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Wednesday, April 29, 2015

लाडलों को न दें "मौत का सामान"!

  • - छात्रों की मौत का कारण बन रहे दुपहिया वाहन!
  • - सैंकड़ों छात्र-छात्राएं गंवा चुके हैं अपनी जिंदगी!

अमित सैनी।
अभिभावक अपने लाड़लों को हाईस्पीड बाइक के रूप में 'मौत का सामान' न दें, क्योंकि अब तक न जाने कितने दुपहिया वाहन सवार छात्रों की जिंदगी को डोर टूट चुकी है। आंकड़े साक्षी हैं कि सुरक्षा मानकों को धता बताकर सड़कों पर राईडिंग करने वाले नौजवानों की मौत का कारण दुपहिया वाहन ही हैं।




यातायात पुलिस लोगों को सड़क के नियमों को फोलो करने की हिदायत देते-देते थक चुकी है। 'जल्दी से देर भली', 'हेलमेट जरूर लगाएं', 'दुपहिया वाहनों पर दो से अधिक न बैठें', 'बिना लाइसेंस वाहन न चलाएं'... आदि स्लोगनों के जरिए विभाग वाहन चालकों को चेताते रहते हैं। बावजूद इसके इस ओर कोई ध्यान नहीं देता। अब तो स्कूल-कॉलेज में छात्र-छात्राओं का बाइक-स्कूटर आदि से जाना फैशन बन गया है। 

पब्लिक स्कूल हो या सरकारी.... बाइक और स्कूटर खड़े करने की जगह नहीं है। छोटी उम्र में ही अभिभावक अपने बच्चों को दुपहिया वाहन दे रहे हैं। 125 से लेकर 250 सीसी की बाइकें लेकर नौनिहाल सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिनमें से अधिकांश के पास न लाइसेंस हैं और न ही वें हेलमेट लगाते हैं। नियम-कानून की धज्जियां उड़ाने वाले छात्र हादसों का शिकार बन रहे हैं। 

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Wednesday, April 29, 2015

लाडलों को न दें "मौत का सामान"!

  • - छात्रों की मौत का कारण बन रहे दुपहिया वाहन!
  • - सैंकड़ों छात्र-छात्राएं गंवा चुके हैं अपनी जिंदगी!

अमित सैनी।
अभिभावक अपने लाड़लों को हाईस्पीड बाइक के रूप में 'मौत का सामान' न दें, क्योंकि अब तक न जाने कितने दुपहिया वाहन सवार छात्रों की जिंदगी को डोर टूट चुकी है। आंकड़े साक्षी हैं कि सुरक्षा मानकों को धता बताकर सड़कों पर राईडिंग करने वाले नौजवानों की मौत का कारण दुपहिया वाहन ही हैं।




यातायात पुलिस लोगों को सड़क के नियमों को फोलो करने की हिदायत देते-देते थक चुकी है। 'जल्दी से देर भली', 'हेलमेट जरूर लगाएं', 'दुपहिया वाहनों पर दो से अधिक न बैठें', 'बिना लाइसेंस वाहन न चलाएं'... आदि स्लोगनों के जरिए विभाग वाहन चालकों को चेताते रहते हैं। बावजूद इसके इस ओर कोई ध्यान नहीं देता। अब तो स्कूल-कॉलेज में छात्र-छात्राओं का बाइक-स्कूटर आदि से जाना फैशन बन गया है। 

पब्लिक स्कूल हो या सरकारी.... बाइक और स्कूटर खड़े करने की जगह नहीं है। छोटी उम्र में ही अभिभावक अपने बच्चों को दुपहिया वाहन दे रहे हैं। 125 से लेकर 250 सीसी की बाइकें लेकर नौनिहाल सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिनमें से अधिकांश के पास न लाइसेंस हैं और न ही वें हेलमेट लगाते हैं। नियम-कानून की धज्जियां उड़ाने वाले छात्र हादसों का शिकार बन रहे हैं। 

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