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Monday, November 22, 2010

आरोपी को कैसे दिया पद? सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फिर एक झटका देते हुए मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) पीजे थॉमस की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं और इस परिस्थिति में वे क्या इस संवेदनशील पद के साथ न्याय कर पाएंगे?
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा पर कार्रवाई न करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चुप्पी पर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने इस मामले में सिंह को जवाब देने के लिए कहा, जो उनकी ओर से पीएमओ ने शनिवार को दायर किया।
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन नाम के संगठन द्वारा पेश की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को सीवीसी की नियुक्ति संबंधी फाइल 22 नवंबर को अदालत में पेश करने के निर्देश दिए थे। सीलबंद लिफाफे में फाइल आने पर पीठ की अध्‍यक्षता कर रहे मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसएच कपाड़िया ने कहा कि फाइल तो बाद में देखेंगे, लेकिन एक आरोपी को सीवीसी बना दिया जाना वाकई हमारे लिए चिंता का विषय है। उन्‍होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि ऐसा व्यक्ति जो खुद आरोपी है, कैसे इस तरह की संस्थाओं जिन पर भ्रष्टाचार रोकने की जवाबदारी हो, का प्रमुख नियुक्त किया जा सकता है। अब अदालत इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद करेगी। उस दिन अटार्नी जनरल को इन प्रश्नों के जवाब देने के लिए कहा है।
9 सितंबर को संगठन की तरफ से याचिका पेश करते हुए वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि थॉमस पर 1990 में पॉमोलिव तेल के आयात के मामले में भ्रष्टाचार से संबंधित अपराधिक प्रकरण कायम है और मामला अभी लंबित है। उन्होंने विनीत नारायण मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि अदालत साफ कह चुकी है कि सीवीसी जैसे पद पर ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की जानी चाहिए, जिसका रिकार्ड पूरी तरह साफ हो।
थॉमस दूरसंचार सचिव भी थे और उन्होंने सीवीसी और सीएजी द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के खिलाफ कानून विभाग से सलाह मांगी थी। याचिका में कहा गया है कि सीवीसी के पास इस समय सबसे महत्वपूर्ण जांच कॉमनवेल्थ खेलों के कथित घोटाले की है। और ऐसा व्यक्ति जिसपर घोटाले को दबाने के आरोप लगे थे, कैसे एक प्रमुख संस्‍था के प्रमुख के रूप में बड़े घोटाले की जांच कर सकता है।
विपक्ष ने भी उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए थे, लेकिन सरकार ने इनकी अनदेखी की। मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने न केवल थॉमस की नियुक्ति का विरोध किया था बल्कि शपथ ग्रहण कार्यक्रम का बहिष्कार भी किया था। सीवीसी या केंद्रीय सतर्कता आयोग देश भ्रष्‍टाचार पर निगरानी रखने वाली बड़ी संस्‍था है। सीबीआई के अलावा यह इकलौती संस्‍था है, जिसकी जांच के दायरे में बड़े नेता, अफसर आदि आ सकते हैं।
क्या विवाद है पीजी थॉमस का
पीजी थॉमस 1973 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। वे केरल में वित्त, कृषि. उद्योग, कानून और मानवाधिकार जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों के सचिव रहे। वे 2007 में केरल के मुख्य सचिव बने और जनवरी 2009 में सचिव, संसदीय कार्य मंत्रालय बनकर केंद्र सरकार में आ गए। अक्टूबर 2009 में उन्हें दूरसंचार विभाग में सचिव बनाया गया। केंद्र सरकार ने इस साल सितंबर में उन्हें मुख्य सतर्कता आयुक्त नियुक्त किया।
केरल सरकार ने 2003 में सिंगापुर की एक कंपनी से पॉमोलिन निर्यात का करार किया था। लेकिन कंपनी ने घटिया माल सप्लाई किया जिससे सरकार को 2.3 करोड़ रुपए का चूना लगा। थॉमस उस समय खाद्य सचिव थे। एक याचिका के आधार पर स्थानीय अदालत ने भ्रष्टाचार का मामला कायम किया। मामला अभी अदालत में लंबित है। हालांकि बीच में केरल की कांग्रेस सरकार ने इस मामले को वापस लेने का निर्णय लिया था। लेकिन बाद में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार आने के बाद मामले को फिर खोला गया। थॉमस पर दूरसंचार सचिव रहते हुए भी 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले को दबाने का प्रयास करने के आरोप हैं।

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Monday, November 22, 2010

आरोपी को कैसे दिया पद? सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फिर एक झटका देते हुए मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) पीजे थॉमस की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं और इस परिस्थिति में वे क्या इस संवेदनशील पद के साथ न्याय कर पाएंगे?
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा पर कार्रवाई न करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चुप्पी पर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने इस मामले में सिंह को जवाब देने के लिए कहा, जो उनकी ओर से पीएमओ ने शनिवार को दायर किया।
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन नाम के संगठन द्वारा पेश की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को सीवीसी की नियुक्ति संबंधी फाइल 22 नवंबर को अदालत में पेश करने के निर्देश दिए थे। सीलबंद लिफाफे में फाइल आने पर पीठ की अध्‍यक्षता कर रहे मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसएच कपाड़िया ने कहा कि फाइल तो बाद में देखेंगे, लेकिन एक आरोपी को सीवीसी बना दिया जाना वाकई हमारे लिए चिंता का विषय है। उन्‍होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि ऐसा व्यक्ति जो खुद आरोपी है, कैसे इस तरह की संस्थाओं जिन पर भ्रष्टाचार रोकने की जवाबदारी हो, का प्रमुख नियुक्त किया जा सकता है। अब अदालत इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद करेगी। उस दिन अटार्नी जनरल को इन प्रश्नों के जवाब देने के लिए कहा है।
9 सितंबर को संगठन की तरफ से याचिका पेश करते हुए वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि थॉमस पर 1990 में पॉमोलिव तेल के आयात के मामले में भ्रष्टाचार से संबंधित अपराधिक प्रकरण कायम है और मामला अभी लंबित है। उन्होंने विनीत नारायण मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि अदालत साफ कह चुकी है कि सीवीसी जैसे पद पर ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की जानी चाहिए, जिसका रिकार्ड पूरी तरह साफ हो।
थॉमस दूरसंचार सचिव भी थे और उन्होंने सीवीसी और सीएजी द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के खिलाफ कानून विभाग से सलाह मांगी थी। याचिका में कहा गया है कि सीवीसी के पास इस समय सबसे महत्वपूर्ण जांच कॉमनवेल्थ खेलों के कथित घोटाले की है। और ऐसा व्यक्ति जिसपर घोटाले को दबाने के आरोप लगे थे, कैसे एक प्रमुख संस्‍था के प्रमुख के रूप में बड़े घोटाले की जांच कर सकता है।
विपक्ष ने भी उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए थे, लेकिन सरकार ने इनकी अनदेखी की। मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने न केवल थॉमस की नियुक्ति का विरोध किया था बल्कि शपथ ग्रहण कार्यक्रम का बहिष्कार भी किया था। सीवीसी या केंद्रीय सतर्कता आयोग देश भ्रष्‍टाचार पर निगरानी रखने वाली बड़ी संस्‍था है। सीबीआई के अलावा यह इकलौती संस्‍था है, जिसकी जांच के दायरे में बड़े नेता, अफसर आदि आ सकते हैं।
क्या विवाद है पीजी थॉमस का
पीजी थॉमस 1973 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। वे केरल में वित्त, कृषि. उद्योग, कानून और मानवाधिकार जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों के सचिव रहे। वे 2007 में केरल के मुख्य सचिव बने और जनवरी 2009 में सचिव, संसदीय कार्य मंत्रालय बनकर केंद्र सरकार में आ गए। अक्टूबर 2009 में उन्हें दूरसंचार विभाग में सचिव बनाया गया। केंद्र सरकार ने इस साल सितंबर में उन्हें मुख्य सतर्कता आयुक्त नियुक्त किया।
केरल सरकार ने 2003 में सिंगापुर की एक कंपनी से पॉमोलिन निर्यात का करार किया था। लेकिन कंपनी ने घटिया माल सप्लाई किया जिससे सरकार को 2.3 करोड़ रुपए का चूना लगा। थॉमस उस समय खाद्य सचिव थे। एक याचिका के आधार पर स्थानीय अदालत ने भ्रष्टाचार का मामला कायम किया। मामला अभी अदालत में लंबित है। हालांकि बीच में केरल की कांग्रेस सरकार ने इस मामले को वापस लेने का निर्णय लिया था। लेकिन बाद में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार आने के बाद मामले को फिर खोला गया। थॉमस पर दूरसंचार सचिव रहते हुए भी 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले को दबाने का प्रयास करने के आरोप हैं।

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