खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री :
भारत अब सबसे अधिक खतरनाक देशों की श्रेणी में आ गया है। ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआइ) 2011 के अनुसार शांतिप्रिय माने जाने वाले इस देश में अशांति तेजी से बढ़ी है। भारत इस बार इस सूची में सात अंक नीचे आ गया है। दरअसल, ग्लोबल पीस इंडेक्स 23 सूचकांकों पर देशों के हालात की विवेचना और आकलन करता है। इसमें सैन्य अभियानों पर खर्च, अपराध की बढ़ती दर, संघर्ष के स्तर और पड़ोसी देशों से उसके संबंध शामिल हैं। इन पैमानों पर आकलन के बाद देश को सात पायदान नीचे उतरना पड़ा है। इस नई रैंकिंग के हिसाब से भारत अब बीस सबसे अधिक खतरनाक देशों में शुमार हो गया है जहां पर अशांति और संघर्ष का बोलबाला है।
भारत सात अंक गिरकर अब कुल 153 देशों के सूचकांक में 135 नंबर पर आ गया है। इन बीस सबसे खतरनाक देशों में पाकिस्तान (146वां स्थान) और अफगानिस्तान (150वां स्थान) पर है। ग्लोबल पीस इंडेक्स के संस्थापक स्टीव केलीली ने एक साक्षात्कार में बताया कि भारत के अंक अधिकांश मापदंडों पर पहले जैसे ही रहे हैं इसलिए वहां ऐसी कोई विकट स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है। सामूहिक हत्याएं और अपराध की दर भी भारत में अन्य देशों से काफी कम हैं। रैंकिंग में गिरावट की मूल वजह सिर्फ इतनी है कि भारतीय समाज में अपराध बढ़ने की छवि बन गई है। तीन साल की आर्थिक मंदी खत्म होने के तुरंत बाद ही सबसे अधिक शांतिप्रिय देश के रूप में न्यूजीलैंड को हटाकर आइसलैंड ने यह जगह ले ली है। वहीं पिछली बार सबसे अशांत देश घोषित इराक की जगह सोमालिया ने ली है। लगातार तीसरे साल सामाजिक उठापटक विश्व को और अधिक अशांत बना रही है। वहीं आर्थिक तनावों के चलते चीन के लिए खतरा पैदा होने का भी दावा इस इंडेक्स में किया गया है। जीपीआइ के अनुसार आर्थिक कारणों से ही अरब देशों की हलचल के साथ ही विश्व के मध्य भूभाग में अशांति है। खाद्य पदार्थो की कीमतें आसमान छूने के चलते ही मिस्र, ट्यूनीशिया और अन्य देशों में संघर्ष शुरू हो गया है। कुछ देशों में खूनखराबा हदें पार कर चुका है। हालांकि इस परेशानी का मुकाबला यूरोपीय देशों में सड़कों पर आवाज बुलंद करके हो रहा है। हालांकि इस रिपोर्ट के कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं। जिसमें बताया गया है कि आइवरी कोस्ट, लीबिया और उत्तर-दक्षिण कोरिया के बीच सीमा विवाद जारी रहने के बावजूद वहां युद्ध के हालात अब खत्म हो चुके हैं। यह पड़ोसी देश अब तनावपूर्ण शांति से काम ले रहे हैं। कभी बड़े दुश्मन पड़ोसी देश अब सह-अस्तित्व की भावना को समझते हुए मिल-जुलकर रह रहे हैं। केलीली ने कहा कि सबसे रोचक और अहम अध्ययन चीन का है। वहां आने वाले समय में बड़े बदलाव तय हैं। अगर आने वाले सालों में वहां आर्थिक विकास की गति मंद पड़ती गई तो हिंसक प्रतिक्रिया और अस्थिरता संभव है। उन्होंने बताया कि शांति को सुनिश्चित करने के लिए सबसे अहम आयाम सुचारू रूप से चलने वाली सरकारें, अपेक्षाकृत एकरूप समाज, संपत्ति की समान भागीदारी, कालेज स्तर तक अच्छी शिक्षा, प्रेस की
आजादी हैं।
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