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Monday, October 8, 2012

बाइक सिखाने के पीछे छिपा था शैतानी चेहरा


-पोल खुलने के डर से दिया दोहरे हत्याकांड के अंजाम

अमित सैनी, मुजफ्फरनगर।
मुजफ्फरनगर के छपार कस्बे में घटित हुए सनसनीखेज और हौलनाक दोहरे हत्याकांड के पीछे आरोपियों का मकशद कुकर्म ही था। लेकिन किशारों के भारी विरोध और पोल खुलने के डर से आरोपियों ने उनको मौत के घाट उतार दिया। आरोपी मृतकों को बाइक सिखाने के बहाने जंगल में ले गए थे। जिनको ले जाते हुए एक ग्रामीण ने देख लिया था। 
छपार निवासी १२ वर्षीय आमिर पुत्र मुदा और १३ वर्षीय साकिब पुत्र मंगता उर्फ इमरान पिछले तीन-चार दिन से गांव में जोहड़ की रखवाली करने वाले मुर्सलीन के बेटे साहिम से बाइक चलाना सीख रहे थे। एसओ छपार संजय गर्ग ने बताया कि परिजनों के डर से दोनों शनिवार सुबह जंगल से चारा और लकड़ी चुनने का बहाना बनाकर घर से निकले थे। बीच रास्ते में साहिम उनको बाइक लिए मिले, जो पहले उन्हें पड़ौसी गांव खुड्डा के जंगल में ले गया। योजनाबद्ध तरीके से साहिम के तीन दोस्त बुड़ीना खुर्द निवासी अरशद, बहेड़ी निवासी जान मौहम्मद और सुजडू निवासी राकिब भी उनको जंगल मिले। यह लोग दोनों को थाने के पीछे आशू पुत्र इसराइल के खेत में ले गए और दोनों के साथ कुकर्म किया। हालांकि दोनों ने भारी विरोध किया, लेकिन आरोपियों ने उनके हाथ-पैर बांधकर घटना को अंजाम दिया और फिर पोल खुलने के डर से दोनों की हत्या कर दी। आमिर के पेट में दरांती गड़ा दी, जो पेट में ही फंसी रह गई। जबकि साकिब के उसी के बनियान से फांसी लगाकर मारा गया। वारदात के बाद चारों आरोपी वहां से फरार हो गए। सुबह घटना का खुलासा उस समय हो सका, जब खेत मालिक आशू पानी चलाने खेत में पहुंचा और वहां दोनों बच्चों के शव पड़े देखे।

सजग होती पुलिस तो बच सकती थी दोनों की जान

किशारों के रहस्यमय परिस्थितियों में गायब होने के तीन घंटे बाद ही परिजनों ने पुलिस को सूचना दे दी थी। लेकिन पुलिस ने मामले को हल्के में लिया और दोनों किशोरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। यहीं कारण रहा कि पुलिस को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा।
मासूम आमिर और साकिब घर से लगभग दस बजे निकले थे। दोनों १२ बजे भी वापस नहीं लौटे तो परिजनों को चिंता सताने लगी और दोनों को हर संभंव ठिकानों पर तलाश किया, लेकिन जब दोनों का कहीं कोई अता-पता नहीं चल सका तो करीब एक बजे परिजन छपार थाने पहुंचे और शिकायत कर उनको तलाश करने की गुहार लगाई। पुलिस ने मामले को हल्के में लेते हुए परिजनों से यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि कहीं घुमने चले गए होगें, घूम-फिर कर शाम तक लौट आएगें। जिस पर वह वापस लौट गए। इसी दौरान छपार बस स्टैंड पर सेब बेचने वाले मुखलतीब ने उनको बताया कि दोनों बच्चों को उसने साहिम के साथ बाइक पर घूमते हुए खुड्डा के जंगल में देखा है। परिजन एक बार फिर से पुलिस के पास पहुंचे और मामले से अवगत कराया। लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी। देर रात करीब डेढ़ बजे परिजनों ने साहिम को दबोच लिया और ग्राम प्रधान के घर पर उससे पूछताछ की, लेकिन उसने कुछ नहीं बताया। पुलिस को भी सूचना दी गई, मगर पुलिस नहीं पहुंची तो परिजन गुपचाप बैठ गए। सुबह शव मिले तो परिजनों की आशंका पर साहिम को पुलिस ने उठाया और सख्ताई से पूछताछ की। जिसने थोड़ी ही देर में तोते की मानिंद सबकुछ उगल दिया। पुलिस की कार्य प्रणाली से क्षुब्ध लोगों ने हाइवे जाम कर अपना रोष प्रकट किया। जिसका सामना तीखी झड़प के रूप में पुलिस को करना पड़ा।

भावुक हुए एसपी सिटी, खेत से खुद उठाकर लाए शव

मौके पर पहुंचे एसपी सिटी राजकमल यादव मासूमों की निर्दयता से की गई हत्या से इतने भावुक हुए कि वह खुद ही कीचड़ भरे खेत में घुस गए। खुद ही शव को दोनों हाथों में उठाकर खेत से बाहर आए। हालांकि इसी दौरान उनको खबर मिली कि गुस्साएं लोगों ने हाइवे पर जाम लगा दिया है। जिसके चलते वह हाइवे स्थित जाम स्पॉट पर जा पहुंचे। भारी विरोध के बाद पुलिस ने पंचनामें भरकर दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए।

रोती-बिलखती रही दोनों की मां

दोनों किशारों की हत्या की खबर मिलते ही उनके परिजनों में हड़कंप मच गया। आमिर की मां फैमिदा और साकिब की मां नईमा बदहवाश सी रोती-बिलखती मौके पर जाने की ओर दौड़ पड़ी। दोनों का रो-रोकर बुरा हाल था। दोनों के अंदर गुस्से का गुबार उस समय फूट पड़ा, जब महिला पुलिस उनको ढांढस बंधाने लगी। हाइवे पर पहुंचकर दोनों सड़क पर बैठ गई। पुलिस और ग्रामीणों ने उनको उठाने का प्रयास भी किया, लेकिन वह नहीं मानी।

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Monday, October 8, 2012

बाइक सिखाने के पीछे छिपा था शैतानी चेहरा


-पोल खुलने के डर से दिया दोहरे हत्याकांड के अंजाम

अमित सैनी, मुजफ्फरनगर।
मुजफ्फरनगर के छपार कस्बे में घटित हुए सनसनीखेज और हौलनाक दोहरे हत्याकांड के पीछे आरोपियों का मकशद कुकर्म ही था। लेकिन किशारों के भारी विरोध और पोल खुलने के डर से आरोपियों ने उनको मौत के घाट उतार दिया। आरोपी मृतकों को बाइक सिखाने के बहाने जंगल में ले गए थे। जिनको ले जाते हुए एक ग्रामीण ने देख लिया था। 
छपार निवासी १२ वर्षीय आमिर पुत्र मुदा और १३ वर्षीय साकिब पुत्र मंगता उर्फ इमरान पिछले तीन-चार दिन से गांव में जोहड़ की रखवाली करने वाले मुर्सलीन के बेटे साहिम से बाइक चलाना सीख रहे थे। एसओ छपार संजय गर्ग ने बताया कि परिजनों के डर से दोनों शनिवार सुबह जंगल से चारा और लकड़ी चुनने का बहाना बनाकर घर से निकले थे। बीच रास्ते में साहिम उनको बाइक लिए मिले, जो पहले उन्हें पड़ौसी गांव खुड्डा के जंगल में ले गया। योजनाबद्ध तरीके से साहिम के तीन दोस्त बुड़ीना खुर्द निवासी अरशद, बहेड़ी निवासी जान मौहम्मद और सुजडू निवासी राकिब भी उनको जंगल मिले। यह लोग दोनों को थाने के पीछे आशू पुत्र इसराइल के खेत में ले गए और दोनों के साथ कुकर्म किया। हालांकि दोनों ने भारी विरोध किया, लेकिन आरोपियों ने उनके हाथ-पैर बांधकर घटना को अंजाम दिया और फिर पोल खुलने के डर से दोनों की हत्या कर दी। आमिर के पेट में दरांती गड़ा दी, जो पेट में ही फंसी रह गई। जबकि साकिब के उसी के बनियान से फांसी लगाकर मारा गया। वारदात के बाद चारों आरोपी वहां से फरार हो गए। सुबह घटना का खुलासा उस समय हो सका, जब खेत मालिक आशू पानी चलाने खेत में पहुंचा और वहां दोनों बच्चों के शव पड़े देखे।

सजग होती पुलिस तो बच सकती थी दोनों की जान

किशारों के रहस्यमय परिस्थितियों में गायब होने के तीन घंटे बाद ही परिजनों ने पुलिस को सूचना दे दी थी। लेकिन पुलिस ने मामले को हल्के में लिया और दोनों किशोरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। यहीं कारण रहा कि पुलिस को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा।
मासूम आमिर और साकिब घर से लगभग दस बजे निकले थे। दोनों १२ बजे भी वापस नहीं लौटे तो परिजनों को चिंता सताने लगी और दोनों को हर संभंव ठिकानों पर तलाश किया, लेकिन जब दोनों का कहीं कोई अता-पता नहीं चल सका तो करीब एक बजे परिजन छपार थाने पहुंचे और शिकायत कर उनको तलाश करने की गुहार लगाई। पुलिस ने मामले को हल्के में लेते हुए परिजनों से यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि कहीं घुमने चले गए होगें, घूम-फिर कर शाम तक लौट आएगें। जिस पर वह वापस लौट गए। इसी दौरान छपार बस स्टैंड पर सेब बेचने वाले मुखलतीब ने उनको बताया कि दोनों बच्चों को उसने साहिम के साथ बाइक पर घूमते हुए खुड्डा के जंगल में देखा है। परिजन एक बार फिर से पुलिस के पास पहुंचे और मामले से अवगत कराया। लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी। देर रात करीब डेढ़ बजे परिजनों ने साहिम को दबोच लिया और ग्राम प्रधान के घर पर उससे पूछताछ की, लेकिन उसने कुछ नहीं बताया। पुलिस को भी सूचना दी गई, मगर पुलिस नहीं पहुंची तो परिजन गुपचाप बैठ गए। सुबह शव मिले तो परिजनों की आशंका पर साहिम को पुलिस ने उठाया और सख्ताई से पूछताछ की। जिसने थोड़ी ही देर में तोते की मानिंद सबकुछ उगल दिया। पुलिस की कार्य प्रणाली से क्षुब्ध लोगों ने हाइवे जाम कर अपना रोष प्रकट किया। जिसका सामना तीखी झड़प के रूप में पुलिस को करना पड़ा।

भावुक हुए एसपी सिटी, खेत से खुद उठाकर लाए शव

मौके पर पहुंचे एसपी सिटी राजकमल यादव मासूमों की निर्दयता से की गई हत्या से इतने भावुक हुए कि वह खुद ही कीचड़ भरे खेत में घुस गए। खुद ही शव को दोनों हाथों में उठाकर खेत से बाहर आए। हालांकि इसी दौरान उनको खबर मिली कि गुस्साएं लोगों ने हाइवे पर जाम लगा दिया है। जिसके चलते वह हाइवे स्थित जाम स्पॉट पर जा पहुंचे। भारी विरोध के बाद पुलिस ने पंचनामें भरकर दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए।

रोती-बिलखती रही दोनों की मां

दोनों किशारों की हत्या की खबर मिलते ही उनके परिजनों में हड़कंप मच गया। आमिर की मां फैमिदा और साकिब की मां नईमा बदहवाश सी रोती-बिलखती मौके पर जाने की ओर दौड़ पड़ी। दोनों का रो-रोकर बुरा हाल था। दोनों के अंदर गुस्से का गुबार उस समय फूट पड़ा, जब महिला पुलिस उनको ढांढस बंधाने लगी। हाइवे पर पहुंचकर दोनों सड़क पर बैठ गई। पुलिस और ग्रामीणों ने उनको उठाने का प्रयास भी किया, लेकिन वह नहीं मानी।

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