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Wednesday, December 22, 2010

कील से दात के दर्द का इलाज

गोंडा-अयोध्या से सटे गोंडा जिले में अनेक देवी देवताओं के मंदिर हैं । उनमे से एक मंदिर बटुक भैरव नाथ का है जो गोंडा जिले के करनेलगंज कसबे में स्थापित हैं । जहा वटुक भैरवनाथ नगर पिता के रूप में जाने जातें है । इस मंदिर की विशेषता है कि यहाँ एक पुराने ज़माने का इमली का पेड़ है जहा पर कोई भी दात का रोगी मंदिर में दर्शन करके कील अपने दात में छु कर के पेड़ में गाड देता है । तो अशाध्य से अशाध्य दात का दर्द ठीक हो जाता है । ये मंदिर अंग्रेज कर्नेल बयालू ने बनवाया था कर्नेल को सपना आया था कि इस जगह पर रेल लाइन न बनवाए वर्ना उसका सर्वे नाश हो जायेगा क्योकि यहाँ भैरो नाथ का निवाश है इस मंदिर में सभी मनोकामनाये पूरी हो जाती है ।
बटुक भैरो नाथ का पिंड के पास अंग्रेजो के ज़माने में जंगल था और रेल लाइन के लिए इस जंगल को कटवाया जा रहा था । ये निर्माण कर्नेल बयालू करा रहा था उसने जब यहाँ खुदाई करायी तो यहाँ पर एक पत्थर मिला जिसे उसने सरयू नदी में फिकवा दिया दुसरे दिन यही पत्थर वह फिर मिला लगातार वह खुदाई करने के बाद पत्थर वही निकलता कर्नेल बयालू को सपना आया और वो दहसत में आगया उसने मंदिर का निर्माड कार्य तब से यहाँ निरंतर पूजा होती है और मनोकामनाये पूरी होती है ।
इस मंदिर परिसर में एक अजूबा इमली का पेड़ है । जो बहुत पुराना है यहाँ दात दर्द के रोगी बटुक नाथ का दर्शन कर अपने दात में कील छु कर पेड़ में गाड देतें है । उनका दात दर्द ठीक हो जाता है। इस पेड़ में हजारो हजार कि संख्या में किले भक्तो कि निशानी बया करती है ।

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Wednesday, December 22, 2010

कील से दात के दर्द का इलाज

गोंडा-अयोध्या से सटे गोंडा जिले में अनेक देवी देवताओं के मंदिर हैं । उनमे से एक मंदिर बटुक भैरव नाथ का है जो गोंडा जिले के करनेलगंज कसबे में स्थापित हैं । जहा वटुक भैरवनाथ नगर पिता के रूप में जाने जातें है । इस मंदिर की विशेषता है कि यहाँ एक पुराने ज़माने का इमली का पेड़ है जहा पर कोई भी दात का रोगी मंदिर में दर्शन करके कील अपने दात में छु कर के पेड़ में गाड देता है । तो अशाध्य से अशाध्य दात का दर्द ठीक हो जाता है । ये मंदिर अंग्रेज कर्नेल बयालू ने बनवाया था कर्नेल को सपना आया था कि इस जगह पर रेल लाइन न बनवाए वर्ना उसका सर्वे नाश हो जायेगा क्योकि यहाँ भैरो नाथ का निवाश है इस मंदिर में सभी मनोकामनाये पूरी हो जाती है ।
बटुक भैरो नाथ का पिंड के पास अंग्रेजो के ज़माने में जंगल था और रेल लाइन के लिए इस जंगल को कटवाया जा रहा था । ये निर्माण कर्नेल बयालू करा रहा था उसने जब यहाँ खुदाई करायी तो यहाँ पर एक पत्थर मिला जिसे उसने सरयू नदी में फिकवा दिया दुसरे दिन यही पत्थर वह फिर मिला लगातार वह खुदाई करने के बाद पत्थर वही निकलता कर्नेल बयालू को सपना आया और वो दहसत में आगया उसने मंदिर का निर्माड कार्य तब से यहाँ निरंतर पूजा होती है और मनोकामनाये पूरी होती है ।
इस मंदिर परिसर में एक अजूबा इमली का पेड़ है । जो बहुत पुराना है यहाँ दात दर्द के रोगी बटुक नाथ का दर्शन कर अपने दात में कील छु कर पेड़ में गाड देतें है । उनका दात दर्द ठीक हो जाता है। इस पेड़ में हजारो हजार कि संख्या में किले भक्तो कि निशानी बया करती है ।

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