनेमा की बारीकियां पता चलेंगी। एंटरटेनमेंट की चाह में अगर आप इस फिल्म को देखने जाएंगे तो आपको निराशा ही हाथ लगेगी।

Saturday, May 16, 2015

'कड़वी हकीकत' के साथ दफन हो गई 'खूनी मोहब्बत'!

मास्टर शौकत अली की शिक्षित फेमिली में उनकी बेटी शबनम शिक्षा मित्र के रूप में कार्यरत थी। इस दौरान उसको अपने गांव के ही अनपढ़ और बेरोजगार सलीम से प्यार हो गया। शबनम और सलीम दोनों बेइंतहा मौहब्बत करते थे। वो आपस में निकाह करके जिंदगी जीना चाहते थे। ये घटना कोई काल्पनिक नहीं, बल्कि एक कड़वी हकीकत है...जो इतिहास के काले पन्नों पर अमरोहा कांड़ के नाम से लिखी जा चुकी है।
ये घटना उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के हसनपुर इलाके की है। इश्क-विश्क और निकाह के बीच में मान-सम्मान, पसंद-ना-पसंद के साथ दर्दनाक मौतें.... वो भी एक की नहीं बल्कि परिवार के सात सदस्यों की.....निमर्म तरीके से हत्या।


 सलीम और शबनम पर इश्क का खुमार इस कदर हावी था कि वो भूल गई कि जीवन में माता-पिता, भाई-भाभी और भतीजों का क्या महत्व होता है? मास्टर साहब शौकत अली अपनी बेटी की शादी अनपढ़-गंवार व्यक्ति के साथ नहीं करना चाह रहे थे... लेकिन प्यार का क्या? वो जाति, धर्म, शिक्षित या अशिक्षित देखता -समझता ही नहीं। प्यार तो अंधे कानून की तरह ही अंधा होता हैं?


प्यार करने वाले ही प्यार को समझ सकते हैं...लेकिन मेरा व्यक्तिगत मानना ये ही है कि समान मानसिक विचारधारा... विकसित मानसिकता के दो विपरीत लिंग के मध्य प्यार पनप सकता है... क्यूंकि प्यार विचार और भावनाओं से संचालित होता है। यहां अपवाद हो सकता है कि सलीम अनपढ़ होने के बाद भी उसकी सोच-समझ विकसित वा उच्च दर्जे की रही हो... क्यूंकि आकर्षण टिकाऊ नहीं होता... बल्कि क्षणिक होता है और एक झटके में खत्म भी हो जाता है।
सोचने की बात है कि प्यार में ऐसा पागलपन कैसा कि दोनों ने मिलकर पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया। इतना ही नहीं महज 10 माह के अपने मासूम भतीजे को भी बड़ी ही बेरहमी से गला घोटकर मार दिया।
प्रेमी और प्रेमिका को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी.. क्यूंकि दोनों पर मामला बना साजिशन प्यार के लिए मौत के घाट उतारने के साथ-साथ संपत्ति को हड़पने का भी। सवाल ये है कि क्या सलीम प्यार के सहारे शबनम के माता-पिता की संपत्ति भी हड़पना चाहता था? क्या उसने सबनम को बहकाया हुआ था? ऐसा क्या झांसा दिया हुआ था कि सबनम अपने ही परिवार की जानी दुश्मन बन गई?


परिवार की इज्जत, मान-सम्मान के लिए बहुत से प्रेमी अपने प्यार को कुर्बान कर देते हैं! भले सारी जिंदगी घुट-घुटकर जिए... लेकिन शबनम प्यार में कितनी पागल हो गई कि अब जेल में सड़ने के साथ-साथ फांसी के फंदे पर झूलने का इंतजार कर रही है। 
एक बूरे एहसास के साथ प्रेम की एक कहानी फिर से इस समाज के सामने है। वास्तव में चिंतन करना होगा कि लड़का-लड़की जिससे प्यार करें...जिसे पसंद करें... उसी से शादी करना उचित होगा या फिर जैसा हमारे माता-पिता, परिवार वाले, धर्म या जाति की मान्यताएं-परंपराएं है वैसे ही की जाएं? क्यूंकि जाति, उपजाति, मान-सम्मान के चलते प्रेम की हत्या तो लगातार हो रही हैं और इस प्रेम के चलते नए-नए किस्से सामने आते रहते हैं।

सौरभ द्विवेदी की फेसबुक वाॅल से।

Friday, May 15, 2015

Raavan aka Aarya Babbar visits the hub of Punjab - Chandigarh.

Chandigarh,  May 15th Friday 2015 (Kulbir Singh Kalsi):- The talented actor AaryaBabbar who portrays the phenomenal character of Raavan in Sony Entertainment Television’s newly launched mythological show SankatMochanMahabali Hanuman is grabbing viewers’ attention with his acting skills at Chandigarh. The audience is wowed by Aarya’s performance and are appreciating him in the role of Raavan.

Aarya, who has already won hearts with his character, recently visited Chandigarh for the promotions of the show and was left spellbound with the phenomenon response of the people towards the show and his character.
Astounded with the response, the actor quipped, “Visiting Chandigarh is like coming home, it’s my city! This city has its own charm and I feel very privileged to come here. To be loved by the people of Chandigarh humbles me even more. The people here are very warm and loving. I was overwhelmed with their response towards our show and especially my character. It is a moment of pride when you hear people appreciate your work. I promise to give my best shot in each performance and live up to their expectation.”


Playing such a difficult character with heavy costume has its own challenges, especially if the head-gear is as heavy as five-kilos. The prop is clipped to his hair, a process that takes him 45 minutes, but the actor prefers looking at the brighter aspect of it, “I love the character. I have no option but take it with a smile or at least try. But I won't deny it can get daunting at times and really painful. But am not complaining because a true actor is defined by the roles he plays and the challenges that he overcomes.”
Not only the audience in Chandigarh is appreciating Aarya’s stint as Raavan in the show, but the people all over are amazed with his performance. Renowned celebrities from Bollywood have also been admiring AaryaBabbar’s avatar as Raavan. His appearance in the upcoming episode will leave the viewers’ mesmerised.
So don’t miss to catch the phenomenal performance of AaryaBabbar as Raavan in the show SankatMochanMahabali Hanuman from Monday to Friday at 8pm only on Sony Entertainment Television

Why you should care about “Be Safe Online”


Chandigarh,  May 15th Friday 2015 (Kulbir Singh Kalsi):It is 2015. Even as cyber criminals adopt advanced tools and technologies, individuals and businesses continue to lag behind even in the basics. This gap is driving massive ransomware and extortion campaigns, leaving most people at the mercy of criminals. The situation is worrisome.


DSD InfoSec, a local Information Security startup formed to combat this problem - have announced their SkySight product designed to provide realtime visibility to attacks & attackers and aid better defense. SkySight is a unique combination of a network sensor, a cloud-based Security Information & Event Management system and a mobile Security Operations Console.

-Enthusiast Team members of  DSD InfoSec, at the press conference getting their photo shot during the press meet Chandigarh press club. 


On the community front last year, Chandigarh Chapters of NULL and OWASP started the Be Safe Online program designed to empower people with safe online behaviours; to spread awareness and equip people with the necessary skills. More than a dozen talks have been held on Online Safety related subjects. Several technical sessions on secure coding are also being conducted on a regular basis for IT companies of the region under this program.

This year, this program has been strengthened by Global Shapers Chandigarh Hub (GSC) and DSD InfoSec. GSC plans to increase the reach and adoption of this program through its campaigns in schools and colleges. Meanwhile, DSD have developed a mobile app Be Safe Online (available on Android and iOS) for the program. Released today, this free app gives people access to carefully curated security tips. Users can also share these tips on social media; as well as seek security advice from a team of experts from NULL/OWASP and DSD.

As the world's focus on cyber security increases, initiatives like this could propel Chandigarh as a leader in Information Security, and result in increased business to local IT as well as non-IT companies. 
About DSD InfoSec

Started by a group of fresh grads and led by industry veterans, DSD's vision is to make the online world safer by developing affordable and super-simplified cutting-edge

security products for use by individuals and small businesses. DSD's SkySight is the first such product out of their stable.
About Global Shapers Community

The Global Shapers Community is a network of Hubs developed and led by young people who are exceptional in their potential, achievements and the drive to make a contribution to their communities. The Chandigarh Hub, formed in 2014, has already earned a solid reputation by winning the CocaCola “Shaping a Better Future” contest and taking up a number of inspirational projects such as BloodDonor.Me, REMobilize, I Break My Silence and Be Safe Online. 
About NULL
NULL is India's largest and most active security community. Registered as a non-profit society in Pune in 2010, NULL mission is to spread information security awareness. NULL is open, professional, inclusive, responsible and completely volunteer-driven.
About OWASP
The Open Web Application Security Project (OWASP) is a worldwide not-for-profit charitable organization focused on improving the security of software. OWASP mission is to make software security visible, so that individuals and organizations worldwide can make informed decisions about true software security risks. 
Shorter version (150 words)
Today, DSD InfoSec, a local Information Security startup have announced their SkySight product as a better way to defend against modern cyber-crime. Designed to provide realtime visibility to attacks & attackers and aid better defense, SkySight is a unique combination of a network sensor, a cloud-based Security Information & Event Management system and a mobile Security Operations Console.
As a part of their community effort, DSD and Global Shapers Chandigarh Hub have also joined hands with non-profits NULL and Open Web Application Security Project (OWASP) Chandigarh
Chapters to promote their Be Safe Online program. This program is designed to help people adopt safe online behaviours. So far, more than a dozen talks on Online Safety have been held by the community volunteers in this program. While DSD has donated to the program, a mobile app that provides security tips, GSC will drive adoption through its campaigns in schools and colleges.

रसूकदार पार्टी में संस्कृति का हरण, नशा और डांसर के आगोश में बीती रात!

 "ये सच है कि कल एक अजीज और पारिवारिक मित्र भी कह सकते....उनकी शादी में गया था, जहां म्युजिकल डांस प्रोग्राम भी था। सबको हिदायत दी गई थी कि सभी शांति और सभ्यता से डांस देखेंगे, लेकिन कुछ नवयुवकों ने अपना आपा खो ही दिया और बस फिर क्या था?


धन की वर्षा होने लगी.... ये बालाऐं नाच रहीं थी और 10 से लेकर 100, 500 और 1000 रुपये के नोट इनके सर से सरकते हुऐ अंग-अंग को छूकर चरणों में गिर रहे थे। धन की रानी तो कल ये ही बन गई थी।
मैं इनका डांस तो देख रहा था... पर उससे ज्यादा मैं बहुत सारे चिरपरिचितों की भाव भंगिमाएं भी पढ रहा था। मुझे आश्चर्य और आनंद तब आ रहा था, जब मैं ऐसे नौजवानों को देख रहा था जो दिन में मेहनत -मजदूरी करते हैं तब उनके परिवार का भरण-पोषण होता हैं, लेकिन इन बालाओं को देखकर वो देवदास की तरह लट्टू हुए जा रहे थे।

मैं उस वक्त ही मनन कर रहा था कि वास्तव में देश में पैसे की कमी है भी या नहीं?? जिस तरह से यहां आज पैसा उड रहा हैं उससे तो यही लग रहा है इस पैसे की कोई कीमत नहीं है!
मैने पिक बहुत सी निकाली हैं...दो छोटी क्लिप के वीडियो भी बना डाले हैं लेकिन किसी का चेहरा पब्लिश करना गुनाह है और मै ऐसा गुनाह क्यूं करूं लेकिन जो भी हो रहा था... वो अनुशासन तोडकर हुआ। स्टेज में इंहीं बालाओं के साथ नाचकर लुत्फ उठाया गया।

बेशक नाचिए! आनंद लीजिए! लेकिन इतनी सी प्रार्थना है कि ये ही दिलदारी गरीबों और भूखे व्यक्तियों, जरूरतमंद लोगों के लिए बनाए रखिए, जहां आपके पैसे का सदुपयोग हो सके और दुआएं मिल सकें.... नहीं तो ये यूपी-बिहार लूटकर ले ही जाएगी।
खैर! मैं कुछ देर बाद वापस हो लिया और प्रोग्राम तो रात भर चला, लेकिन जितना जानना था वो जान लिया। इसको कहते हैं “काजल की कोठरी”।

अब काजल की कोठरी की कहावत मुझ पर चरितार्थ कर सकते हैं। लेकिन मुझे जो लिखना था वो लिख दिया और कल सोच रहा था बेरोजगारी, किसानों की परेशानी और नवयुवकों का भविष्य मेरा अपना अनुभव है। एक आंदोलन करना हो तो कम लोग ही आते हैं और बार-बार प्रेरणा देना पडता है... पर ऐसे कार्यक्रमों में बिन बुलाए मेहमान भी आकर लुत्फ उठा लेते हैं और उन्हें आनंद भी बहुत मिलता है।"

सौरभ द्विवेदी 




सौरभ द्विवेदी की फेसबुक वाॅलपोस्ट से।
सौरभ द्विवेदी एक स्वतंत्र लेखक है।

Wednesday, May 13, 2015

10th Habitat Film Festival showcasing the best Indian films



Prembabu Sharma​



New Delhi: The 10th India Habitat Film on 5th day films screened like Malayalam movie Negaulukal directed by Avira Rebecca, Assamese movie Adomya directed by Bobby Sharma Barauah and Hindi movie Sadma directed by Balu Mahendra. Besides, the film director of Negaulukal Avira Rebecca also interacted with audience and shares his views on film.



Also an exhibition titled ‘Rhythm, Raga and Melody’ in collaboration with National Film Archive of India, Pune  at the Convention Center Foyer,IHC showcasing exhibition of around 90 films posters highlights the contribution of music in Hindi Cinema.

On 6th day of India Habitat Film Festival, films will be screening  like Ek Hazarchi Note (Marathi) directed by Shrihari Sathe, Quolf (Kashmeri) directed by Ali Emran and Hindi movie Sagar directed by Ramesh Sippy.”

Tuesday, May 12, 2015

... और जब 'आजतक' के वरिष्ठ एंकर पुण्य प्रसून वाजपेयी से भिड़ गए मेरे "मुजफ्फरनगरी" मित्र !!

     बात उन दिनों की है जब हम भास्कर न्यूज की लाॅचिंग की तैयारी में जुटे हुए थे। उस वक्त हमारा आशियाना इंद्रापुरम में हुआ करता था। रविवार का दिन था...मुजफ्फरनगर के रहने वाले मेरे दो घनिष्ठ मित्र प्रमोद मलिक और अब्दुल बारी का अचानक फोन आया कि वो भी नोएडा-गाजियाबाद आए हुए हैं और मुझसे मिलना चाहते हैं। मैं उस वक्त ओरेंट काउंटी अपोर्टमेंट के पास एक मार्केट में था तो मैने उन्हें भी वहीं पर बुला लिया।

...And Punya Prasun Vajpayee clashed with my rustic friend_khabrilal News
Parmod Malik

     उन्होंने अपनी कार को मार्केट के मुख्य रास्ते पर खड़ी कर दी और उसके अंदर बैठकर बतियाने लगे, जबकि मैं उस वक्त दुकान से शायद कुछ खरीददारी करने में मशगूल था। आपको ज्ञात हो कि वेस्ट यूपी के मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत और बिजनौर में “खड़ी बोली” (भाषा) बोली जाती है, जिसे “कौरवी भाषा” कहा जाता है। चूंकि मेरे ये दोनों महानुभव दोस्त मुजफ्फरनगर के गांव से ताल्लुक रखते हैं तो जाहिर है कि इनकी भाषा भी उसी तरह की खड़ी ही होगी।


...And Punya Prasun Vajpayee clashed with my rustic friend_khabrilal News
Abdul Bari
     इसी बीच पीछे से गोल्डन कलर की आॅल्ड माॅडल होंडा सिटी कार आई। चूंकि मार्केट का रास्ता बेहद संकरा था तो होंडा सिटी कार को निकलने के लिए जगह नहीं मिली। कार चालक बार-बार हाॅर्न दिए जा रहा था, जबकि मेरे ये दोनों महानुभवी दोस्त अपनी मस्ती में मस्त थे। जब लगातार हाॅर्न बजता रहा तो दोनों का पारा अचानक चढ़ गया और कार को साइड में लगाने के बजाए होंडा सिटी कार चालक से भिड़ने के लिए उतरने लगे....तभी अचानक मेरी नजर होंडा सिटी कार की ड्राईविंग सीट पर गई तो मुझे चेहरा कुछ जाना-पहचाना सा लगा। ध्यान से देखने पर मैने वो चेहरा पहचान लिया...वो कोई और नहीं बल्कि 'आजतक' चैनल के वरिष्ठ एंकर एवं एक्जीटिव एडिटर पुण्य प्रसून वाजपेयी थे।

...And Punya Prasun Vajpayee clashed with my rustic friend_khabrilal News
Punya Prasun Bajpai

     इससे पहले मैं कुछ समझ पाता उससे पहले ही मेरे दोनों इन महानुभव दोस्तों ने अपनी कार को आगे कर साइड में लगाया...और “कुछ” करने के मकसद से गालियां भांजते हुए नीचे उतरने लगे। पुण्य प्रसून वाजपेयी उनकी मंशा को अच्छी से भांप गए थे। वो भी अपनी होंडा सिटी कार को साइड में खड़ी करके “दो-दो” हाथ करने के मकसद से नीचे उतर गए। ये देखकर मैंने अपना सिर पीटा और तुरंत ही उनकी तरफ लपका। उससे पहले पुण्य प्रसून वाजपेयी ड्राईविंग सीट की तरफ बैठे अब्दुल बारी से बात करने लगे, जबकि दूसरी तरफ से प्रमोद मलिक बड़े ही तैश में बड़बड़ाते हुए कार से उतरा और मगर तब तक मैं वहां पहुंच चुका था।
     इससे पहले कि उनके बीच “कुछ” होता, मैने पुण्य प्रसून वाजपेयी को अपना परिचय दिया और साथ ही उन्हें ये भी बताया कि वो दोनों मुजफ्फरनगर के रहने वाले मेरे दोस्त हैं, जो कि मुझसे मिलने आए हैं। शायद वो भी “मुजफ्फरनगर” का नाम सुनकर समझ गए कि उनकी कोई गलती नहीं है। बिना कुछ सवाल-जवाब किए ही मंद-मद मुस्कुराते हुए अपनी कार में सवार होकर चले गए।

     फिर मैंने अपने उन महानुभव दोस्तों को समझाया कि भाई जिनसे आप भिड़ने जा रहे थे वो मीडिया के दिग्गज हस्तियों में से एक हैं। लेकिन उनकी समझ में नहीं आया तो मैंने उन्हें समझाया कि वो बड़े पत्रकार है....बड़े “सामान” हैं तो उनकी समझ में आया। तब अब्दुल बारी बोला कि हां, यार मैं भी तो कहूं। ये आदमी कुछ-कुछ देख्खा सा लगरा था। पर याद नहीं आया कौण था।

     खैर, मैंने “भरत” मिलाप के बाद दोनों को मुजफ्फरनगर के लिए विदा कर दिया। उसी रात करीब 10 बजे मेरे पास अब्दुल बारी का फोन आता है और कहता है कि “भाई आप सही कह रहे थे। हम जिस्से भीड़ रहे थे वो तो आजतक पर आरा है।” ये सुनकर मैं बहुत हंसा। शायद उस वक्त आजतक पर किसी मुद्दे पर डिबेट चल रही थी, जिसको पुण्य प्रसून वाजपेयी लीड कर रहे थे।

"वो देती रही दुहाई...करती रही मिन्नतें...जोड़ती रही हाथ...लेकिन

सोशल साइट फेसबुक और व्हाट्स एप्प पर एक वीडियो वायरल हुआ है। इस वीडियो में कुछ लड़के प्रेमी युगल की बेरहमी से पिटाई करते नज़र आ रहे हैं। हालांकि ये कहना मुश्किल है कि लड़का-लड़की कौन हैं और इस वीडियो को कहां फिल्माया गया है? मगर वीडियो देखकर सहज ही अंदेशा लगाया जा सकता है कि वीडियो को उन्हीं आरोपी युवकों में से एक द्वारा फिल्माया गया है, जो बार-बार ये कहता सुनाई पड़ रहा है कि मनमर्जी नहीं करने दिए जाने पर वीडियो को व्हाट्स एप्प पर डाल दिया जाएगा।


वो कसम खाती रही, मिन्नतें करती रही। भगवान की दुहाई देती रही...लेकिन उन दरिंदों को उस पर जरा भी तरस नहीं आया। अपने पे्रमी को बचाने के लिए वो उसकी ढाल बनी रही, उसके ऊपर पड़ने वाले हर लात-घूंसे को वो अपने ऊपर लेती रही। पीट-पीटकर दोनों को अधमरा कर दिया। प्रेमी भी हाथ जोड़कर छोड़ने की गुहार करता रहा, मगर जैसे उनके सिर पर शैतान सवार था। रह-रहकर वो बहाने से लड़की के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे।


बदमाश लड़कों ने इस युगल के साथ जो किया वो किया ही, साथ ही जो धमकी दी थी उसे भी पूरा कर दिया। वीडियो में लड़की के साथ जिस हैवानियत के साथ बदसलूकी और मारपीट की गई है, उसे देखकर तो इंसानियत भी शर्मसार हो जाएं। प्रेमी को पीट-पीटकर जमीन पर लिटा दिया गया, जबकि हाथ जोड़कर मिन्नतें कर रही लड़की को बदमाश लड़के लगातार पीट रहे हैं।

दिल्ली में एक महिला को ईंट मारे जाने के मामले का वीडियो बना और आरोपी सिपाही को वो सजा दी गई, जिसके बारे में कभी उसने सपने में भी नहीं सोचा होगा, लेकिन इस वीडियो को बनाया भी उन लड़कों ने ही जिन्होंने ऐसी तुच्छ हरकत को अंजाम दिया और फिर उसे सोशल साइट्स पर भी वायरल कर दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसे हैवानों को कब और कैसे सजा मिले। 

Monday, May 11, 2015

जगजीत सिंह की फैंन हॅू: जेनीवा रॉय

प्रेमबाबू शर्मा, दिल्ली

जेनीवा रॉय भारत की एकमात्र ऐसी गजल सिंगर हैं जिन्होंने गजल गायिकी के क्षेत्र में देश-विदेशों में ना केवल महारथ हासिल की.. बल्कि उनकी गजलों की एलबम ‘एहसास प्यार का’ और ’सोचते-सोचते’ को संगीत प्रेमियों की गैलिरी में पसंद और प्यार-दुलार खूब मिला खनकदार आवाज की मल्लिका, प्रतिभा सम्पन्न और समर्पित भावना से ओतप्रोत युवा गजल गायिका जेनीवा रॉय मरहूम गजल मैस्ट्रो जगजीत सिंह की गजल गायिकी से बेहद प्रभावित हैं। शायद इसीलिए उन्होंने ढेर सारे एक्टिंग और प्लेबैक सिंगिंग के ऑफर ठुकरा कर ‘फीमेल जगजीत सिंह’ बनने का नारा बुलंद किया है। पिछले दिनों जेनीवा रॉय से उनकी नई म्यूजिक एलबम ‘संगदिल’ की म्यूजिक सिटिंग्स पर मुम्बई में मिला। यहाँ प्रस्तुत हैं उनके कैरियर और भावी योजनाओं को लेकर अंतरंग बातचीत के महत्वपूर्ण अंश


’आपकी  गजलों की एलबम "एहसास प्यार" का  और  "सोचते-सोचते" को गजल प्रेमियों के बीच कैसा रिस्पांस मिला ?

मैं अपने आपको बहुत खुशकिस्मत मानती हूँ कि अब जब न्यू जनरेशन  की गैलेरी में म्यूजिक की शक्ल बिलकुल अलग-थलग  हो गईं है ऐसे में मेरी दोनों एलबमस को अच्छा खासा रिस्पांस म्यूजिक लवर्स में मिला और तो और मुझे गल्फ कंट्रीज में बहुत मान सन्मान मिला कई प्रेस्टीजिस एवार्ड्स के लिये भी नॉमिनेट हुई।

’आपने तो काफी सालों से अलग अलग मिजाज की गजलों को सुना-गुना हैं... आपकी अपनी राय में गजलों में क्या विषेशता होती है?

मैंने तो हमेशा से ही देखा है कि गजलों की कॉम्पोजिशन के साथ साथ दिल को झंकृत करने वाले कलाम यानि लिरिक्स का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। शायद यही वजह है कि उन गजल गायकों को सफलता नहीं मिली जिन्हें शायरी, पोएट्री की नोलॉज नहीं  है।

क्या आपने इस यूएसपी को अपनी एलबमस में अपनाया है?

यकीनन क्योंकि मैं अच्छी तरह से जानती हूँ कि गजलों की सोल (आत्मा) लफ्जों की अदायगी है वो उन्हें लोकप्रिय बनाने में कितना बड़ा पार्ट निभाती है। इसलिए मैंने अपनी दोनों एलबम्स में शायरों के चयन का विशेष ध्यान रखा है "एहसास प्यार का" में दुबई के मशहूर शायर सैयद अब्बू वाकर मलिकी, "सोचते-सोचते" में नक्श लायलपुरी को लिया और अब मेरी नई एलबम "संगदिल" में मुन्नवर राणा और नवाब आरजू ने गजलें लिखी हैं।


आप भारत की पहली महिला गायिका है...जो फीमेल जगजीत सिंह बनने का बीड़ा उठाए हुए हैं आखिर उसकी क्या वजह है? क्या आपकी गजल गायिकी में वो विशेषताएं है जिनके लिए उनका बिलकुल अलग मुकाम अब तक है?

जी हाँ... कुदरतन मुझ में वो सारी खूबियाँ है जिनकी वजह से जगजीत सिंह गजलों के बादशाह कहलाए मैं ऐसा समझती हूँ कि चूँकि जगजीत सिंह मेरे रोल मॉडल उस समय से रहे जबकि मैं उनकी गजलों से गहरी पैठ बना रही थी। उनकी गायिकी के गुण जैसे आवाज का सही मात्रा में उतार चढाव, कलाम के मर्म को समझकर लफ्जों की अदायगी, सुरों में संतुलन आदि मुझमें स्वाभाविक रूप से उतरता चला गया। इसी तारतम्य में दुबई के 'दुबई क्लब' में आयोजित ‘गजल तुम्हारी आवाज मेरी’ प्रोग्राम में जब मैंने अपने गजलों के आराध्य की गाई गजल 'अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको'....को परफॉर्म किया तो...ऑडियन्स ने मुझे किसी दूसरे फनकार की गजलें गाने ही नहीं दिया। प्रोग्राम की कुछ लिमिटेशन थी। मेरे प्रोग्राम के बाद बॉलीवुड के एक नामचीन सिंगर का परफॉर्मेन्स होना था मगर ऑडियंस की डिमांड्स पर मैं रात भर जगजीत सिंह की गायी गजलें गाती रही। दुबई बहरीन, मॉरीशस आदि देश-विदेशों में मुझे गजल सिंगर के  तौर पर बम्फर रिस्पांस मिला। बस तभी से मैंने फीमेल जगजीत सिंह बनना जिन्दगी का मकसद बना लिया।

’क्या आपको अपने रोल मॉडल से रूबरू होने का मौका मिला?

आपने मेरी दुखती रग पर हाथ रख दिया। हम साथ-साथ काम करने वाले थे दरअसल मै उन्हें अपनी ड्रीम फिल्म ‘मेरी गजल’ में बतौर म्यूजिक डायरेक्टर साइन करना चाहती थी मीडिया पर्सनेलिटी सतीश कँवल और मशहूर शायर-गीतकार नक्श लायलपुरी के मार्फत सब कुछ तय हो गया था इसी बीच मैं टूर पर निकल गई। और जब इण्डिया लौटी तो खबर मिली कि जगजीत सिंह नहीं रहे...मैं हतप्रभ रह गई और मेरा दिव्यास्वप्न चूर हो गया खैर अब अपना मकसद पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं रखूंगी

’आपकी नई गजल एलबम ‘संगदिल’ के बारे में बताइये। क्या तैयारियां चल रही हैं? यह किस तरह की एलबम है?

मेरी बेहतरीन गजलों की नई एलबम ‘संगदिल’ कैरियर के पड़ाव में बहुत अहम् है। इस एलबम में आज के दौर की रोमांटिक शायरी है अदब का खास ध्यान रखते हुए मुन्नवर राणा और नवाब आरजू ने सरल शब्दों में ह्रदय पर गहरी छाप छोड़ देने वाली गजलें कही है। जिन्हें नौशाद अली साहब ने बहुत ही उम्दा संगीतबद्ध किया है मुझे यकीन है कि यह एलबम सबको पसंद आएगा।

सुनने में आया है कि आपने कुछ बंगाली फिल्मों में अभिनय भी किया है तो क्या अभिनय और गायन का सफर साथ-साथ जारी रखेगी?

-हाँ.. कुछेक बंगाली फिल्मों में लीडिंग हीरोइन के रोल्स किये हैं। बहुत अच्छा रिस्पांस भी मिला है। कई बड़े ऑफर्स भी आये हैं... मगर मैंने एक्टिंग के सारे ऑफर ठुकरा दिए हैं। बतौर अभिनेत्री ‘खशबू’ मेरी आखिरी फिल्म है मैं अब एकचित होकर गजल गायिकी पर ही काम  करुँगी।