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Wednesday, February 9, 2011

सरकार की दोहरी नीति चावल उद्योग को पहुंचा रही है नुकसान .....

इन्द्री, (करनाल)! आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि टैक्स को लेकर सरकार की दोहरी नीति चावल उद्योग को नुकसान पहुंचा रही है। विभिन्न प्रदेशों में टैक्स की दर भी अलग अलग हैं। सारे देश में एक जैसा टैक्स लागू किए जाने से 40 प्रतिशत रेवैन्यू बढ़ जाएगा। आरबीआई की ओर से उधार में माल बेचने की छूट भी उद्योग पर संकट के समान है, क्योंकि उधार में बेचे माल की रकम असुरक्षित होती है। वे एक होटल में पत्रकारों से मुखाबित थे।
उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण राइस एक्सपोर्टर्स को नुकसान उठाना पड़ रहा है। भारत से चावलों का निर्यात 11 हजार करोड़ रुपए से लुढ़कर कर नौ हजार करोड़ पर आ गया है। दो तीन सालों से बासमती प्रोडक्शन बढ़ी है, जबकि एक्सपोर्ट में चावल की खपत कम हो रही है। सरकार को चाहिए कि जितनी भी सुपीरियर नॉन बासमती किस्में हैं उन पर से प्रतिबंध हटाए। किसानों में सलाहकार समिति के जरिए कृषि उत्पादन की जागृति लाई जानी चाहिए। राइस एक्सपोर्ट के लिए अलग से नीति बननी चाहिए, जिसके लिए उन्होंने वित्त मंत्रालय को आवेदन भी किया हुआ है। पूरे देश में से 80 प्रतिशत चावल पंजाब व हरियाणा से और 20 प्रतिशत अन्य पूरे देश से निर्यात होता है। उन्होंने कहा कि बासमती के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार कोई प्रयास नहीं कर रही है। एसोसिएशन के वाइस प्रेसीडेंट सुशील जैन ने कहा कि हरियाणा में आठ प्रतिशत टैक्स है, जबकि पाकिस्तान में कोई टैक्स नहीं है। यहां हर स्टेट में अलग टैक्स है। उद्योगपति महेंद्र जिंदल ने भी चावल उद्योग के विकास में सरकारी नीतियों को सही नहीं बताया।

-- विजय काम्बोज
इन्द्री (करनाल)
09416281168

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Wednesday, February 9, 2011

सरकार की दोहरी नीति चावल उद्योग को पहुंचा रही है नुकसान .....

इन्द्री, (करनाल)! आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि टैक्स को लेकर सरकार की दोहरी नीति चावल उद्योग को नुकसान पहुंचा रही है। विभिन्न प्रदेशों में टैक्स की दर भी अलग अलग हैं। सारे देश में एक जैसा टैक्स लागू किए जाने से 40 प्रतिशत रेवैन्यू बढ़ जाएगा। आरबीआई की ओर से उधार में माल बेचने की छूट भी उद्योग पर संकट के समान है, क्योंकि उधार में बेचे माल की रकम असुरक्षित होती है। वे एक होटल में पत्रकारों से मुखाबित थे।
उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण राइस एक्सपोर्टर्स को नुकसान उठाना पड़ रहा है। भारत से चावलों का निर्यात 11 हजार करोड़ रुपए से लुढ़कर कर नौ हजार करोड़ पर आ गया है। दो तीन सालों से बासमती प्रोडक्शन बढ़ी है, जबकि एक्सपोर्ट में चावल की खपत कम हो रही है। सरकार को चाहिए कि जितनी भी सुपीरियर नॉन बासमती किस्में हैं उन पर से प्रतिबंध हटाए। किसानों में सलाहकार समिति के जरिए कृषि उत्पादन की जागृति लाई जानी चाहिए। राइस एक्सपोर्ट के लिए अलग से नीति बननी चाहिए, जिसके लिए उन्होंने वित्त मंत्रालय को आवेदन भी किया हुआ है। पूरे देश में से 80 प्रतिशत चावल पंजाब व हरियाणा से और 20 प्रतिशत अन्य पूरे देश से निर्यात होता है। उन्होंने कहा कि बासमती के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार कोई प्रयास नहीं कर रही है। एसोसिएशन के वाइस प्रेसीडेंट सुशील जैन ने कहा कि हरियाणा में आठ प्रतिशत टैक्स है, जबकि पाकिस्तान में कोई टैक्स नहीं है। यहां हर स्टेट में अलग टैक्स है। उद्योगपति महेंद्र जिंदल ने भी चावल उद्योग के विकास में सरकारी नीतियों को सही नहीं बताया।

-- विजय काम्बोज
इन्द्री (करनाल)
09416281168

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