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Monday, November 22, 2010

'मोसाद' उठा लाता है दूसरे देश में घुसकर दुश्मनों को

दुनिया भर में गुप्त रूप से सूचनाओं को इकठ्ठा करना और देश के बाहर दुश्मन की हर छोटी बड़ी गतिविधियों पर नज़र रखने का काम करती हैं 'खुफिया एजेंसियां'। ऐसी ही एक खुफिया एजेंसी है 'मोसाद' इस खुफिया एजेंसी के बारे में कहा जाता है की यह दुनिया की सबसे खतरनाक और खूंखार खुफिया एजेंसी है।
इजरायल की इस खुफिया एजेंसी के बारे में कहते हैं कि एक बार जो 'मोसाद' की हिट लिस्ट में आ गया उसका बचना नामुमकिन हो जाता है।इजरायल की स्थापना के तुरंत बाद वहां के प्रधानमंत्री डेविड बेन-गुरियोन को एक ऐसी खुफिया एजेंसी की जरूरत महसूस हुई जो सैन्य खुफिया विभाग और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय का काम कर सके।मोसाद का गठन 13 दिसम्बर 1949 को किया गया और रुवेन शिलोह को इसका पहला निदेशक बनाया गया।
'यहूदियों' की मौत का बदला लेने के लिए मशहूर
द्वितीय विश्व युद्ध में यहूदियों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार नाजी जर्मनी के अधिकारियों को जिस नाम से सबसे अधिक डर लगता था,वह था मोसाद। दरअसल मोसाद ने अन्य खुफिया एजेंसियों की तरह विदेशों से सूचनाएं जुटाने के काम तक ही अपने को सीमित नहीं रखा।
उसने विभिन्न देशों में पनाह लेकर रह रहे द्वितीय विश्व युद्ध के नाजी अधिकारियों की हत्याएं भी कराईं। मोसाद का निशाना खास तौर पर वे लोग बने जो यहूदियों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार थे।
'अर्जेंटीना'में अंजाम दिया सबसे घातक मिशन
मोसाद ने दुनिया के कई हिस्सों में नाजी अधिकारियों की हत्याएं कराईं। इनमें सबसे सनसनीखेज मामला नाजी युद्ध अपराधी एडोल्फ एकमैन का था। मोसाद के एजेंटों ने अर्जेंटीना से एकमैन का अपहरण किया और उसे इजरायल लाकर मुकदमा चलाया।
मोसाद के पांच एजेंटों का एक दल गैर-कानूनी ढंग से आर्जेटीना में दाखिल हुआ और रिकार्डो क्लेमेंट के बदले हुए नाम के साथ रह रहे एकमैन का 11 मई 1960 को अपहरण कर लिया। एकमैन को गुप्त स्थान पर ले जाकर उसे नाजी सेना की टोपी पहनाकर उसकी पहचान सुनिश्चित की गई। इजरायल एयरलाइंस के एक विमान से उसे गुप्त रूप से तेल अवीव लाकर मुकदमा चलाकर सजा दी गई।
संयुक्त राष्ट्र तक में उठी थी बात
अर्जेटीना ने इस कदम को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन कहकर विरोध जताया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस मामले पर अपनी टिप्पणी में कहा कि इस कार्य का दोहराया जाना उन सिद्धांतों का उल्लंघन होगा जिन पर अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की नींव कायम है। इससे असुरक्षा और अविश्वास का ऐसा माहौल बनेगा जिसमें शांति को कायम रख पाना बहुत कठिन होगा।
बहरहाल सुरक्षा परिषद ने स्वीकार किया कि एकमैन को उन अपराधों के उपयुक्त दंड मिलना चाहिए जिनका वह आरोपी है। सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव एकमैन को उसके घिनौने अपराधों का दंड मिलने के रास्ते में कोई बाधा नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव के बाद मोसाद ने एक अन्य नाजी युद्ध अपराधी जोसेफ मेंगेले के अपहरण के इरादे को त्याग दिया।

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Monday, November 22, 2010

'मोसाद' उठा लाता है दूसरे देश में घुसकर दुश्मनों को

दुनिया भर में गुप्त रूप से सूचनाओं को इकठ्ठा करना और देश के बाहर दुश्मन की हर छोटी बड़ी गतिविधियों पर नज़र रखने का काम करती हैं 'खुफिया एजेंसियां'। ऐसी ही एक खुफिया एजेंसी है 'मोसाद' इस खुफिया एजेंसी के बारे में कहा जाता है की यह दुनिया की सबसे खतरनाक और खूंखार खुफिया एजेंसी है।
इजरायल की इस खुफिया एजेंसी के बारे में कहते हैं कि एक बार जो 'मोसाद' की हिट लिस्ट में आ गया उसका बचना नामुमकिन हो जाता है।इजरायल की स्थापना के तुरंत बाद वहां के प्रधानमंत्री डेविड बेन-गुरियोन को एक ऐसी खुफिया एजेंसी की जरूरत महसूस हुई जो सैन्य खुफिया विभाग और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय का काम कर सके।मोसाद का गठन 13 दिसम्बर 1949 को किया गया और रुवेन शिलोह को इसका पहला निदेशक बनाया गया।
'यहूदियों' की मौत का बदला लेने के लिए मशहूर
द्वितीय विश्व युद्ध में यहूदियों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार नाजी जर्मनी के अधिकारियों को जिस नाम से सबसे अधिक डर लगता था,वह था मोसाद। दरअसल मोसाद ने अन्य खुफिया एजेंसियों की तरह विदेशों से सूचनाएं जुटाने के काम तक ही अपने को सीमित नहीं रखा।
उसने विभिन्न देशों में पनाह लेकर रह रहे द्वितीय विश्व युद्ध के नाजी अधिकारियों की हत्याएं भी कराईं। मोसाद का निशाना खास तौर पर वे लोग बने जो यहूदियों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार थे।
'अर्जेंटीना'में अंजाम दिया सबसे घातक मिशन
मोसाद ने दुनिया के कई हिस्सों में नाजी अधिकारियों की हत्याएं कराईं। इनमें सबसे सनसनीखेज मामला नाजी युद्ध अपराधी एडोल्फ एकमैन का था। मोसाद के एजेंटों ने अर्जेंटीना से एकमैन का अपहरण किया और उसे इजरायल लाकर मुकदमा चलाया।
मोसाद के पांच एजेंटों का एक दल गैर-कानूनी ढंग से आर्जेटीना में दाखिल हुआ और रिकार्डो क्लेमेंट के बदले हुए नाम के साथ रह रहे एकमैन का 11 मई 1960 को अपहरण कर लिया। एकमैन को गुप्त स्थान पर ले जाकर उसे नाजी सेना की टोपी पहनाकर उसकी पहचान सुनिश्चित की गई। इजरायल एयरलाइंस के एक विमान से उसे गुप्त रूप से तेल अवीव लाकर मुकदमा चलाकर सजा दी गई।
संयुक्त राष्ट्र तक में उठी थी बात
अर्जेटीना ने इस कदम को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन कहकर विरोध जताया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस मामले पर अपनी टिप्पणी में कहा कि इस कार्य का दोहराया जाना उन सिद्धांतों का उल्लंघन होगा जिन पर अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की नींव कायम है। इससे असुरक्षा और अविश्वास का ऐसा माहौल बनेगा जिसमें शांति को कायम रख पाना बहुत कठिन होगा।
बहरहाल सुरक्षा परिषद ने स्वीकार किया कि एकमैन को उन अपराधों के उपयुक्त दंड मिलना चाहिए जिनका वह आरोपी है। सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव एकमैन को उसके घिनौने अपराधों का दंड मिलने के रास्ते में कोई बाधा नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव के बाद मोसाद ने एक अन्य नाजी युद्ध अपराधी जोसेफ मेंगेले के अपहरण के इरादे को त्याग दिया।

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