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Monday, December 20, 2010

पंचायत...पति-पत्नी बने भाई-बहन

मुंबई। अभी तक माना जाता था कि हरियाणा राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे इलाकों में ही खाप पंचायतों का कहर है। लेकिन मुंबई जैसे अतिविशिष्ट आधुनिक शहर ने इस मिथक को तोड़ दिया है। गुजराती मेघवाल पंचायत ने खाप शैली में फरमान जारी कर मुंबई में जातीय पंचायतों के विषबेल की मौजूदगी दर्ज करा दी है।
मुंबई में मेघवाल पंचायत ने एक गोत्र में व्याह रचाने वाले एक युवक-युवती को समाज से बाहर का रास्ता दिखा दिया है साथ ही उन्हें अब भाई-बहन की तरह रहने का तुगलकी हुक्म जारी किया है।
इस फरमान के बाद 10 साल से शादी-शुदा किरीट बारिया और उनकी पत्नी चंद्रिका बरिया की जिंदगी में तूफान मच गया है। मेघवाल पंचायत ने उनकी शादीशुदा जिंदगी को अवैध करार देकर उनका जीवन नरक के समान बना दिया है। अहम बात ये है कि उनके तीन बच्चे भी हैं जो अब बड़े हो चुके हैं। ऐसे में ये सवाल मौजूं हो गया है कि उन बच्चों के भविष्या का क्या होगा?
जानकर हैरानी होगी कि खुद को कानून से ऊपर मानने वाले पंचायत के दबंग फैसले में तब्दीली और रहम को भी तैयार नहीं हैं।
गौरतलब है कि 2008 पंचायत द्वारा जारी फरमान के तहत एक ही सरनेम और एक ही गोत्र के लड़की-लड़के भाई-बहन माने जाते हैं। और वे आपस में शादी नहीं कर सकते।
- भास्कर से

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Monday, December 20, 2010

पंचायत...पति-पत्नी बने भाई-बहन

मुंबई। अभी तक माना जाता था कि हरियाणा राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे इलाकों में ही खाप पंचायतों का कहर है। लेकिन मुंबई जैसे अतिविशिष्ट आधुनिक शहर ने इस मिथक को तोड़ दिया है। गुजराती मेघवाल पंचायत ने खाप शैली में फरमान जारी कर मुंबई में जातीय पंचायतों के विषबेल की मौजूदगी दर्ज करा दी है।
मुंबई में मेघवाल पंचायत ने एक गोत्र में व्याह रचाने वाले एक युवक-युवती को समाज से बाहर का रास्ता दिखा दिया है साथ ही उन्हें अब भाई-बहन की तरह रहने का तुगलकी हुक्म जारी किया है।
इस फरमान के बाद 10 साल से शादी-शुदा किरीट बारिया और उनकी पत्नी चंद्रिका बरिया की जिंदगी में तूफान मच गया है। मेघवाल पंचायत ने उनकी शादीशुदा जिंदगी को अवैध करार देकर उनका जीवन नरक के समान बना दिया है। अहम बात ये है कि उनके तीन बच्चे भी हैं जो अब बड़े हो चुके हैं। ऐसे में ये सवाल मौजूं हो गया है कि उन बच्चों के भविष्या का क्या होगा?
जानकर हैरानी होगी कि खुद को कानून से ऊपर मानने वाले पंचायत के दबंग फैसले में तब्दीली और रहम को भी तैयार नहीं हैं।
गौरतलब है कि 2008 पंचायत द्वारा जारी फरमान के तहत एक ही सरनेम और एक ही गोत्र के लड़की-लड़के भाई-बहन माने जाते हैं। और वे आपस में शादी नहीं कर सकते।
- भास्कर से

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