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Saturday, May 21, 2011

प्रशासन की पोल खोलने पर पत्रकार को जेल

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री :
कहते है सच बोलना इश्वर की इब्बाद्त करना है ! लेकिन भारत देश में ऐसा नही है यहाँ सच बोलने पर सज़ा भुगतनी पड़ती है खासकर तब सरकारी गतिविधियों की पोल खोलने के लिए सच बोला जाये! भारतीय प्रशासनव्यवस्था में इतनी कमियाँ हैं कि कोई भी परेशान हो जाये! लेकिन सरकार है कि सुधार करना ही नही चाहती! और जो सुधार करना चाहते हैं उन्हें वह पसंद नही करती! क्योंकि सरकार जो जैसे चल रहा है वैसे ही चलते रहना चाहती है! हो भी क्यों न सरकार का काला खजाना जो भरता है!
हाल ही में ऐसे ही एक सच के कारण एक पत्रकार को सज़ा भुगतनी पड़ी! मुंबई 26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले के दौरान पाकिस्तानी आतंकियों से मुकाबला कर रहे मुंबई पुलिस के कई जवानों की राइफलें जाम हो गई थीं। जिन कारणों से ये राइफलें जाम हुईं, उन्हें उजागर करने वाले अंग्रेजी दैनिक मिड-डे के पत्रकार को पिछले दो दिनों से हवालात की हवा खानी पड़ रही है। जागरण समूह के मुंबई से प्रकाशित हो रहे दैनिक अखबार मिड-डे के वरिष्ठ संवाददाता टी.के. द्विवेदी अकेला ने करीब साल भर पहले मुंबई आरपीएफ के शस्त्रागार की एक तस्वीर के साथ खबर प्रकाशित की थी। इस तस्वीर में वहां रखे हथियारों पर बरसात का पानी गिरता दिख रहा था। इस खबर के बाद आरपीएफ के कुछ अधिकारियों पर गाज गिरी थी और विभाग ने अपनी कमी दुरुस्त करते हुए शस्त्रागार की मरम्मत भी करा ली थी। लेकिन, इस घटना के करीब 6 माह बाद राज्य रेल पुलिस (जीआरपी) अपनी खुन्नस निकालते हुए मंगलवार रात मिड-डे कार्यालय से अकेला को पूछताछ के बहाने अपने साथ ले गई और थाने पहुंचने के बाद गोपनीयता उल्लंघन कानून के तहत उनकी गिरफ्तारी दिखा दी। अकेला की गिरफ्तारी जिस प्राथमिकी के आधार पर की गई है, उसमें उनके नाम का उल्लेख कहीं नहीं है। प्राथमिकी में सिर्फ अनधिकृत प्रवेश का आरोप लगाया गया है। यह आरोप भी किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा नहीं बल्कि मुंबई सीएसटी क्षेत्र में हॉकर्स यूनियन चलाने वाले एक व्यक्ति प्रदीप सोंथालिया की शिकायत के आधार पर लगाया गया है। अकेला की गिरफ्तारी से मुंबई के पत्रकार जगत में रोष है। गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए गुरुवार को मुंबई के सभी पत्रकार संगठनों ने मुंबई मराठी पत्रकार संघ में विरोध सभा कर मुंबई प्रेस क्लब से मंत्रालय तक पैदल मार्च किया। पत्रकारों का एक दल राज्य के गृह मंत्री आरआर पाटिल से भी मिलने गया। पाटिल से उन अधिकारियों को तुरंत निलंबित करने की मांग की गई, जिन्होंने अकेला पर बदले की भावना से गोपनीयता उल्लंघन कानून के तहत मामला दर्ज कर उन्हें प्रताडि़त किया। अकेला ने करीब साल भर पहले मुंबई आरपीएफ के शस्त्रागार की तस्वीर के साथ एक खबर प्रकाशित की थी। इस तस्वीर में शस्त्रागार में रखे असलहों पर बरसात का पानी गिरता दिखाई दे रहा था। यह तस्वीर प्रकाशित होने के बाद आरपीएफ के कुछ अधिकारियों पर गाज गिरी थी।


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Saturday, May 21, 2011

प्रशासन की पोल खोलने पर पत्रकार को जेल

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री :
कहते है सच बोलना इश्वर की इब्बाद्त करना है ! लेकिन भारत देश में ऐसा नही है यहाँ सच बोलने पर सज़ा भुगतनी पड़ती है खासकर तब सरकारी गतिविधियों की पोल खोलने के लिए सच बोला जाये! भारतीय प्रशासनव्यवस्था में इतनी कमियाँ हैं कि कोई भी परेशान हो जाये! लेकिन सरकार है कि सुधार करना ही नही चाहती! और जो सुधार करना चाहते हैं उन्हें वह पसंद नही करती! क्योंकि सरकार जो जैसे चल रहा है वैसे ही चलते रहना चाहती है! हो भी क्यों न सरकार का काला खजाना जो भरता है!
हाल ही में ऐसे ही एक सच के कारण एक पत्रकार को सज़ा भुगतनी पड़ी! मुंबई 26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले के दौरान पाकिस्तानी आतंकियों से मुकाबला कर रहे मुंबई पुलिस के कई जवानों की राइफलें जाम हो गई थीं। जिन कारणों से ये राइफलें जाम हुईं, उन्हें उजागर करने वाले अंग्रेजी दैनिक मिड-डे के पत्रकार को पिछले दो दिनों से हवालात की हवा खानी पड़ रही है। जागरण समूह के मुंबई से प्रकाशित हो रहे दैनिक अखबार मिड-डे के वरिष्ठ संवाददाता टी.के. द्विवेदी अकेला ने करीब साल भर पहले मुंबई आरपीएफ के शस्त्रागार की एक तस्वीर के साथ खबर प्रकाशित की थी। इस तस्वीर में वहां रखे हथियारों पर बरसात का पानी गिरता दिख रहा था। इस खबर के बाद आरपीएफ के कुछ अधिकारियों पर गाज गिरी थी और विभाग ने अपनी कमी दुरुस्त करते हुए शस्त्रागार की मरम्मत भी करा ली थी। लेकिन, इस घटना के करीब 6 माह बाद राज्य रेल पुलिस (जीआरपी) अपनी खुन्नस निकालते हुए मंगलवार रात मिड-डे कार्यालय से अकेला को पूछताछ के बहाने अपने साथ ले गई और थाने पहुंचने के बाद गोपनीयता उल्लंघन कानून के तहत उनकी गिरफ्तारी दिखा दी। अकेला की गिरफ्तारी जिस प्राथमिकी के आधार पर की गई है, उसमें उनके नाम का उल्लेख कहीं नहीं है। प्राथमिकी में सिर्फ अनधिकृत प्रवेश का आरोप लगाया गया है। यह आरोप भी किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा नहीं बल्कि मुंबई सीएसटी क्षेत्र में हॉकर्स यूनियन चलाने वाले एक व्यक्ति प्रदीप सोंथालिया की शिकायत के आधार पर लगाया गया है। अकेला की गिरफ्तारी से मुंबई के पत्रकार जगत में रोष है। गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए गुरुवार को मुंबई के सभी पत्रकार संगठनों ने मुंबई मराठी पत्रकार संघ में विरोध सभा कर मुंबई प्रेस क्लब से मंत्रालय तक पैदल मार्च किया। पत्रकारों का एक दल राज्य के गृह मंत्री आरआर पाटिल से भी मिलने गया। पाटिल से उन अधिकारियों को तुरंत निलंबित करने की मांग की गई, जिन्होंने अकेला पर बदले की भावना से गोपनीयता उल्लंघन कानून के तहत मामला दर्ज कर उन्हें प्रताडि़त किया। अकेला ने करीब साल भर पहले मुंबई आरपीएफ के शस्त्रागार की तस्वीर के साथ एक खबर प्रकाशित की थी। इस तस्वीर में शस्त्रागार में रखे असलहों पर बरसात का पानी गिरता दिखाई दे रहा था। यह तस्वीर प्रकाशित होने के बाद आरपीएफ के कुछ अधिकारियों पर गाज गिरी थी।


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