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Tuesday, June 7, 2011

पान मसाला बताकर हो रहा गुटखे का विज्ञापन

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री :
मुंबई सहित देश भर में तंबाकू उत्पाद निषेध अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। महानगर में पान मसाला विज्ञापन के रूप में तम्बाकू उत्पादों का धड़ल्ले से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। संगठन ने मुम्बई महानगर के तीन हजार लोगों के बीच यह सर्वेक्षण किया था। इसमें अधिकतर उत्तरदाताओं ने पान मसाला विज्ञापन को गुटखा का प्रचार बताया है। ऐसी स्थिति में यह सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद (उत्पादन, आपूर्ति, वितरण, व्यापार एवं वाणिज्य के विनियमन और विज्ञापन का निषेध) अधिनियम-2003 का उल्लंघन करता है। सर्वेक्षण के लिए दो समूहों का चयन किया गया था। एक समूह ने 12-18 वर्ष के आयु वर्ग (बच्चे) की प्रतिक्रिया ली और दूसरे समूह ने 19-50 वर्ष के आयुवर्ग (युवा) की। सर्वेक्षणकर्ताओं ने उत्तरदाताओं को तीन ब्रांडों वाले पान मसाला विज्ञापनों के फ्लैश कार्ड दिखाए जो होर्डिग और बेस्ट बसों पर दिखाई देते हैं। पहले फ्लैश कार्ड के उत्तरदाताओं में 82 फीसदी (1235) बच्चों और 84 फीसदी (1255) युवाओं ने इसे गुटखा बताया, जबकि 9 फीसदी (136) बच्चों और 7 फीसदी (105) युवाओं ने कहा कि यह पान मसाला है। दूसरे फ्लैश कार्ड के उत्तरदाताओं में 62 फीसदी बच्चों और 71 फीसदी युवाओं ने इसे गुटखा बताया, जबकि 14 फीसदी बच्चों और 13 फीसदी युवाओं ने इसे पान मसाला करार दिया। इसी प्रकार तीसरे फ्लैश कार्ड के उत्तरदाताओं में 58 फीसदी बच्चों और 65 फीसदी युवाओं ने इसे गुटखा कहा, जबकि 17 फीसदी बच्चों और 15 फीसदी युवाओं ने इसे पान मसाला बताया। सलाम बॉम्बे की कार्यक्रम निदेशक देविका चड्ढा ने कहा, सभी तीन ब्रांडों ने पान मसाला उत्पाद का विज्ञापन करने का दावा किया है। जबकि अध्ययन में सामने आया है कि विज्ञापन अप्रत्यक्ष रूप से उनके गुटखा का प्रचार-प्रसार करते हैं क्योंकि विज्ञापन देखने वालों ने इसे गुटखा का प्रचार बताया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि विज्ञापन उत्पादों को खरीदने में उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। संगठन ने भारतीय विज्ञापन परिषद (एसीआइ) को पत्र लिखकर ऐसे ब्रांडों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है जो अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू उत्पादों का प्रचार-प्रसार कर उत्पाद निषेध अधिनियम का उल्लंघन करते हैं।


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Tuesday, June 7, 2011

पान मसाला बताकर हो रहा गुटखे का विज्ञापन

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री :
मुंबई सहित देश भर में तंबाकू उत्पाद निषेध अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। महानगर में पान मसाला विज्ञापन के रूप में तम्बाकू उत्पादों का धड़ल्ले से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। संगठन ने मुम्बई महानगर के तीन हजार लोगों के बीच यह सर्वेक्षण किया था। इसमें अधिकतर उत्तरदाताओं ने पान मसाला विज्ञापन को गुटखा का प्रचार बताया है। ऐसी स्थिति में यह सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद (उत्पादन, आपूर्ति, वितरण, व्यापार एवं वाणिज्य के विनियमन और विज्ञापन का निषेध) अधिनियम-2003 का उल्लंघन करता है। सर्वेक्षण के लिए दो समूहों का चयन किया गया था। एक समूह ने 12-18 वर्ष के आयु वर्ग (बच्चे) की प्रतिक्रिया ली और दूसरे समूह ने 19-50 वर्ष के आयुवर्ग (युवा) की। सर्वेक्षणकर्ताओं ने उत्तरदाताओं को तीन ब्रांडों वाले पान मसाला विज्ञापनों के फ्लैश कार्ड दिखाए जो होर्डिग और बेस्ट बसों पर दिखाई देते हैं। पहले फ्लैश कार्ड के उत्तरदाताओं में 82 फीसदी (1235) बच्चों और 84 फीसदी (1255) युवाओं ने इसे गुटखा बताया, जबकि 9 फीसदी (136) बच्चों और 7 फीसदी (105) युवाओं ने कहा कि यह पान मसाला है। दूसरे फ्लैश कार्ड के उत्तरदाताओं में 62 फीसदी बच्चों और 71 फीसदी युवाओं ने इसे गुटखा बताया, जबकि 14 फीसदी बच्चों और 13 फीसदी युवाओं ने इसे पान मसाला करार दिया। इसी प्रकार तीसरे फ्लैश कार्ड के उत्तरदाताओं में 58 फीसदी बच्चों और 65 फीसदी युवाओं ने इसे गुटखा कहा, जबकि 17 फीसदी बच्चों और 15 फीसदी युवाओं ने इसे पान मसाला बताया। सलाम बॉम्बे की कार्यक्रम निदेशक देविका चड्ढा ने कहा, सभी तीन ब्रांडों ने पान मसाला उत्पाद का विज्ञापन करने का दावा किया है। जबकि अध्ययन में सामने आया है कि विज्ञापन अप्रत्यक्ष रूप से उनके गुटखा का प्रचार-प्रसार करते हैं क्योंकि विज्ञापन देखने वालों ने इसे गुटखा का प्रचार बताया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि विज्ञापन उत्पादों को खरीदने में उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। संगठन ने भारतीय विज्ञापन परिषद (एसीआइ) को पत्र लिखकर ऐसे ब्रांडों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है जो अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू उत्पादों का प्रचार-प्रसार कर उत्पाद निषेध अधिनियम का उल्लंघन करते हैं।


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