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Wednesday, December 29, 2010

सोमालिया के समुद्री क्षेत्र में लुटेरों के आतंक से रिहा हुआ संदीप

देहरादून ::-सोमालिया का समुद्री क्षेत्र में लुटेरों का आतंक अब भी जारी है जी हां ऐसा नहीं है कि यह लुटेरे किसी भी जहाज को अपना निशाना बनाते है बल्कि । यहां से गुजरने वाले मालवाहक जहाज ही इनका निशाना रहते हैं। इतना ही नहीं जहाज को सीमा तक सुरक्षित छोड़ना भी इन्हीं लुटेरों के जिम्मे होता है। कुछ ऐसा ही हुआ देहरादून के संदीप डग्वल के साथ जिस कंपनी में संदीप डंगवाल कार्यरत है उस कंपनी के 65 जहाज हैं। । इस दौरान बंधकों के साथ ज्यादती नहीं की जाती। इतना जरूर है कि फोन काट दिए जाते हैं और राशन सीमित कर दिया जाता है। लुटेरों ने पहले चौबीस घंटे तक पैसा गिना। इसके बाद अगले 12 घंटे जहाज में ही इसका बंटवारा किया गया। जिसके बाद वह जहाज छोड़कर उतर गए। लुटरों ने इसके बाद सोमालियाई सीमा तक अपने एस्कॉर्ट में ही जहाज को छोड़ा। हर्षमणि डंगवाल कहते हैं कि संदीप ने उन्हें बताया कि लुटेरों ने उनके साथ बुरा बर्ताव नहीं किया, लेकिन उन्हें सामान्य खाना-पीना दिया जाता था।
बरहाल कुछ भी हो आज संदीप के घर में जशन का माहोल है और उसके माता पिता भगवन का शुक्रिया अदा किया और उसकी लम्बी उम्र की कामना की !

- संदीप अरोरा

 देहरादून
 09927985001

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Wednesday, December 29, 2010

सोमालिया के समुद्री क्षेत्र में लुटेरों के आतंक से रिहा हुआ संदीप

देहरादून ::-सोमालिया का समुद्री क्षेत्र में लुटेरों का आतंक अब भी जारी है जी हां ऐसा नहीं है कि यह लुटेरे किसी भी जहाज को अपना निशाना बनाते है बल्कि । यहां से गुजरने वाले मालवाहक जहाज ही इनका निशाना रहते हैं। इतना ही नहीं जहाज को सीमा तक सुरक्षित छोड़ना भी इन्हीं लुटेरों के जिम्मे होता है। कुछ ऐसा ही हुआ देहरादून के संदीप डग्वल के साथ जिस कंपनी में संदीप डंगवाल कार्यरत है उस कंपनी के 65 जहाज हैं। । इस दौरान बंधकों के साथ ज्यादती नहीं की जाती। इतना जरूर है कि फोन काट दिए जाते हैं और राशन सीमित कर दिया जाता है। लुटेरों ने पहले चौबीस घंटे तक पैसा गिना। इसके बाद अगले 12 घंटे जहाज में ही इसका बंटवारा किया गया। जिसके बाद वह जहाज छोड़कर उतर गए। लुटरों ने इसके बाद सोमालियाई सीमा तक अपने एस्कॉर्ट में ही जहाज को छोड़ा। हर्षमणि डंगवाल कहते हैं कि संदीप ने उन्हें बताया कि लुटेरों ने उनके साथ बुरा बर्ताव नहीं किया, लेकिन उन्हें सामान्य खाना-पीना दिया जाता था।
बरहाल कुछ भी हो आज संदीप के घर में जशन का माहोल है और उसके माता पिता भगवन का शुक्रिया अदा किया और उसकी लम्बी उम्र की कामना की !

- संदीप अरोरा

 देहरादून
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