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Sunday, May 8, 2011

पाक की जेल में जिंदा है 1971 का शहीद

खुशबू(ख़ुशी), इन्द्री :
यह किसी फिल्म की कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। 40 साल पहले भारत के जिस वीर जवान को शहीद घोषित कर दिया था वह आज भी जीवित है। अब तक एक विधवा की तरह जीवन काटने के बाद पथराईं अंग्रेज कौर की आंखों में एकाएक चमक लौट आई है। चमक लौटना भी स्वाभावित है। अब जब कोई उसके पति सुरजीत सिंह की बात करता है, तो उसका गला भर जाता है। आज वह 39 वर्षीय पुत्र अमरीक सिंह के साथ अपने पति की रिहाई की कोशिशों में जुटी है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तानी फौज ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 57 बटालियन के जवान सुरजीत सिंह को बंदी बना लिया था। फरीदकोट जिले के गांव टहिना के इस जवान को भारत सरकार ने शहीद का दर्जा देकर उसकी पत्नी अंग्रेज कौर को पेंशन समेत तमाम लाभ दे दिए। सुरजीत पर पाकिस्तान में मुकदमा भी चलाया गया और उसे मौत की सजा भी सुनाई गई। बाद उसकी सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया। सजा काटने के दौरान सुरजीत सिंह को पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में स्थानांतरित किया जाता रहा। आठ साल पहले पाकिस्तान की ओर से रिहा किए गए युद्धबंदियों मालेरकोटला के खुशी मुहम्मद, कपूरथला के जगजीत सिंह तथा फिरोजपुर के सतीश कुमार ने अंग्रेज कौर को बताया था कि उन्होंने सुरजीत सिंह को कोट लखपत जेल में देखा था। इस पर अमरीक सिंह ने बीएसएफ मुख्यालय से पत्र व्यवहार शुरू किया। इसके पश्चात बीएसएफ ने पाकिस्तान रेंजरों के साथ हुई बैठकों में यह मुद्धा उठाया। उन मीटिंगों में अमरीक सिंह ने भी भाग लिया, लेकिन पाकिस्तानी रेंजर यह मानने को तैयार ही नहीं हुए कि उनकी जेल कोई भारतीय कैदी 33 सालों से बंद है। इसके बाद अंग्रेज कौर ने राष्ट्रपति, भारत सरकार तथा पाकिस्तानी रेंजरों के पास सुरजीत सिंह की रिहाई की अपील की, लेकिन पाकिस्तानी सरकार तथा गृह विभाग दोनों ही सुरजीत सिंह के किसी भी पाकिस्तानी जेल में होने का खंडन करते रहे। हाल में पाकिस्तान की ओर से 27 साल की कैद के बाद रिहा किए गए गोपाल दास ने भी इस बात की पुष्टि की कि सुरजीत सिंह पाकिस्तान की जेल में बंद है। गोपाल ने साथ ही यह भी कहा कि पाकिस्तानी हुकूमत युद्धबंदियों और जासूसों को आमतौर पर जेलों की जगह किले में कैद करके रखती है। अंग्रेज कौर और अमरीक सिंह जब नई दिल्ली में पाकिस्तान के मानवाधिकार कार्यकत्र्ता एवं वकील अंसार बर्नी से मिले तो बर्नी ने उन्हें सुरजीत को ढूंढ़ने का वायदा किया। अमरीक का कहना है कि बर्नी ने उन्हें फोन पर बताया कि उन्होंने सुरजीत सिंह से मुलाकात की है। हाल में दोनों मां-बेटा फरीदकोट के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) बलविंदर सिंह से भी मिले और सुरजीत की रिहाई के लिए प्रयास करने को कहा। डीसी ने उन्हें इस संबंध में केंद्र तथा राज्य सरकारों को लिखने का वायदा किया है।


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Sunday, May 8, 2011

पाक की जेल में जिंदा है 1971 का शहीद

खुशबू(ख़ुशी), इन्द्री :
यह किसी फिल्म की कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। 40 साल पहले भारत के जिस वीर जवान को शहीद घोषित कर दिया था वह आज भी जीवित है। अब तक एक विधवा की तरह जीवन काटने के बाद पथराईं अंग्रेज कौर की आंखों में एकाएक चमक लौट आई है। चमक लौटना भी स्वाभावित है। अब जब कोई उसके पति सुरजीत सिंह की बात करता है, तो उसका गला भर जाता है। आज वह 39 वर्षीय पुत्र अमरीक सिंह के साथ अपने पति की रिहाई की कोशिशों में जुटी है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तानी फौज ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 57 बटालियन के जवान सुरजीत सिंह को बंदी बना लिया था। फरीदकोट जिले के गांव टहिना के इस जवान को भारत सरकार ने शहीद का दर्जा देकर उसकी पत्नी अंग्रेज कौर को पेंशन समेत तमाम लाभ दे दिए। सुरजीत पर पाकिस्तान में मुकदमा भी चलाया गया और उसे मौत की सजा भी सुनाई गई। बाद उसकी सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया। सजा काटने के दौरान सुरजीत सिंह को पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में स्थानांतरित किया जाता रहा। आठ साल पहले पाकिस्तान की ओर से रिहा किए गए युद्धबंदियों मालेरकोटला के खुशी मुहम्मद, कपूरथला के जगजीत सिंह तथा फिरोजपुर के सतीश कुमार ने अंग्रेज कौर को बताया था कि उन्होंने सुरजीत सिंह को कोट लखपत जेल में देखा था। इस पर अमरीक सिंह ने बीएसएफ मुख्यालय से पत्र व्यवहार शुरू किया। इसके पश्चात बीएसएफ ने पाकिस्तान रेंजरों के साथ हुई बैठकों में यह मुद्धा उठाया। उन मीटिंगों में अमरीक सिंह ने भी भाग लिया, लेकिन पाकिस्तानी रेंजर यह मानने को तैयार ही नहीं हुए कि उनकी जेल कोई भारतीय कैदी 33 सालों से बंद है। इसके बाद अंग्रेज कौर ने राष्ट्रपति, भारत सरकार तथा पाकिस्तानी रेंजरों के पास सुरजीत सिंह की रिहाई की अपील की, लेकिन पाकिस्तानी सरकार तथा गृह विभाग दोनों ही सुरजीत सिंह के किसी भी पाकिस्तानी जेल में होने का खंडन करते रहे। हाल में पाकिस्तान की ओर से 27 साल की कैद के बाद रिहा किए गए गोपाल दास ने भी इस बात की पुष्टि की कि सुरजीत सिंह पाकिस्तान की जेल में बंद है। गोपाल ने साथ ही यह भी कहा कि पाकिस्तानी हुकूमत युद्धबंदियों और जासूसों को आमतौर पर जेलों की जगह किले में कैद करके रखती है। अंग्रेज कौर और अमरीक सिंह जब नई दिल्ली में पाकिस्तान के मानवाधिकार कार्यकत्र्ता एवं वकील अंसार बर्नी से मिले तो बर्नी ने उन्हें सुरजीत को ढूंढ़ने का वायदा किया। अमरीक का कहना है कि बर्नी ने उन्हें फोन पर बताया कि उन्होंने सुरजीत सिंह से मुलाकात की है। हाल में दोनों मां-बेटा फरीदकोट के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) बलविंदर सिंह से भी मिले और सुरजीत की रिहाई के लिए प्रयास करने को कहा। डीसी ने उन्हें इस संबंध में केंद्र तथा राज्य सरकारों को लिखने का वायदा किया है।


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