इन्द्री ( करनाल ) खुशबू @ ख़ुशी :
कहा जा रहा है की इक्कीसवीं सदी महिलाओं की है! कोई अतिश्योक्ति भी नहीं है इस बात में क्योंकि आधुनिक सदी की महिला हर क्षेत्र में अपनी हिम्मत, साहस और लगन का लोहा मनवा रही है ! आज उसे सी कतार की डरकर नहीं है! उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं है! वः अपने सपनों को हकीकत में बदलने का जूनून रखती है! बादलों को चीरकर आसमान छूने का होसला रखती है! आज की महिला ने तो शून्य से शिखर तक,संसद से कॉरपोरेट की दुनिया तक, खेलों से अन्तरिक्ष तक ऊँची छलांग लगाकर कामयाबी हासिल की है!
कहा जा रहा है की इक्कीसवीं सदी महिलाओं की है! कोई अतिश्योक्ति भी नहीं है इस बात में क्योंकि आधुनिक सदी की महिला हर क्षेत्र में अपनी हिम्मत, साहस और लगन का लोहा मनवा रही है ! आज उसे सी कतार की डरकर नहीं है! उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं है! वः अपने सपनों को हकीकत में बदलने का जूनून रखती है! बादलों को चीरकर आसमान छूने का होसला रखती है! आज की महिला ने तो शून्य से शिखर तक,संसद से कॉरपोरेट की दुनिया तक, खेलों से अन्तरिक्ष तक ऊँची छलांग लगाकर कामयाबी हासिल की है!
भारत में ही नहीं दुनिया के कई देशों में महिलाएं महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हैं! लेकिन यहाँ एक अपवाद ये है की महिला सशक्तिकरण का यह दौर अभी आधा अधूरा है ! कहने का मतलब ये की आज की महिला आर्थिक और शैक्षणिक तौर पर तो मजबूत स्तिथि में है लेकिन सामाजिक तौर पर वह आज भी तिरस्कृत की जाती है! महिला सशक्तिकरण तो केवल उच्च वेर्ग की महिलाओं से ही नज़र आता है! जबकि निम्न और माध्यम वर्ग की महिलाएं तो आज भी सामाजिक शोषण का शिकार हैं!
आज भी इन्हें सामाजिक मान्यताओं के चलते घुटन भरा जीवन जीना पड़ता रहा! दहेज हत्या, कन्या भ्रूण हत्या,बलात्कार,यौनशोषण ,घरेलू हिंसा जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है ! पुरुष्तव का दबाव झेलना पड़ता है! भारत में ज्यादातर पंचायतों में 33 प्रतिशत आरक्षण के साथ महिलाएं सरपंच हैं लेकिन मनमानी इनके पति करते है! दहेज के कारन आज भी महिलाओं को मर दिया जाता है! आज भी वे सड़क पर चलते हुए सुरक्षित महसूस नहीं करती! पता नही कब किसी वहशी की नज़र उस पर पड़ जाये! कन्या भ्रूण हत्या के मामले में भारतीय समाज सबसे आगे है! कन्या भ्रूण के कारण तो आज महिलाओं को ज्यादा तिरस्कृत होना पड़ता है ! अब वे चाहे गरीब घर की हो या पढ़ी लिखी अच्छा खासा कमाती आत्मनिर्भर महिला हो! अगर लड़की हो गयी तो ससुराल वाले या तो उसे मायके में बिठा देते हैं या दर दर की ठोकरे खाने को छोड़ देते हैं!
कितनी अजीब बात है कि जिस देश में गोहत्या को लेकर दंगे और खून खराबा शुरू हो जाता है उस देश में कन्या भ्रूण हत्या को आर्थिक और सामाजिक मज़बूरी मान लिया जाता है! मतलब आज महिलाओं का सम्मान और महत्व एक जानवर से भी कम हो गया है ! कहने को तो आज कि महिला व्यवसायिक क्षेत्र में सक्रिय है लेकिन उसे तो वहां भी छेड़छाड़, अश्लीलता, यौनशोषण, पुरुषों कि मनचली प्रवृति का सामना करना पड़ता है! घरेलू हिंसा तो महिलाओं को मानसिक और शारीरिक तौर पर अपमानित करती है! इसके लिए तो देश में कानून भी बनाया गया है! लेकिन घरेलू हिंसा को पति पत्नी के बीच का आपसी मामला कहकर कानून को दरकिनार कर दिया जाता है! हाल ही में उजागर हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 28 राज्यों कि एक लाख अठाईस हजार महिलाओं में से 40 प्रतिशत ने माना कि वे अपने पतियों के हाथों मार खा चुकी हैं! ५१ प्रतिशत पुरुषों को इसमें कोई बुरे नज़र नहीं आती! ज्यादा हैरानी कि बात ये है कि 54 प्रतिशत महिलाएं किसी न किसी कारण से इस हिंसा को सही ठहरती हैं! ऐसा हो भी क्यों न माँ बाप बचपन से ही सिखाना जो शुरू कर देते है कि पति परमेश्वर होता है! वह जो कहता करता है सही होता है! अफ़सोस होता भारतीयों की इस सोच पर, पूरे देश में कराए गये एक सर्वे में साबित हुआ है की देश में महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों में वृद्धि होती जा रही है! इसमें त्रिपुरा राज्य सबसे ऊपर है!
बलात्कार की घटनाओं में मध्यप्रदेश सबसे ऊपर है! दहेज हत्या मामले में उतरप्रदेश की पहला स्थान हासिल है! जबकि इस प्रदेश की मुख्यमंत्री एक महिला ही हैं! ये तो सिर्फ सरकारी आंकड़े हैं वास्तविकता में तो देश भर में महिलाओं को किसी न किसी अत्याचार का सामना करना पड़ता है! शिक्षा के क्षेत्र में भी लड़कियां आगे तो आई हैं लेकिन बेहतर सुवुधएं तो लड़कों को भी उपलब्ध नहीं होती तो इन्हें कैसे होगी
कुल मिला महिला सशक्तिकरण का भारत का सपना आधा अधूरा कमियों भरा ही प्रतीत होता है! ऐसे में कैसा महिला दिवस और कैसा महिला सशक्तिकरण सब कुछ इन अत्याचारों के सामने निरस्त ही लगते है!
अब चाहे क़ानूनी सुरक्षा दे दो या आरक्षण,आभाव तो जागरूकता का है
इंसानी सोच का है! जिसे जब तक पूरी तरह बदला नहीं जायेगा तब तक महिला सशक्तिकरण और महिला दिवस मनाने का कोई मतलब नहीं, लोक दिखावे के लिए तो कुछ भी किया जा सकता है!
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