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Monday, November 22, 2010

लड़की के भाइयों] तो तोड़ने लगा कार के शीशे.......

चंडीगढ़. डेढ़ साल पहले कॉलेज से घर जा रही लड़की को छेड़ा। कहीं से उसका मोबाइल फोन नंबर लेकर एसएमएस करने शुरू कर दिए। तंग आकर लड़की ने अपने परिवार को बताया तो भाइयों ने आरोपी युवक को पीटा और पुलिस के हवाले कर दिया।
खैर पुलिस चौकी में लिखित में माफी मांगकर आरोपी युवक ने पिंड छुड़वा लिया। लेकिन अब डेढ़ साल बाद फिर से उसने लड़की के परिवार को तंग करना शुरू कर दिया। एक सप्ताह के भीतर दो बार घर के बाहर खड़ी कार के शीशे तोड़ डाले।
शिकायतकर्ता की गाड़ी में घूमी पुलिस
सेक्टर 22 में रहने वाले अमित ने बताया कि 13 नवंबर घर के बाहर खड़ी कार का शीशा किसी ने पत्थर मारकर तोड़ दिया। तब समझ नहीं आया कि यह काम किसका है। पुलिस को सूचना दी और नया शीशा लगवा लिया। लेकिन 20 नवंबर की रात करीब पौने बारह बजे फिर शीशा टूटा। आवाज सुनकर अमित तुरंत बाहर निकला, उसने देखा कि दो लड़के मोटरसाइकिल पर भाग रहे हैं।
उसे शक हुआ कि यह करतूत उसी वरुण है जिसे डेढ़ साल पहले पुलिस के हवाले किया था। अमित ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया। कुछ देर बार पीसीआर और चौकी से एएसआई गुरचरण सिंह व एक कांस्टेबल पहुंच गए। अमित ने वरुण पर शक जताया।
चौकी से अपने वाहन पर पहुंचे थानेदार व कांस्टेबल ने अमित से कार निकालने को कहा। अमित की कार में ही वह वरुण के घर बुड़ैल पहुंचे। वहां उन्होंने पाया कि वरुण की मोटरसाइकिल का इंजन गर्म था। सख्ती से पूछने पर वरुण ने कबूल कर लिया कि कार का शीशा उसी ने तोड़ा है। अमित की कार में ही पुलिस वरुण को पुलिस चौकी लाई। चौकी से पुलिस वाले फिर कार लेकर गए और वरुण के साथी अरुण को भी ले आए। खानापूर्ति के लिए पुलिस ने दोनों की प्रिवेंटिव अरेस्ट डाली। अगली ही सुबह उसे जमानत मिल गई।
पुलिस की ढीली कार्रवाई, अगली ही सुबह हो गई जमानत
एसएसपी नौनिहाल सिंह के आदेशों के बाद 100 नंबर पर की गई हर कॉल पर फीडबैक लिया जाता है। इस मामले में भी कंट्रोल रूम से रविवार दोपहर अमित को फोन आया। फोन करने वाले मुलाजिम ने पूछा कि क्या आप पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट हैं। तो जवाब ‘नहीं’ मिला। अमित का कहना है कि उसके परिवार का डर तो वहीं का वहीं रहा और पुलिस ने आरोपी को सबक सिखाने की बजाए, उसकी प्रिवेंटिव अरेस्ट डाली।
अगले सुबह ही वह जमान पर छूट गया। जबकि पुलिस को दी शिकायत में अमित ने कहा था कि उसके परिवार को जान का खतरा है। आरोपी फोन पर कई बार धमकियां और गालियां दे चुका है। ऐसे में पुलिस आईपीसी 506 लगा सकती थी। लेकिन नहीं लगाई गई। कार का शीशा तोड़ने पर अलग से आईपीसी की धारा 429 लगाई जा सकती थी। लेकिन पुलिस ने यह धारा भी नहीं लगाई। आरोपी का मोटरसाइकिल पुलिस कब्जे में ले सकती थी। लेकिन नहीं लिया।



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Monday, November 22, 2010

लड़की के भाइयों] तो तोड़ने लगा कार के शीशे.......

चंडीगढ़. डेढ़ साल पहले कॉलेज से घर जा रही लड़की को छेड़ा। कहीं से उसका मोबाइल फोन नंबर लेकर एसएमएस करने शुरू कर दिए। तंग आकर लड़की ने अपने परिवार को बताया तो भाइयों ने आरोपी युवक को पीटा और पुलिस के हवाले कर दिया।
खैर पुलिस चौकी में लिखित में माफी मांगकर आरोपी युवक ने पिंड छुड़वा लिया। लेकिन अब डेढ़ साल बाद फिर से उसने लड़की के परिवार को तंग करना शुरू कर दिया। एक सप्ताह के भीतर दो बार घर के बाहर खड़ी कार के शीशे तोड़ डाले।
शिकायतकर्ता की गाड़ी में घूमी पुलिस
सेक्टर 22 में रहने वाले अमित ने बताया कि 13 नवंबर घर के बाहर खड़ी कार का शीशा किसी ने पत्थर मारकर तोड़ दिया। तब समझ नहीं आया कि यह काम किसका है। पुलिस को सूचना दी और नया शीशा लगवा लिया। लेकिन 20 नवंबर की रात करीब पौने बारह बजे फिर शीशा टूटा। आवाज सुनकर अमित तुरंत बाहर निकला, उसने देखा कि दो लड़के मोटरसाइकिल पर भाग रहे हैं।
उसे शक हुआ कि यह करतूत उसी वरुण है जिसे डेढ़ साल पहले पुलिस के हवाले किया था। अमित ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया। कुछ देर बार पीसीआर और चौकी से एएसआई गुरचरण सिंह व एक कांस्टेबल पहुंच गए। अमित ने वरुण पर शक जताया।
चौकी से अपने वाहन पर पहुंचे थानेदार व कांस्टेबल ने अमित से कार निकालने को कहा। अमित की कार में ही वह वरुण के घर बुड़ैल पहुंचे। वहां उन्होंने पाया कि वरुण की मोटरसाइकिल का इंजन गर्म था। सख्ती से पूछने पर वरुण ने कबूल कर लिया कि कार का शीशा उसी ने तोड़ा है। अमित की कार में ही पुलिस वरुण को पुलिस चौकी लाई। चौकी से पुलिस वाले फिर कार लेकर गए और वरुण के साथी अरुण को भी ले आए। खानापूर्ति के लिए पुलिस ने दोनों की प्रिवेंटिव अरेस्ट डाली। अगली ही सुबह उसे जमानत मिल गई।
पुलिस की ढीली कार्रवाई, अगली ही सुबह हो गई जमानत
एसएसपी नौनिहाल सिंह के आदेशों के बाद 100 नंबर पर की गई हर कॉल पर फीडबैक लिया जाता है। इस मामले में भी कंट्रोल रूम से रविवार दोपहर अमित को फोन आया। फोन करने वाले मुलाजिम ने पूछा कि क्या आप पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट हैं। तो जवाब ‘नहीं’ मिला। अमित का कहना है कि उसके परिवार का डर तो वहीं का वहीं रहा और पुलिस ने आरोपी को सबक सिखाने की बजाए, उसकी प्रिवेंटिव अरेस्ट डाली।
अगले सुबह ही वह जमान पर छूट गया। जबकि पुलिस को दी शिकायत में अमित ने कहा था कि उसके परिवार को जान का खतरा है। आरोपी फोन पर कई बार धमकियां और गालियां दे चुका है। ऐसे में पुलिस आईपीसी 506 लगा सकती थी। लेकिन नहीं लगाई गई। कार का शीशा तोड़ने पर अलग से आईपीसी की धारा 429 लगाई जा सकती थी। लेकिन पुलिस ने यह धारा भी नहीं लगाई। आरोपी का मोटरसाइकिल पुलिस कब्जे में ले सकती थी। लेकिन नहीं लिया।



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