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Sunday, February 27, 2011

10 मिलियन टन मछली उत्पादन का लक्ष्य:अय्यप्पन

करनाल, विजय काम्बोज : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महा निदेशक डॉ. एस अय्यप्पन ने कहा कि हिंदुस्तान में 10 मिलियन टन मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। फिलहाल देश में 7.5 मिलियन टन मछली उत्पादन हो रहा है। उन्होंने किसानों व ग्राहकों के बीच से दलाली खत्म करने की वकालत की तो साथ ही अनाज व दाल को छोड़कर होने वाली फल व फूल सहित अन्य खेती पर जोर देने पर बल दिया।
डॉ. य्यप्पन ने नीलोखेड़ी के बुटाना गांव में मछली उत्पादक प्रगतिशील किसान सुलतान सिंह के फिश फैकल्टी फॉर प्रोडक्शन आफ वेल्यू एडिड प्रोडक्ट यूनिट का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा की धरा गेहूं व धान की पैदावार के लिए मशहूर है। इसके बाद भी इस जमीन पर समुद्री इलाके को छोड़कर देश की यह पहली यूनिट खुलना बहुत बड़ी बात है। समुंद्र किनारे बसे क्षेत्रों में प्लांट मिलते हैं, लेकिन समुंद्र को छोड़कर इस तरह का प्लांट लगाना बेहद काबिले तारीफ है। उन्होंने कहा कि इस यूनिट में किसानों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। ताकि इस तरह की यूनिट और स्थापित हो सकें। उन्होंने किसान और ग्राहक के बीच की दूरी को खत्म करने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि आइसीएआर की नई योजना में खेती की द्वितीय श्रेणी को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा।
यूनिट के संचालक सुलतान सिंह ने कहा कि यहां से प्रतिदिन एक टन मछली उत्पाद बनेंगे। इसके लिए वह आसपास के मछली पालकों की सहायता लेंगे। आइसीएआर के मछली पालन विभाग की उप निदेशक डॉ. बी मीनाकुमारी ने सुलतान के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि यह संदेश पूरे विश्व को जाएगा। मंच संचालन राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान निदेशालय के केवीए के अध्यक्ष डॉ. दलीप गोसाईं ने किया

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Sunday, February 27, 2011

10 मिलियन टन मछली उत्पादन का लक्ष्य:अय्यप्पन

करनाल, विजय काम्बोज : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महा निदेशक डॉ. एस अय्यप्पन ने कहा कि हिंदुस्तान में 10 मिलियन टन मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। फिलहाल देश में 7.5 मिलियन टन मछली उत्पादन हो रहा है। उन्होंने किसानों व ग्राहकों के बीच से दलाली खत्म करने की वकालत की तो साथ ही अनाज व दाल को छोड़कर होने वाली फल व फूल सहित अन्य खेती पर जोर देने पर बल दिया।
डॉ. य्यप्पन ने नीलोखेड़ी के बुटाना गांव में मछली उत्पादक प्रगतिशील किसान सुलतान सिंह के फिश फैकल्टी फॉर प्रोडक्शन आफ वेल्यू एडिड प्रोडक्ट यूनिट का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा की धरा गेहूं व धान की पैदावार के लिए मशहूर है। इसके बाद भी इस जमीन पर समुद्री इलाके को छोड़कर देश की यह पहली यूनिट खुलना बहुत बड़ी बात है। समुंद्र किनारे बसे क्षेत्रों में प्लांट मिलते हैं, लेकिन समुंद्र को छोड़कर इस तरह का प्लांट लगाना बेहद काबिले तारीफ है। उन्होंने कहा कि इस यूनिट में किसानों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। ताकि इस तरह की यूनिट और स्थापित हो सकें। उन्होंने किसान और ग्राहक के बीच की दूरी को खत्म करने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि आइसीएआर की नई योजना में खेती की द्वितीय श्रेणी को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा।
यूनिट के संचालक सुलतान सिंह ने कहा कि यहां से प्रतिदिन एक टन मछली उत्पाद बनेंगे। इसके लिए वह आसपास के मछली पालकों की सहायता लेंगे। आइसीएआर के मछली पालन विभाग की उप निदेशक डॉ. बी मीनाकुमारी ने सुलतान के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि यह संदेश पूरे विश्व को जाएगा। मंच संचालन राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान निदेशालय के केवीए के अध्यक्ष डॉ. दलीप गोसाईं ने किया

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