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Monday, May 4, 2015

मोहब्बत की कहानी में मजहब बना खलनायक !!

पश्चिम उत्तर प्रदेश का इतिहास प्यार के परिंदों के लहू से रंगा हुआ है। हर पन्ने पर मोहब्बत करने वालों की अमर प्रेम कहानियां लिखी हुई है। इस इलाके में जिसने भी प्यार करने की जुर्रत की, उसे कभी खाप पंचायतों की रवायतों ने सूली पर लटका दिया तो कभी झूठी आन, बान और शान की खातिर मौत दे दी गई। मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर और बिजनौर समेत तमाम कई ऐसे खूनी जिले हैं, जो प्रेमियों की कब्रगाह के रूप में बदनाम हैं। 



इन जनपदों में शायद की कोई ऐसा गांव या इलाका बाकी बचा हो, जहां किसी न किसी बहाने प्रेमियों की कब्र खोदी गई हो। हर साल ये इलाके प्रेमियों की बलि लेते हैं। जब-जब मोहब्बत की डगर पर किसी ने चलने की कोशिश की है...तब-तब जात-पात और शान-ओ-शौकत खलनायक बनकर उनकी राह में रोड़ा बनकर खड़े हो गए है। ऐसे में चाहत के पुजारियों ने या तो खुद ही मौत को गले लगा लिया या फिर उन्हें उनके अपनों ने ही मौत की नींद सुला दिया।
सोमवार को इतिहास की इसी कड़ी में मुजफ्फरनगर के भौराकलां के इमराना और रजनीश का अध्याय और जुड़ गया। दोनों एक दूसरे को बेइंतेहा मोहब्बत करते थे। दोनों साथ-साथ जिंदगी का सफर तय करना चाहते थे, लेकिन समाज और मजहब के चंद ठेकेदार इसके लिए राजी नहीं थे। दोनों के परिवार वाले की उनकी इस प्रेम कहानी में खलनायक की भूमिका अदा कर रहे थे। बुराई क्या थी, अगर दोनों शादी करना चाहते थे? साथ रहना चाहते थे? एक-दूसरे का सहारा बनना चाहते थे? लेकिन दोनों की खुशी पर अलग-अलग संप्रदाय का होना ही जैसे ग्रहण लगा हुआ था। और इसी ग्रहण ने दोनों को इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।

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Monday, May 4, 2015

मोहब्बत की कहानी में मजहब बना खलनायक !!

पश्चिम उत्तर प्रदेश का इतिहास प्यार के परिंदों के लहू से रंगा हुआ है। हर पन्ने पर मोहब्बत करने वालों की अमर प्रेम कहानियां लिखी हुई है। इस इलाके में जिसने भी प्यार करने की जुर्रत की, उसे कभी खाप पंचायतों की रवायतों ने सूली पर लटका दिया तो कभी झूठी आन, बान और शान की खातिर मौत दे दी गई। मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर और बिजनौर समेत तमाम कई ऐसे खूनी जिले हैं, जो प्रेमियों की कब्रगाह के रूप में बदनाम हैं। 



इन जनपदों में शायद की कोई ऐसा गांव या इलाका बाकी बचा हो, जहां किसी न किसी बहाने प्रेमियों की कब्र खोदी गई हो। हर साल ये इलाके प्रेमियों की बलि लेते हैं। जब-जब मोहब्बत की डगर पर किसी ने चलने की कोशिश की है...तब-तब जात-पात और शान-ओ-शौकत खलनायक बनकर उनकी राह में रोड़ा बनकर खड़े हो गए है। ऐसे में चाहत के पुजारियों ने या तो खुद ही मौत को गले लगा लिया या फिर उन्हें उनके अपनों ने ही मौत की नींद सुला दिया।
सोमवार को इतिहास की इसी कड़ी में मुजफ्फरनगर के भौराकलां के इमराना और रजनीश का अध्याय और जुड़ गया। दोनों एक दूसरे को बेइंतेहा मोहब्बत करते थे। दोनों साथ-साथ जिंदगी का सफर तय करना चाहते थे, लेकिन समाज और मजहब के चंद ठेकेदार इसके लिए राजी नहीं थे। दोनों के परिवार वाले की उनकी इस प्रेम कहानी में खलनायक की भूमिका अदा कर रहे थे। बुराई क्या थी, अगर दोनों शादी करना चाहते थे? साथ रहना चाहते थे? एक-दूसरे का सहारा बनना चाहते थे? लेकिन दोनों की खुशी पर अलग-अलग संप्रदाय का होना ही जैसे ग्रहण लगा हुआ था। और इसी ग्रहण ने दोनों को इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।

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