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Saturday, May 16, 2015

'कड़वी हकीकत' के साथ दफन हो गई 'खूनी मोहब्बत'!

मास्टर शौकत अली की शिक्षित फेमिली में उनकी बेटी शबनम शिक्षा मित्र के रूप में कार्यरत थी। इस दौरान उसको अपने गांव के ही अनपढ़ और बेरोजगार सलीम से प्यार हो गया। शबनम और सलीम दोनों बेइंतहा मौहब्बत करते थे। वो आपस में निकाह करके जिंदगी जीना चाहते थे। ये घटना कोई काल्पनिक नहीं, बल्कि एक कड़वी हकीकत है...जो इतिहास के काले पन्नों पर अमरोहा कांड़ के नाम से लिखी जा चुकी है।
ये घटना उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के हसनपुर इलाके की है। इश्क-विश्क और निकाह के बीच में मान-सम्मान, पसंद-ना-पसंद के साथ दर्दनाक मौतें.... वो भी एक की नहीं बल्कि परिवार के सात सदस्यों की.....निमर्म तरीके से हत्या।


 सलीम और शबनम पर इश्क का खुमार इस कदर हावी था कि वो भूल गई कि जीवन में माता-पिता, भाई-भाभी और भतीजों का क्या महत्व होता है? मास्टर साहब शौकत अली अपनी बेटी की शादी अनपढ़-गंवार व्यक्ति के साथ नहीं करना चाह रहे थे... लेकिन प्यार का क्या? वो जाति, धर्म, शिक्षित या अशिक्षित देखता -समझता ही नहीं। प्यार तो अंधे कानून की तरह ही अंधा होता हैं?


प्यार करने वाले ही प्यार को समझ सकते हैं...लेकिन मेरा व्यक्तिगत मानना ये ही है कि समान मानसिक विचारधारा... विकसित मानसिकता के दो विपरीत लिंग के मध्य प्यार पनप सकता है... क्यूंकि प्यार विचार और भावनाओं से संचालित होता है। यहां अपवाद हो सकता है कि सलीम अनपढ़ होने के बाद भी उसकी सोच-समझ विकसित वा उच्च दर्जे की रही हो... क्यूंकि आकर्षण टिकाऊ नहीं होता... बल्कि क्षणिक होता है और एक झटके में खत्म भी हो जाता है।
सोचने की बात है कि प्यार में ऐसा पागलपन कैसा कि दोनों ने मिलकर पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया। इतना ही नहीं महज 10 माह के अपने मासूम भतीजे को भी बड़ी ही बेरहमी से गला घोटकर मार दिया।
प्रेमी और प्रेमिका को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी.. क्यूंकि दोनों पर मामला बना साजिशन प्यार के लिए मौत के घाट उतारने के साथ-साथ संपत्ति को हड़पने का भी। सवाल ये है कि क्या सलीम प्यार के सहारे शबनम के माता-पिता की संपत्ति भी हड़पना चाहता था? क्या उसने सबनम को बहकाया हुआ था? ऐसा क्या झांसा दिया हुआ था कि सबनम अपने ही परिवार की जानी दुश्मन बन गई?


परिवार की इज्जत, मान-सम्मान के लिए बहुत से प्रेमी अपने प्यार को कुर्बान कर देते हैं! भले सारी जिंदगी घुट-घुटकर जिए... लेकिन शबनम प्यार में कितनी पागल हो गई कि अब जेल में सड़ने के साथ-साथ फांसी के फंदे पर झूलने का इंतजार कर रही है। 
एक बूरे एहसास के साथ प्रेम की एक कहानी फिर से इस समाज के सामने है। वास्तव में चिंतन करना होगा कि लड़का-लड़की जिससे प्यार करें...जिसे पसंद करें... उसी से शादी करना उचित होगा या फिर जैसा हमारे माता-पिता, परिवार वाले, धर्म या जाति की मान्यताएं-परंपराएं है वैसे ही की जाएं? क्यूंकि जाति, उपजाति, मान-सम्मान के चलते प्रेम की हत्या तो लगातार हो रही हैं और इस प्रेम के चलते नए-नए किस्से सामने आते रहते हैं।

सौरभ द्विवेदी की फेसबुक वाॅल से।

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Saturday, May 16, 2015

'कड़वी हकीकत' के साथ दफन हो गई 'खूनी मोहब्बत'!

मास्टर शौकत अली की शिक्षित फेमिली में उनकी बेटी शबनम शिक्षा मित्र के रूप में कार्यरत थी। इस दौरान उसको अपने गांव के ही अनपढ़ और बेरोजगार सलीम से प्यार हो गया। शबनम और सलीम दोनों बेइंतहा मौहब्बत करते थे। वो आपस में निकाह करके जिंदगी जीना चाहते थे। ये घटना कोई काल्पनिक नहीं, बल्कि एक कड़वी हकीकत है...जो इतिहास के काले पन्नों पर अमरोहा कांड़ के नाम से लिखी जा चुकी है।
ये घटना उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के हसनपुर इलाके की है। इश्क-विश्क और निकाह के बीच में मान-सम्मान, पसंद-ना-पसंद के साथ दर्दनाक मौतें.... वो भी एक की नहीं बल्कि परिवार के सात सदस्यों की.....निमर्म तरीके से हत्या।


 सलीम और शबनम पर इश्क का खुमार इस कदर हावी था कि वो भूल गई कि जीवन में माता-पिता, भाई-भाभी और भतीजों का क्या महत्व होता है? मास्टर साहब शौकत अली अपनी बेटी की शादी अनपढ़-गंवार व्यक्ति के साथ नहीं करना चाह रहे थे... लेकिन प्यार का क्या? वो जाति, धर्म, शिक्षित या अशिक्षित देखता -समझता ही नहीं। प्यार तो अंधे कानून की तरह ही अंधा होता हैं?


प्यार करने वाले ही प्यार को समझ सकते हैं...लेकिन मेरा व्यक्तिगत मानना ये ही है कि समान मानसिक विचारधारा... विकसित मानसिकता के दो विपरीत लिंग के मध्य प्यार पनप सकता है... क्यूंकि प्यार विचार और भावनाओं से संचालित होता है। यहां अपवाद हो सकता है कि सलीम अनपढ़ होने के बाद भी उसकी सोच-समझ विकसित वा उच्च दर्जे की रही हो... क्यूंकि आकर्षण टिकाऊ नहीं होता... बल्कि क्षणिक होता है और एक झटके में खत्म भी हो जाता है।
सोचने की बात है कि प्यार में ऐसा पागलपन कैसा कि दोनों ने मिलकर पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया। इतना ही नहीं महज 10 माह के अपने मासूम भतीजे को भी बड़ी ही बेरहमी से गला घोटकर मार दिया।
प्रेमी और प्रेमिका को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी.. क्यूंकि दोनों पर मामला बना साजिशन प्यार के लिए मौत के घाट उतारने के साथ-साथ संपत्ति को हड़पने का भी। सवाल ये है कि क्या सलीम प्यार के सहारे शबनम के माता-पिता की संपत्ति भी हड़पना चाहता था? क्या उसने सबनम को बहकाया हुआ था? ऐसा क्या झांसा दिया हुआ था कि सबनम अपने ही परिवार की जानी दुश्मन बन गई?


परिवार की इज्जत, मान-सम्मान के लिए बहुत से प्रेमी अपने प्यार को कुर्बान कर देते हैं! भले सारी जिंदगी घुट-घुटकर जिए... लेकिन शबनम प्यार में कितनी पागल हो गई कि अब जेल में सड़ने के साथ-साथ फांसी के फंदे पर झूलने का इंतजार कर रही है। 
एक बूरे एहसास के साथ प्रेम की एक कहानी फिर से इस समाज के सामने है। वास्तव में चिंतन करना होगा कि लड़का-लड़की जिससे प्यार करें...जिसे पसंद करें... उसी से शादी करना उचित होगा या फिर जैसा हमारे माता-पिता, परिवार वाले, धर्म या जाति की मान्यताएं-परंपराएं है वैसे ही की जाएं? क्यूंकि जाति, उपजाति, मान-सम्मान के चलते प्रेम की हत्या तो लगातार हो रही हैं और इस प्रेम के चलते नए-नए किस्से सामने आते रहते हैं।

सौरभ द्विवेदी की फेसबुक वाॅल से।

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