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Thursday, June 4, 2015

कोंकणा के ल‌िए इतिहास की क्लास

-​प्रेमबाबू शर्मा
कहा जाता है कि लगातार अभ्यास और अध्ययन इंसान को परफेक्ट बनाते हैं, और उसके ज्ञान को भी। अनंत महादेवन को भी अपनी अगली निर्देशित फिल्म गौर हरी दास्तां को तथ्यात्मक रूप से परफेक्ट बनाने के िए कई तरह के कदम उठाने पड़े थे। इस फिल्म की कहानी स्वतंत्रता सेनानी गौर हरी दास की असल जिंदगी से प्रेरित है। इस फिल्म को आकार देने और बनाने से जुड़ी पूरी रचनात्मक प्रक्रिया में सिर्फ फिल्म की कहानी से जुड़े असल हीरो को शामिल किया गया, बल्कि इतिहास की गहन जानकारी रखने वाले स्कॉलर्स की पूरी टीम भी इस प्रक्रिया में शामिल रही।

ऐसा करने के पीछे वजह थी, यह सुनिश्चित करना कि कुछ खास ऐतिहासिक अवसरों का प्रस्तुतिकरण कुशलतापूर्वक हुबहु वास्तविकता जैसा ही किया जा सके। अनंत किसी भी तरह गलती की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहते थे। स्कॉलर्स की टीम में दो लोग खासतौर पर फिल्म की कास्ट को फिल्म से संबंधित इतिहास पढ़ाने के िए रखे गये थे। कोंकणा सेन शर्मा समेत फिल्म से जुड़ी पूरी कास्ट ने शूटिंग शुरू होने से पहले इन स्कॉलर्स से निजी तौर पर भी सेशंस लिए , ताकि फिल्म में मिनट दर मिनट घटने वाली घटनाओं से जुड़े तथ्यों को बारीकी से समझा जा सके। इस दौरान मिलने वाली जानकारी ने कोंकणा को एक अलग ही तरह के समय और दुनिया में पहुंचा दिया, इससे सामने आए तथ्यों से उन्हें अपने किरदार को पूरी समझने और गढ़ने में काफी मदद मिल सकी। परफेक्शन को लेकर हमेशा सतर्क रहने वाली कोंकणा ने कहा, 'भारतीय बायोपिक्स में ऐसे शोध बहुत ही कम देखने को मिलते थे, और यही सही तरीका था एक बीते हुए समय को दोबारा दर्शाने का।

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Thursday, June 4, 2015

कोंकणा के ल‌िए इतिहास की क्लास

-​प्रेमबाबू शर्मा
कहा जाता है कि लगातार अभ्यास और अध्ययन इंसान को परफेक्ट बनाते हैं, और उसके ज्ञान को भी। अनंत महादेवन को भी अपनी अगली निर्देशित फिल्म गौर हरी दास्तां को तथ्यात्मक रूप से परफेक्ट बनाने के िए कई तरह के कदम उठाने पड़े थे। इस फिल्म की कहानी स्वतंत्रता सेनानी गौर हरी दास की असल जिंदगी से प्रेरित है। इस फिल्म को आकार देने और बनाने से जुड़ी पूरी रचनात्मक प्रक्रिया में सिर्फ फिल्म की कहानी से जुड़े असल हीरो को शामिल किया गया, बल्कि इतिहास की गहन जानकारी रखने वाले स्कॉलर्स की पूरी टीम भी इस प्रक्रिया में शामिल रही।

ऐसा करने के पीछे वजह थी, यह सुनिश्चित करना कि कुछ खास ऐतिहासिक अवसरों का प्रस्तुतिकरण कुशलतापूर्वक हुबहु वास्तविकता जैसा ही किया जा सके। अनंत किसी भी तरह गलती की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहते थे। स्कॉलर्स की टीम में दो लोग खासतौर पर फिल्म की कास्ट को फिल्म से संबंधित इतिहास पढ़ाने के िए रखे गये थे। कोंकणा सेन शर्मा समेत फिल्म से जुड़ी पूरी कास्ट ने शूटिंग शुरू होने से पहले इन स्कॉलर्स से निजी तौर पर भी सेशंस लिए , ताकि फिल्म में मिनट दर मिनट घटने वाली घटनाओं से जुड़े तथ्यों को बारीकी से समझा जा सके। इस दौरान मिलने वाली जानकारी ने कोंकणा को एक अलग ही तरह के समय और दुनिया में पहुंचा दिया, इससे सामने आए तथ्यों से उन्हें अपने किरदार को पूरी समझने और गढ़ने में काफी मदद मिल सकी। परफेक्शन को लेकर हमेशा सतर्क रहने वाली कोंकणा ने कहा, 'भारतीय बायोपिक्स में ऐसे शोध बहुत ही कम देखने को मिलते थे, और यही सही तरीका था एक बीते हुए समय को दोबारा दर्शाने का।

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