SAMACHAR TODAY LIVE TV

http://samacharcloud.purplestream.in/samachar/samachar2-live.smil/playlist.m3u8

Tuesday, June 7, 2011

संध्या सिंह की कला प्रर्दशनी

नई दिल्ली।(प्रेमबाबू शर्मा) :
हमारी संस्कृति में शास्त्रीय संगीत, जीवन को संवारने और सुरूचिपूर्ण ढंग से जीने की कला को माना गया है। संगीत हमारी संस्कृति की ऐसी गरिमापूर्ण धरोहर है जिससे हमारे देश के हर प्रंातों के विभिन्न लोकसंगीत की पावन धाराएं निकलती हैं। यह धाराएं हमारे जीवन में न सिर्फ उल्लास और खुशियों का रंग भरती हैं। बल्कि यह हमारे संस्कारों की पहचान का आधार भी हैं।
अगर हम किसी को रागों के रंग के बारे में पूछे तो निश्चय ही हमें इसका जवाब नहीं मिल पाएगा। किंतु प्रतिभाषाली चित्रकार संध्या सिंह ने संगीत की प्ररेणा से अपने कैनवैस पर इसी विषय पर विभिन्न रागों को अकार देने की कोशिश की है। संध्या ने डी.ए.वी. कॉलेज देहरादून से फाईन आर्टस में मास्टर डिग्री प्राप्त की है उनके अनुसार संगीत को अपनी कल्पनाओ�¤ ‚ से रंगना इतना आसान नहीं इसके लिए संगीत की प्रकृति का गहराई से ज्ञान होना बहुत आवश्यक है।
हम संगीत की बात करें तो सबसे पहले हमको यह समझ लेना चाहिए कि इंसान की अनुभूति किसी भी कला की जन्मदाता है। चित्रकारी और संगीत कला के दो पहलू है जिनके माध्यम से इंसान अपनी संवेदनाओं को अभिव्यक्त करता है। कितु अगर इनका मिश्रण कर दिया जाय तो अवश्य यह चौंका देने वाला विषय होगा। संध्या सिंह �¤ �ा कहना हैं राग संगीत की आत्मा हैं। राग का अर्थ है प्रेम, इच्छाएं, सवेंदनाए, अनुभूति, इंसानी जीवन के विभिन्न पक्ष एवं कविता । हर राग में एक विशेष प्रकार के स्वर समूह को बार बार प्रयोग करके उस राग की पहचान दर्शाई जाती है।
हर राग का एक निश्चित समय है। उस समय की व्यक्तिगत मनस्थिति व मौसम परिस्थिति के आधार पर रंगों का चयन निश्चित करता है। उनके चित्रों में इंद्रधनुष के सात रंगों को माध्यम बनाया गया है । उन्होंने अपने कुछ चित्रों के माध्यम से यह भी दर्शाने का प्रयास किया है कि संगीत बिना हमारा जीवन नीरस हैं। संगीत एक ऐसा माध्यम है जो हमें हमारे जीवन के सुख और दुख की कडियों को जोड़ता है।
संध्या के मुताबिक स्वर एवं नांद संगीत के मुख्य अंग हैं। संध्या सिंह ने अपने कैनवैस पर विभिन्न रंगों के माध्यम से अलाप, जुगलबंदी एंव संगीत के सात स्वर एवं उनसे जु़ड़ने वाले अन्य पहलुओं को स्थूल आकार दिए हैं। संध्या सिंह कि संगीत की विभिन्न कड़ियों को जोड़ती ‘रिदम ऑफ लाईफ म्युजिक’ चित्रकला प्रर्दषनी 29 जून से 6 जुलाई तक मुम्बई के डी डी निरॉय आर्ट गैलरी में लगाई जाएगी।

No comments:

Tuesday, June 7, 2011

संध्या सिंह की कला प्रर्दशनी

नई दिल्ली।(प्रेमबाबू शर्मा) :
हमारी संस्कृति में शास्त्रीय संगीत, जीवन को संवारने और सुरूचिपूर्ण ढंग से जीने की कला को माना गया है। संगीत हमारी संस्कृति की ऐसी गरिमापूर्ण धरोहर है जिससे हमारे देश के हर प्रंातों के विभिन्न लोकसंगीत की पावन धाराएं निकलती हैं। यह धाराएं हमारे जीवन में न सिर्फ उल्लास और खुशियों का रंग भरती हैं। बल्कि यह हमारे संस्कारों की पहचान का आधार भी हैं।
अगर हम किसी को रागों के रंग के बारे में पूछे तो निश्चय ही हमें इसका जवाब नहीं मिल पाएगा। किंतु प्रतिभाषाली चित्रकार संध्या सिंह ने संगीत की प्ररेणा से अपने कैनवैस पर इसी विषय पर विभिन्न रागों को अकार देने की कोशिश की है। संध्या ने डी.ए.वी. कॉलेज देहरादून से फाईन आर्टस में मास्टर डिग्री प्राप्त की है उनके अनुसार संगीत को अपनी कल्पनाओ�¤ ‚ से रंगना इतना आसान नहीं इसके लिए संगीत की प्रकृति का गहराई से ज्ञान होना बहुत आवश्यक है।
हम संगीत की बात करें तो सबसे पहले हमको यह समझ लेना चाहिए कि इंसान की अनुभूति किसी भी कला की जन्मदाता है। चित्रकारी और संगीत कला के दो पहलू है जिनके माध्यम से इंसान अपनी संवेदनाओं को अभिव्यक्त करता है। कितु अगर इनका मिश्रण कर दिया जाय तो अवश्य यह चौंका देने वाला विषय होगा। संध्या सिंह �¤ �ा कहना हैं राग संगीत की आत्मा हैं। राग का अर्थ है प्रेम, इच्छाएं, सवेंदनाए, अनुभूति, इंसानी जीवन के विभिन्न पक्ष एवं कविता । हर राग में एक विशेष प्रकार के स्वर समूह को बार बार प्रयोग करके उस राग की पहचान दर्शाई जाती है।
हर राग का एक निश्चित समय है। उस समय की व्यक्तिगत मनस्थिति व मौसम परिस्थिति के आधार पर रंगों का चयन निश्चित करता है। उनके चित्रों में इंद्रधनुष के सात रंगों को माध्यम बनाया गया है । उन्होंने अपने कुछ चित्रों के माध्यम से यह भी दर्शाने का प्रयास किया है कि संगीत बिना हमारा जीवन नीरस हैं। संगीत एक ऐसा माध्यम है जो हमें हमारे जीवन के सुख और दुख की कडियों को जोड़ता है।
संध्या के मुताबिक स्वर एवं नांद संगीत के मुख्य अंग हैं। संध्या सिंह ने अपने कैनवैस पर विभिन्न रंगों के माध्यम से अलाप, जुगलबंदी एंव संगीत के सात स्वर एवं उनसे जु़ड़ने वाले अन्य पहलुओं को स्थूल आकार दिए हैं। संध्या सिंह कि संगीत की विभिन्न कड़ियों को जोड़ती ‘रिदम ऑफ लाईफ म्युजिक’ चित्रकला प्रर्दषनी 29 जून से 6 जुलाई तक मुम्बई के डी डी निरॉय आर्ट गैलरी में लगाई जाएगी।

No comments: