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Tuesday, May 3, 2011

फिल्म समीक्षा : चलो दिल्ली

प्रेम बाबु शर्मा, दिल्ली :
क्रीबन सत्तर के दशक में ं तनूजा और रंधीर कपूर की सुपर हिट फिल्म आई थी हमराही । फिल्म में एक दुसरे के बिल्कुल विपरीत व्यवहारिक सोच रखने वाले नायक व नायिका अलग अलग वाहनों पर अपनी यात्रा का सफर करते है। इस फिल्म में कही बांबे टू गोवा एक बस में सफर से जुड़ी घटनाओं का भी जिक्र है।, यह भी उसी तर्ज पर बनी है।
निर्देशक शशांत शाह ने सबसे ज्यादा कमाल का काम विनय पाठक से लिया है। फिल्म के हर फ्रेम पर उनकी निर्देशकीय पकड़ मजबूत साबित हुई है। अभिनय यूं तो पूरी फिल्म पर विनय पाठक ठेठ दिल्ली वाले कारोबारी के तौर पर अपनी छाप छोड़ते हैं, पर लारा दत्ता ने भी इस फिल्म में एक कामयाब कार्पोरेट लेडी का किरदार बखूबी निभाया है। एक पुराने आइटम सांग लैला मैं लैला.. को छोड़ दें तो फिल्म में संगीत अच्छा लगता है।
फिल्म की कहानी यह नखरीली नायिका मिहिता बनर्जी (लारा दत्ता) की फ्लाइट मिस होने के बाद सड़क मार्ग से उसके दिल्ली पहुंचने की दास्तान है, जिसमें उसके हमराही बने हैं उनसे बिल्कुल विपरीत व्यवहारिक सोच रखने वाले वाले मनु गुप्ता (विनय पाठक)। इनका सफर ट्रक, जीप, ऊंटगाड़ी, ट्रेन, कार तक में चलता है। इसमें जीवन के तमाम रंग भी बारी-बारी से सामने आते हैं। दिल्ली के ट्रैफिक से लेकर सफर में होने वाले आम हादसे, सोसाइटी में लाइफस्टाइल के गैप और ज्यादा खुश रहने वाले के जीवन में छाये रहने वाले गम बखूबी दर्शाए गए हैं। फिल्म में अंतिम भाग में मिहिता के पति विक्रम (अक्षय कुमार) की एंट्री के बाद तो यह फिल्मी ड्रामा नई ऊंचाइयां छू जाता है।

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Tuesday, May 3, 2011

फिल्म समीक्षा : चलो दिल्ली

प्रेम बाबु शर्मा, दिल्ली :
क्रीबन सत्तर के दशक में ं तनूजा और रंधीर कपूर की सुपर हिट फिल्म आई थी हमराही । फिल्म में एक दुसरे के बिल्कुल विपरीत व्यवहारिक सोच रखने वाले नायक व नायिका अलग अलग वाहनों पर अपनी यात्रा का सफर करते है। इस फिल्म में कही बांबे टू गोवा एक बस में सफर से जुड़ी घटनाओं का भी जिक्र है।, यह भी उसी तर्ज पर बनी है।
निर्देशक शशांत शाह ने सबसे ज्यादा कमाल का काम विनय पाठक से लिया है। फिल्म के हर फ्रेम पर उनकी निर्देशकीय पकड़ मजबूत साबित हुई है। अभिनय यूं तो पूरी फिल्म पर विनय पाठक ठेठ दिल्ली वाले कारोबारी के तौर पर अपनी छाप छोड़ते हैं, पर लारा दत्ता ने भी इस फिल्म में एक कामयाब कार्पोरेट लेडी का किरदार बखूबी निभाया है। एक पुराने आइटम सांग लैला मैं लैला.. को छोड़ दें तो फिल्म में संगीत अच्छा लगता है।
फिल्म की कहानी यह नखरीली नायिका मिहिता बनर्जी (लारा दत्ता) की फ्लाइट मिस होने के बाद सड़क मार्ग से उसके दिल्ली पहुंचने की दास्तान है, जिसमें उसके हमराही बने हैं उनसे बिल्कुल विपरीत व्यवहारिक सोच रखने वाले वाले मनु गुप्ता (विनय पाठक)। इनका सफर ट्रक, जीप, ऊंटगाड़ी, ट्रेन, कार तक में चलता है। इसमें जीवन के तमाम रंग भी बारी-बारी से सामने आते हैं। दिल्ली के ट्रैफिक से लेकर सफर में होने वाले आम हादसे, सोसाइटी में लाइफस्टाइल के गैप और ज्यादा खुश रहने वाले के जीवन में छाये रहने वाले गम बखूबी दर्शाए गए हैं। फिल्म में अंतिम भाग में मिहिता के पति विक्रम (अक्षय कुमार) की एंट्री के बाद तो यह फिल्मी ड्रामा नई ऊंचाइयां छू जाता है।

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