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Tuesday, February 22, 2011

प्रति वर्ष तीन हजार पशु चिकित्सकों की दरकार

इन्द्री,करनाल (विजय कम्बोज)
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. आरबी सिंह ने कहा कि भविष्य में प्रति वर्ष तीन हजार पशु चिकित्सकों व इतने ही डेयरी स्नातकोत्तर युवाओं की आवश्यकता होगी। ताकि पशुपालन के क्षेत्र में वर्ष 2020 तक 10 प्रतिशत तक वृद्धि होती रहे।
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्था के डीम्ड विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में डॉ. आरबी सिंह ने दीक्षांत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि देश में 25 वर्ष से कम 540 मिलियन युवा है और पूरे विश्व में सबसे ज्यादा युवा भारत में है। देश में कृषि पशुपालन और अन्य संबंधित क्षेत्रों में तकनीकों का विकास अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम और राष्ट्रीय जरूरतों के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल यही नहीं समझना चाहिए कि यह उत्पादकता और बाजार में उपलब्धता पर ही आधारित है। अपितु इसे आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से भी देखना होगा। पर्यावरण परिर्वतन के चलते खाद्य सुरक्षा की आपूर्ति के लिए भविष्य में इस तरह की तकनीकों को इजाद कर प्रयोग में लाना होगा, जिससे खाद्यान्न निरंतर बढ़ते रहें और छोटे व सीमांत किसान प्रभावित नहीं हों।
डॉ. सिंह ने कहा कि देश में 83 प्रतिशत छोटे किसान हैं। इनके पास कृषि योग्य देश की कुल भूमिका 45 प्रतिशत हिस्सा है और वह 50 प्रतिशत उत्पाद करते हैं। इनको ध्यान में रखते हुए भविष्य में कार्यक्रम बनाने होंगे। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सचिव अशोक सिन्हा ने कहा कि एनडीआरआइ उच्च कोटी के मानव संसाधन को तैयार करने के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। यह जरूरी है कि दूध से बने विभिन्न उत्पादकों को उच्च गुणवत्ता वाली तकनीक भी किसानों व डेयरी उद्यमियों तक पहुंचे।
संस्थान के निदेशक डॉ. एके श्रीवास्तव ने कहा कि कर्ण फ्रिज गाय से 415 दिन के ब्यात में आठ हजार 216 किलोग्राम दूध प्राप्त किया गया, जबकि कर्ण कीर्ति नामक भैंस से अधिकतम 23.3 किलोग्राम दूध प्राप्त किया गया और इस भैंस से पहले ब्यात में 427 दिन में चार हजार 428 किलोग्राम दूध प्राप्त किया गया।
समारोह में 132 विद्यार्थियों को बी टैक, एम टैक, एमवीएससी, एमएससी व पीचएचडी की डिग्री प्रदान की गई। बी टैक की छात्रा निशा सैनी, एमएससी की गीतिका ठाकुर, एमवीएससी के यातिश व एचएम और एमवीएससी के छात्रा मुनीम टाक को स्वर्ण पदक से अलंकृत किया गया। इस दौरान संयुक्त निदेशक शोध डा. एसएल गोस्वामी, संयुक्त निदेशक शैक्षणिक शैक्षणिक डॉ. जीआर पाटिल, रजिस्ट्रार डॉ. रामेश्वर सिंह व पूर्व निदेशक डॉ. सुशील कुमार मौजूद रहे।

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Tuesday, February 22, 2011

प्रति वर्ष तीन हजार पशु चिकित्सकों की दरकार

इन्द्री,करनाल (विजय कम्बोज)
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. आरबी सिंह ने कहा कि भविष्य में प्रति वर्ष तीन हजार पशु चिकित्सकों व इतने ही डेयरी स्नातकोत्तर युवाओं की आवश्यकता होगी। ताकि पशुपालन के क्षेत्र में वर्ष 2020 तक 10 प्रतिशत तक वृद्धि होती रहे।
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्था के डीम्ड विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में डॉ. आरबी सिंह ने दीक्षांत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि देश में 25 वर्ष से कम 540 मिलियन युवा है और पूरे विश्व में सबसे ज्यादा युवा भारत में है। देश में कृषि पशुपालन और अन्य संबंधित क्षेत्रों में तकनीकों का विकास अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम और राष्ट्रीय जरूरतों के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल यही नहीं समझना चाहिए कि यह उत्पादकता और बाजार में उपलब्धता पर ही आधारित है। अपितु इसे आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से भी देखना होगा। पर्यावरण परिर्वतन के चलते खाद्य सुरक्षा की आपूर्ति के लिए भविष्य में इस तरह की तकनीकों को इजाद कर प्रयोग में लाना होगा, जिससे खाद्यान्न निरंतर बढ़ते रहें और छोटे व सीमांत किसान प्रभावित नहीं हों।
डॉ. सिंह ने कहा कि देश में 83 प्रतिशत छोटे किसान हैं। इनके पास कृषि योग्य देश की कुल भूमिका 45 प्रतिशत हिस्सा है और वह 50 प्रतिशत उत्पाद करते हैं। इनको ध्यान में रखते हुए भविष्य में कार्यक्रम बनाने होंगे। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सचिव अशोक सिन्हा ने कहा कि एनडीआरआइ उच्च कोटी के मानव संसाधन को तैयार करने के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। यह जरूरी है कि दूध से बने विभिन्न उत्पादकों को उच्च गुणवत्ता वाली तकनीक भी किसानों व डेयरी उद्यमियों तक पहुंचे।
संस्थान के निदेशक डॉ. एके श्रीवास्तव ने कहा कि कर्ण फ्रिज गाय से 415 दिन के ब्यात में आठ हजार 216 किलोग्राम दूध प्राप्त किया गया, जबकि कर्ण कीर्ति नामक भैंस से अधिकतम 23.3 किलोग्राम दूध प्राप्त किया गया और इस भैंस से पहले ब्यात में 427 दिन में चार हजार 428 किलोग्राम दूध प्राप्त किया गया।
समारोह में 132 विद्यार्थियों को बी टैक, एम टैक, एमवीएससी, एमएससी व पीचएचडी की डिग्री प्रदान की गई। बी टैक की छात्रा निशा सैनी, एमएससी की गीतिका ठाकुर, एमवीएससी के यातिश व एचएम और एमवीएससी के छात्रा मुनीम टाक को स्वर्ण पदक से अलंकृत किया गया। इस दौरान संयुक्त निदेशक शोध डा. एसएल गोस्वामी, संयुक्त निदेशक शैक्षणिक शैक्षणिक डॉ. जीआर पाटिल, रजिस्ट्रार डॉ. रामेश्वर सिंह व पूर्व निदेशक डॉ. सुशील कुमार मौजूद रहे।

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