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Friday, February 25, 2011

दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ाने पर जोर

विजय कम्बोज (करनाल)
जिले में दुधारू पशुओं की नस्ल सुधारने के उद्देश्य से नई तकनीक का प्रयोग करके दुधारू पशुओं की संख्या में बढ़ोत्तरी की गई है। सघन पशुधन विकास परियोजना के उप-निदेशक ने बताया कि जनवरी तक जिले में 55 हजार 661 गायों व 90 हजार 174 भैंसों का कृत्रिम गर्भाधान किया गया, ताकि अच्छी व दुधारू नस्ल के बछड़े-बछडिया व कटड़े-कटड़िया पैदा हो सकें । उपरोक्त अवधि तक जिले में 17 हजार 370 गाय के बच्चे तथा 14 हजार 905 भैंसों के बच्चे कृत्रिम गर्भाधान से पैदा हुए है। पशुओं के सरक्षण व उन्हे घातक बीमारियों से बचाने के लिए पशु चिकित्सा केंद्रों पर गलघोटू के पांच लाख 40 हजार 314 टीके गाय व भैंसों को लगाए गए। एक लाख 89 हजार 550 पशुओं को मुंहखुर बीमारी से बचाव के टीके लगाए गए तथा 73 हजार 514 भेड़ बकरियों को आत्रशोथ व चेचक और कुक्कट पक्षियों को रानीखेत व चेचक के आठ लाख छह हजार 500 टीके लगाए गए।
इस परियोजना के तहत तीन लाख 97 हजार 474 पशुओं का उपचार किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में 605 पशु चिकित्सा शिविर लगाए गए। इनमें ं बाझपन के 13 हजार 353 पशुओं व कृमि रोग के एक लाख 57 हजार 655 पशुओं का इलाज किया गया


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Friday, February 25, 2011

दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ाने पर जोर

विजय कम्बोज (करनाल)
जिले में दुधारू पशुओं की नस्ल सुधारने के उद्देश्य से नई तकनीक का प्रयोग करके दुधारू पशुओं की संख्या में बढ़ोत्तरी की गई है। सघन पशुधन विकास परियोजना के उप-निदेशक ने बताया कि जनवरी तक जिले में 55 हजार 661 गायों व 90 हजार 174 भैंसों का कृत्रिम गर्भाधान किया गया, ताकि अच्छी व दुधारू नस्ल के बछड़े-बछडिया व कटड़े-कटड़िया पैदा हो सकें । उपरोक्त अवधि तक जिले में 17 हजार 370 गाय के बच्चे तथा 14 हजार 905 भैंसों के बच्चे कृत्रिम गर्भाधान से पैदा हुए है। पशुओं के सरक्षण व उन्हे घातक बीमारियों से बचाने के लिए पशु चिकित्सा केंद्रों पर गलघोटू के पांच लाख 40 हजार 314 टीके गाय व भैंसों को लगाए गए। एक लाख 89 हजार 550 पशुओं को मुंहखुर बीमारी से बचाव के टीके लगाए गए तथा 73 हजार 514 भेड़ बकरियों को आत्रशोथ व चेचक और कुक्कट पक्षियों को रानीखेत व चेचक के आठ लाख छह हजार 500 टीके लगाए गए।
इस परियोजना के तहत तीन लाख 97 हजार 474 पशुओं का उपचार किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में 605 पशु चिकित्सा शिविर लगाए गए। इनमें ं बाझपन के 13 हजार 353 पशुओं व कृमि रोग के एक लाख 57 हजार 655 पशुओं का इलाज किया गया


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