Prem Babu Sharma
नई दिल्ली। देश में महिलाओं पर सबसे अधिक तेजाब हमले किए जाते हैं और इसकी शिकार महिलाओं को जिंदगी भर अपमान, उपेक्षा एवं हिकारत का सामना करना पड़ता है। तेजाब हमले की पीड़ित महिलाओं के लिए काम करने वाले श्रेई फाउंडेशन का अभियान वार अगेंस्ट एसिड वायलेंस इस हमले के शिकार लोगों को मदद प्रदान करेगा।
एसिड अटैक जैसे अपराध की गंभीरता की ओर ध्यान दिलाने और उनके लिए संसाधन जुटाने के बारे श्रेई फाउंडेशन ने एक नई पहल की है। संगठन ने इन पीड़ितों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने े लिए उनकी हरसंभव मदद करने का फैसला किया है। श्रेई फाउंडेशन के एसिड सर्वाइवसã फाउंडेशन इंडिया ने पूरे देश में मौजूद अपने चैप्टर्स की मदद से एसिड अटैक के पीड़ितों को खोजा है और उनके इलाज, रोजगार एवं पुनर्वास के लिए कई संस्थानों के साथ पार्टनरशिप की है।
नई दिल्ली में सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में नेशनल वूमेंस कमीशन की चेयरपर्सन ललिता कुमारमंगलम ने एसिड अटैक के पीड़ितों को डिसेबिलिटी एक्ट में लाने की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा, 'एसिड अटैक के पीड़ितों को डिसेबिलिटी एक्ट के दायरे में शामिल कर उन्हें रोजगार के दायरे में शामिल किया जा सकता है। हमने गृह मंत्री को इस बारे में पत्र लिखा है। मंत्रालय से हमें इस बारे में सकारात्मक कदम उठाए जाने के संकेत मिले हैं।’
इस अभियान की लांचिंग के समय लॉ कमीशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन जस्टिस अजित प्रकाश शाह, नेशनल वूमेंस कमीशन की चेयरपर्सन ललिता कुमारमंगलम, मशहूर प्लास्टिक सर्जन डॉ आर पी नारायण और पूर्व आईपीएस निखिल कुमार समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थ्ो। श्रेई फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. एच पी कनोरिया ने कहा, 'हमारा उद्देश्य दरअसल पूरे देश से एसिड वायलेंस को समा’ करना है। पहले हम इस हमले के पीड़ितों को समाज की मुख्यधारा में लाने की कोशिश कर रहे हैं।’
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