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Friday, May 20, 2011

खाने में मिलावट पर होगी उम्रकैद

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री : नई दिल्ली शहर से मिलावटी खाने की चीजें पूरी तरह से हटाने को अब कटिबद्ध दिल्ली सरकार ने एक कड़ा कानून बनाने का फैसला किया है। ऐसी अवैध गतिविधियों में लिप्त पाए जाने वालों को अब अधिकतम सजा आजीवन कारावास और दस लाख रुपये तक का जुर्माना भुगतना पड़ेगा।
अब आयेंगे मिलावटखोर काबू में इस दिशा में दिल्ली सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है!
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री एके वालिया ने कहा कि इस संबंध में 2006 में ही संसद में खाद्यान्न सुरक्षा और मानक अधिनियम पारित किया गया था। लेकिन दूषित और मिलावटी खाद्यान्न से लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सरकार इस कानून को अगले तीन महीने में अमल में ले आएगी। उन्होंने कहा कि इस नए कानून के लागू होने के बाद खाने की चीजों में मिलावट लगभग असंभव हो जाएगी। चूंकि इस अपराध में भागीदार लोगों के खिलाफ भारी जुर्माना और उम्रकैद की सजा लागू हो जाएगी। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया हालांकि संसद ने इस अधिनियम को साल 2006 में ही पारित कर दिया था लेकिन इसे कानून का रूप देकर इसे लागू करने की अधिसूचना केंद्र सरकार ने कुछ ही हफ्ते पहले जारी की है। इस अधिनियम में खाद्य सामग्री के निर्माताओं पर कम से कम एक लाख रुपये से लेकर अधिकतम दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस दंड को देने का अधिकार सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट का होगा। कानून के प्रावधानों के अनुसार मिलावट कर्ता को अपराध की गंभीरता के आधार पर छह माह की कैद से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। वालिया ने बताया कि नया कानून मौजूदा खाद्यान्न में मिलावट रोकने के प्रावधानों की जगह लेगा। उन्होंने कहा कि वह शहर से दूषित और विषाक्त भोजन सिरे से हटाने के लिए इस कानून को लागू करने को प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि नए कानून के तहत नकली या मिलावटी भोज्य पर्दाथ बनाने वाले को सात साल कैद और दस लाख रुपये जुर्माना भरना पड़ेगा। अगर ऐसे किसी मामले में किसी की मौत हो जाती है तो उन पर अधिकतम दंड उम्रकैद के साथ ही दस लाख रुपये जुर्माना लगेगा। इतना ही नहीं अगर मिलावटी भोजन से किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो मृतक के परिजनों को आर्थिक सहायता के तौर पर कम से कम पांच लाख रुपये हर्जाना और घायल व बीमार को तीन लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। वालिया ने कहा कि इस प्रावधान के तहत खाद्य पदार्थो के व्यापार से जुड़े सभी कारोबारियों को खाद्य विभाग से खुद को पंजीकृत कराना होगा या फिर इसके लिए लाइसेंस हासिल करना होगा। अब नए प्रावधान के मुताबिक अब मानक पर खरे नहीं उतरने वाले खाद्य पदार्थो के लिए विज्ञापनों से गुमराह नहीं किया जा सकेगा। चूंकि अब ऐसे मामले में अदालत नहीं जाना होगा और निर्माता कंपनी पर सीधे-सीधे दस लाख रुपये का जुर्माना लगेगा। फिलहाल मौजूदा पीएफए अधिनियम के अनुसार अभी ऐसे सारे मामले अदालत में जाते हैं। इसलिए मामले का निपटारा अब जल्द होगा। वालिया ने कहा कि खाद्य पदार्थ में बताई गई सामग्री न होने पर नए प्रावधानों के तहत दो लाख रुपये का जुर्माना होगा जबकि गुणवत्ता से समझौता करके खाद्यान्न बेचने पर पांच लाख रुपये का जुर्माना होगा। साफ-सफाई से खाद्य पदार्थ नहीं बनाने या बेचने पर भी एक लाख रुपये का जुर्माना होगा। उन्होंने बताया कि खाद्यान्न मिलावट रोकथाम विभाग के अधिकारियों को पहले विभिन्न बाजारों में छापे मारने को कहा गया है। पिछले महीने पीएफए विभाग ने दिल्ली में विभिन्न स्थानों से खाद्य पदार्थो के 264 नमूने उठाए हैं। अभी 43 नमूने के नतीजे आने बाकी हैं।


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Friday, May 20, 2011

खाने में मिलावट पर होगी उम्रकैद

खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री : नई दिल्ली शहर से मिलावटी खाने की चीजें पूरी तरह से हटाने को अब कटिबद्ध दिल्ली सरकार ने एक कड़ा कानून बनाने का फैसला किया है। ऐसी अवैध गतिविधियों में लिप्त पाए जाने वालों को अब अधिकतम सजा आजीवन कारावास और दस लाख रुपये तक का जुर्माना भुगतना पड़ेगा।
अब आयेंगे मिलावटखोर काबू में इस दिशा में दिल्ली सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है!
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री एके वालिया ने कहा कि इस संबंध में 2006 में ही संसद में खाद्यान्न सुरक्षा और मानक अधिनियम पारित किया गया था। लेकिन दूषित और मिलावटी खाद्यान्न से लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सरकार इस कानून को अगले तीन महीने में अमल में ले आएगी। उन्होंने कहा कि इस नए कानून के लागू होने के बाद खाने की चीजों में मिलावट लगभग असंभव हो जाएगी। चूंकि इस अपराध में भागीदार लोगों के खिलाफ भारी जुर्माना और उम्रकैद की सजा लागू हो जाएगी। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया हालांकि संसद ने इस अधिनियम को साल 2006 में ही पारित कर दिया था लेकिन इसे कानून का रूप देकर इसे लागू करने की अधिसूचना केंद्र सरकार ने कुछ ही हफ्ते पहले जारी की है। इस अधिनियम में खाद्य सामग्री के निर्माताओं पर कम से कम एक लाख रुपये से लेकर अधिकतम दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस दंड को देने का अधिकार सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट का होगा। कानून के प्रावधानों के अनुसार मिलावट कर्ता को अपराध की गंभीरता के आधार पर छह माह की कैद से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। वालिया ने बताया कि नया कानून मौजूदा खाद्यान्न में मिलावट रोकने के प्रावधानों की जगह लेगा। उन्होंने कहा कि वह शहर से दूषित और विषाक्त भोजन सिरे से हटाने के लिए इस कानून को लागू करने को प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि नए कानून के तहत नकली या मिलावटी भोज्य पर्दाथ बनाने वाले को सात साल कैद और दस लाख रुपये जुर्माना भरना पड़ेगा। अगर ऐसे किसी मामले में किसी की मौत हो जाती है तो उन पर अधिकतम दंड उम्रकैद के साथ ही दस लाख रुपये जुर्माना लगेगा। इतना ही नहीं अगर मिलावटी भोजन से किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो मृतक के परिजनों को आर्थिक सहायता के तौर पर कम से कम पांच लाख रुपये हर्जाना और घायल व बीमार को तीन लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। वालिया ने कहा कि इस प्रावधान के तहत खाद्य पदार्थो के व्यापार से जुड़े सभी कारोबारियों को खाद्य विभाग से खुद को पंजीकृत कराना होगा या फिर इसके लिए लाइसेंस हासिल करना होगा। अब नए प्रावधान के मुताबिक अब मानक पर खरे नहीं उतरने वाले खाद्य पदार्थो के लिए विज्ञापनों से गुमराह नहीं किया जा सकेगा। चूंकि अब ऐसे मामले में अदालत नहीं जाना होगा और निर्माता कंपनी पर सीधे-सीधे दस लाख रुपये का जुर्माना लगेगा। फिलहाल मौजूदा पीएफए अधिनियम के अनुसार अभी ऐसे सारे मामले अदालत में जाते हैं। इसलिए मामले का निपटारा अब जल्द होगा। वालिया ने कहा कि खाद्य पदार्थ में बताई गई सामग्री न होने पर नए प्रावधानों के तहत दो लाख रुपये का जुर्माना होगा जबकि गुणवत्ता से समझौता करके खाद्यान्न बेचने पर पांच लाख रुपये का जुर्माना होगा। साफ-सफाई से खाद्य पदार्थ नहीं बनाने या बेचने पर भी एक लाख रुपये का जुर्माना होगा। उन्होंने बताया कि खाद्यान्न मिलावट रोकथाम विभाग के अधिकारियों को पहले विभिन्न बाजारों में छापे मारने को कहा गया है। पिछले महीने पीएफए विभाग ने दिल्ली में विभिन्न स्थानों से खाद्य पदार्थो के 264 नमूने उठाए हैं। अभी 43 नमूने के नतीजे आने बाकी हैं।


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