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Monday, December 27, 2010

....एक विवाह ऐसा भी

रायपुर.सुबह परिचय, दोपहर में अंगूठी और सगाई तथा शाम को पंडरी गुरुद्वारे में शादी। चार दिन में होने वाली सभी रस्में एक ही दिन में निभाई गईं। कटनी के संदीप मंगलानी ने नागपुर की शिल्पा राय का रायपुर में हाथ थामा। बढ़ती महंगाई और फिजूलखर्ची के दौर में सिंधी समाज ने यह अनुकरणीय मिसाल पेश की।
कटनी में जनरल स्टोर चलाने वाले संदीप के लिए उनके मामा छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कामर्स के कोषाध्यक्ष अर्जुन दास ओचवानी और शिल्पा मोटवानी के मामा श्यामलाल घनश्याम दास डोडानी ने आपस में बात चलाई।
दोनों ने इसकी जानकारी अपनी बहनों ज्योति मंगलानी और रेखा मोटवानी को दी। दोनों अपने-अपने बच्चों के साथ रायपुर आए। रविवार की सुबह संदीप और उसकी मां ने लड़की देखी। उन्हें शिल्पा इतनी पसंद आई कि उन्होंने फौरन ही सगाई और अंगूठी रस्म का अनुरोध किया।
तुरंत ही रिश्तेदारों को फोनकर सूचना दी गई। वे जो भी साधन मिला उससे फौरन रायपुर पहुंचे। इस बीच सगाई और अंगूठी की रस्म निभाई गई। शाम को रिश्तेदारों के आने के बाद गुरुद्वारे में रीति-रिवाज के साथ विवाह भी संपन्न हो गया।नव दंपत्ति को पूरन लाल अग्रवाल, पोहूमल, कैलाश मुरारका, ललित जैसिंघ, अनिल गुरुबक्षाणी समेत परिजनों ने आशीर्वाद दिया।
नाच गाना होगा कि नहीं:
आनन फानन में शादी तय होने की जानकारी मिलने पर रिश्तेदारों ने तरह तरह के सवाल किए। ज्योति मंगलानी से परिजनों ने पूछा कि इतनी जल्दी शादी कैसे तय हो गई, अभी तो संदीप का जनेऊ नहीं हुआ है।
शादी में नाच-गाना, मेहंदी और बारात की रस्में होंगी कि नहीं? श्रीमती मंगलानी ने अपने भाई की सहायता से फौरन एक निजी होटल बुक कराया। वहां रिश्तेदारों की बातों के अनुसार सारी व्यवस्था की गई।
सब कुछ अचानक हो गया
शिल्पा की मां रेखा मोटवानी को तैयारियों की चिंता थी। ऐसे में उनके भाई श्यामलाल डोडानी उन्हें संबल दिया। व्यवस्था की जिम्मेदारी उन्होंने अपने हाथों में ली।
श्रीमती मोटवानी ने बताया कि अच्छे घर में बेटी की शादी का सपना देखा करती थी। आज वह साकार हो गया। लड़के वालों ने कोई मांग नहीं की है। उन्हें बस लड़की चाहिए।
- भास्कर
से

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Monday, December 27, 2010

....एक विवाह ऐसा भी

रायपुर.सुबह परिचय, दोपहर में अंगूठी और सगाई तथा शाम को पंडरी गुरुद्वारे में शादी। चार दिन में होने वाली सभी रस्में एक ही दिन में निभाई गईं। कटनी के संदीप मंगलानी ने नागपुर की शिल्पा राय का रायपुर में हाथ थामा। बढ़ती महंगाई और फिजूलखर्ची के दौर में सिंधी समाज ने यह अनुकरणीय मिसाल पेश की।
कटनी में जनरल स्टोर चलाने वाले संदीप के लिए उनके मामा छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कामर्स के कोषाध्यक्ष अर्जुन दास ओचवानी और शिल्पा मोटवानी के मामा श्यामलाल घनश्याम दास डोडानी ने आपस में बात चलाई।
दोनों ने इसकी जानकारी अपनी बहनों ज्योति मंगलानी और रेखा मोटवानी को दी। दोनों अपने-अपने बच्चों के साथ रायपुर आए। रविवार की सुबह संदीप और उसकी मां ने लड़की देखी। उन्हें शिल्पा इतनी पसंद आई कि उन्होंने फौरन ही सगाई और अंगूठी रस्म का अनुरोध किया।
तुरंत ही रिश्तेदारों को फोनकर सूचना दी गई। वे जो भी साधन मिला उससे फौरन रायपुर पहुंचे। इस बीच सगाई और अंगूठी की रस्म निभाई गई। शाम को रिश्तेदारों के आने के बाद गुरुद्वारे में रीति-रिवाज के साथ विवाह भी संपन्न हो गया।नव दंपत्ति को पूरन लाल अग्रवाल, पोहूमल, कैलाश मुरारका, ललित जैसिंघ, अनिल गुरुबक्षाणी समेत परिजनों ने आशीर्वाद दिया।
नाच गाना होगा कि नहीं:
आनन फानन में शादी तय होने की जानकारी मिलने पर रिश्तेदारों ने तरह तरह के सवाल किए। ज्योति मंगलानी से परिजनों ने पूछा कि इतनी जल्दी शादी कैसे तय हो गई, अभी तो संदीप का जनेऊ नहीं हुआ है।
शादी में नाच-गाना, मेहंदी और बारात की रस्में होंगी कि नहीं? श्रीमती मंगलानी ने अपने भाई की सहायता से फौरन एक निजी होटल बुक कराया। वहां रिश्तेदारों की बातों के अनुसार सारी व्यवस्था की गई।
सब कुछ अचानक हो गया
शिल्पा की मां रेखा मोटवानी को तैयारियों की चिंता थी। ऐसे में उनके भाई श्यामलाल डोडानी उन्हें संबल दिया। व्यवस्था की जिम्मेदारी उन्होंने अपने हाथों में ली।
श्रीमती मोटवानी ने बताया कि अच्छे घर में बेटी की शादी का सपना देखा करती थी। आज वह साकार हो गया। लड़के वालों ने कोई मांग नहीं की है। उन्हें बस लड़की चाहिए।
- भास्कर
से

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