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Thursday, November 18, 2010

छाती से जुड़े बच्चों को किया अलग

नई दिल्ली.एम्स के डॉक्टरों ने एक और अनोखा आपरेशन करने में कामयाबी हासिल की है। 18 डॉक्टरों की एक टीम ने छाती से जुड़े दो हफ्ते के दो बच्चों को अलग करने में सफलता प्राप्त की है।फिलहाल, दोनों बच्चे स्वस्थ बताए जा रहे हैं।
एम्स के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. डीके गुप्ता ने बताया कि दोनों बच्चे नजबगढ़ निवासी एक दम्पति के हैं। सितंबर महीने में यह सर्जरी की गई है। दोनों बच्चे छाती से एक दूसरे से जुड़े हुए थे।
सर्जरी से पहले हर जरूरी जांच की गई थी। उन्होंने बताया कि 18 डॉक्टरों की टीम ने कई घंटों के अथक प्रयास के बाद इस जटिल सर्जरी को अंजाम दिया। सर्जरी के दौरान ही बच्चों की आपस में जुड़ी हड्डियों को भी अलग कर दिया गया था।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि इतनी कम उम्र में इस तरह की सर्जरी होने का यह पहला मामला है। उन्होंने कहा मैंने इससे पहले 1988 में 9 महीने की दो जुड़वा बहनों को सर्जरी कर अलग किया था।
दोनों बहनें अभी सामान्य जीवन जी रही हैं। उन्होंने बताया कि डिलेवरी के 10 लाख मामलों में केवल एक मामला ऐसा होता है। इस तरह के 75 फीसदी मामलों में गर्भपात हो जाता है।
इसके अलावा उनके लोअर चेस्ट और लीवर भी कामन थे। साथ ही, छाती की हड्यां भी आपस में जुडंी हुई थीं। उन्होंने बताया कि सर्जरी काफी जटिल थी इसलिए तैयारी में काफी वक्त लग गया था।

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Thursday, November 18, 2010

छाती से जुड़े बच्चों को किया अलग

नई दिल्ली.एम्स के डॉक्टरों ने एक और अनोखा आपरेशन करने में कामयाबी हासिल की है। 18 डॉक्टरों की एक टीम ने छाती से जुड़े दो हफ्ते के दो बच्चों को अलग करने में सफलता प्राप्त की है।फिलहाल, दोनों बच्चे स्वस्थ बताए जा रहे हैं।
एम्स के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. डीके गुप्ता ने बताया कि दोनों बच्चे नजबगढ़ निवासी एक दम्पति के हैं। सितंबर महीने में यह सर्जरी की गई है। दोनों बच्चे छाती से एक दूसरे से जुड़े हुए थे।
सर्जरी से पहले हर जरूरी जांच की गई थी। उन्होंने बताया कि 18 डॉक्टरों की टीम ने कई घंटों के अथक प्रयास के बाद इस जटिल सर्जरी को अंजाम दिया। सर्जरी के दौरान ही बच्चों की आपस में जुड़ी हड्डियों को भी अलग कर दिया गया था।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि इतनी कम उम्र में इस तरह की सर्जरी होने का यह पहला मामला है। उन्होंने कहा मैंने इससे पहले 1988 में 9 महीने की दो जुड़वा बहनों को सर्जरी कर अलग किया था।
दोनों बहनें अभी सामान्य जीवन जी रही हैं। उन्होंने बताया कि डिलेवरी के 10 लाख मामलों में केवल एक मामला ऐसा होता है। इस तरह के 75 फीसदी मामलों में गर्भपात हो जाता है।
इसके अलावा उनके लोअर चेस्ट और लीवर भी कामन थे। साथ ही, छाती की हड्यां भी आपस में जुडंी हुई थीं। उन्होंने बताया कि सर्जरी काफी जटिल थी इसलिए तैयारी में काफी वक्त लग गया था।

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