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Thursday, March 10, 2011

सुधार की दिशा में एक कदम

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री,करनाल :
कहने को तो 302 एक नंबर है लेकिन भारतीय दंड सहिंता में इसे दफा 302 यानी की हत्यारों के पहचान से जाना जाता है!
गाजियाबाद की डासना जेल में हत्या के जुर्म में सज़ा -य-आफता कैदियों इस नंबर से एक भजन मण्डली बनाई है जो सुबह शाम जेल के कैदियों को भजन सुनकर परिस्तिथिवश पत्थर हो चले दिलों में हरिनाम की अलख जगाती रहती है! परिवार और समाज से दूर इन कैदियों के लिए यह भजन मण्डली जहाँ उनके मान को बहलाने का जरिया है वहां यह मण्डली इन कैदियों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है! जेल के नियमित कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले कैदियों की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें भजन मण्डली बनाने के लिए प्रेरित करने वाले जेल के अधीक्षक डॉ. वीरेश शर्मा कहते हैं कि इस भजन मण्डली में हत्या,बलात्कार और बड़े-बड़े स्कैंडलों में सज़ा प्राप्त लोग शामिल हैं!
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इसमें शामिल कलाकार दलित भी हैं और ब्रह्माण भी,हिन्दू भी हैं और मुस्लमान भी कभी किन्नरों के साथ ढोलकी बजाने वाला भी इसका सदस्य है! 
उन्होंने बताया कि इस भजन मण्डली को सुनने के लिए जेल के लगभग सभी कैदी जुटते हैं!  जिनमे निठारी कांड का अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंढेर और आरुशी के पिता पर हमला करने वाला उत्सव शर्मा भी शामिल होता है! कैदी विधायक अशोक यादव तो इस भजन मण्डली के दीवाने हैं और नियमित रूप से इस महफ़िल में शामिल होते हैं! यह भजन मण्डली जेल के कैदियों का समय व्यतीत करने के साथ-साथ उन्हें रूहानी सुकून भी देती है!
भजन मण्डली के अलावा इस जेल में एक व्यायामशाला भी बनाई गयी है जहाँ दर्जनों कैदी अपने को चुस्त-दुरुस्त रखने के प्रयास में जुटे रहते हैं! तेरह साल का शकील सवा महीने का था जब वह अपनी माँ के साथ जेल में आया था! हाल ही में जेल में हुए गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम पर उसने फ़ौज की वर्दी पहनकर `"नन्हा मुन्ना रही हूँ-देश का सिपाही हूँ" गीत पर कदमताल की तो सभी यह सोचने पर मजबूर हो गये कि जिस बच्चे ने कभी जेल से बाहर की दुनिया नहीं देखी वह भी फौजियों की तरह परेड कर सकता है! दहेज उत्पीडन के आरोप में जेल में कैद चंचल कभी अध्यापिका थी और वह जेल में रहकर भी इस जिम्मेदारी को निभा रही है!
शकील जैसे हजारों जेल में बंद बच्चों को विधिवत स्कूली शिक्षा देने और उनके मन में देश प्रेम का बूटा लगाने में उसका योगदान किसी देशभक्त से कम नहीं है!
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से पी.एच.डी aur डासना जेल में सुधार कार्यक्रमों के कर्ताधर्ता डॉ.वीरेश शर्मा कहते हैं कि बेशक फिल्मों में दिखाई जाने वाली जेलें अपराधियों कि शरणस्थली नज़र आती हैं,बशर्ते देश कि कई जेलों में ऐसा होगा भी,लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि इन्ही जेलों में मानवता के अनेक संवेदनशील पहलुओं से जुडी कहानियाँ भी नज़र आती हैं!
वे कहतें हैं कि अपराध करने से पहले ये लोग अच्छे नागरिक रहे होंगे और अपराधी होने के बाद भी ये कहीं न कहीं अच्छे नागरिक होने के गुण संजोये हुए हैं! जरूरत है तो उनमे इस एहसास को जगाने कि और इसी कोशिश में हम लगे हुए हैं!
ऐसा ही कुछ हो रहा है देश कि तिहाड़ जेल में जहाँ कई कैदियों ने अपनी छूट चुकी पढ़ाई को जारी रखे हुए हैं और सज़ा खत्म कर बाहर निकलकर एक सामाजिक जिन्दगी जीने के लिए प्रयासरत हैं! यहाँ तक कि अब देश में जेल में बंद कैदियों की प्लेसमेंट की दिशा में भी कदम उठाये जा रहे हैं!
इसके साथ साथ यह नंबर एक भजन मण्डली की पहचान भी है!

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Thursday, March 10, 2011

सुधार की दिशा में एक कदम

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री,करनाल :
कहने को तो 302 एक नंबर है लेकिन भारतीय दंड सहिंता में इसे दफा 302 यानी की हत्यारों के पहचान से जाना जाता है!
गाजियाबाद की डासना जेल में हत्या के जुर्म में सज़ा -य-आफता कैदियों इस नंबर से एक भजन मण्डली बनाई है जो सुबह शाम जेल के कैदियों को भजन सुनकर परिस्तिथिवश पत्थर हो चले दिलों में हरिनाम की अलख जगाती रहती है! परिवार और समाज से दूर इन कैदियों के लिए यह भजन मण्डली जहाँ उनके मान को बहलाने का जरिया है वहां यह मण्डली इन कैदियों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है! जेल के नियमित कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले कैदियों की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें भजन मण्डली बनाने के लिए प्रेरित करने वाले जेल के अधीक्षक डॉ. वीरेश शर्मा कहते हैं कि इस भजन मण्डली में हत्या,बलात्कार और बड़े-बड़े स्कैंडलों में सज़ा प्राप्त लोग शामिल हैं!
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इसमें शामिल कलाकार दलित भी हैं और ब्रह्माण भी,हिन्दू भी हैं और मुस्लमान भी कभी किन्नरों के साथ ढोलकी बजाने वाला भी इसका सदस्य है! 
उन्होंने बताया कि इस भजन मण्डली को सुनने के लिए जेल के लगभग सभी कैदी जुटते हैं!  जिनमे निठारी कांड का अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंढेर और आरुशी के पिता पर हमला करने वाला उत्सव शर्मा भी शामिल होता है! कैदी विधायक अशोक यादव तो इस भजन मण्डली के दीवाने हैं और नियमित रूप से इस महफ़िल में शामिल होते हैं! यह भजन मण्डली जेल के कैदियों का समय व्यतीत करने के साथ-साथ उन्हें रूहानी सुकून भी देती है!
भजन मण्डली के अलावा इस जेल में एक व्यायामशाला भी बनाई गयी है जहाँ दर्जनों कैदी अपने को चुस्त-दुरुस्त रखने के प्रयास में जुटे रहते हैं! तेरह साल का शकील सवा महीने का था जब वह अपनी माँ के साथ जेल में आया था! हाल ही में जेल में हुए गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम पर उसने फ़ौज की वर्दी पहनकर `"नन्हा मुन्ना रही हूँ-देश का सिपाही हूँ" गीत पर कदमताल की तो सभी यह सोचने पर मजबूर हो गये कि जिस बच्चे ने कभी जेल से बाहर की दुनिया नहीं देखी वह भी फौजियों की तरह परेड कर सकता है! दहेज उत्पीडन के आरोप में जेल में कैद चंचल कभी अध्यापिका थी और वह जेल में रहकर भी इस जिम्मेदारी को निभा रही है!
शकील जैसे हजारों जेल में बंद बच्चों को विधिवत स्कूली शिक्षा देने और उनके मन में देश प्रेम का बूटा लगाने में उसका योगदान किसी देशभक्त से कम नहीं है!
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से पी.एच.डी aur डासना जेल में सुधार कार्यक्रमों के कर्ताधर्ता डॉ.वीरेश शर्मा कहते हैं कि बेशक फिल्मों में दिखाई जाने वाली जेलें अपराधियों कि शरणस्थली नज़र आती हैं,बशर्ते देश कि कई जेलों में ऐसा होगा भी,लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि इन्ही जेलों में मानवता के अनेक संवेदनशील पहलुओं से जुडी कहानियाँ भी नज़र आती हैं!
वे कहतें हैं कि अपराध करने से पहले ये लोग अच्छे नागरिक रहे होंगे और अपराधी होने के बाद भी ये कहीं न कहीं अच्छे नागरिक होने के गुण संजोये हुए हैं! जरूरत है तो उनमे इस एहसास को जगाने कि और इसी कोशिश में हम लगे हुए हैं!
ऐसा ही कुछ हो रहा है देश कि तिहाड़ जेल में जहाँ कई कैदियों ने अपनी छूट चुकी पढ़ाई को जारी रखे हुए हैं और सज़ा खत्म कर बाहर निकलकर एक सामाजिक जिन्दगी जीने के लिए प्रयासरत हैं! यहाँ तक कि अब देश में जेल में बंद कैदियों की प्लेसमेंट की दिशा में भी कदम उठाये जा रहे हैं!
इसके साथ साथ यह नंबर एक भजन मण्डली की पहचान भी है!

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