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Friday, March 11, 2011

दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग किसानो को कर रहा है प्रेरित

करनाल ,विजय काम्बोज :
करनाल जिले में दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन की एपी-3 योजना के तहत करनाल, नीलोखेड़ी व इंद्री खंड में तीन हजार हेक्टेयर में मूंग की खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया जाएगा। इसके तहत प्रति हेक्टेयर किसानों को 3500 रुपये की सामग्री प्रदान की जाएगी। विभाग योजनाओं के तहत किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर मूंग का बीज उपलब्ध करवाएगा। संबंधित कृषि विकास अधिकारी से संपर्क कर किसान मूंग की बिजाई कर सकते हैं।
योजना के तहत समर मूंग बीज के मिनी किट (चार किलोग्राम प्रति किट आधा एकड़ के लिए) किसानों को प्रदान किए जाएंगे। कृषि विभाग के तकनीकी अधिकारी आरपीएस कुंडू ने बताया कि मूंग की एसएमएल-668 किस्म की पिछले साल जिन किसानों ने बिजाई की थी उसकी औसत पैदावार छह से सात क्विंटल प्रति एकड़ मिली थी। 15 मार्च से 15 अप्रैल तक इस किस्म की बिजाई का उपयुक्त समय है। यह किस्म 70 प्रतिशत तक एक साथ पकती है और बाकी हरी खाद के रूप में खेत में काम करती है।
कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. डीएस मलिक ने कहा कि शाकाहारियों के लिए मूंग दाल अन्य दालों की अपेक्षा असाधारण महत्व रखती है क्योंकि इसमें विषैले पदार्थो की मात्रा नगण्य होती है। उन्होंने कहा कि सीरियल सिस्टमस इनिशिएटिव फॉर साउथ एशिया परियोजना के अंतर्गत रिले क्रापिंग सिस्टम के तहत भी 30 एकड़ मूंग की बिजाई करवाई जाएगी। गेहूं की खड़ी फसल में अंतिम सिंचाई के दौरान किसान मूंग की बिजाई कर दें। प्रयोगात्मक तौर पर देखा जाएगा कि इस तरह बिजाई करने से किसान व पर्यावरण को कितना लाभ होगा। क्योंकि मूंग की फसल खड़ी होने की वजह से किसान फानों में आग नहीं लगाएंगे और वह अवशेष जमीन में पोषक तत्वों की पूर्ति करेंगे।

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Friday, March 11, 2011

दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग किसानो को कर रहा है प्रेरित

करनाल ,विजय काम्बोज :
करनाल जिले में दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन की एपी-3 योजना के तहत करनाल, नीलोखेड़ी व इंद्री खंड में तीन हजार हेक्टेयर में मूंग की खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया जाएगा। इसके तहत प्रति हेक्टेयर किसानों को 3500 रुपये की सामग्री प्रदान की जाएगी। विभाग योजनाओं के तहत किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर मूंग का बीज उपलब्ध करवाएगा। संबंधित कृषि विकास अधिकारी से संपर्क कर किसान मूंग की बिजाई कर सकते हैं।
योजना के तहत समर मूंग बीज के मिनी किट (चार किलोग्राम प्रति किट आधा एकड़ के लिए) किसानों को प्रदान किए जाएंगे। कृषि विभाग के तकनीकी अधिकारी आरपीएस कुंडू ने बताया कि मूंग की एसएमएल-668 किस्म की पिछले साल जिन किसानों ने बिजाई की थी उसकी औसत पैदावार छह से सात क्विंटल प्रति एकड़ मिली थी। 15 मार्च से 15 अप्रैल तक इस किस्म की बिजाई का उपयुक्त समय है। यह किस्म 70 प्रतिशत तक एक साथ पकती है और बाकी हरी खाद के रूप में खेत में काम करती है।
कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. डीएस मलिक ने कहा कि शाकाहारियों के लिए मूंग दाल अन्य दालों की अपेक्षा असाधारण महत्व रखती है क्योंकि इसमें विषैले पदार्थो की मात्रा नगण्य होती है। उन्होंने कहा कि सीरियल सिस्टमस इनिशिएटिव फॉर साउथ एशिया परियोजना के अंतर्गत रिले क्रापिंग सिस्टम के तहत भी 30 एकड़ मूंग की बिजाई करवाई जाएगी। गेहूं की खड़ी फसल में अंतिम सिंचाई के दौरान किसान मूंग की बिजाई कर दें। प्रयोगात्मक तौर पर देखा जाएगा कि इस तरह बिजाई करने से किसान व पर्यावरण को कितना लाभ होगा। क्योंकि मूंग की फसल खड़ी होने की वजह से किसान फानों में आग नहीं लगाएंगे और वह अवशेष जमीन में पोषक तत्वों की पूर्ति करेंगे।

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