सविता
वर्मा"ग़ज़ल"
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"सुनो
याद है ना
हमारी वो पहली
मुलाकात
और पहली बारिश
हमारे प्यार की।
जब मै भीग रही
थी और
तुम छतरी लिये
खड़े थे
कुछ ही दुरी पर।
मै मारे शर्म के
सिमटती जा रही थी
खुद में ही।
तभी तुम झट से
आये और अपना
छाता मेरे ऊपर
करके।
धीरे से बोले
थे नजदीक आकर
तम्हे भीगते हुये
बस मै ही
देखना चाहता हूँ
नही चाहता के
देखे तुम्हे कोई
और
हमारे पहले प्यार
की।
पहली बारिश
और तुम
मै भी नही चाहती
थी
कि भीगूँ अकेले
और बस
कर दिया छतरी को
तुम्हारे ऊपर।
तुम तभी
आ गए बहूत
करीब और
भीग रहे थे
एक ही छतरी में
आधे-आधे ।।
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