नई दिल्ली. एके राइफलों से रबर की गोलियों की बौछार? जी हां, जल्द ही यह बात हकीकत में बदलने जा रही है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए काशलनिकोव राइफलों से रबर की गोलियां चलाने का परीक्षण पूरा किया गया है। गर्मियों में कश्मीर घाटी में व्यापक हिंसा की पृष्ठभूमि में इस संबंध में गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में फैसला किया गया। इस बैठक में एक विशेष समूह के गठन पर भी सहमति बनी।
इस समूह पर न्यूनतम बल प्रयोग कर हिंसक भीड़ को नियंत्रित करने के विभिन्न तरीकों का विश्लेषण करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इन एके राइफलों का उपयोग जल्द ही खास तौर कश्मीर घाटी में होगा। सूत्रों ने बताया कि दूर से चलने और महत्वपूर्ण अंगों पर नहीं लगने पर एके-47 से निकली रबर की गोलियां घातक नहीं साबित होंगी। भीड़ पर नियंत्रण पाने वाले एक और उपकरण ‘डैजलर’ को मंजूरी दी गई है।
यह भीड़ को तितर-बितर क रने के लिए लेजर किरणों का उपयोग करता है जो लोगों को अस्थायी रूप से अंधा कर देती है। इन्हें जल्द ही कश्मीर जैसे हालात में संचालन कर रहे सुरक्षा बलों को सौंपा जाएगा, ताकि उग्र प्रदर्शन की हालत में भीड़ पर काबू पाया जा सके। ‘डैजलर’ पत्थरबाजी कर रहे लोगों पर अंकुश ला सकता है। ये उपकरण 50 मीटर से 250 मीटर की दूरी से भीड़ को नियंत्रित करने में उपयोगी हो सकते हैं।
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