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Monday, February 7, 2011

.....ताकि भज्जी बड़ा क्रिकेटर बन सके

नई दिल्ली. अगर दिल में हौंसला और हाथों में दम हो तो एक छोटे शहर का वासी भी हिट हो सकता है। टीम इंडिया में ऐसे 11 खिलाड़ियों की जमात है जो हैं तो छोटे शहरवासी, पर उन्होंने अपनी प्रतिभा से पूरी दुनिया को दीवाना बना दिया है। इनमें से 6 इस विश्वकप में देश का प्रतिनिधित्व भी करेंगे।
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, वीरेंद्र सहवाग, सुरेश रैना, मुनाफ पटेल, हरभजन सिंह और प्रवीण कुमार मुंबई-दिल्ली जैसे महानगरों से नहीं आए। ये आगे बढ़े हैं झारखंड जैसे प्रदेश और जालंधर व ईखर जैसे शहरों की तंग गलियों से। इन्हीं मुकद्दर के सिकंदरों की गाथा को संजोने का काम किया है मुंबई के एक पत्रकार ने। के आर गुरुप्रसाद ने इन्हीं रियल हीरोज के संघर्ष का विवरण अपनी किताब में दिया है।
इस किताब में ये नहीं बताया गया है कि हरभजन सिंह ने कितने मैच खेले हैं और कितने विकेट चटकाए हैं। ना ही इसमें बताया गया है कि किस प्रकार सहवाग ने रिकार्डों का पहाड़ खड़ा किया। बल्कि इसमें बताया गया है कि कैसे हरभजन के पिता सिर्फ भज्जी के मैच खेलने के लिए पैसा जुटाने के वास्ते भूखे पेट सोया करते थे।
खुद की तस्वीर पर लिख दिया था रिजेक्टेड पीस
केरल के तेज गेंदबाज श्रीसंथ ने सफलता की ऊंचाइयों को छूने के लिए बहुत संघर्ष किया है। श्रीसंथ ने लगातार चयन के लिए नजरअंदाज किए जाने के बाद खुद की एक तस्वीर को पेंट कर उस पर नकारा गया टुकड़ा (रिजेक्टेड पीस) लिख दिया था। श्रीसंथ ने खुद को प्रेरित करने के लिए इस तस्वीर को अपने कमरे में टांग लिया था।
गुरुप्रसाद ने कुछ ऐसे ही किस्सों को संजोया है। जो 11 खिलाड़ी इस किताब का हिस्सा हैं उनके नाम इस प्रकार से हैं - हरभजन सिंह, महेंद्र सिंह धोनी, वीरेंद्र सहवाग, सुरेश रैना, मुनाफ पटेल, श्रीसंथ, रवींद्र जडेजा, आर विनय कुमार, अशोक डिंडा, इकबाल अब्दुल्लाह और प्रवीण कुमार।

- भास्कर से

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Monday, February 7, 2011

.....ताकि भज्जी बड़ा क्रिकेटर बन सके

नई दिल्ली. अगर दिल में हौंसला और हाथों में दम हो तो एक छोटे शहर का वासी भी हिट हो सकता है। टीम इंडिया में ऐसे 11 खिलाड़ियों की जमात है जो हैं तो छोटे शहरवासी, पर उन्होंने अपनी प्रतिभा से पूरी दुनिया को दीवाना बना दिया है। इनमें से 6 इस विश्वकप में देश का प्रतिनिधित्व भी करेंगे।
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, वीरेंद्र सहवाग, सुरेश रैना, मुनाफ पटेल, हरभजन सिंह और प्रवीण कुमार मुंबई-दिल्ली जैसे महानगरों से नहीं आए। ये आगे बढ़े हैं झारखंड जैसे प्रदेश और जालंधर व ईखर जैसे शहरों की तंग गलियों से। इन्हीं मुकद्दर के सिकंदरों की गाथा को संजोने का काम किया है मुंबई के एक पत्रकार ने। के आर गुरुप्रसाद ने इन्हीं रियल हीरोज के संघर्ष का विवरण अपनी किताब में दिया है।
इस किताब में ये नहीं बताया गया है कि हरभजन सिंह ने कितने मैच खेले हैं और कितने विकेट चटकाए हैं। ना ही इसमें बताया गया है कि किस प्रकार सहवाग ने रिकार्डों का पहाड़ खड़ा किया। बल्कि इसमें बताया गया है कि कैसे हरभजन के पिता सिर्फ भज्जी के मैच खेलने के लिए पैसा जुटाने के वास्ते भूखे पेट सोया करते थे।
खुद की तस्वीर पर लिख दिया था रिजेक्टेड पीस
केरल के तेज गेंदबाज श्रीसंथ ने सफलता की ऊंचाइयों को छूने के लिए बहुत संघर्ष किया है। श्रीसंथ ने लगातार चयन के लिए नजरअंदाज किए जाने के बाद खुद की एक तस्वीर को पेंट कर उस पर नकारा गया टुकड़ा (रिजेक्टेड पीस) लिख दिया था। श्रीसंथ ने खुद को प्रेरित करने के लिए इस तस्वीर को अपने कमरे में टांग लिया था।
गुरुप्रसाद ने कुछ ऐसे ही किस्सों को संजोया है। जो 11 खिलाड़ी इस किताब का हिस्सा हैं उनके नाम इस प्रकार से हैं - हरभजन सिंह, महेंद्र सिंह धोनी, वीरेंद्र सहवाग, सुरेश रैना, मुनाफ पटेल, श्रीसंथ, रवींद्र जडेजा, आर विनय कुमार, अशोक डिंडा, इकबाल अब्दुल्लाह और प्रवीण कुमार।

- भास्कर से

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