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Tuesday, October 23, 2012

लहू की कलम से लिखी रंजिश की दास्तान


अमित सैनी, मुजफ्फरनगर।
मुजफ्फरनगर के किनौनी गांव में चल रही रंजिश की दास्तान लहू से लिखी हुई है। रंजिश में अब तक दोनों पक्षों के आधा दर्जन से अधिक लोगों का खून बह चुका है। नफरत की चिंगारी से उठी लपटों में अब तो महिलाएं और मासूम बच्चें भी झुलसने लगे हैं। 21 अक्टूबर की देर शाम महिला राजेश की बीच सड़क गोलियों से भूनकर की गई हत्या इसी खूनी रंजिश के परिणाम की एक कड़ी है। बावजूद इसके खूनी दास्तान के किरदारों में धधक रहीं नफरत की चिंगारी बुझने का नाम नहीं ले रही है। पता नहीं यह रंजिश अभी कितने मासूमों का खून पीकर रहेगी।
किनौनी में रंजिश की नींव 17 नंवबर 2003 में रखी गई थी। दरअसल, यूपी पुलिस में तैनात रामबीर ने अपने हिस्से की जमीन चर्चित अपराधी सतेंद्र बरवाला पक्ष के सुरेंद्र सिंह को ठेके पर दे दी थी, जिसके चार बेटे धर्मेंद्र, श्रवण, सतेंद्र उर्फ मोटा और नरेंद्र थे। इसी ठेके की जमीन के विवाद में सुरेंद्र के बेटे धर्मेंद्र की गांव में ही हत्या कर दी गई थी। इस मामले में एक लाख के इनामी बदमाश विनोद बावला पक्ष के नरेश उर्फ टोल्ला समेत कई को नामजद कराया गया था, जबकि सोहनवीर का नाम पुलिस जांच में प्रकाश में आया था। नामजदगी को लेकर उपजी रंजिश में सुरेंद्र के दो बेटों नरेंद्र और श्रवण की 05 सितंबर 2005 में हत्या कर दी गई। जिसमें बालेंद्र और इनामी विनोद बावला समेत कई को नामजद कराया गया। 
Demo Pic
बालेंद्र को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जो आज भी जेल में ही बंद है। इस दौहरे हत्याकांड के पूरे चार साल बाद यानि 05 सितंबर 2009 को सतेंद्र उर्फ मोटा और उसके एक रिश्तेदार की घर में ही बम फटने से दर्दनाक मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए। इस मामले को पुलिस ने हादसा बताकर दबा दिया था। इसके बाद 2009 में ही जेल में बंद बालेंद्र के भाई खिलाड़ी योगेंद्र उर्फ काला की माजरा के जंगल से गोली लगी लाश बरामद हुई। जिसमें मृतका की भाभी राजेश पत्नी बालेंद्र द्वारा सतेंद्र उर्फ मोटा के पिता को नामजद कराया गया। लेकिन पुलिस जांच में आरोपी की पुष्टि नहीं हो सकी। जिस कारण पुलिस ने उसको क्लीन चिट दे दी। इन मामलों की पैरवी कर रही राजेश को भी रविवार २१ अक्टूबर देर शाम मौत की नींद सुला दिया गया। इस मामलें में मृतका की सास सतेंद्र बरवाला, सुरेंद्र सिंह, संजय और देवेंद्र को नामजद कराया गया है। 
*
फरार है मुख्य किरदार
मुजफ्फरनगर। खूनी रंजिश के दोनों मुख्य किरदार पुलिस पकड़ से अभी बहुत दूर है। एक लाख के इनामी विनोद बावला और सतेंद्र बरवाला को लाख कोशिश के बावजूद भी पुलिस पकड़ पाने में नाकाम रही है।

1 comment:

NEWSBLAST said...

Ye muzaffarnagar hai

Tuesday, October 23, 2012

लहू की कलम से लिखी रंजिश की दास्तान


अमित सैनी, मुजफ्फरनगर।
मुजफ्फरनगर के किनौनी गांव में चल रही रंजिश की दास्तान लहू से लिखी हुई है। रंजिश में अब तक दोनों पक्षों के आधा दर्जन से अधिक लोगों का खून बह चुका है। नफरत की चिंगारी से उठी लपटों में अब तो महिलाएं और मासूम बच्चें भी झुलसने लगे हैं। 21 अक्टूबर की देर शाम महिला राजेश की बीच सड़क गोलियों से भूनकर की गई हत्या इसी खूनी रंजिश के परिणाम की एक कड़ी है। बावजूद इसके खूनी दास्तान के किरदारों में धधक रहीं नफरत की चिंगारी बुझने का नाम नहीं ले रही है। पता नहीं यह रंजिश अभी कितने मासूमों का खून पीकर रहेगी।
किनौनी में रंजिश की नींव 17 नंवबर 2003 में रखी गई थी। दरअसल, यूपी पुलिस में तैनात रामबीर ने अपने हिस्से की जमीन चर्चित अपराधी सतेंद्र बरवाला पक्ष के सुरेंद्र सिंह को ठेके पर दे दी थी, जिसके चार बेटे धर्मेंद्र, श्रवण, सतेंद्र उर्फ मोटा और नरेंद्र थे। इसी ठेके की जमीन के विवाद में सुरेंद्र के बेटे धर्मेंद्र की गांव में ही हत्या कर दी गई थी। इस मामले में एक लाख के इनामी बदमाश विनोद बावला पक्ष के नरेश उर्फ टोल्ला समेत कई को नामजद कराया गया था, जबकि सोहनवीर का नाम पुलिस जांच में प्रकाश में आया था। नामजदगी को लेकर उपजी रंजिश में सुरेंद्र के दो बेटों नरेंद्र और श्रवण की 05 सितंबर 2005 में हत्या कर दी गई। जिसमें बालेंद्र और इनामी विनोद बावला समेत कई को नामजद कराया गया। 
Demo Pic
बालेंद्र को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जो आज भी जेल में ही बंद है। इस दौहरे हत्याकांड के पूरे चार साल बाद यानि 05 सितंबर 2009 को सतेंद्र उर्फ मोटा और उसके एक रिश्तेदार की घर में ही बम फटने से दर्दनाक मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए। इस मामले को पुलिस ने हादसा बताकर दबा दिया था। इसके बाद 2009 में ही जेल में बंद बालेंद्र के भाई खिलाड़ी योगेंद्र उर्फ काला की माजरा के जंगल से गोली लगी लाश बरामद हुई। जिसमें मृतका की भाभी राजेश पत्नी बालेंद्र द्वारा सतेंद्र उर्फ मोटा के पिता को नामजद कराया गया। लेकिन पुलिस जांच में आरोपी की पुष्टि नहीं हो सकी। जिस कारण पुलिस ने उसको क्लीन चिट दे दी। इन मामलों की पैरवी कर रही राजेश को भी रविवार २१ अक्टूबर देर शाम मौत की नींद सुला दिया गया। इस मामलें में मृतका की सास सतेंद्र बरवाला, सुरेंद्र सिंह, संजय और देवेंद्र को नामजद कराया गया है। 
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फरार है मुख्य किरदार
मुजफ्फरनगर। खूनी रंजिश के दोनों मुख्य किरदार पुलिस पकड़ से अभी बहुत दूर है। एक लाख के इनामी विनोद बावला और सतेंद्र बरवाला को लाख कोशिश के बावजूद भी पुलिस पकड़ पाने में नाकाम रही है।

1 comment:

NEWSBLAST said...

Ye muzaffarnagar hai