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Sunday, February 27, 2011

कृत्रिम गर्भाधान के हर महीने खुलेंगे100 सेंटर

करनाल, विजय काम्बोज : पशुपालकों को उनके घर द्वार पर ही कृत्रिम गर्भाधान की सेवा उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके तहत मई से प्रदेश में हर मास 100 सेंटर खोले जाएंगे। इनमें ठेके पर प्रशिक्षित पशु चिकित्सक रखे जाएंगे। इससे बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा और पशुपालकों के लिए 24 घटे सेवाएं उपलब्ध रहेंगी।
यह खुलासा पशुपालन विभाग के महानिदेशक डा. केएस दागी ने राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के विश्राम गृह में पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने संस्थान में आयोजित विभाग की दो दिवसीय पशु प्रदर्शनी के समापन पर उत्तम नस्ल के पशुओं के मालिकों को पुरस्कृत किया। डा. दांगी ने कहा कि मुर्राह नस्ल की भैंस अधिक दूध देने के लिए जानी जाती है। इस नस्ल को बढावा देने के लिए प्रदेश में मुर्राह के पालकों को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। उन्होंने बताया कि हरियाणा में पिछले वर्षों में पशुओं को मुंहखुर की बीमारी से करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, लेकिन अब इस पर काबू पा लिया गया है। पशुपालकों को इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूक किया जाता है। इसके लिये विभाग ने 300 विशेष टीमें बनाई है और साल में करीब 10 हजार शिविर लगाए जा रहे है। विभाग का प्रयास है कि प्रत्येक गाय या भैंस का साल में एक बार जरूर ब्यात हो।

उन्होंने बताया कि पशुओं को वर्ष भर हरा चारा उपलब्ध करवाने के लिए एक विकल्प तैयार किया जा रहा है। इससे हरे चारे को इस तरह से भंडारण कर सुरक्षित रखा जाएगा ताकि वह हरा रहे और पशुओं को ऐसे दिनों में दिया जा सके जब हरे चारे की उपलब्धता नहीं हो। उन्होंने बताया कि प्रदेश में देशी नस्ल की गायों के संरक्षण के लिए गोशालाओं को सरकार की ओर से प्रोत्साहन देकर सुदृढ बनाया गया है और सरकार ने एक गोशाला आयोग का गठन भी किया है। इसी प्रकार पशु विश्वविद्यालय खोला गया है और निजी क्षेत्र में एक वेटरनरी कालेज भी खोला जा सकता है।
दांगी ने बताया कि प्रदेश में गत पांच बरस में बेशक पशुओं की संख्या नहीं बढ़ी है लेकिन दुग्ध उत्पादन बढा है। पंजाब के बाद दुग्ध उत्पादन में हरियाणा एक अग्रणी प्रदेश है। राष्ट्रीय स्तर पर दूध की उपलब्धता 258 ग्राम है लेकिन हरियाणा में यह उपलब्धता 673 ग्राम है। प्रदेश में खेती के बाद किसानों का यह दूसरे नंबर पर सबसे लाभकारी व्यवसाय है। प्रदेश में गत वर्ष करीब 60 मिलियन टन दुग्ध का उत्पादन हुआ है। हमारा लक्ष्य है कि वर्ष 2020 तक इसे दोगुना किया जाए। समारोह में पशुपालन विभाग के वित्तायुक्त हरदीप सिंह ने भी पुरस्कार वितरित किए।

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Sunday, February 27, 2011

कृत्रिम गर्भाधान के हर महीने खुलेंगे100 सेंटर

करनाल, विजय काम्बोज : पशुपालकों को उनके घर द्वार पर ही कृत्रिम गर्भाधान की सेवा उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके तहत मई से प्रदेश में हर मास 100 सेंटर खोले जाएंगे। इनमें ठेके पर प्रशिक्षित पशु चिकित्सक रखे जाएंगे। इससे बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा और पशुपालकों के लिए 24 घटे सेवाएं उपलब्ध रहेंगी।
यह खुलासा पशुपालन विभाग के महानिदेशक डा. केएस दागी ने राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के विश्राम गृह में पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने संस्थान में आयोजित विभाग की दो दिवसीय पशु प्रदर्शनी के समापन पर उत्तम नस्ल के पशुओं के मालिकों को पुरस्कृत किया। डा. दांगी ने कहा कि मुर्राह नस्ल की भैंस अधिक दूध देने के लिए जानी जाती है। इस नस्ल को बढावा देने के लिए प्रदेश में मुर्राह के पालकों को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। उन्होंने बताया कि हरियाणा में पिछले वर्षों में पशुओं को मुंहखुर की बीमारी से करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, लेकिन अब इस पर काबू पा लिया गया है। पशुपालकों को इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूक किया जाता है। इसके लिये विभाग ने 300 विशेष टीमें बनाई है और साल में करीब 10 हजार शिविर लगाए जा रहे है। विभाग का प्रयास है कि प्रत्येक गाय या भैंस का साल में एक बार जरूर ब्यात हो।

उन्होंने बताया कि पशुओं को वर्ष भर हरा चारा उपलब्ध करवाने के लिए एक विकल्प तैयार किया जा रहा है। इससे हरे चारे को इस तरह से भंडारण कर सुरक्षित रखा जाएगा ताकि वह हरा रहे और पशुओं को ऐसे दिनों में दिया जा सके जब हरे चारे की उपलब्धता नहीं हो। उन्होंने बताया कि प्रदेश में देशी नस्ल की गायों के संरक्षण के लिए गोशालाओं को सरकार की ओर से प्रोत्साहन देकर सुदृढ बनाया गया है और सरकार ने एक गोशाला आयोग का गठन भी किया है। इसी प्रकार पशु विश्वविद्यालय खोला गया है और निजी क्षेत्र में एक वेटरनरी कालेज भी खोला जा सकता है।
दांगी ने बताया कि प्रदेश में गत पांच बरस में बेशक पशुओं की संख्या नहीं बढ़ी है लेकिन दुग्ध उत्पादन बढा है। पंजाब के बाद दुग्ध उत्पादन में हरियाणा एक अग्रणी प्रदेश है। राष्ट्रीय स्तर पर दूध की उपलब्धता 258 ग्राम है लेकिन हरियाणा में यह उपलब्धता 673 ग्राम है। प्रदेश में खेती के बाद किसानों का यह दूसरे नंबर पर सबसे लाभकारी व्यवसाय है। प्रदेश में गत वर्ष करीब 60 मिलियन टन दुग्ध का उत्पादन हुआ है। हमारा लक्ष्य है कि वर्ष 2020 तक इसे दोगुना किया जाए। समारोह में पशुपालन विभाग के वित्तायुक्त हरदीप सिंह ने भी पुरस्कार वितरित किए।

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