- टीईसी द्वारा की गई पाबंदी की सिफारिश कृषि विरोधी: नौ जवान किसान क्लब
- बॉयोटैक उत्पादन और ग्रामीण संपन्नता बढ़ाने में सहायक
चंडीगढ़,
:: हम नौ जवान किसान क्लब, पंजाब का एक प्रमुख किसान संगठन सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक छह सदस्यीय तकनीकी विशेषज्ञ समिति द्वारा भारत में सभी बॉयोटैक फसलों के फील्ड परीक्षणों संबंधरी रिसर्च के 10 वर्षीय फ्रीज की सिफारिश से बेहद निराश हैं और ये सिफारिशें पूरी तरह से किसान विरोधी हैं।
पूरे विश्व के किसान कई कदम आगे बढ़ चुके हैं। वे अब बिजाई के लिए नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों से तैयार बीजों को प्राप्त करते हैं। ये वो बीज हैं जिन्हें हानिकारक कीटों से पूरी तरह सुरक्षा प्राप्त है। अन्य बीज पौधे को खरपतवार और अन्य जड़ों आदि से सुरक्षित होते हैं और ये किसानों को प्रभावी ढंग से खरपतवारों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। बीजों पर हर्बीसाइड के छिड़काव से भी वे एक स्वस्थ फसल के तौर पर बनी रहती हैं। वहीं ये बीज कम पानी पर फसल को अच्छे से पकने देते हैं, खाद की कम खपत लेते हैं और नाइट्रोजन को अधिक कुशलता से उपयोग में लाते हैं, जो कि आजकल के बदलते पर्यावरण, तेजी से बदले वाले मौसम, सिंचाई की कमी और मिलावटी खाद की आपूर्ति के समय काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
नौ जवान किसान क्लब के अध्यक्ष श्री करनैल सिंह ने कहा कि हम फसलों के उत्पादन के संबंध में कई सारी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिनमें कृषि श्रमिकों की कमी, श्रमिकों पर आने वाला अधिक खर्च, कीट, खरपतवार, रोग, पानी की कमी और न्यूट्रीटेंड की उपलब्धता आदि प्रमुख हैं। बॉयोटैक्नोलॉजी और जीएम फसलों से हम कुछ पसंदीदा विकल्प मिल सकते हैं। तकनीकी विशेषज्ञ समिति की 10 साल पाबंदी की सिफारिश पूरी तरह से किसान विरोधी है। हमें बॉयोटैक्नोलॉजी की जरूरत है। हम चुनने का अधिकार और कृषि करने की स्वतंत्रता चाहते हैं। हमारा सुप्रीम कोर्ट में पूरा विश्वास है जो कि किसानों के हित में ही फैसला करेगा, जिन्हें अपनी फसल उत्पादकता और व्यक्गित आर्थिक संपन्नता बढ़ाने के लिए नई तकनीकों की जरूरत है। पदमश्री जगजीत सिंह हारा ने कहा कि टीईसी ने जिस प्रतिबंध की सिफारिश की है वो किसानों के हितों के विरुद्ध है।
पंजाब यूनीवर्सिटी के बॉटनी विभाग के पूर्वाध्यक्ष एवं वियात कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर आई. एस. दुआ ने कहा कि बीते 10 वर्ष में बीटी कॉटन के बीजों के उपयोग, जो कि भारत में एकमात्र स्वीकृत तकनीक है, हमारा कपास उत्पादन दोगुणा हो गया है, कीटनाशकों की खपत कम हो गई है और हम बॉलवोस को नियंत्रित करने के लिए कहीं कम कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं, जो कि कपास की फसल पर हमला करने वाला मुय कीट था, इस से हम अपना उत्पादन में होने वाला नुक्सान कम करने में सफल रहे हैं। इससे ग्रामीण श्रमिकों के लिए अधिक रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं, जिससे हमारे गांवों का माहौल भी बेहतर हुआ है। किसानों की आय बढ़ाने के अलावा हमारी और हमारी परिवारों की जिंदगी भी बेहतर हुई है। हम करीब 1 हजार हाईब्रिड बीटी कॉटन बीजों के करीब पहुंच चुके हैं। हमें और तकनीकें चाहिए और अपनी फसलों के लिए अपने पसंदीदा बीजों के और विकल्प चाहिएं।
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