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Friday, December 3, 2010

खाकी के चेहरे पर पड़ा गुनाह का पर्दा हटा

मुंबई। मुंबई में एक बार फिर खाकी के चेहरे पर पड़ा गुनाह का पर्दा हटा और उसका घिनौना रूप सबके सामने आगया। इस बार आरोप लगा है गामदेवी पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर राजेंद्र भोसले पर। आरोप है कि राजेंद्र ने छह साल पहले एक बेगुनाह व्यापारी को लॉक-अप में बंद कर थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया था। अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए व्यापारी ने मुंबई हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आखिरकार गुरुवार को उसे इंसाफ मिल ही गया।
व्यापारी का नाम राजेश सोलंकी है। राजेश का आरोप है कि 19 अक्टूबर 2004 में राजेंद्र ने उसे गैरकानूनी तरीके से रिवॉलवर रखने और ड्रग्स की सप्लाई करने के झूठे आरोप में फंसाया था। यह काम भी राजेंद्र ने एक बिल्डर रवि सेलाटकर से रिश्वत लेने के बाद किया था। दरअसल रवि के पास राजेश का कुछ पैसा फंसा था और वह उसे वापस नहीं देना चाहता था। इसी लिए उसने राजेश को फंसाने की साजिश रची और इसमें उसका साथ इंस्पेक्टर राजेंद्र भोसले ने दिया था।
लॉक-अप में बंद करके राजेंद्र ने राजेश से वह गुनाह उगलवाने की कोशिश करवाई जो उसने किया ही नहीं था। और जब उसने यह गुनाह कबूल करने से इंकार कर दिया तो राजेंद्र ने राजेश के गुप्तांगो में तेजाब भर कर इंजेक्शन लगा कर उसे थर्ड-डिग्री टॉर्चर दिया। झूठा गुनाह कबूल करने के बाद अदालत ने राजेश को मुंबई की ऑर्थर रोड जेल भेज दिया। जहां पर रह कर राजेश ने हाईकोर्ट में राजेंद्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
150 दिन जेल में बिताने के बाद राजेश तो वापस घर लौट आया लेकिन कानून ने राजेंद्र को नहीं छोड़ा। मुकदमे के तहत जांच पड़ताल की गई तो पता चला कि राजेंद्र ने वाकई रिश्वत लेकर राजेश को फंसाया था और फिर उसे र्थड डिग्री टॉर्चर देकर गुनाह कबूल करवाया गया था। फिलहाल राजेंद्र को सब-इंस्पैक्टर के पद से निस्कासित कर दिया गया है और उस पे कार्यवाई चल रही है।

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Friday, December 3, 2010

खाकी के चेहरे पर पड़ा गुनाह का पर्दा हटा

मुंबई। मुंबई में एक बार फिर खाकी के चेहरे पर पड़ा गुनाह का पर्दा हटा और उसका घिनौना रूप सबके सामने आगया। इस बार आरोप लगा है गामदेवी पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर राजेंद्र भोसले पर। आरोप है कि राजेंद्र ने छह साल पहले एक बेगुनाह व्यापारी को लॉक-अप में बंद कर थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया था। अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए व्यापारी ने मुंबई हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आखिरकार गुरुवार को उसे इंसाफ मिल ही गया।
व्यापारी का नाम राजेश सोलंकी है। राजेश का आरोप है कि 19 अक्टूबर 2004 में राजेंद्र ने उसे गैरकानूनी तरीके से रिवॉलवर रखने और ड्रग्स की सप्लाई करने के झूठे आरोप में फंसाया था। यह काम भी राजेंद्र ने एक बिल्डर रवि सेलाटकर से रिश्वत लेने के बाद किया था। दरअसल रवि के पास राजेश का कुछ पैसा फंसा था और वह उसे वापस नहीं देना चाहता था। इसी लिए उसने राजेश को फंसाने की साजिश रची और इसमें उसका साथ इंस्पेक्टर राजेंद्र भोसले ने दिया था।
लॉक-अप में बंद करके राजेंद्र ने राजेश से वह गुनाह उगलवाने की कोशिश करवाई जो उसने किया ही नहीं था। और जब उसने यह गुनाह कबूल करने से इंकार कर दिया तो राजेंद्र ने राजेश के गुप्तांगो में तेजाब भर कर इंजेक्शन लगा कर उसे थर्ड-डिग्री टॉर्चर दिया। झूठा गुनाह कबूल करने के बाद अदालत ने राजेश को मुंबई की ऑर्थर रोड जेल भेज दिया। जहां पर रह कर राजेश ने हाईकोर्ट में राजेंद्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
150 दिन जेल में बिताने के बाद राजेश तो वापस घर लौट आया लेकिन कानून ने राजेंद्र को नहीं छोड़ा। मुकदमे के तहत जांच पड़ताल की गई तो पता चला कि राजेंद्र ने वाकई रिश्वत लेकर राजेश को फंसाया था और फिर उसे र्थड डिग्री टॉर्चर देकर गुनाह कबूल करवाया गया था। फिलहाल राजेंद्र को सब-इंस्पैक्टर के पद से निस्कासित कर दिया गया है और उस पे कार्यवाई चल रही है।

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