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Monday, March 7, 2011

गेहूं के लिए संजीवनी बनी धूप

करनाल, विजय काम्बोज :
पीला रतुआ से प्रभावित गेहूं की फसल के लिए धूप संजीवनी साबित हो रही है। रविवार को धूप निकलने व पश्चिम हवा चलने से प्रभावित खेतों में फायदा नजर आया। हालांकि कई जगह फसल को पीला रतुआ ने तगड़ा झटका दिया है। मौसम की गड़बड़ी के चलते बार-बार दवा का छिड़काव करने के बाद भी कोई असर नजर नहीं आ रहा था। इसको लेकर कृषि वैज्ञानिकों व किसानों की चिंता बढ़ गई थी। प्रदेश के कृषि विभाग के अधिकारी व कर्मचारी तथा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक लगातार गांवों का दौरा कर फसल की स्थिति का जायजा लेने में जुटे हैं। किसानों को फसलों को बचाने के लिए प्रोपाकोनाजोल दवा का छिड़काव करने का सुझाव दिया जा रहा है। वहीं कुछ किसान झोलाछाप डाक्टर की पुड़िया की तरह भी खेतों में दवा छिड़क रहे हैं। इस बात से भी वैज्ञानिक बेहद चिंतित हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डॉ. एसके दत्ता रविवार को करनाल पहुंचे और फसलों की स्थिति जानी। उन्होंने गेहूं अनुसंधान निदेशालय में वैज्ञानिकों से बातचीत की। डीडब्ल्यूआर के रिसर्च प्लेटफार्म का दौरा कर उन्होंने गतिविधियों का जायजा लिया। डॉ. दत्ता ने कहा कि किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। कई किसान दो-तीन दवाइयां मिक्स कर स्प्रे कर रहे हैं जोकि गलत है। किसान सिर्फ उसी दवा का इस्तेमाल करे जो वैज्ञानिकों द्वारा बताई जा रही है। डीडब्ल्यूआर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. एसएस सिंह ने कहा कि धूप निकलने के साथ ही पीला रतुआ का प्रभाव खत्म हो जाएगा। डॉ. सपन दत्ता ने जिले के मोहदीनपुर गांव का दौरा कर फसल का निरीक्षण किया। जिले के यमुना बेल्ट में पीला रतुआ की शिकायत ज्यादा है। डॉ. दत्ता ने कहा कि अधिकारी सतर्कता बरतते हुए सभी खेतों में स्प्रे कराएं और इसकी रिपोर्ट लगातार दें। इस मौके पर एनडीआरआई कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. दलीप गोसांई, एमएस सहारन, डॉ. मोहर सिंह, कृषि तकनीकी अधिकारी डॉ. एसपी तोमर व एडीओ हरबीर सिंह मौजूद रहे।

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Monday, March 7, 2011

गेहूं के लिए संजीवनी बनी धूप

करनाल, विजय काम्बोज :
पीला रतुआ से प्रभावित गेहूं की फसल के लिए धूप संजीवनी साबित हो रही है। रविवार को धूप निकलने व पश्चिम हवा चलने से प्रभावित खेतों में फायदा नजर आया। हालांकि कई जगह फसल को पीला रतुआ ने तगड़ा झटका दिया है। मौसम की गड़बड़ी के चलते बार-बार दवा का छिड़काव करने के बाद भी कोई असर नजर नहीं आ रहा था। इसको लेकर कृषि वैज्ञानिकों व किसानों की चिंता बढ़ गई थी। प्रदेश के कृषि विभाग के अधिकारी व कर्मचारी तथा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक लगातार गांवों का दौरा कर फसल की स्थिति का जायजा लेने में जुटे हैं। किसानों को फसलों को बचाने के लिए प्रोपाकोनाजोल दवा का छिड़काव करने का सुझाव दिया जा रहा है। वहीं कुछ किसान झोलाछाप डाक्टर की पुड़िया की तरह भी खेतों में दवा छिड़क रहे हैं। इस बात से भी वैज्ञानिक बेहद चिंतित हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डॉ. एसके दत्ता रविवार को करनाल पहुंचे और फसलों की स्थिति जानी। उन्होंने गेहूं अनुसंधान निदेशालय में वैज्ञानिकों से बातचीत की। डीडब्ल्यूआर के रिसर्च प्लेटफार्म का दौरा कर उन्होंने गतिविधियों का जायजा लिया। डॉ. दत्ता ने कहा कि किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। कई किसान दो-तीन दवाइयां मिक्स कर स्प्रे कर रहे हैं जोकि गलत है। किसान सिर्फ उसी दवा का इस्तेमाल करे जो वैज्ञानिकों द्वारा बताई जा रही है। डीडब्ल्यूआर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. एसएस सिंह ने कहा कि धूप निकलने के साथ ही पीला रतुआ का प्रभाव खत्म हो जाएगा। डॉ. सपन दत्ता ने जिले के मोहदीनपुर गांव का दौरा कर फसल का निरीक्षण किया। जिले के यमुना बेल्ट में पीला रतुआ की शिकायत ज्यादा है। डॉ. दत्ता ने कहा कि अधिकारी सतर्कता बरतते हुए सभी खेतों में स्प्रे कराएं और इसकी रिपोर्ट लगातार दें। इस मौके पर एनडीआरआई कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. दलीप गोसांई, एमएस सहारन, डॉ. मोहर सिंह, कृषि तकनीकी अधिकारी डॉ. एसपी तोमर व एडीओ हरबीर सिंह मौजूद रहे।

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