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Sunday, June 19, 2011

अमेरिका में भारतीय करा रहे कन्या भ्रूण हत्या

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री : 
आधुनिक शिक्षा के बावजूद भारतीय महिलाओं की मानसिकता में बदलाव नहीं आया है। अमेरिका में परिवार के दबाव के चलते भारतीय मूल की महिलाएं पुत्र की चाह में कन्या भ्रूण हत्या करा रही हैं। लिंग निर्धारण के लिए वह यहां की उदारवादी नीति और कृत्रिम प्रजनन सुविधाओं का सहारा ले रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। भारत के विपरीत अमेरिका में लिंग निर्धारण वैध है। अध्ययन के मुताबिक यह महिलाएं कृत्रिम प्रजनन तकनीक इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) के दौरान सिर्फ नर भ्रूण को प्रत्यारोपित करा रही हैं। वह कन्या भ्रूण का गर्भपात करा देती हैं। शोधकर्ताओं ने कैलिफोर्निया, न्यूजर्सी और न्यूयॉर्क में 65 अप्रवासी भारतीय महिलाओं का साक्षात्कार लिया, जिन्होंने सितंबर, 2004 से दिसंबर, 2009 के बीच लिंग परीक्षण कराया। साक्षात्कार के दौरान जो महिलाएं गर्भवती थीं, उनमे से 89 प्रतिशत ने कन्या भ्रूण पता चलने के बाद गर्भपात करा लिया। यह सभी महिलाएं विभिन्न धर्मो और अलग-अलग शैक्षिक पृष्ठिभूमि की थीं। जबकि आधे से ज्यादा नौकरीपेशा थीं। हालांकि विभिन्न शैक्षिक स्तर होने के बावजूद उनकी मानसिकता एक समान थी। इनमें 38 प्रतिशत हाईस्कूल पास थीं। जबकि 12 स्नातक और 15 के पास चिकित्सा, लॉ, बिजनेस, नर्सिग और वैज्ञानिक शोध की उच्च स्तरीय डिग्री । कन्या भ्रूण जानने के बावजूद उसे जन्म देने वाली महिलाओं ने कहा कि उन्हें गर्भावस्था के दौरान कई तरह के मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न से गुजरना पड़ा। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में रेजिडेंट डॉक्टर और प्रमुख शोधकर्ता सुनीता पुरी ने कहा, चिकित्सक इन मामलों में सलाह देने के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन पारिवारिक दबाव के मामलों में संकोच कर जाते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत में लिंग चयन तकनीक पर प्रतिबंध है। जबकि अमेरिका में किसी भी कारण से गर्भपात और विभिन्न चिकित्सकीय तकनीक के जरिए लिंग चयन की छूट है। यह शोध 18 साल की उम्र के बाद पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से आई अप्रवासी भारतीय महिलाओं पर किया गया।

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Sunday, June 19, 2011

अमेरिका में भारतीय करा रहे कन्या भ्रूण हत्या

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री : 
आधुनिक शिक्षा के बावजूद भारतीय महिलाओं की मानसिकता में बदलाव नहीं आया है। अमेरिका में परिवार के दबाव के चलते भारतीय मूल की महिलाएं पुत्र की चाह में कन्या भ्रूण हत्या करा रही हैं। लिंग निर्धारण के लिए वह यहां की उदारवादी नीति और कृत्रिम प्रजनन सुविधाओं का सहारा ले रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। भारत के विपरीत अमेरिका में लिंग निर्धारण वैध है। अध्ययन के मुताबिक यह महिलाएं कृत्रिम प्रजनन तकनीक इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) के दौरान सिर्फ नर भ्रूण को प्रत्यारोपित करा रही हैं। वह कन्या भ्रूण का गर्भपात करा देती हैं। शोधकर्ताओं ने कैलिफोर्निया, न्यूजर्सी और न्यूयॉर्क में 65 अप्रवासी भारतीय महिलाओं का साक्षात्कार लिया, जिन्होंने सितंबर, 2004 से दिसंबर, 2009 के बीच लिंग परीक्षण कराया। साक्षात्कार के दौरान जो महिलाएं गर्भवती थीं, उनमे से 89 प्रतिशत ने कन्या भ्रूण पता चलने के बाद गर्भपात करा लिया। यह सभी महिलाएं विभिन्न धर्मो और अलग-अलग शैक्षिक पृष्ठिभूमि की थीं। जबकि आधे से ज्यादा नौकरीपेशा थीं। हालांकि विभिन्न शैक्षिक स्तर होने के बावजूद उनकी मानसिकता एक समान थी। इनमें 38 प्रतिशत हाईस्कूल पास थीं। जबकि 12 स्नातक और 15 के पास चिकित्सा, लॉ, बिजनेस, नर्सिग और वैज्ञानिक शोध की उच्च स्तरीय डिग्री । कन्या भ्रूण जानने के बावजूद उसे जन्म देने वाली महिलाओं ने कहा कि उन्हें गर्भावस्था के दौरान कई तरह के मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न से गुजरना पड़ा। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में रेजिडेंट डॉक्टर और प्रमुख शोधकर्ता सुनीता पुरी ने कहा, चिकित्सक इन मामलों में सलाह देने के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन पारिवारिक दबाव के मामलों में संकोच कर जाते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत में लिंग चयन तकनीक पर प्रतिबंध है। जबकि अमेरिका में किसी भी कारण से गर्भपात और विभिन्न चिकित्सकीय तकनीक के जरिए लिंग चयन की छूट है। यह शोध 18 साल की उम्र के बाद पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से आई अप्रवासी भारतीय महिलाओं पर किया गया।

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