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Tuesday, May 3, 2011

ऐसे मिलेगा हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा

खुशबू(ख़ुशी), इन्द्री :लेकिन ये वास्तविकता है रामराय गाँव निवासी शेखू की बेटियों को संस्कृत के श्लोकों का पाठ करते देख प्रकांड पंडित भी शर्मसार हो जायेंगे पिछले 60 बड़े बड़े राजनेता और विचारक जो काम नही कर पाए वो शेखू की बेटियों ने कर दिखाया है शुद्ध उच्चारण और प्रवाह के साथ संस्कृत के दुरूह श्लोक मजीदन और बशीरी को कंठस्थ हैं और लंबे वाक्यों में भी उनकी जुबान जरा नहीं लड़खड़ाती। भाषा के बीच दीवार खड़ी करने वालों को जैसे दोनों धर्म का मर्म समझा रही हों। हिंदुओं के बीच संस्कृत पढ़ने में कभी धर्म उन दोनों के आड़े नहीं आया। ठीक इसी तरह मुसलिमों के बीच संस्कृत पढ़ाने के शेखू के फैसले को उनके मजहब ने कभी शक की निगाह से नहीं देखा। रामराय गांव की दो मुस्लिम बहनों को उनके परिवार ने भी दकियानूसी सोच को परे रख कर उनको भरपूर बढ़ावा दिया है। सबसे खास बात यह है कि गांव के मुस्लिम समाज को भी इस पर कोई एतराज नहीं है। एक बहन शास्त्री द्वितीय व दूसरी विशारद द्वितीय वर्ष की छात्रा है। सेना से सेवानिवृत्त प्यारदीन शेखू के दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं। बड़ा लड़का बशीर बीकॉम का छात्र है, जबकि सबसे छोटे बीरू ने इसी वर्ष दसवीं की परीक्षा दी है। बीच की दोनों संतानें लड़कियां हैं। बड़ी लड़की मजीदन ने गांव के स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद गांव के संस्कृत महाविद्यालय में दाखिले की मंशा जताई। शेखू ने तुरंत उसे दाखिला दिला दिया। विशारद करने के बाद वह शास्त्री की पढ़ाई कर रही है। एक वर्ष बाद उसका शास्त्री का कोर्स पूरा हो जाएगा। सबसे खास बात यह है कि मजीदन शास्त्री तक हर परीक्षा में कक्षा में अव्वल रही है। बशीरी ने भी बड़ी बहन की तरह संस्कृत के पाठयक्रम में दाखिला लिया। वह विशारद (12वीं) द्वितीय वर्ष की छात्रा है। बकौल मजीदन, पड़ोस की लड़कियों को देखकर और माता-पिता के प्रोत्साहन के कारण उसे इसकी प्रेरणा मिली। वहीं बशीरी ने कहा कि बड़ी बहन को संस्कृत में पढ़ते देख उसे प्रेरणा मिली। दोनों बहनों ने कहा कि संस्कृत की पढ़ाई से हिंदू धर्म के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला है। शेखू कहते हैं कि धर्म और भाषा एक-दूसरे को जोड़ने का माध्यम होनी चाहिए। संस्कृत में शिक्षा लेने से उनकी बेटियों को हिंदू धर्म के बारे में जानकारी मिलेगी और वे बेहतर इंसान बन सकेंगी। वहीं, संस्कृत महाविद्यालय प्रबंधन समिति के प्रधान फूल कुमार शास्त्री ने कहा कि शिक्षा को धर्म व जाति के नाम पर नहीं बांटा जा सकता।हिन्दू-मुस्लिम एकता को मजबूत करने की दिशा में यह कदम महत्वपुरn भूमिका निभा सकती है

सुनने में किसी को भी अचम्भा हो सकता है कि मुस्लिम पढ़े संस्कृत के श्लोक



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Tuesday, May 3, 2011

ऐसे मिलेगा हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा

खुशबू(ख़ुशी), इन्द्री :लेकिन ये वास्तविकता है रामराय गाँव निवासी शेखू की बेटियों को संस्कृत के श्लोकों का पाठ करते देख प्रकांड पंडित भी शर्मसार हो जायेंगे पिछले 60 बड़े बड़े राजनेता और विचारक जो काम नही कर पाए वो शेखू की बेटियों ने कर दिखाया है शुद्ध उच्चारण और प्रवाह के साथ संस्कृत के दुरूह श्लोक मजीदन और बशीरी को कंठस्थ हैं और लंबे वाक्यों में भी उनकी जुबान जरा नहीं लड़खड़ाती। भाषा के बीच दीवार खड़ी करने वालों को जैसे दोनों धर्म का मर्म समझा रही हों। हिंदुओं के बीच संस्कृत पढ़ने में कभी धर्म उन दोनों के आड़े नहीं आया। ठीक इसी तरह मुसलिमों के बीच संस्कृत पढ़ाने के शेखू के फैसले को उनके मजहब ने कभी शक की निगाह से नहीं देखा। रामराय गांव की दो मुस्लिम बहनों को उनके परिवार ने भी दकियानूसी सोच को परे रख कर उनको भरपूर बढ़ावा दिया है। सबसे खास बात यह है कि गांव के मुस्लिम समाज को भी इस पर कोई एतराज नहीं है। एक बहन शास्त्री द्वितीय व दूसरी विशारद द्वितीय वर्ष की छात्रा है। सेना से सेवानिवृत्त प्यारदीन शेखू के दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं। बड़ा लड़का बशीर बीकॉम का छात्र है, जबकि सबसे छोटे बीरू ने इसी वर्ष दसवीं की परीक्षा दी है। बीच की दोनों संतानें लड़कियां हैं। बड़ी लड़की मजीदन ने गांव के स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद गांव के संस्कृत महाविद्यालय में दाखिले की मंशा जताई। शेखू ने तुरंत उसे दाखिला दिला दिया। विशारद करने के बाद वह शास्त्री की पढ़ाई कर रही है। एक वर्ष बाद उसका शास्त्री का कोर्स पूरा हो जाएगा। सबसे खास बात यह है कि मजीदन शास्त्री तक हर परीक्षा में कक्षा में अव्वल रही है। बशीरी ने भी बड़ी बहन की तरह संस्कृत के पाठयक्रम में दाखिला लिया। वह विशारद (12वीं) द्वितीय वर्ष की छात्रा है। बकौल मजीदन, पड़ोस की लड़कियों को देखकर और माता-पिता के प्रोत्साहन के कारण उसे इसकी प्रेरणा मिली। वहीं बशीरी ने कहा कि बड़ी बहन को संस्कृत में पढ़ते देख उसे प्रेरणा मिली। दोनों बहनों ने कहा कि संस्कृत की पढ़ाई से हिंदू धर्म के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला है। शेखू कहते हैं कि धर्म और भाषा एक-दूसरे को जोड़ने का माध्यम होनी चाहिए। संस्कृत में शिक्षा लेने से उनकी बेटियों को हिंदू धर्म के बारे में जानकारी मिलेगी और वे बेहतर इंसान बन सकेंगी। वहीं, संस्कृत महाविद्यालय प्रबंधन समिति के प्रधान फूल कुमार शास्त्री ने कहा कि शिक्षा को धर्म व जाति के नाम पर नहीं बांटा जा सकता।हिन्दू-मुस्लिम एकता को मजबूत करने की दिशा में यह कदम महत्वपुरn भूमिका निभा सकती है

सुनने में किसी को भी अचम्भा हो सकता है कि मुस्लिम पढ़े संस्कृत के श्लोक



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