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Tuesday, May 10, 2011

बेटियां बढ़ रहीं आगे पर....... बेटे ही प्यारे

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री
राज्य में लड़कियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं इसके बावजूद उनके प्रति सोच और बेटे व बेटी में अंतर की मानसिकता में बदलाव नहीं आ रहा है। खासकर शिक्षा के मामले में वे अब भी भेदभाव की शिकार हैं। लोग लड़कियों को तो सरकारी स्कूल में ही दाखिला दिलाते हैं जबकि लड़कों को निजी स्कूलों में पढ़ाना पसंद करते हैं। पिछले चार सालों में सरकारी व निजी स्कूलों में लड़के-लड़कियों के नामांकन में भारी अंतर दर्ज किया गया है। लड़के व लड़कियों में भेदभाव की यह स्थिति प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों के बावजूद बरकरार है।\
शिक्षा निदेशालय द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक 15 से 16 साल की आयु के 58.4 फीसदी बच्चे सरकारी स्कूलों और सिर्फ 34.7 फीसदी बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। इस आयु वर्ग के 6.1 फीसदी बच्चे स्कूल ही नहीं जा रहे हैं। 15 से 16 वर्ष की आयु के 57.5 फीसदी लड़के सरकारी स्कूलों में और 36.7 प्रतिशत बच्चे निजी स्कूलों में शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इसी आयु वर्ग की 59.8 प्रतिशत लड़कियों को उनके अभिभावक सरकारी स्कूलों में और 31.6 फीसदी लड़कियों को निजी स्कूलों में पढ़ने के लिए भेज रहे हैं। इस आयु वर्ग के पांच प्रतिशत लड़के और 7.7 प्रतिशत लड़कियां स्कूल नहीं जातीं। सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक सात से 10 साल की आयु के 53.6 फीसदी बच्चे सरकारी और 44.5 फीसदी बच्चे निजी स्कूलों में शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इस आयु वर्ग के 50.2 फीसदी लड़के सरकारी व 48.1 फीसदी लड़के निजी स्कूलों में और 58.2 फीसदी लड़कियां सरकारी व मात्र 39.6 फीसदी लड़कियां निजी स्कूलों में शिक्षा हासिल कर रही हैं। स्कूल नहीं जा पाने वाली लड़कियों की संख्या 1.2 प्रतिशत तथा लड़कों की संख्या 0.8 प्रतिशत है। सर्वे में खुलासा हुआ है कि 11 से 14 साल की आयु के 61.3 प्रतिशत बच्चे सरकारी व 36.7 प्रतिशत बच्चे निजी स्कूलों में शिक्षा हासिल करने जा पा रहे हैं। 1.4 प्रतिशत बच्चे स्कूल नहीं जा पाते जबकि 0.7 प्रतिशत बच्चे मदरसों अथवा इदारों में तालीम हासिल करते हैं। इस आयु वर्ग के 58.2 प्रतिशत लड़के सरकारी व 40.1 प्रतिशत लड़के निजी स्कूलों में तथा 65.6 प्रतिशत लड़कियां सरकारी व मात्र 32.0 प्रतिशत लड़कियां निजी स्कूलों में पढ़ने के लिए जा पा रही हैं। स्कूल नहीं जा पाने वाले लड़कों की संख्या एक तथा लड़कियों की संख्या 1.8 प्रतिशत दर्ज की गई है। सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में वर्ष 2007 में छह से 14 साल की आयु के 41 फीसदी लड़कों व 31 फीसदी लड़कियों का नाम निजी स्कूलों में दर्ज हो पाया है। वर्ष 2008 में यह आंकड़ा बढ़कर 44 प्रतिशत व 35 प्रतिशत हो गया। वर्ष 2009 में लड़कों का आंकड़ा खिसक कर 42 प्रतिशत पर आ गया पर लड़कियों के निजी स्कूलों में नामांकन में एक प्रतिशत की वृद्धि होकर 36 प्रतिशत पर आंकड़ा पहुंच गया है।


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Tuesday, May 10, 2011

बेटियां बढ़ रहीं आगे पर....... बेटे ही प्यारे

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री
राज्य में लड़कियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं इसके बावजूद उनके प्रति सोच और बेटे व बेटी में अंतर की मानसिकता में बदलाव नहीं आ रहा है। खासकर शिक्षा के मामले में वे अब भी भेदभाव की शिकार हैं। लोग लड़कियों को तो सरकारी स्कूल में ही दाखिला दिलाते हैं जबकि लड़कों को निजी स्कूलों में पढ़ाना पसंद करते हैं। पिछले चार सालों में सरकारी व निजी स्कूलों में लड़के-लड़कियों के नामांकन में भारी अंतर दर्ज किया गया है। लड़के व लड़कियों में भेदभाव की यह स्थिति प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों के बावजूद बरकरार है।\
शिक्षा निदेशालय द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक 15 से 16 साल की आयु के 58.4 फीसदी बच्चे सरकारी स्कूलों और सिर्फ 34.7 फीसदी बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। इस आयु वर्ग के 6.1 फीसदी बच्चे स्कूल ही नहीं जा रहे हैं। 15 से 16 वर्ष की आयु के 57.5 फीसदी लड़के सरकारी स्कूलों में और 36.7 प्रतिशत बच्चे निजी स्कूलों में शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इसी आयु वर्ग की 59.8 प्रतिशत लड़कियों को उनके अभिभावक सरकारी स्कूलों में और 31.6 फीसदी लड़कियों को निजी स्कूलों में पढ़ने के लिए भेज रहे हैं। इस आयु वर्ग के पांच प्रतिशत लड़के और 7.7 प्रतिशत लड़कियां स्कूल नहीं जातीं। सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक सात से 10 साल की आयु के 53.6 फीसदी बच्चे सरकारी और 44.5 फीसदी बच्चे निजी स्कूलों में शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इस आयु वर्ग के 50.2 फीसदी लड़के सरकारी व 48.1 फीसदी लड़के निजी स्कूलों में और 58.2 फीसदी लड़कियां सरकारी व मात्र 39.6 फीसदी लड़कियां निजी स्कूलों में शिक्षा हासिल कर रही हैं। स्कूल नहीं जा पाने वाली लड़कियों की संख्या 1.2 प्रतिशत तथा लड़कों की संख्या 0.8 प्रतिशत है। सर्वे में खुलासा हुआ है कि 11 से 14 साल की आयु के 61.3 प्रतिशत बच्चे सरकारी व 36.7 प्रतिशत बच्चे निजी स्कूलों में शिक्षा हासिल करने जा पा रहे हैं। 1.4 प्रतिशत बच्चे स्कूल नहीं जा पाते जबकि 0.7 प्रतिशत बच्चे मदरसों अथवा इदारों में तालीम हासिल करते हैं। इस आयु वर्ग के 58.2 प्रतिशत लड़के सरकारी व 40.1 प्रतिशत लड़के निजी स्कूलों में तथा 65.6 प्रतिशत लड़कियां सरकारी व मात्र 32.0 प्रतिशत लड़कियां निजी स्कूलों में पढ़ने के लिए जा पा रही हैं। स्कूल नहीं जा पाने वाले लड़कों की संख्या एक तथा लड़कियों की संख्या 1.8 प्रतिशत दर्ज की गई है। सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में वर्ष 2007 में छह से 14 साल की आयु के 41 फीसदी लड़कों व 31 फीसदी लड़कियों का नाम निजी स्कूलों में दर्ज हो पाया है। वर्ष 2008 में यह आंकड़ा बढ़कर 44 प्रतिशत व 35 प्रतिशत हो गया। वर्ष 2009 में लड़कों का आंकड़ा खिसक कर 42 प्रतिशत पर आ गया पर लड़कियों के निजी स्कूलों में नामांकन में एक प्रतिशत की वृद्धि होकर 36 प्रतिशत पर आंकड़ा पहुंच गया है।


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